- गेँहू की फसल में दाना भरने की अवस्था या दुग्धावस्था अति महत्व पूर्ण हैं |
- इस अवस्था में बाली के अंदर दाने भरते हैं इस समय सिंचाई करना अत्यंत आवश्यक हैं |
- इसके साथ ही दानो के अच्छे विकास के लिए होमोब्रेसिनोलॉइड 0.04 % @ 100 ml के साथ 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ का छिड़काव करना चाहिए |
- उर्वरको की तीसरी क़िस्त के रूप में यूरिया @ 40 किलो एवं सूक्ष्म पोषक तत्व @ 8 किलो/एकड़ की दर से देना चाहिए |
गेहूँ की फसल में श्यामवर्ण रोग की रोकथाम
- रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
- रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
- बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम 37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
- कासुगामाईसिन 5% +कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या
- थायोफेनेट मिथाइल 300 70% Wp मिली /एकड़ का छिड़काव करें|
गेंहू में ब्लास्ट रोग की पहचान
- प्रभावित पौधे की पत्ती के ऊपर हल्के हरे से भूरे रंग के केंद्रों वाले आँख के आकार के धब्बे दिखाई देते है |
- रोग की शुरुआती अवस्था में प्रभावीत बाली का भाग रंगहीन दिखाई देता है |
- रोग की गंभीर अवस्था में सम्पूर्ण बाली तथा तना रंगहीन व सूखा हुआ दिखाई देता है|
गेहूँ में कण्डुआ रोग का प्रबंधन
- यह रोग फफूंद से होता है |
- इसके लक्षण 10-14 दिनों में दिखने लग जाते है
- यह फफूंद पत्तियों के ऊपरी सतह से शुरू होकर तनों पर लाल-नारंगी रंग के धब्बे बनता है | यह धब्बे 1.5 एम.एम.के अंडाकार आकृति के होते है|
- यह रोग 15 -20°से.ग्रे. तापमान पर फैलता है
- इसके बीजाणु विभिन्न माध्यमों जैसे- हवा, बरसात और सिंचाई के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचते है |
नियंत्रण-
- फसल चक्र अपनाना चाहिए|
- रोग प्रति-रोधी किस्मों की बुवाई करें |
- बीज या उर्वरक उपचार बुवाई के चार सप्ताह तक कण्डुआ को नियंत्रित कर सकता है और उसके बाद इसे दबा सकते है।
- एक ही सक्रिय घटक वाले कवकनाशी का बार-बार उपयोग नहीं करें।
- कासुगामाईसिन 5% +कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ई.सी. 240 मिली /एकड़ का छिड़काव करें|
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Shareगेहूँ में भूरा गेरुआ रोग की पहचान
- यह रोग फफूंद से होता है |
- इसके लक्षण 10-14 दिनों में दिखने लग जाते है
- यह फफूंद पत्तियों के ऊपरी सतह से शुरू होकर तनों पर लाल-नारंगी रंग के धब्बे बनता है | यह धब्बे 1.5 एम.एम.के अंडाकार आकृति के होते है|
- यह रोग 15 -20°से.ग्रे. तापमान पर फैलता है
- इसके बीजाणु विभिन्न माध्यमों जैसे- हवा, बरसात और सिंचाई के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचते है |
गेहूँ में जड़ माहू (रुट एफिड) का नियंत्रण
- गेहूँ में माहु का प्रकोप नवंबर- फरवरी माह में देखने को अधिक मिलता है|
- वर्षा आधारित एवं देर से बुवाई की हुई फसल में यह कीड़ा अधिक नुकसान करता है|
- छोटे-छोटे पीले रंग के मच्छर गेहूँ के तने के आसपास दिखाई देते है|
- यह पौधों से रस चूसता है जिस कारण पौधा पीला पड़ने लगता है|
- यह कीड़ा वायरस रोग फ़ैलाने में भी मदद करता है|
- इस कारण लगभग 50% तक उपज में कमी आ सकती है|
नियंत्रण-
- फसल की देर से बुवाई न करें|
- यूरिया का प्रयोग ज्यादा न करे|
- खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL 60-70 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें|
- या थायमेथॉक्ज़ाम 25% WG @ 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से खाद/रेत/मिट्टी में मिला कर जमीन से दे और सिंचाई करें |
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Shareगेहूँ में सैनिक कीट/कटुआ का नियंत्रण
गेहूँ में सैनिक कीट/कटुआ का नियंत्रण :-
- पत्तियों का झड़ना इस कीट की उपस्थिति का प्राथमिक लक्षण है|
- इसके लार्वा पत्तियों पर क्षति पहुँचाते हैं|
- भारी उपद्रव बहुत विनाशकारी हो सकता है; इस स्थिति में लार्वा पौधे के ऊपरी भाग पर पहुँच कर बालियों के नीचे वाले भाग को काट देते है| एवं कुछ प्रजातियाँ मिट्टी में रहकर फसल के जड़ों को नुकसान पहुँचाती है|
- सैनिक कीट सुबह और शाम की अवधि के दौरान क्षति पहुँचाता है|
प्रबंधन –
- इस कीट के लार्वा पत्तियों की निचली सतह पर पाये जाते है इन्हे आसानी से हाथ से पकड़कर नष्ट किया जा सकता है|
- पक्षिओं को आकर्षित करने के लिए 4-5/एकड़ ‘’T’’ आकर की खूँटी का उपयोग करते है|
- रासायनिक उपचार के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट (5% एस.जी) 100 ग्राम/एकड़ या फिप्रोनिल (5% एस.सी) 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें|
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ShareManagement of termite
- बुवाई के पहले खेत में गहरी जुताई करें|
- खेत में अच्छी सड़ी हुई खाद का ही उपयोग करे|
- दीमक के टीले को केरोसिन से भर दे ताकि दीमक की रानी के साथ-साथ अन्य सभी कीट मर जाएँ|
- बुवाई से पहले क्लोरोपायरीफोस (20% ई.सी ) @ 5 मिली/ किलो बीज से बीजोपचार करें ।
- क्लोरोपायरीफोस (20% ई.सी) @ 1 लीटर/ एकड़ को किसी भी उर्वरक के साथ मिलाकर जमीन से दें और सिंचाई कर दे|
- बवेरिया बेसियाना 1 किलो / एकड़ छिड़काव करे.
- फाक्स ग्रेनुयल 7.५ किलो/ एकड़ भुरकाव करे।
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Identification of termite on wheat crop
- बुवाई के बाद और कभी-कभी परिपक्वता की अवस्था पर दीमक द्वारा फसल को नुकसान पहुँचाया जाता है|
- दीमक प्रायः फसल की जड़ों, बढ़ते पौधों के तनों, पौधे के मृत ऊतकों को नुकसान पहुँचाती है|
- क्षतिग्रस्त पौधे पूरी तरह से सूख जाते हैं और आसानी से जमीन से उखाड़े जा सकते है|
- जिन क्षेत्रों में अच्छी तरह सड़ी हुई खाद का प्रयोग नहीं किया जाता उन क्षेत्रो में दीमक का प्रकोप अधिक होता है|
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Management of root aphid in Wheat
- फसल की देर से बुवाई न करें|
- यूरिया का प्रयोग ज्यादा न करे|
- खड़ी फसल में इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL 60-70 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें|
- या थायमेथॉक्ज़ाम 25% WG @ 100 ग्राम के साथ बिवेरिया बेसियाना 2 किलो प्रति एकड़ की दर से खाद/रेत/मिट्टी में मिला कर जमीन से दे और सिंचाई करें |
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