खरीफ प्याज की फसल में रोपाई के 40-45 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन

प्याज की फसल में पौधे के विकास के साथ साथ कंद विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। जो बीमारी, कीट एवं प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी होने से फसलों पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं।

 पोषक तत्व प्रबंधन – प्याज की फसल में पौधों के अच्छे वृद्धि विकास के साथ – साथ कंद का आकार बढ़ाने के  लिए, यूरिया @ 30 किग्रा + एग्रोमिन (जिंक 5% + आयरन 2% + मैंगनीज 1% + बोरॉन 1% + कॉपर 0.5%) @ 5 किग्रा + कोरोमंडल जिंक सल्फेट @ 5 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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मक्का की फसल में बुवाई के 15 से 20 दिनों की अवस्था पर पोषक तत्व प्रबंधन

मक्का खरीफ ऋतु की प्रमुख फसल है, परन्तु जहां सिंचाई के साधन हैं वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में मक्का की खेती की जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहुपयोगी फसल है, मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा मक्का की खेती का औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है।

मक्का फसल को शुरुआती अवस्था में खरपतवार रहित होना चाहिए अन्यथा उत्पादन में कमी आती है। बुवाई के 15-20 दिन बाद फसल में डोरा चलाकर निराई-गुड़ाई करे या रासायनिक शाकनाशी का प्रयोग करके पहले खरपतवार को नष्ट कर दे, उसके पश्चात पोषक तत्व का उपयोग करें। जिससे सीधे मुख्य फसल ही पोषक तत्व ग्रहण करेंगे और पोषक तत्व का नुकसान नहीं होगा एवं फसल भी स्वस्थ रहेगी। 

पौधों की इस अवस्था में, यूरिया @ 35 किग्रा + मल्टिप्लेक्स /ग्रोमोर (मैग्नीशियम सल्फेट @ 5 किग्रा)  + दयाल (जिंक सल्फेट @ 5 किग्रा), प्रति एकड़ के हिसाब से उर्वरकों को मिलाकर मिट्टी में मिलाएं।

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कपास की फसल में 20-25 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन

कपास फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए पोषण हेतु आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा मिट्टी में होना आवश्यक है। अगर मिट्टी में ये पोषक तत्व फसल की आवश्यकतानुसार नहीं है और फसल लगाने के पूर्व या जब भी फसल इनकी कमी देखी जाए तो उनकी उचित मात्रा देना अच्छी फसल लेने के लिए परम आवश्यक है

कपास जब 20 से 25 दिन की हो जाये तब यूरिया 40 किलो + डीएपी 50 किग्रा + सल्फर 90% डब्ल्यू जी 5 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा को आपस में मिलाकर मिट्टी में मिलाएं। 

2 दिन बाद  19:19 :19 @1 किलो + नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001%)@300 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

अगर बुवाई के समय  कपास समृद्धि किट का उपयोग नहीं किये है, तो अभी इन खाद के साथ खेत में अवश्य ही डाले।

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सोयाबीन की फसल में खाद एवं उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?

किसान भाइयों, सोयाबीन की उच्च पैदावार के लिए उचित पोषण प्रबंधन और उर्वरकों का प्रयोग बहुत आवश्यक है। सोयाबीन में पोषक तत्वों की मांग फसल बढ़वार से लेकर बीज भराव तक अधिकतम होती है। 

बुवाई के 1 सप्ताह पूर्व खेत की तैयारी करते समय गोबर की खाद 4 टन + कालीचक्र (मेट्राजियम) @ 2 किलोग्राम प्रति एकड़ मिट्टी में डालें।

बुवाई के समय सोयाबीन समृद्धि किट (एक किट प्रति एकड़) “किट में शामिल उत्पाद हैं – प्रो कॉम्बिमैक्स (एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया) – 1 किलोग्राम + समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक (ट्राईकॉट मैक्स )- 4 किलोग्राम), सोयाबीन के लिए राइजोबियम (जैव वाटिका आर सोया)” – 1 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें। 

साथ ही एमओपी 20 किलोग्राम, डीएपी 40 किलोग्राम, या (एसएसपी के साथ डीएपी 25 किलोग्राम), एसएसपी 50 किलोग्राम, अमोनियम सल्फेट/यूरिया एसएसपी के साथ 15/8 किलोग्राम), केलडान (कार्टाप हाइड्रोक्लोराइड) 5 किलोग्राम या दंतोत्सु (क्लोथियानिडिन 50% डब्ल्यूडीजी 100 ग्राम, जिंक सल्फेट 3 किलोग्राम, सल्फर 90% डब्ल्यू जी 5 किलोग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से अवश्य प्रयोग करें।

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मक्का की फसल में बुवाई के समय खाद, उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन

👉🏻किसान भाइयों, मक्का की अधिक पैदावार लेने के लिये खाद, उर्वरक एवं पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण पहलू है, अगर पोषक तत्व का सही से प्रबंधन किया जाये तो पौधों को स्वस्थ रखा जा सकता है जिसके परिणामस्वरूप उन्हें प्राकृतिक तनाव एवं कीट के प्रति सहनशील बनाने में मदद किया जा सकता है।

👉🏻पोषक तत्व प्रबंधन में रासायनिक उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जैविक उर्वरक, गोबर की खाद एवं हरी खाद आदि का समुचित उपयोग किया जा सकता है।

👉🏻बीज की बुवाई के 15 -20 दिन पहले गोबर की खाद 4 टन + कॉम्बेट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में समान रूप से फैला दें। 

👉🏻इसके बाद बीज की बुवाई के समय, डीएपी 50 किग्रा, एमओपी 40 किग्रा, यूरिया 25 किलो, ताबा जी (जिंक घोलक बैक्टीरिया) 4 किलोग्राम, टीबी 3 (एनपीके कन्सोर्टिया) 3 किलोग्राम, मैक्समाइको (समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा) 2 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करें।

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धान की रोपाई के समय पोषक तत्व प्रबंधन कैसे करें?

👉🏻किसान भाइयों, धान की अधिक पैदावार लेने के लिये पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं। जिसमें रासायनिक उर्वरक, सूक्ष्म पोषक तत्व, जैविक उर्वरक, हरी-नीली शैवाल, गोबर की खाद एवं हरी खाद आदि का समुचित उपयोग किया जाता हैं। 

👉🏻मुख्य खेत में रोपाई के 7 दिन पूर्व (खेत को मचाते समय), गोबर की खाद 4 टन और कॉम्बेट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) @ 2 किलोग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में मिलाएं। 

👉🏻इसके बाद रोपाई के समय, यूरिया @ 20 किलोग्राम + सिंगल सुपर फॉस्फेट @ 50 किलोग्राम + म्यूरेट ऑफ़ पोटाश @ 20 किलोग्राम + डीएपी @ 25 किलोग्राम + टीबी 3 (एनपीके कंसोर्टिया) @ 3 किलोग्राम + ताबा जी (जिंक घोलक बैक्टीरिया) @ 4 किलोग्राम + मैक्समाइको (माइकोराइजा) @ 2 किलोग्राम या ट्राई कोट मैक्स (समुद्री शैवाल + ह्यूमिक और सूक्ष्म पोषक तत्व) @ 4 किलोग्राम आपस में अच्छी तरह से मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में भुरकाव करें।

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गिलकी एवं तुरई की फसल के लिए खेत की तैयारी के समय पोषक तत्व प्रबंधन:

image source -https://d2yfkimdefitg5.cloudfront.net/images/stories/virtuemart/product/nurserylive-sponge-gourd-jaipur-long.jpg
  • खेत की तैयारी के समय 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें
  • 30 किलोग्राम यूरिया 70 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को अंतिम जुताई के समय डालें
  • अन्य बचे हुये 30 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा को 8-10 पत्ती वाली अवस्था में तथा आधी मात्रा को फूल आने के समय डालें
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सरसो में पोषण प्रबंधन

  • सरसो की फसल में फुल वाली अवस्था महत्वपूर्ण हैं | 
  • इस अवस्था में फूलों की संख्या बढ़ाने एवं फली के विकास के समय हार्मोन देना फ़ायदेमंद होता हैं | 
  • इसके लिए होमोब्रेसिनीलॉइड 0. 04 % @ 100 ml/एकड़ के साथ 19:19:19  @ 1 किलो प्रति एकड़ का छिड़काव करे | 
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Nutrient management on garlic after 25 day

    • सूक्ष्म पोषक तत्व लहसुन की फसल की उपज बढ़ाने  के लिये प्रभावकारी होते है अतः फसल के विकास हेतु आप निम्नलिखित पोषक प्रबंधन का क्रम अपनाये |
    •  15 दिन बाद की अवस्था पर – 20 किलो यूरिया + 20 किलो 12:32:16 + 300 ग्राम/एकड़ विगोर का छिड़काव करे | 
    •  30 दिन बाद की अवस्था पर –  20 किलो यूरिया + मेक्सग्रो 8 किग्रा / एकड़ | 

 

  •  50 दिन बाद की अवस्था पर – कैल्शियम नाइट्रेट @ 6 किग्रा/एकड़ + जिंक सल्फेट @ 8 किग्रा/एकड़| 

 

 

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Nutrient Management in Wheat

गेहूं मे पौषक तत्व प्रबंधन:- गेंहू की उपज में पौषक तत्त्व प्रबंधन बहुत ही महत्वपूर्ण होता है मृदा मे उपलब्ध पौषक तत्त्व की जानकारी हेतु मिट्टी की जाँच बहुत आवश्यक है| इसी के आधार पर फसलो में पौषक तत्त्व प्रबंधन किया जाता हैं | सामन्यतः गेहू के लिए अनुसंशित मात्रा इस प्रकार हैं 

  • अच्छे से सडी हुई गोबर की खाद या कम्पोस्ट को 6 -8  टन/एकड़ के हिसाब से हर 2 साल में मिट्टी में मिलाना चाहिये|
  • गोबर की खाद डालने से भूमि की संरचना में सुधार और पैदावार में बढ़ोतरी होती है।
  • गेंहू में 88  कि.ग्रा. यूरिया, 160 कि.ग्रा ,सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 40 कि.ग्रा. म्युरेट ऑफ़ पोटाश प्रति एकड़ के हिसाब से उपयोग करना चाहिये|
  • युरिया का उपयोग तीन भागों में करना चाहिए|
    1.) 44  कि.ग्रा. यूरिया की मात्रा बोनी के समय करें।
    2.) शेष 22 कि.ग्रा. पहली सिंचाई के समय डाले।
    3.) शेष 22 कि.ग्रा., दुसरी सिंचाई के समय डाले।
  • आशिंक सिंचाई उपलब्ध हो एवं अधिकतम दो सिंचाई होने पर यूरिया @ 175 , सुपर सिंगल फॉस्फेट@ 250 और म्युरेट ऑफ़ पोटाश @ 35-40 कि.ग्रा प्रति हेक्टेयर डाले।
    असिंचित अवस्था में नाइट्रोजन फास्फोरस एवं पोटॉश की पूरी मात्रा डालें|
  • यदि गेंहू की बुवाई मध्य दिसम्बर में करते है तो नत्रजन की 25 प्रतिशत मात्रा कम डालना चाहिये|

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