आलू का भण्डारण

  • उचित भण्डारण खेती की कुछ सस्यक्रियाओं पर निर्भर करता है|
  • आलू की खुदाई के एक सप्ताह पहले उसमे सिंचाई करना बंद कर दें| इससे आलू की त्वचा सख्त हो जाती है|
  • साथ ही ध्यान रखे की आलू के पौधा की पत्तियॉं  सूख जाये और गिरने लगे तभी खुदाई प्रारम्भ करें|
  • खुदाई के बाद आलू को अच्छी तरह साफ कर लें| तथा उन्हें 18°सेंटीग्रेट तापक्रम एवं 95% आद्रता पर संग्रहित करें|
  • हरी त्वचा वाले, सड़े एवं कटे आलू को अलग कर लें |
  • 2-4° सेंटीग्रेट तापक्रम पर, 6-8 महीने तक आलू को आसानी से संग्रहित कर सकते है|
  • इसी प्रकार 4° सेंटीग्रेट तापक्रम पर आलू को 3-4 महीने रखा जा सकता है|

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आलू में अगेती झुलसा रोग का प्रबंधन

आलू में अगेती झुलसा रोग का प्रबंधन:-

  • रोगग्रस्त पौधों को ठीक से नष्ट किया जाना चाहिए, ठन्डे बादली मौसम में सिचाई नहीं करनी चाहिए, सिचाई का समय ऐसा हो की रात तक पौधे सुख जाये|
  • मिट्टी की उर्वरता और फसल की शक्ति को बनाए रखें| फसल खुदाई जब करे तब कंदों की छिलका सख्त हो जाए जिससे की उस पर खरोच के कारण संक्रमण ना हो |
  • 2 ग्राम मेन्कोजेब 75 डब्लूपी + 10 ग्राम यूरिया प्रति लीटर 15 दिन के अंतराल पर जब लक्षण शुरू होते हैं या कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 63% WP @ 50 ग्रा / 15 लीटर पानी या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 % WP @ 50 ग्रा। / 15 लीटर पानी का छिडकाव करे |

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आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन

  • प्रभावित पौधे के पत्ते आकार में बहुत छोटे और झुर्रीदार दिखाई देते तथा पत्ती की शिरा के बीच का भाग पीले रंग का दिखाई देता है  | 
  • इस रोग का प्रबंधन वायरस मुक्त बीज का प्रयोग करके किया जा सकता है|
  • माहू मुक्त क्षेत्रो में बीज तैयार करे |
  • रोग वाहक माहू की जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपयुक्त सम्पर्क/दैहिक एसीटामिप्रिड 20% SP @ 10 ग्राम /15 लीटर  पानी के साथ स्प्रे करे | या 
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 10मिली /15 लीटर पानी के साथ स्प्रे करे |
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आलू की फसल में कैसे नियंत्रित करे अगेती झुलसा रोग का नियंत्रण

  • प्रभावित पौधे की पत्ती की सतह पर भूरे से काले रंग के अंडाकार आकार मृत धब्बे दिखाई देते है | 
  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ | 
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ | 
  • क्लोरोथ्रोनिल 75% WP @ 250 ग्राम/एकड़ | 
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 46% WP @ 300 ग्राम/एकड़ | 
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आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन

आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग का प्रबंधन वायरस मुक्त बीज का प्रयोग करके किया जा सकता है|
  • माहू मुक्त क्षेत्रो में बीज तैयार करे |
  • रोग वाहक माहू की जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपयुक्त सम्पर्क/दैहिक कीटनाशको का प्रयोग करे|
  • माहू के प्रभावी नियंत्रण के लिए, एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 10 ग्रा / 15 लीटर पानी या इमिडेकलोप्रिड 17.8% एसएल @ 10 एमएल / 15 लीटर पानी का छिड़काव करे |

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The critical stage of irrigation in Potato

  • आलू की फसल में सीजन के दौरान उच्चतम मृदा नमी को बांये रखने के लिए उच्च स्तरीय प्रबंधन की आवश्यकता होता है |
  • वृद्धि के कुछ चरण जब जल प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है-
  • 1). अंकुरण अवस्था
  • 2). कंद स्थापित अवस्था
  • 3). कंद बढ़वार अवस्था
  • 4). अंतिम फसल अवस्था
  • 5). खुदाई के पूर्व |

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Soil Preparation for Potato Cultivation

आलू की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी:-

  • आलू की फसल के अच्छे कंद बनने के लिए अच्छी भुरभुरी जमीन की आवश्यकता होता हैं|
  • आलू को रबी फसल में लिया जाती है खरीफ फसल की कटाई के बाद 20-25 Cm गहरी जुताई करे और मिट्टी को पलटे|
  • इसके बाद 2-3 क्रास हैरो या 4-5 देशी हल से जुताई करनी |
  • एक या दो बार पाटा कर जमीन की सतह को समतल करना आवश्यक होता हैं|
  • बुआई के समय पर्याप्त नमी होना आवश्यक हैं|

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Critical stage of irrigation in Potato

  • आलू की फसल में सीजन के दौरान उच्चतम मृदा नमी को बांये रखने के लिए उच्च स्तरीय प्रबंधन की आवश्यकता होता है |
  • वृद्धि के कुछ चरण जब जल प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है-
  • 1). अंकुरण अवस्था
  • 2). कंद स्थापित अवस्था
  • 3). कंद बढ़वार अवस्था
  • 4). अंतिम फसल अवस्था
  • 5). खुदाई के पूर्व |

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Field preparation of Potato crop

उर्वरक खेत की तैयारी के समय 

  • एसएसपी @ 80 किग्रा/एकड़ | 
  • डीएपी @ 40 किग्रा/एकड़ | 
  • यूरिया @ 20 किलोग्राम/एकड़ | 
  • पोटाश @ 50 किग्रा/एकड़ | 

बुवाई के समय 

  • समुद्री घास (लाटू ) 5 किलो/एकड़
  • फिप्रोनिल जीआर (फैक्स जीआर / हरीना जीआर) @ 8 किग्रा/एकड़ | 
  • एनपीके बैक्टीरिया का कन्सोर्टिया (TB 3 ) @ 3-4 किग्रा/एकड़ | 
  • ZnSB (तांबा जी ) @ 4 किग्रा/एकड़

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Seed treatment of Potato

आलू में बीज उपचार:- आलू एक कंदीय फसल हैं जिसमे विभिन्न फफूंद जनित रोग लगते है जो कि बीज एवं मृदा से फैलते है इसलिए आलू में बीज उपचार अति महत्त्वपूर्ण है | आलू का बीज उपचार कार्बोक्सीन 37. 5 % + थायरम 37. 5 % @ 200 ग्राम / 6 लीटर पानी 1 एकड़ बीज के लिए  या थायोफनेट मिथाइल 45% + पाइरक्लोस्ट्रोबिन 5% एफएस @ 800 मिलीलीटर/16 लीटर पानी 40 क्विंटल बीज के लिए | 

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