Control of downy mildew in Snake gourd

  • अधिक नमी वाले मौसम के दौरान, फसल पत्तियों की निचली सतह पर है।
  • पत्तिया जल्द ही पूरी तरह से सूख जाती है।
  • अच्छी जल निकासी और हवा की आवाजाही के साथ साथ अच्छी तरह धूप की उपलब्धता के लिए चौड़ी नालियों वाली क्यारियों बनानी चाहिए इससे रोग का फैलाव कम होता हैं|
  • मैंकोजेब 75% WP @ 350-400 ग्राम /एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 200-250 ग्राम /एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें|

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Nutrient management in tomato

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद / कम्पोस्ट @ 6-8 टन / एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • डीएपी @ 70 किलो, यूरिया @ 105 किलो, एमओपी @ 50 किलो/एकड़ प्रयोग करें।
  • नाइट्रोजन का एक चौथाई और पोटाश का आधा हिस्सा बोने के 20-30 दिनों बाद प्रयोग किया जा सकता है।
  • बोरेक्स 4 किलो और जिंक सल्फेट 20 किलो/एकड़ को बेसल डोज़ के रूप में और यूरिया बोने के 30 वें दिन 30 किग्रा / एकड़ प्रयोग करें ।

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Control of Powdery Mildew of Snake gourd

  • पत्तियों पर सफ़ेद या धूसर रंग के धब्बों का निर्माण होता है| जो बाद में बढ़कर सफ़ेद रंग का पाउडर में बदल जाते है|
  • पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 300 मिली. प्रति एकड़ या थायोफिनेट मिथाईल 400 ग्राम प्रति एकड़ का घोल बनाकर छिडकाव करें|

 

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Irrigation in Bottle gourd

  • बीज को लगाने से पहले खेत की सिंचाई करें और उसके बाद सप्ताह में एक बार सिंचाई करें
  • फरवरी – मार्च में बोई गई फसल, की पहली सिंचाई बुवाई के 2-3 दिन बाद दी जाती है।
  • उसके बाद सिंचाई 7-8 दिन के अंतराल पर करें।

ड्रीप सिंचाई

  • ड्रिप सिस्टम स्थापित करें और इनलाइन पार्श्व ट्यूबों को 1.5 मीटर के अंतराल पर रखें। क्रमशः 4 लीटर प्रति घंटा और 3.5 लीटर प्रति घंटा क्षमता के साथ 60 सेमी और 50 सेमी के अंतराल पर ड्रिपर्स रखें।

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Fertilizer requirements in Bottle gourd

  • खेत की तैयारी करते समय 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में मिलाना चाहिये।
  • अंतिम जुताई के समय 30 कि. ग्राम यूरिया, 80 कि.ग्राम सिगलसुपरफास्फेट एवं 30 कि.ग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से  खेत में मिलाये।
  • शेष बचे हुये 30  कि.ग्राम यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बाँट कर डाले।
  • फास्फोरस, पोटश की सम्पूर्ण मात्रा एवं नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बनाये गये प्रत्येक थाले में बोये गये बीज से 8 से 10 से.मी. के पूरी पर डाले।
  • खेत में नाइट्रोजन पोषक तत्व की कमी होने पर पत्तियाँ एवं लताएँ पीले रंग की हो जाती है, साथ ही पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
  • यदि भूमि में पोटेशियम की कमी होती है, तब पौधे की बढ़त पत्तियों का क्षेत्रफल कम हो जाता है और फूल झड़ने लगते है व फल लगने बंद हो जाते है।

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Advantage of PSB in watermelon

  • ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
  • तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
  • पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
  • रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
  • इसका उपयोग करने से  25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती ।

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Irrigation Schedule in Muskmelon

  • खरबूज अधिक पानी चाहने वाली फसल है लेकिन पानी का भराव इस फसल के लिए हानिकारक होता है|
  • बीज को खेत में लगाने से पहले एक बार सिंचाई करें और उसके बाद सप्ताह में एक बार सिचाई करनी चाहिए ।
  • फूल आने के पहले, फूल आने के समय एवं फल की वृद्धि के समय पानी की कमी से उत्पादन में बहुत कमी आ जाती है|
  • फल पकने के समय सिंचाई रोक देना चाहिए ऐसा करने से फल की गुणवत्ता बढ़ती है और साथ ही फल फटने की समस्या भी नहीं आती है|
  • लगातार पानी देने से फसल में बिमारियों (सफ़ेद चूर्णी रोग, फल गलन इत्यादि) के प्रकोप भी बढ़ने लगता है| इसके नियंत्रण के लिए समय-समय पर फफूँदनाशक का स्प्रे कर सकते है|

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Use of PSB in Snake Gourd

  • ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
  • तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
  • पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
  • रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
  • इसका उपयोग करने से  25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती ।

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Flower promotion nutrients in watermelon

  • तरबूज में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है|
  • तरबूज के उत्पादन में फूलों की संख्या बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है|
  • बुवाई के 40-45 दिनों बाद तरबूज की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है|
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा तरबूज की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली. /एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • 2 ग्राम /एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Irrigation management in snake gourd

  • ककड़ी की बुवाई के पूर्व पहली सिंचाई करते है ताकि बीज की बुवाई अच्छे से की जा सके|
  • इसके बाद 1 सप्ताह में एक बार सिंचाई करते है|
  • गर्मी का मौसम या अधिक धूप पड़ने की दशा में 4-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की जाती है|
  • इसके फसल के लिए ड्रिप विधि से सिंचाई सर्वोत्तम होती है| इससे पानी की भी बचत हो जाती है|
  • परागण एवं फल की लम्बाई बढ़ने वाली अवस्था इसके सिंचाई की क्रांतिक अवस्था होती है|

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