Nutrient Management in Okra Crop

भिन्डी में पौषक तत्व प्रबंधन:-

  • 15 से 20 टन/हे. अच्छी पकी हुई गोबर की खाद, 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (200 किलो यूरिया), 60 कि.ग्रा. फॉस्फोरस (400 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट) तथा 60 कि.ग्रा. पोटाश (100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश ) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना चाहिये।
  • गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा खेत की अन्तिम तैयारी करते समय मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिये।
  • नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बीज बोने के 20 दिन बाद तथा शेष एक तिहाई मात्रा बुवाई के 40 दिन बाद कतरों में देना चाहिये।
  • संकर किस्मों के लिये अनुमोदित मात्रा-150 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (300 किलो यूरिया), 120 कि.ग्रा. फॉस्फोरस( 800 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट) व 75 कि.ग्रा पोटाश (100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश) प्रति/हेक्टेयर है।
  • इनमें से 30% नत्रजन, 50% स्फूर व पोटाश की मात्रा मूल खाद के रूप में दें।
  • बाकी 50% फॉस्फोरस, 40% नाइट्रोजन व 25% पोटाश की मात्रा बीज बोने 28 दिन बाद तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद खेत में मिला दें।

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How to increase flowers in Okra

  • भिन्डी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद भिन्डी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा भिन्डी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|

होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|

समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|

सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|

2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Nutrient Management in Okra Crop

  • उर्वरक की मात्रा खेत व फसल में उपलब्ध जैविक पदार्थ की उर्वरता और मात्रा पर निर्भर करती है। भूमि तैयारी के समय लगभग 20-25 टन / हेक्टेयर खेत की खाद को मिलाया जाना चाहिए |
  • 15 से 20 टन/हे. अच्छी पकी हुई गोबर की खाद, 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (200 किलो यूरिया), 60 कि.ग्रा. फॉस्फोरस (400 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट) तथा 60 कि.ग्रा. पोटाश (100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश ) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना चाहिये।
  • गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा खेत की अन्तिम तैयारी करते समय मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिये।
  • नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बीज बोने के 20 दिन बाद तथा शेष एक तिहाई मात्रा बुवाई के 40 दिन बाद कतरों में देना चाहिये।
  • संकर किस्मों के लिये अनुमोदित मात्रा-150 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (300 किलो यूरिया), 120 कि.ग्रा. फॉस्फोरस( 800 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट) व 75 कि.ग्रा पोटाश (100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश) प्रति/हेक्टेयर है।
  • इनमें से 30% नत्रजन, 50% स्फूर व पोटाश की मात्रा मूल खाद के रूप में दें।
  • बाकी 50% फॉस्फोरस, 40% नाइट्रोजन व 25% पोटाश की मात्रा बीज बोने 28 दिन बाद तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद खेत में मिला दें।

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Insects Management in Okra

शूट और फ्रूट बोरर:-

  • 13 से 15 मिमी तक लंबे वयस्क मध्यम आकार के पतंगे होते हैं, सिर और थोरैक्स रंग सफ़ेद होता  हैं |
  • नियंत्रण: – संक्रमित फल को नियमित रूप से तोड़कर नष्ट करे|
  • कार्बोसल्फान 25% EC @ 400 मिली/एकड़ या बाइफेंथ्रीन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या मेथोमाइल 40% SP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से स्प्रै करे |

 

सफेद मक्खी:-

  • शिशु एवं वयस्क अण्डाकार हरे-सफेद रंग के होते हैं।
  • वयस्क लगभग 1 मि.ली. लम्बे एवं शरीर पर सफेद मोम जैसे आवरण होते है।
  • नियंत्रण: – ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 200 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें |
  • एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100-150 ग्राम/एकड़ या
  • थियामेथोक्साम 25% WG @ 80 ग्राम/एकड़ |

लाल मकड़ी

  • लाल मकड़ी पत्तियों की निचली सतह में समूह बनाकर रहती है।
  • लाल रंग के शिशु एवं वयस्क दोनो पौधे का रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे तैयार हो जाते है।
  • लाल मकड़ी के नियंत्रण के लिए, प्रोपरगाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |
  • स्पिरोमेंसिफेन 22.95% w/w @ 300 ml/एकड़ या
  • एबामेक्टिन 1.8% EC  @ 60-100 मिली/एकड़ |
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How to get more fruits with every picking in okra

  • भिन्डी की फसल में अधिक तुड़ाई लेने के लिए बुवाई के 2 सप्ताह पहले खेत में सडी हुई गोबर की खाद 10 टन/एकड़ की दर से खेत में समान रूप से मिला दे, जिससे पोधो में पोषक तत्वों को ग्रहण करने की क्षमता बढ़ जाती है
  • बुवाई के समय उर्वरको के साथ नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु की मात्रा 2 किलो/एकड़ की दर से खेत में अच्छी तरह से मिला दे।
  • नाईट्रोजन (60-80 किलो/ एकड़ ) की आधी मात्रा बुवाई के समय तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद दे, जिससे भिन्डी में प्रति पोधे प्रति शाखा में फलो की संख्या में वृद्धि अधिक होती है और 50 % तक उत्पादन बढ़ सकता है।
  • भिंडी की फसल बुवाई के लगभग 40 से 50 दिन बाद फल देना शुरु कर देती है।
  • पहली तुड़ाई के पहले केल्सियम नाइट्रेट+बोरान @ 10 किलो/एकड़, मैग्नीशियम सल्फेट 10 किलो/एकड़ + यूरिया @ 25 किलो/एकड़ को 1 किलो नाईट्रोजन स्थिरीकरण एवं फास्फोरस घुलनशील जीवाणु के साथ दे ।
  • भिंडी  में फुल बनते समय अमोनियम सल्फेट 55-70 किलो/एकड़ की दर से दे जो फल के विकास के लिए अति आवश्यक है।

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Control of wilt in okra

  • प्रारंभिक अवस्था में पौधा अस्थाई रुप से मुरझा जाता है किंतु बीमारी का प्रभाव बढ़ जाने पर पौधा स्थाई रुप से मुरझाकर सूख जाता है ।
  • ग्रसित पौधों की पत्तियाँ पीली हो जाती है ।
  • ग्रसित पौधों के तने को काटने पर आधार गहरे भूरे रंग का दिखाई देता है ।
  • भिण्डी को लगातार एक ही खेत में नहीं उगाना चाहिए ।
  • फसल चक्र अपनाना चाहिए ।
  • थायोफनेट मिथाइल 70% WP @ 200-300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • हेक्साकोनाजोल 5% ईसी @ 250-400 मिली/एकड़ का उपयोग भी इस बीमारी की रोकथाम के लिए किया जा सकता हैं ।

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Method of sowing in okra

  • भिन्डी को समतल मिट्टी या मेढ पर बोया जाता है, यदि मिट्टी भारी है तो इसे मेढ पर बोया जाना चाहिए।
  • भिंडी की संकर किस्मों को 75 x 30 सेमी या 60 x 45 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है।
  • भिंडी की बुवाई से 3-4 दिन पहले सिंचाई करना फायदेमंद होता हैं
  • लगभग 4-5 दिनों में बीज अंकुरित हो जाते हैं।

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How to increase number of flowers in Okra

  • भिन्डी में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद भिन्डी की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा भिन्डी की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • 2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Advantages of N fixation bacteria in okra

  • एज़ोटोबैक्टर स्वतंत्रजीवी नाईट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु हैं |
  • यह जीवाणु वातावरण की नाईट्रोजन को लगातार जमीन में जमा करता रहता हैं|
  • इसका उपयोग करने पर प्रति फसल 20 % से 25 % तक कम नाईट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती हैं|
  • ये जीवाणु बीजो का अंकुरण प्रतिशत बढ़ाते हैं|
  • तना और जड़ो की संख्या और लंबाई बढ़ाने में सहायक होता हैं|
  • रोगों की संभावना को कम करता हैं|

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Control Of Jassid in Okra

भिन्डी में जेसिड (फुदका) का नियंत्रण:-

पहचान:-

  • शिशु एवं वयस्क दोनों समान आकार के होते है, किन्तु शिशु में पंखों का निर्माण नही होता है।
  • खेत के अन्दर फसल में प्रवेश करने पर शिशु एवं वयस्क दोनों उड़ते हुये दिखाई देते है।  
  • वयस्क पत्तियों एवं शाखाओं की निचली सतह पर अण्डे देते है।  
  • इनका जीवन चक्र 2 सप्ताह में पूरा होता है।

हानि:-

  • शिशु एवं वयस्क कीट दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते है।
  • शिशु एवं वयस्क, पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं ।
  • ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती है जो बाद में पीली हो जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते है। इनके द्वारा माइकोप्लाज्मा रोग जैसे लघु पर्ण एवं विषाणु रोग जैसे चितकबरापन स्थानांतरित होता है।  
  • इस कीट के अत्यधिक प्रभाव देखे जाने पर पौधे में फल लगना कम हो जाता है।

नियंत्रण:-

  • बुआई के समय कार्बोफुरोन 3 जी @ 10 किलो प्रति एकड़ जमीन में मिलाये|
  • जेसिड की रोकथाम हेतु जेसिड दिखाई देने पर हर 15 दिन में प्रोफेनोफॉस 50 % ईसी @ 400 मिली या एसीटामाप्रीड 20% @ 80 ग्राम का स्प्रे करें |
  • जैसिड से बचाव के लिए नीम- लहसुन का सत जैसिड आने से पहले हर 15 दिन में करें|

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