किसान भाइयों, मोथा घास (cyperus rotundus) एक बहुवर्षीय सकरी पत्ती वाला खरपतवार है। इसे नियंत्रित करना विशेष रूप से कठिन है, क्योंकि जमीन के ऊपर और मिट्टी के नीचे, प्रकन्द आसानी से जड़ पकड़ लेते हैं। इन्हीं प्रकन्द से ये तेजी से फैलता है। प्रकन्दों का बहुत ही सघन जड़ तन्त्र होता है, जो भूमि में काफी गहराई तक पहुँच सकता है। इसका प्रसारण बीज द्वारा बहुत कम होता है। मक्के की बेहतर फसल उत्पादन के लिए खरपतवार प्रबंधन समय – समय पर करना बहुत आवश्यक होता है।
इससे फसलों में होने वाले नुकसान
ये हवा, पानी, प्रकाश, खाद, पोषक तत्व के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। जिससे मक्के की बढ़वार कम होती है और पौधा कमजोर रह जाता है। इसे आरम्भिक अवस्था में यदि नियंत्रित न किया जाये, तो उपज में 40 से 50 % तक की गिरावट देखी जा सकती है।
नियंत्रण के उपाय
यांत्रिक विधि : मक्के से अच्छे उत्पादन के लिए, फसल में पहली निराई, बुवाई के 15-20 दिन बाद और दूसरी निराई बुवाई के 30 -45 दिनों बाद करनी जरूरी हो जाता है।
रासायनिक विधि : मोथा के अच्छे नियंत्रण के लिए 2 से 3 पत्ती की अवस्था में खरपतवार नाशक सेम्प्रा (हैलोसल्फ्यूरॉन मिथाइल 75% डब्ल्यू जी) @ 36 ग्राम + सिलिको मैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 – 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। छिड़काव के समय फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें एवं खेत में नमी बनाये रखें।
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