Harvesting in moong

  • जब मूंग की फलिया 80-85 % तक परिपक़्व हो जाये तब फसल की कटाई करनी चाहिए |
  • कटाई के पूर्व पैराक्वाट की 800 मिली मात्रा का 150-200 लीटर पानी में घोल बना कर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव किया जाना चाहिए जिससे बाकी फसल भी सूख जाये |
  • मूंग की कटाई हसिये की सहायता से करे|
  • पौधे को उखाड़ना नहीं चाहिए |

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Use of Makkhan grass

  • मक्खन घास उच्च पोषण वाली फसल हैं और इसकी कई बार कटाई की जा सकती हैं।
  • दुधारू पशुओ को मक्खन घास खिलाने से दूध उत्पादन में वृद्धि होती हैं। साथ ही वसा की मात्रा और घुलनशील ठोस की मात्रा भी बढ़ती हैं|
  • मक्खन घास बहुत रसीली और अधिक स्वादिष्ट घास होती हैं।

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Importance of PSB in Cowpea

  • बरबटी/लोबिया में पी.एस.बी. के उपयोग से पत्तियों की संख्या और शाखाओं में वृद्धि होती हैं।
  • जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते  हैं।
  • पी.एस.बी. रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने में मदद करता हैं |
  • इसका उपयोग करने से  25 – 30% फॉस्फेटिक उर्वरक की पूर्ति हो जाती हैं।
  • पी.एस.बी. के उपयोग से बरबटी/लोबिया की उपज में वृद्धि होती  हैं।

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Soil selection for sorghum

  • मिट्टी की जल धारण क्षमता अच्छी हो तो वह ज्वार की फसल के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।
  • ज्वार को दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी पर सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है।

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Management of melon worm in watermelon

  • ईल्ली पत्तियों एवं फूलों को खाती हैं|
  • कभी कभी अन्डो से निकलने के तुरंत बाद इस कीट के भृंग/मेंगट तरबूज के फलो में प्रवेश कर क्षति पहुँचाते हैं |
  • प्रभावी नियंत्रण के लिए तरबूज की बुवाई से पहले ही खेत में गहरी जुताई कर कीट के कोकून को नष्ट कर दे।
  • चुकी इस कीट की संख्या गर्मी के मौसम में कम रहती हैं उसी के अनुसार बुवाई का समय निर्धारित करे.
  • खरपतवारो का उचित प्रबंधन करे।
  • साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 350-500 मिली / एकड़ का छिड़काव करें।
  • या फिप्रोनिल 5% एससी @ 250-300 मिली / एकड़ का छिड़काव करें|

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Control of anthracnose in cowpea

  • बरबटी की पत्तियाँ, तने व फलियाँ इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती हैं।
  • छोटे-छोटे लाल-भूरे रंग के धब्बे फलियों पर बनते है व शीघ्रता से बढ़ते हैं |
  • आर्द्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवणु पनपते हैं।
  • रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
  • रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक बरबटी न उगाये।
  • रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
  • मैनकोजेब 75% डब्ल्यू पी @ 400-600/एकड़ की दर पानी में घोल बनाकर प्रति सप्ताह छिड़काव करें।

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Hormone application in brinjal

  • बैंगन की पैदावार बढ़ाने के लिए पादप वृद्धि नियामकों का उपयोग किया जाता हैंं।
  • बुवाई के 45-50 दिनों के बाद, बैंगन की फसल में फूल आना शुरू हो जाते है।
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली./एकड़ का स्प्रे करें|

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Spacing in cowpea

  • झाडी़नुमा किस्मों के बीजों को 30 से.मी.X 15 से.मी. की दूरी पर गडढे में 1-2 बीज बोयें।
  • अर्ध चढ़ने वाली किस्मों में 45 सेमी. X 30 सेमी. की दूरी पर रखें।
  • चढ़ने वाली किस्मों में 45-60 सेमी. व्यास, 30-45 सेमी. गहरे आकार के गडढे  2 X 2 मी. की दूरी पर प्रति गडढे में 3 पौधे होना चाहिये।
  • वर्षा ऋतु में बीजों कों 90 से.मी. की चौड़ी और भूमि से ऊँची बेड पर लगाना चाहिए।

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Control of downy mildew in bottle gourd

  • पत्तियों की निचली सतह पर जल रहित धब्बे का निर्माण हो जाता हैं।
  • जब पत्तियों के ऊपरी सतह पर कोणीय धब्बों का निर्माण होता है, प्रायः उसी के अनुरूप ही निचली सतह पर जल रहित धब्बे बनते हैं।
  • धब्बे सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर बनते है जो धीरे-धीरे नई पत्तियों पर बनते हैं।
  • ग्रसित लताओं पर फल नही लगते हैं।
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाये।
  • फसल चक्र को अपनाकर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैं।
  • मैंकोजेब 75% WP @ 400-600  ग्राम / एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 200-250 ग्राम / एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें|

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Land preparation in cowpea

  • अच्छी पैदावार के लिये खेत की एक गहरी जुताई कर के 2-3 बार बखर चलाकर मिट्टी को अच्छी भुरभुरी बना ले।
  • खेत को सुविधाजनक आकार के भूखंडों में विभाजित किया गया है।

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