Irrigation in Bitter Gourd

करेले में सिंचाई प्रबंधन:-

  • करेले की फसल सूखे एवं अत्यधिक पानी वाले क्षेत्रों के प्रति सहनशील नहीं होती है|
  • रोपण या बुवाई के तुरन्त बाद सिंचाई करनी चाहिये फिर तीसरे दिन एवं उसके बाद सप्ताह में एक बार भूमि में नमी के अनुसार सिंचाई करनी चाहिये|
  • भूमि की उपरी सतह (50 सेमी.तक) नमी बनाए रखना चाहिये| इस क्षेत्र में जड़ें अधिक संख्या मने होती है|

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Irrigation in Coriander

धनिया में सिंचाई:-

पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद देनी चाहिए और दुसरी सिंचाई इसके तीन दिन बाद और फिर इसके बाद प्रति 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए|

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Irrigation in Moong (Green Gram)

मुंग में सिंचाई :-मूंग मुख्य रूप से खरीफ फसल के रूप में उगाया जाता है। जलवायु परिस्थितियों के आधार पर सिंचाई की आवश्यकता होती है|  गर्मी के मौसम की फसल के लिए, मिट्टी के प्रकार और जलवायु स्थिति के आधार पर तीन से पांच सिंचाई आवश्यक हैं। अच्छे उपज के लिए बुवाई के 55 दिनों बाद सिंचाई रुक देना चाहिए ।

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Irrigation Water quality

उपज और फसलों की मात्रा, मिट्टी की उत्पादकता के रखरखाव, और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए सिंचाई के लिए उपयोग की जाने वाली पानी की गुणवत्ता आवश्यक है। उदाहरण के लिए, मिट्टी, पूर्व के भौतिक और यांत्रिक गुणों, मिट्टी की संरचना (समुच्चय की स्थिरता) और पारगम्यता सिंचाई के पानी में विद्यमान विनिमय आयनों के प्रकार के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। रासायनिक प्रयोगशाला जांच द्वारा सिंचाई की गुणवत्ता का सबसे अच्छा निर्धारण किया जा सकता है। कृषि में पानी के उपयोग की उपयुक्तता निर्धारित करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित हैं: ·

पी एच मान ·         लवणीयता स्तर·         सोडियम स्तर (सोडियम अवशोषण अनुपात)·         कार्बोनेट और बायकार्बोनेट कैल्शियम और मैग्नीशियम अवयव के संबंध में·         अन्य ट्रेस तत्व·         विषाक्त आयन·         पोषक तत्त्व·         मुक्त क्लोरीन

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Irrigation management in Onion

प्याज की सिंचाई आवश्यकता मौसम, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई की विधि और फसल की उम्र पर निर्भर करती है। आमतौर पर, रोपाई के समय, रोपाई के तीन दिन बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है और बाद में मिट्टी की नमी के आधार पर 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। सामान्य तौर पर, खरीफ फसल को 5-8 सिंचाई की जरूरत होती है, पिछेती खरीफ फसल को 10-12 सिंचाई की आवश्यकता होती है और रबी की फसल को 12-15 सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्याज एक उथले जड़ों वाली फसल होने के कारण, अच्छी वृद्धि और कंद के विकास के लिए इष्टतम मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए लगातार हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। जब फसल पक जाए (खुदाई के 10-15 दिन पहले ) और उसकी गर्दन गिरने लगे तब सिंचाई बंद कर देने से भण्डारण के दौरान सडन को कम करने में मदद मिलता है|

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Management of Irrigation in Garlic

लहसुन में सिंचाई का प्रबंधन:-

  • रोपण के उपरान्त पहली सिंचाई कर देनी चाहिये|
  • अंकुरण के तीन दिन बाद फिर से सिंचाई करनी चाहिये |
  • इसके बाद 10-15 दिन मे सिंचाई करनी चाहिये |
  • गर्मी मे 5-7 दिन मे सिंचाई करनी चाहिये |
  • जब कंद परिपक्व हो जाये तब सिंचाई कम कर देना चाहिये |
  • कुल मिलाकर 15 सिंचाईयो की आवश्यकता पड़ती है |
  • फसल के पकने के दोरान भुमि मे नमी कम नहीं होना चाहिये अंत: कंद के विकास मे विपरीत प्रभाव पड़ता है |

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Irrigation in Gram

चने में सिंचाई:-

  • चना में भारी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कुछ क्षेत्रो में दो सिंचाई शाखाएं निकलते समय ( फुल आने से पहले ) एवं फली बनते समय देने से अधिक उपज प्राप्त हुई है लेकिन एक सिंचाई शाखाएं निकलते समय (फुल आने से पहले ) देने से इष्टतम उपज में वृद्धि होती है |

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