How to control early blight of potato

इस बीमारी के नियंत्रण के लिए किसी एक फफूंदनाशक का छिड़काव करें

  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ | 
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ | 
  • क्लोरोथ्रोनिल 75% WP @ 250 ग्राम/एकड़ | 
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 46% WP @ 300 ग्राम/एकड़ | 

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Early blight of potato

  • फफूंद का पत्तियों पर आक्रमण होने पर धब्बों का निर्माण होने लगता है| 
  • उत्पन्न धब्बे छोटे, हल्के-भूरे रंग के एवं पुरी पत्तियों पर फैले हुए होते है| 
  • पूर्ण विकसित धब्बे नियमित, संकेन्द्रीय भूरे, काले रंग के एवं 2-5 मिमी. आकार के होते है| 
  • पौधों में इस रोग के लक्षण नीचे की पुरानी पत्तियों से शुरू होकर धीरे- धीरे ऊपर की तरफ बढ़ते है|

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Potato Harvester

  • आलू हारवेस्टर एक मशीन है जो की आलू की खुदाई के काम आती है|
  • यह मशीन आलू को जमींन से निकालकर मशीन के ऊपरी भाग में पहुँचा देती है|
  • आलू को मशीन की खुदाई युनिट से निकाला जाता है जहाँ आलू और मिट्टी अलग कर ली जाती है|
  • आलू और मिट्टी के पृथक्करण के द्वारा कंकड़, पत्थर और अन्य अशुद्धियों को हाथ से निकाल दिया जाता है|
  • इस प्रक्रिया के बाद आलू, संग्रहण युनिट में इकठ्ठा होते जाता है|

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Management of Black Scurf Disease of Potato

आलू में काला चित्ती रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग के कारण आलू की त्वचा पर काली सतह बन जाती है|
  • कन्दो का राइजोकटोनिया से संक्रमित मिट्टी के संपर्क मे आने से यह रोग फैलता है|
  • इस रोग के लक्षण पौधों के ऊपरी एवं निचले दोनों भागो में देख सकते है|
  • इस रोग के कारण पौधे के ऊपरी भाग में हरापन कम होने लगता है एवं पत्तियाँ बैंगनी रंग की दिखाई देती है|
  • पौधों के निचले भागों जैसे -जड, कन्द इत्यादि मे धब्बे बनने लग जाते है|
  • कन्द मे रोग आने के कारण इसकी गुणवत्ता के साथ-साथ इसका बाजार भाव भी कम हो जाता है|

प्रबंधन:-

  • फसल को लगाने से पहले मृदा के पौषक तत्त्व एवं पी.एच.की जाँच करा लेना चाहिए| मृदा का पी.एच.कम होने की दशा में यह रोग फ़ैल नहीं पाता है|
  • ऐसी जगह जहाँ यह रोग हर साल आता है उस स्थान पर आलू की फसल नहीं लेना चाहिए|
  • प्रमाणित कन्दों का ही उपयोग करें यदि ऐसा संभव ना हो सके तो कन्दों को फफूँदनाशक से उपचार करके ही बोए|
  • सल्फर 90% wdg @ 6 किलो/प्रति एकड़ आवश्यक रूप से दे | या अमोनियम सल्फेट खाद का उपयोग करें |
  • रोग के उपचार के लिए कन्दों को पेंसिकुरोन 250 सी.एस. 25 मिली /क्विंटल कन्द या पेनफ्लूफेन 10 मिली/ क्विंटल कन्द की दर से उपचारित करें|

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Management of Late blight in Potato

आलू में पिछेती झुलसा का प्रबंधन

  • पिछेती झुलसा आलू की मुख्य बीमारी है |
  • यह रोग फायटोप्थोरा इन्फेसटेन्स नामक एक कवक के कारण होता है यह रोग पत्तियों, तनो और कंदों को नुकसान पहुंचाता है।
  • बीमारी पहले पनीले, पत्ती के किनारों पर हल्के भूरे रंग के घावों के रूप में प्रकट होती है।
  • संक्रमित पत्ती के ऊतकों के मरने के बाद घाव गहरे भूरे, सूखे और भंगुर हो जाते हैं।
  • आर्द्र वातावरण में, फफूंद की वृद्धि को धब्बो के निचे की तरफ कपासी वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है|
  • धब्बे काले हो जाते हैं क्योंकि प्रभावित पत्ते सड़ने लगते हैं। गंभीर संक्रमण के कारण सभी पत्ते सड़ जाते है सुख जाते है ओर जमीन पर गिर जाते है तना सुख जाता है एवं पौधा मर जाता है| जमीन के नीचे कंद भी फसल से पहले क्षय हो जाते हैं कंदों पर, हरापन को देखा जा सकता है।
  • आलू की पिछेती झुलसा के नियंत्रण के लिए, मैन्कोज़ेब 75% WP @ 50 ग्रा. / 15 लीटर पानी या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% WP @ 50 ग्रा. / 15 लीटर पानी या मेटालेक्सिल + मैन्कोज़ेब @ 50 ग्रा / 15 लीटर पानी का छिड़काव करना चाहिए।

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Greening in Potato Tubers

आलू के कंदों में हरापन –

  • यह आलू का एक शारीरिक विकार है, जो की आलू के कंदों का प्रकाश के संपर्क में आने से होता है|
  • जब आलू की फसल में मिट्टी चढ़ाने की क्रिया नहीं की जाती तो आलू का ऊपरी भाग प्रकाश के संपर्क में लगातार बना रहता इस कारण इसमें हरापन दिखाई देने लगता है|
  • यदि आलू को घर में किसी प्रकाश वाले स्थान पर संग्रहित किया जाता है, तो इस कारण भी कंदों में हरापन होने लगता है|
  • हरे आलू में सोलेनिन नामक रसायन बनने के कारण ही आलू में हरापन आता है, और इस कारण आलू का स्वाद कड़वा हो जाता है|

सावधानियाँ –

  • हरे आलू को खाने में प्रयोग नहीं करना चाहिए|
  • आलू की फसल में कंद बनने के दौरान (बुवाई के 35-40 दिनों बाद) मिट्टी चढ़ाने की क्रिया करनी चाहिए ताकि आलू का कन्द प्रकाश के सम्पर्क में ना आए|
  • आलू का संग्रहण अँधेरे वाले स्थान पर करना चाहिए, यदि कही से प्रकाश आ रहा है तो उस स्थान को बंद कर देना चाहिए|

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Critical stage of irrigation in Potato

आलू में सिचाई की क्रांतिक अवस्था:-

  • आलू की फसल में सीजन के दौरान उच्चतम मृदा नमी को बांये रखने के लिए उच्च स्तरीय प्रबंधन की आवश्यकता होता है |
  • वृद्धि के कुछ चरण जब जल प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है-
  • 1). अंकुरण अवस्था
  • 2). कंद स्थापित अवस्था
  • 3). कंद बढ़वार अवस्था
  • 4). अंतिम फसल अवस्था
  • 5). खुदाई के पूर्व |

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Season of Planting of Potato in Northern Plains

उत्तरी मैदानों में आलू लगाने का समय :-

आलू अधिकतर ठन्डे क्षेत्रो में होता है जहां इष्टतम तापमान 18°C से अधिक नहीं होता हैं| आलू की वृद्धि एवं विकास के लिए तापमान 15-25°C के बीच होना चाहिए|

उत्तरी मैदानों में आलू लगाने एवं आलू की खुदाई का समय:-

 

क्र. . सीज़न लगाने का समय खुदाई का समय
1. अगेती सितम्बर- अक्टुबर दिसम्बर-जनवरी
2. मध्य अक्टुबर-नवम्बर फ़रवरी-मार्च
3. पछेती दिसम्बर-जनवरी मार्च-अप्रैल

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Healthy Potato Crop due to Sulphur Application

किसान का नाम:- सुरेश पाटीदार

गाँव:- कनार्दी

तहसील:- तराना

जिला:- उज्जैन

किसान भाई सुरेश जी ने 2 एकड़ में चिप्सोना-3 आलू लगाया है जिसमे उन्होंने सल्फर 90% WDG 6 kg/एकड़ के अनुसार प्रयोग किया है जिससे उन्हें अच्छे परिणाम प्राप्त हुए है | सल्फर एंजाइमों और अन्य प्रोटीन का एक महत्वपूर्ण घटक है और क्लोरोफिल गठन के लिए आवश्यक है।  मृदा द्वारा 20 किलो/हे. सल्फर खेत की तैयारी के समय देने की अनुशंसा की जाता है |

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Seed treatment of Potato

आलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम/ एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेंकोजेब 63% WP @ 200 ग्राम/एकड़ से करना चाहिए |

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