आपकी गेहू फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 115 से 120 दिन बाद- कटाई की अवस्था

बालियों के पक जाने (भौतिक परिपक्वता) पर फसल को तुरन्त काट लेना चाहिए अन्यथा दाने झड़ने की साम्भावना होती हे। खराब मौसम की दशा में कम्बाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग श्रेयस्कर है जिससे हानियों से बचा जा सकता है।

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100-110 बुवाई के बाद- अनाज के उचित सुखने और परिपक्वता के लिए सिंचाई बंद कर दें

अनाज भरने की अवस्था के बाद फसल को अंतिम सिंचाई दें ताकि उचित परिपक्वता हो और अनाज अच्छे से सूख सके। इसके बाद सिंचाई बंद कर दें।

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बुवाई के 85-90 दिन बाद- अनाज का आकार बढ़ाने और पाले की चोट से बचाव के लिए

दानों का आकार बढ़ाने और गेरुआ रोग के नियंत्रण के लिए 00:00:50 (ग्रोमोर) 1 किलो + प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी (ज़ेरॉक्स) 200 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे। फसल को पाले से बचाने के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस (मोनास कर्ब) 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से इस छिड़काव में मिलाए।

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बुवाई के 61 से 65 दिन बाद- मूलभूत पोषक तत्व प्रदान करने के लिए पोषण खुराक

इस स्तर परगेहू के कल्लों की वृद्धि में सुधार करने के लिए अंतिम पोषण खुराक प्रदान करें। यूरिया 40 किग्रा + एमओपी 15 किग्रा प्रति एकड़ की दर से मिट्टी पर भुरकाव करें।

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बुवाई के 56 से 60 दिन बाद- गेहू के पुष्पगुच्छों की या कल्लों की वृद्धि में सुधार और आर्मीवर्म और गेरुआ रोग का रोकथाम करने के लिए

गेहू के पुष्पगुच्छों की या कल्लों की वृद्धि में सुधार और आर्मीवर्म और गेरुआ रोग का रोकथाम करने के लिए होमोब्रासिनोलाइड 0.04% (डबल) 100 मिली + 00:52:34 (ग्रोमोर) 1 किलो + हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी (नोवाकोन) 400 मिली + इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी (इमानोवा) 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।

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बुवाई के 51 से 55 दिन बाद- तीसरी सिंचाई

यह कल्ले निकलने का समय है। अनाज के उचित विकास के लिए इस अवस्था में तीसरी सिंचाई करें।

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बुवाई के 31 से 35 दिन बाद- उगने के बाद खरपतवार नियंत्रण

पोषक तत्वों के लिए फसल-खरपतवार में प्रतियोगिता के लिए यह आदर्श अवधि है। उगने के बाद चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के प्रबंधन के लिए क्लोडिनाफॉप प्रोपरगिल डब्ल्यूपी (डायनोफॉप) 160 ग्राम या मेसोलफुरन मिथाइल 3% + आयोडोसल्फ्यूरॉन मिथाइल सोडियम 0.6% डब्ल्यूजी (अटलांटिस) 160 ग्राम या मेट्रिब्यूज़िन 70% डब्ल्यूपी (मेट्री) 100 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें।

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बुवाई के 26 से 30 दिन बाद- वृद्धि को बढ़ावा देना और आर्मी वर्म या अन्य प्रकार की इल्ली के नियंत्रण के लिए

वानस्पतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए 19:19:19 (ग्रोमोर) 1 किग्रा + जिब्बरेलिक एसिड (नोवामैक्स) 300 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें। यदि पत्तियों पर किसी भी प्रकार की इल्ली या छोटे छेद दिखाई देते हैं तो इस छिड़काव में क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.4% SL (कोराजन) 60 मिली प्रति एकड़ मिलाकर डाले।

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बुवाई के 21 से 25 दिन बाद – सिंचाई के लिए नाजुक चरण

ताजमूल अवस्था यह जड़ लगने की महत्त्वपूर्ण अवस्था है। इस अवस्था में उचित जड़ और वानस्पतिक विकास के लिए दूसरी सिंचाई करें।

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बुवाई के 16 से 20 दिन बाद- जड़ माहु की रोकथाम और पोषण प्रदान करें

यूरिया 40 किग्रा + जिंक सल्फेट (ग्रोमोर) 5 किग्रा + सल्फर 90% डब्ल्यूजी (ग्रोमोर) 5 किग्रा + सूक्ष्म पोषक मिश्रण (एरीज टोटल)- 5 किग्रा प्रति एकड़ मिट्टी में भुरकाव करे। इसके साथ-साथ जड़ माहु के प्रबंधन के लिए थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूपी (थियानोवा 25) 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से मिट्टी पर फैलाए।

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