भिन्डी में सिंचाई प्रबन्ध

भिन्डी में सिंचाई प्रबन्ध :-

  • पहली सिंचाई पत्तियो के निकलते समय करना चाहियें |
  • गर्मी में 4-5 दिन के अन्तराल से सिंचाई करनी चाहियें|
  • यदि तापमान 400C हो तो हल्की सिंचाई करते रहना चाहियें, जिससे मिट्टी में नमी रहे एवं फल अच्छे से आये|
  • पानी का जमाव या पौधो को मुरझाने से रोकना चाहियें|
  • ड्रिप सिंचाई पद्धति के व्दारा 85% तक पानी की बचत की जा सकती है|
  • फल/बीजो को बनाते समय सूखे की स्थिति में फसल को 70% तक की हानि होती है|

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The critical stage of irrigation in Potato

  • आलू की फसल में सीजन के दौरान उच्चतम मृदा नमी को बांये रखने के लिए उच्च स्तरीय प्रबंधन की आवश्यकता होता है |
  • वृद्धि के कुछ चरण जब जल प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है-
  • 1). अंकुरण अवस्था
  • 2). कंद स्थापित अवस्था
  • 3). कंद बढ़वार अवस्था
  • 4). अंतिम फसल अवस्था
  • 5). खुदाई के पूर्व |

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Requirement of Irrigation in Pea

  • यदि भूमि सूखी हो तो अच्छी तरह से बीजांकुर होने के लिये बोने पूर्व सिंचाई करें ।
  • भूमि के प्रकार व मौसमानुसार 10 से 15 के अंतर से सिंचाई करना चाहिये ।
  • फल एवं फल्ली आने के समय नमी की कमी होने पर उपज में कमी आती है अंतः इस समय सिंचाई अवश्य करें ।

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Irrigation management on garlic

  •  रोपण के उपरांत पहली सिचाई देनी चाहिये । 
  •   अंकुरण के तीन दिन पश्चात फिर से सिचाई करनी चाहिये।
  •   वनस्पति वृद्धि के एक सप्ताह बाद सिचाई क रना चाहिये। 
  •   आवश्यकता  अनुसार सिचाई  करते रहे। 
  •   जब कंद परिपक्त हो रहे हो तब सिचाई नही देना चाहिये।
  •   फसल को निकालने के 2-3 दिन पहले सिचाई करनी चाहिये जिससे की फसल को निकालने में आसानी होती है। 
  •   फसल के पकने के दौरान भूमि में नमी कम नही होना चाहिये अन्तः कंद के विकास में विपरीत प्रभाव पड़ता है|
  •  10-15 दिनों में कंद का विकास होता है

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Critical stage of irrigation in Potato

  • आलू की फसल में सीजन के दौरान उच्चतम मृदा नमी को बांये रखने के लिए उच्च स्तरीय प्रबंधन की आवश्यकता होता है |
  • वृद्धि के कुछ चरण जब जल प्रबंधन बहुत महत्त्वपूर्ण है-
  • 1). अंकुरण अवस्था
  • 2). कंद स्थापित अवस्था
  • 3). कंद बढ़वार अवस्था
  • 4). अंतिम फसल अवस्था
  • 5). खुदाई के पूर्व |

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Irrigation management in muskmelon

  • गर्मियों के समय हर हफ्ते फसल में सिंचाई करें।
  • सिंचाई हल्की होनी चाहिए।
  • फलो के पकने के समय बहुत ज्यादा जरूरी हो तभी सिंचाई करें |
  • सिंचाई करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखे की फल अधिक समय तक नमी में न रहे अधिक नमी से फल सड़ जाते हैं|

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Irrigation management in cowpea

  • बरवटी में पानी का जमाव अधिक नुकसान पहुँचता हैं एवं इसे अन्य सब्जियों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • दाने वाली किस्मों को 2-3 सिंचाई फूल एवं फली बनते समय देनी चाहिए।
  • सब्जी वाली किस्मों को 4-5 दिन के अन्तराल से फूल एवं फली लगते समय सिंचाई करना चाहिए।
  • फूल लगने के पहले सिंचाई रोक देनी चाहिए।

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Irrigation schedule in makkhan grass

  • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। और दूसरी सिंचाई बुवाई के लगभग 5 से 6 दिन बाद ।
  • बाद में 10 दिनों के अंतराल पर, या जरूरत के अनुसार।
  • पहली सिंचाई, हाथ से निराई और यूरिया 40 किग्रा/एकड़ देने के बाद करनी चाहिए ।

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Irrigation scheduling in Brinjal

  • पौधो की अच्छी वृद्वि के लिये, फूलों एवं फलों के वृद्वि एवं विकास के लिये समय पर सिंचाई करना आवश्यक होता हैं।
  • ठंड के समय हल्की सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतराल एवं 5 से 6 दिन के अंतराल से ग्रीष्म ऋतु में देना चाहिये।  
  • ठंड के मौसम में हल्की सिंचाई देकर अधिक ठण्ड से होने वाली हानि को कम कर सकते है ।

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Irrigation in Bottle gourd

  • बीज को लगाने से पहले खेत की सिंचाई करें और उसके बाद सप्ताह में एक बार सिंचाई करें
  • फरवरी – मार्च में बोई गई फसल, की पहली सिंचाई बुवाई के 2-3 दिन बाद दी जाती है।
  • उसके बाद सिंचाई 7-8 दिन के अंतराल पर करें।

ड्रीप सिंचाई

  • ड्रिप सिस्टम स्थापित करें और इनलाइन पार्श्व ट्यूबों को 1.5 मीटर के अंतराल पर रखें। क्रमशः 4 लीटर प्रति घंटा और 3.5 लीटर प्रति घंटा क्षमता के साथ 60 सेमी और 50 सेमी के अंतराल पर ड्रिपर्स रखें।

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