Management of Wilt in Pea

मटर में उकठा रोग का प्रबंधन:-

  • विकसित कोपल एवं पत्तियों के किनारों का मुड़ना एवं पत्तियों का वेल्लित होना इस रोग को प्रथम एवं मुख्य लक्षण है ।  
  • पौधों के ऊपर के हिस्से पीले हो जाते हैं, कलिका की वृद्धि रुक जाती है, तने एवं ऊपर की पत्तियां अधिक कठोर, जड़ें भंगुर व नीचे की पत्तियां पीली होकर झड़ जाती है ।  
  • पूरा पौधा मुरझा जाता है व तना नीचे की और सिकुड़ जाता है ।

नियंत्रण:-

  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  5 ग्राम/किलो बीज से  बुवाई के पूर्व  बीजोपचार करें व अधिक संक्रमित क्षेत्रों में जल्दी बुवाई न करें ।
  • 3 वर्ष का फसल चक्र अपनायें  ।
  • इस रोगों को आश्रय देने वाले निंदाओं को नष्ट करें ।
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

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Happy Govardhan Puja

हर खुशी आपके द्वार आए,

जो आप मांगे उससे अधिक पाए,

गोवर्धन पूजा में कृष्ण गुन गाए,

और ये त्यौहार खुशी से मनाए|

ग्रामोफ़ोन परिवार की और से गोवर्धन पूजा की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं|

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Happy Diwali

दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई:-

दिवाली हैं रोशनी का त्यौहार,

लाये हर चेहरे पर मुस्कान,

सुख और समृधि की बाहर,

समेट लो सारी खुशियां अपनो का साथ और प्यार

इस पावन अवसर पर आप सभी को दिवाली का प्यार |

ग्रामोफोन टीम की और से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई|

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Happy Roop Chaturdarshi/Narak Chaturdarshi

नरक चतुर्दर्शी / रूप चतुर्दर्शी की शुभकामनाऐ:- 

जैसे कृष्ण भगवान ने नरकासुर का नाश किया

वैसे ही भगवान आपके जीवन से दुखों का नाश करें ।

ग्रामोफोन टीम की और से नरक चतुर्दर्शी / रूप चतुर्दर्शी की शुभकामनाऐ

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Happy Dhanteras

दिनों दिन बढ़ता जाए आपका कारोबार,

परिवार में बना रहे स्नेह और प्यार |

होती रहे सदा आप पर धन की बौछार,

ऐसा हो आपका धनतेरस का त्यौहार |

ग्रामोफोन परिवार की और से धनतेरस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाये|

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Major Diseases and Their Control Measures of Wheat

गेंहू की प्रमुख बीमारियाँ एवं उनका नियंत्रण:-

गेंहू की प्रमुख बीमारियों में कण्डुआ (रस्ट) रोग प्रमुख है| कंडुआ रोग 3 प्रकार का होता है | पीला कंडुआ, भूरा कंडुआ और काला कंडुआ |

 

  • पीला कंडुआ:- यह रोग पकसीनिया स्ट्रीफोर्मियस नामक फफूंद से होता है | यह फफूंद नारंगी-पीले रंग के बीजाणु के द्वारा ग्रसित खेत से स्वस्थ खेत को प्रभावित करता है यह पत्तों की नसों की लंबाई के साथ पट्टियों में विकसित होकर छोटे-छोटे, बारीक़ धब्बे विकसित कर देता है| धीरे-धीरे यह पत्तियों की दोनों सतह पर फ़ैल जाता है| |
  • अनुकूल परिस्थितियां:- यह रोग अधिक ठण्ड और आद्र जलवायु लगभग 10-15° से.ग्रे. तापमान पर फैलता है| इस पर बने हुए पॉवडरी धब्बे 10-14 दिनों में फूट जाते है और विभिन्न माध्यमों जैसे- हवा, बरसात और सिंचाई के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचते है | इससे लगभग गेंहू की फसल में  25% हानि होती है|
  • भूरा कण्डुआ:- यह रोग पकसीनिया ट्रीटीसीनिया नामक फफूंद से होता है | यह फफूंद पत्तियों के ऊपरी सतह से शुरू होकर तनों पर लाल-नारंगी रंग के धब्बे बनता है | यह धब्बे 1.5 एम.एम.के अंडाकार आकृति के होते है|
  • अनुकूल परिस्थितियां:- यह रोग 15 -20°से.ग्रे. तापमान पर फैलता है| इसके बीजाणु विभिन्न माध्यमों जैसे- हवा,बरसात और सिंचाई के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान  पहुँचते है | इसके लक्षण 10-14 दिनों में दिखने लग जाते है|
  • काला कण्डुआ:- यह रोग पकसीनिया ग्रेमिनिस नामक फफूंद से होता है | यह रोग बाजरे की फसल पर भी क्षति पहुँचाता है| यह फफूंद पौधों की पत्तियों और तनों पर लम्बे,अण्डाकार आकृति में लाल-भूरे रंग के धब्बे बनाता है| कुछ दिनों बाद यह धब्बे फट जाते है और इनमे से पाउडरी तत्त्व निकलता है जो की विभिन्न माध्यमों जैसे- सिंचाई, बरसात और हवा के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचता है और अन्य फसलों को क्षति पहुँचाता है |
  • अनुकूल परिस्थितियां:- काला कण्डुआ अन्य कण्डुआ की तुलना में अधिक तापमान 18 -30°से.ग्रे.पर फैलता है| बीजों को नमी (ओस, बारिश या सिंचाई) की आवश्यकता होती है और फसल को संक्रमित करने के लिए छह घंटे तक लगते हैं और संक्रमण के 10-20 दिनों के बाद धब्बे देखे जा सकते है|
  • नियंत्रण:-
  • कंडुआ रोग के नियंत्रण के लिए फसल चक्र अपनाना चाहिए|
  • रोग प्रति-रोधी किस्मों की  बुवाई करें |
  • बीज या उर्वरक उपचार बुवाई के चार सप्ताह तक कण्डुआ को नियंत्रित कर सकता है और उसके बाद इसे दबा सकता है।
  • एक ही सक्रिय घटक वाले कवकनाशी  का बार-बार उपयोग नहीं करें।
  • कासुगामीसिन 5%+कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ई.सी.240 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें|

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Suitable Climate and Soil Condition For Bottle Gourd

लौकी की खेती के लिए वातावरण एवं मिट्टी की उपयुक्त दशा:-

वातावरण –

  • लौकी एक उपोष्णकटिबंधीय सब्जी है इसके जल्दी विकास और उच्च उपज के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
  • अर्द्ध शुष्क पारिस्थितिक इस फसल के लिए उपयुक्त है।
  • रात और दिन का तापमान क्रमशः 18-22 °C और 30-35 °C इसके उचित विकास के लिए इष्टतम है।
  • 25-30°C तापमान पर बीज का अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है |
  • इष्टतम तापमान पर उगाई गई फसल में मादा फूल और फल / पौधे का उच्च अनुपात होता है।

मिट्टी –

  • लौकी सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है लेकिन बहुत अधिक अम्लीय,लवणीय और क्षारीय भूमि मे इसकी खेती नहीं करना चाहिए|
  • बलुई या रेतीले लोम मिट्टी लोंकी के लिए सबसे उपयुक्त है।
  • अच्छी जल निकासी वाली कार्बनिक मिट्टी लोंकी की खेती के लिए उपयुक्त होती है |

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“Neemastra” A Bio-Insecticides

नीमास्त्र –यह नीम से बनाये जाने वाला बहुत ही प्रभावी जैविक कीट नाशक है जो की रसचूसक कीट एवं इल्ली इत्यादि कीटो को नियंत्रित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है|

नीमास्त्र बनाने के विधि –

सर्वप्रथम प्लास्टिक के बर्तन मे  5 किलोग्राम नीम की पत्तियों की चटनी और 5 किलोग्राम नीम के फल पीस व कूट कर डालें एवं 5 लीटर गोमूत्र व 1 किलोग्राम गाय का गोबर डालें इन सभी सामग्री को डंडे से अच्छी तरह चलाकर जालीदार कपड़े से ढक दें। यह घोल  48 घंटे में तैयार हो जाएगा। इस घोल को 100 ली. पानी में मिला कर इसे कीट नाशक के रूप में उपयोग कर सकते है |

लाभ –

  • मनुष्य, वातावरण और फसलों के लिए शून्य हानिकारक |
  • इसका जैविकीय विघटन होने के कारण भूमि की संरचना में सुधार |
  • सिर्फ हानिकारक कीटो को मरता है लाभदायक कीटो को हानि नहीं पहुँचता|
  •  किसानो के लिए यह एक अच्छा और सस्ता उपाय है |
  • जैविक कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों/व्याधियों में सहनशीलता एवं प्रतिरोध नही उत्पन्न होता जबकि अनेक रसायन कीटनाशकों के प्रयोग से कीटों में प्रतिरोध क्षमता उत्पन्न होती जा रही है जिनके कारण उनका प्रयोग अनुपयोगी होता जा रहा है |

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Happy Dussehara

दशहरा विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं:-

दशहरा एक संस्कृति शब्द हैं जिसका अर्थ हैं अहंकार, क्रूरता, अन्याय, हवस, क्रोध, लालच, अति गर्व, ईष्या, लत, स्वार्थ जैसी दस बुराईयों को अपने अंदर से मिटाना| साथ ही विजयादशमी का अर्थ हैं इन दस बुराईयों पर विजय प्राप्त करना |

ग्रामोफोन टीम की और से दशहरा विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं |

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Happy Navratri

कुम कुम भरे क़दमों से आए माँ दुर्गा आपके द्वार,

सुख संपत्ति मिले आपको अपार,

ग्रामोफोन टीम की ओर से नवरात्र की शुभकामनाएँ करें स्वीकार|

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