Sowing Time suitable for Watermelon

तरबूज की बुवाई का समय:-

  • तरबूजे की बुवाई का समय नवम्बर से मार्च तक है।
  • नवम्बर-दिसम्बर की बुवाई के बाद पौधों को पाले से बचाना चाहिए तथा अधिकतर बुवाई जनवरी-मार्च तक की जाती है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के महीनों में बोया जाता है।

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Land Preparation for Watermelon Cultivation

तरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी:-

  • तरबूज की खेती सभी प्रकार की मृदा मे की जा सकती है लेकिन हल्की, रेतीली एवं उर्वर दोमट मृदा उत्तम होती है|
  • मृदा में कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है इसकी पूर्ति के लिए हरी खाद, कम्पोस्ट, केंचुआ की खाद इत्यादि को जुताई के समय मिला देना चाहिये |
  • खेत की अच्छी तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करे फिर हैरो चलाये जिससे जमीन भुरभुरी हो जाए|
  • हल्का ढाल दक्षिण दिशा की और रखना हैं|
  • खेत में से घास फुस साफ़ करें|
  • लेवलर से खेत को समतल करें और 2 मी. की दूरी पर मेड़ बनाये |

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Important Practices for Increase Yield of Watermelon

तरबूज की उपज बढ़ाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:-

  • काले प्लास्टिक से मल्चिंग  करने से कई तरह के लाभ होते है जैसे – यह मिट्टी को गर्म रखेगा, खरपतवार वृद्धि में बाधा डालेगा, और फलो का विकास, साफ़ सुथरे वातावरण में करने में सहायक होगा ।
  • तरबूज के बीज की बोवाई से ले कर फल तैयार होने तक विभिन्न अवस्थाए  जैसे बोवाई, फूल आने के पूर्व, फल बनते समय पानी का होना बहुत जरूरी  है|
  • मिट्टी को नम रखना जरूरी है, लेकिन यह ध्यान रखते हुए कि खेत में अतिरिक्त पानी भरा नहीं हो । बेल के आधार पर सुबह के समय पानी देना अच्छा होता है, सिचाई के समय यह ध्यान रखे की पत्तिया गीली नहीं हो | जैसे ही  फल बढ़ने लगे पानी कम कर देना चाहिए। शुष्क मौसम या गर्म मौसम फलो को मीठा बनाने में सहायक होता है |
  • यदि आप उर्वरक का चुनाव कर रहे है तो, यह  सुनिश्चित कर ले कि जो उर्वरक आप चुन रहे है वह फॉस्फोरस और पोटेशियम की तुलना में अधिक नाइट्रोजन प्रदान करता हो।लेकिन जब फलो का विकास हो रहा हो तब वो उर्वरक  चुने जो फॉस्फोरस और पोटेशियम ज्यादा दे और नाइट्रोजन कम प्रदान करे| तरल समुद्री शैवाल का उपयोग करना ज्यादा अच्छा होता हैं।
  • एक ही बेल  पर अलग-अलग नर और मादा फूल पैदा करती  हैं। सामान्यत मादा फूल आने के कई सप्ताह पहले नर फूलों का आना  शुरू हो जाता हैं। नर फूल का गिरना पैदावार को नुकसान नहीं पहुँचाता । अगर ये झड भी जाए तो मादा फूल बेल पर रहते है और फल बनाते है ।
  • मधुमक्खिया परागण के लिए आवश्यक होती है, जिससे बेल में फलो की संख्या बढ़ती है |जब फल पक रहा हो तब उसे सड़ने से बचने के लिए धीरे से उठा कर जमीन और फल के बीच गत्ते का  टुकड़ा या भूसा रख देना चाहिए |

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Fertilizer Requirments for Watermelon

तरबूज़ की खेती के लिए उचित उर्वरक की मात्रा:- 

  • तरबूज की खेती में अच्छी उपज के लिए अच्छी तरह सड़ी हुई खाद 15-25 टन/हेक्टेयर मृदा की तैयारी के समय उपयोग करें|
  • इसकी खेती में कुल 135 क़ि.ग्रा. यूरिया, 100 क़ि.ग्रा डी.ए.पी. एवं 70 किलोग्राम एम.ओ.पी. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है|
  • इसमें फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा एवं नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के पूर्व उपयोग किया जाता है|
  • बची हुई नाइट्रोजन को बुवाई के 10-15 दिनों बाद उपयोग किया जाता है|
  • सामान्यतः नाइट्रोजन की अधिक मात्रा उच्च तापक्रम पर तरबूज मे फूलों की संख्या को कम कर देता है और साथ में उपज को भी प्रभावित करता है|

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Suitable climate and soil for watermelon

तरबुज के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी:-

  • गर्म एवं शुष्क जलवायु इसकी खेती के लिए उत्तम होती है।
  • बीज के जमाव व पौधों की बढ़वार के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापक्रम अच्छा होता है। यह ग्रीष्म ॠतु की फसल है, इसलिए पाला सहन नही कर सकती |
  • हवा में अधिक नमी होने पर फल देरी से पकते हैं।
  • फल पकते समय मौसम शुष्क तथा पछुआ हवा बहने से फलों में मिठास बढ़ जाती है। उचित जल निकास और जीवांश युक्त बलुई मिट्टी या दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम पायी गयी है।
  • इसकी फसल के लिए सर्वोत्तम मृदा पी एच मान 5-7 होता है। उचित जल निकास ना होने पर कई प्रकार की बीमारियों का प्रकोप होने लगता है| नदी के किनारे भूमि में इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है।

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Nutrient Management in Watermelon

तरबूज में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • खेत की तैयारी करते समय 25-30 टन गोबर की खाद में मिलना चाहिये|
  • अंतिम जुताई के समय 75 किलो यूरिया, 200 किलो SSP एवं 75 किलो पोटाश की मात्रा खेत में मिलाये|
  • शेष बचे हुए 75 किलो यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बांटकर डाले|
  • फास्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बनाये गए|

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Control of Red Pumpkin Bettle in Watermelon

तरबुज में लाल कीट का नियंत्रण:-

  • अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उन्है खाता है|
  • उसके बाद ग्रसित जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्वफल व लताएँ सुख जाती है|
  • इसमें ग्रसित फल उपयोग करने हेतु अनुपयुक्त होते है|
  • बीटल पत्तियों को खाकर छेद कर देते है |
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |

नियंत्रण:-

  • गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
  • बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
  • बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
  • साईपरमेथ्रिन (25 र्इ.सी.) 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी + डायमिथोएट 30% ईसी. 2  मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% WP 3 ग्राम प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें|

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Powdery Mildew of Watermelon

तरबुज में भभूतिया रोग:-

  • पत्तियों पर सफ़ेद या धूसर रंग के धब्बों का निर्माण होता है| जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग का पाउडर में बदल जाते है|
  • पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 300 मिली. प्रति एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 400 ग्राम प्रति एकड़ का घोल बनाकर छिडकाव करें|

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Use of growth regulators in Watermelon

तरबुज में वृद्धि नियामको का उपयोग:- तरबूज में हार्मोन उपचार के लिये उन्ही हार्मोन का उपयोग करना चाहिए जो तरबूज की फसल के लिये लाभकारी हो तथा जिसका प्रभाव तरबूज की फसल पर हानिकारक न हो और जिनके उपयोग करने पर तरबूज में फल प्रदान करने वाले मादा पुष्पों की संख्या में वृद्धि हो|जिससे अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त हो, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये इस फसल में हार्मोन उपचार महत्त्वपूर्ण क्रिया है जो इसके उत्पादन के लिये आवश्यक है|

तरबूज में 2-4 पत्ती की अवस्था पर इथ्रेल के 250 पी.पी.एम (4 मिली./पम्प) सांद्रण वाले घोल का छिडकाव करने से मादा पुष्पों की संख्या बढ़ जाती है,तथा उपज अधिक मिलती है|

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