किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए सरकार ने प्याज़ के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाया

Gramophone's onion farmer

प्याज़ की खेती करने वाले किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए सरकार ने 26 फरवरी के दिन प्याज़ के निर्यात पर लगाया गया छह माह पुराना प्रतिबंध हटा दिया है। इससे किसानों को अपनी प्याज़ की फसल के लिए बड़ा बाजार मिलेगा और उन्हें मुनाफ़ा भी ज्यादा मिलेगा। 

ग़ौरतलब है की सितंबर 2019 में प्याज़ की बढ़ी हुई कीमतों को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। पर अब स्थितियाँ बदल गई हैं और प्याज़ के रेट स्थिर हो गए हैं। इसके साथ साथ देश में प्याज़ की बम्पर पैदावार भी हुई है जिसे देखते हुए खाद्य मंत्री रामविलास पासवान प्याज़ के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है।

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केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने में बीजों की भूमिका को बताया अहम

किसी भी फसल से बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए जिस चीज की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है वो है उन्नत किस्म के बीज। बीज की इसी महत्ता को केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समझा और नई दिल्ली में आयोजित भारतीय बीज कांग्रेस – 2020 को संबोधित करते हुए इस पर वक्तव्य भी दिया।

कृषि मंत्री श्री तोमर ने कहा है कि “भारत एक कृषि प्रधान देश है, हमारे देश की अर्थव्यवस्था गांव और कृषि पर निर्भर है, कृषि और गांव के ताने बाने के परिणाम स्वरूप अर्थव्यवस्था को लगने वाले झटकों से उबरने में सफलता मिली है।” बीज की भूमिका पर बात करते हुए उन्होंने कहा की “बीज उत्पादकों के अनुसंधान और वैज्ञानिकों के योगदान के फलस्वरूप आज देश खाद्यान्न की दृष्टि से आत्मनिर्भर ही नहीं बल्कि आवश्यकता से अधिक उत्पादन करके एक कीर्तिमान स्थापित करने में भी सफल हुआ है।”

किसानों का सच्चा साथी ग्रामोफ़ोन भी बेहतर कृषि हेतु बीजों की अहमियत को समझता है और इसीलिए उन्नत किस्म के बीज किसान भाइयों के घर तक बिना किसी डिलीवरी चार्ज के पहुँचाता है। उन्नत किस्म के बीज अपने घर पर मंगाने के लिए किसान भाई ग्रामोफ़ोन कृषि एप के ‘बाजार’ सेक्शन से इसके लिए ऑर्डर कर सकते हैं या फिर टोल फ्री नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल कर के भी बीज मंगवा सकते हैं।

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जानें गेहूं की फसल में पोटेशियम युक्त उर्वरक के स्प्रे से होने वाले फायदे  

  • प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पोटेशियम स्टोमेटा के खुलने एवं बंद होने को नियंत्रित करता है।
  • पौधों में प्रोटीन और स्टार्च बनने में पोटेशियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • यह फसल को सूखे से लड़ने में मदद करता है।
  • पौधों में विकास के लिए उपयोगी एंजाइमों की सक्रियता में पोटेशियम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • पोटेशियम पौधे में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है।
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खुशख़बरी! पीएम किसान योजना के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड भी मिलेगा

सभी भारतीय किसानों के लिए एक अच्छी खबर है। केंद्र सरकार अब पीएम किसान योजना के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) भी जारी करेगी। सरकार ने इन केसीसी कार्डों को जारी करने के लिए 15 दिनों का विशेष अभियान भी शुरू किया है। मीडिया में आई ख़बरों के अनुसार, लगभग 14 करोड़ किसानों को इस योजना के तहत लाभ प्राप्त होगा।

क्या है KCC स्कीम?

किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत, किसानों को एक कार्ड दिया जाएगा जिसके माध्यम से उन्हें महज 7 प्रतिशत की ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का कर्ज मिल सकता है। यदि किसान दी गई समयावधि के अंदर कर्ज की राशि जमा कर देंगे तो उन्हें 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छूट भी मिलेगी। इसका अर्थ यह हुआ की अब किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड ऋण पर सिर्फ 4 प्रतिशत ब्याज देना होगा।

केंद्र सरकार की तरफ से इस अभियान से जुड़े हर प्रकार के निर्देश नाबार्ड के अध्यक्ष, सभी बैंकों के प्रबंध निदेशकों और सभी राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को जारी कर दिए गए हैं। सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकार तथा सभी बैंक को पीएम-किसान योजना के उन सभी लाभार्थियों को सूचीबद्ध करने की सलाह दी गई है जिनके पास केसीसी नहीं है। इसके साथ साथ उन्हें संबंधित विभागों के माध्यम से योजना के अंतर्गत आने वाले सभी लाभार्थी किसानों से संपर्क करने की भी सलाह दी गई है।

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जानें पीएम किसान योजना और इसके फ़ायदों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ

पीएम किसान योजना

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (आमतौर पर जिसे पीएम किसान योजना के रूप में जाना जाता है) दरअसल केंद्र सरकार की एक योजना है, जिसका उद्देश्य भारतीय किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपनी विभिन्न कृषि संबंधित ज़रूरतों को पूरा कर सकें। यह योजना 24 फरवरी 2019 को भारत के माननीय प्रधान मंत्री द्वारा शुरू की गई थी। शुरुआत में, इस योजना का लाभ केवल छोटे और सीमांत किसानों के लिए लागू किया गया था, लेकिन अब यह सभी किसान परिवारों के लिए विस्तारित कर दिया गया है, भले ही उनके कितनी भी भूमि हो। 

पीएम किसान योजना के लाभ

पीएम किसान योजना के अंतर्गत, प्रत्येक पात्र किसान परिवार को 6000 रुपये प्रतिवर्ष वित्तीय सहायता प्रदान की जायेगी। यह राशि उन्हें वर्ष के हर चौथे महीने 2000 रुपये की तीन समान किस्तों में प्रदान की जाएगी।

यह योजना पहले ही किसानों के लिए बहुत उपयोगी साबित हुई थी। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2019 तक लगभग 7.6 करोड़ किसानों को इसका लाभ मिला था और अब सरकार ने इस योजना में और भी अधिक सुविधाएँ जोड़ दी हैं। योजना के साथ, किसानों को कई अन्य अतिरिक्त लाभ और सुविधाएँ भी मिलेंगी।

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खीरा-ककड़ी की फसल के लिए खेत की तैयारी

  • प्रारंभिक अवस्था में भूमि को भुरभुरी बनाने के लिए खेत की जुताई 4-5 बार करें और अंतिम जुताई के पूर्व 10 -15 टन अच्छी पकी हुई गोबर की खाद को प्रति एकड़ भूमि में मिला दें।
  • यदि भूमि में निमेटोड या सफ़ेद चीटी या लाल चीटी का प्रकोप हो तो कार्बोफुरान का 10 कि.ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करें।
  • खेत को समतल करने के दौरान 60 से.मी. चौड़ाई वाली नालियों का निर्माण 2- 2.5  से.मी. की दूरी पर करना चाहिए।
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रोपाई के समय रखें इन बातों का ध्यान, खीरे की फसल से मिलेगा ज़बरदस्त उत्पादन

  • इसके बीजों की बुआई मेढ़ो पर की जाती है और पौधों के बीच की दूरी 1 से 1.5 मीटर के लगभग रखी जाती है।
  • जब खीरे को मण्डप आकार वाले ढाँचे का सहारा देकर उगाया जाता है तब इसे 3*1 मीटर की दूरी पर उगाया जाता है।
  • बीजों की बुआई 0.5 से 75 मीटर की दूरी पर की जाती है तो प्रत्येक गड्ढे में 4-6 बीज को बोया जाता है।
  • गड्ढे के सभी बीजों के उग जाने के बाद उसमे से दो पौधे को ही वृद्धि के लिए रखा जाता है।
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सिंचाई के उचित प्रबंधन से बढ़ाये करेले की फसल की उत्पादकता  

  • करेले की फसल सूखे एवं अत्यधिक पानी वाले क्षेत्रों के प्रति सहनशील नहीं होती है।
  • रोपण या बुआई के तुरंत बाद सिंचाई करनी चाहिये और फिर तीसरे दिन एवं उसके बाद सप्ताह में एक बार भूमि में नमी के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए।
  • भूमि की ऊपरी सतह (50 सेमी.तक) पर नमी बनाए रखनी चाहिए। इस क्षेत्र में जड़ें अधिक संख्या में होती हैं।
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धनिया की फसल में उचित सिंचाई प्रबंधन से बढ़ाएं फसल की उत्पादकता

source- https://www.latiaagribusinesssolutions.com/2017/10/09/how-to-grow-coriander/
  • पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करनी चाहिए।
  • दूसरी सिंचाई पहली सिंचाई के चार दिन बाद करनी चाहिए।
  • इसके बाद प्रति 7-10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिए।
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कद्दू की फसल में मृदुरोमिल आसिता रोग का नियंत्रण कैसे करें?

pumpkin crop
  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें।
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों की बीज को लगाएं।
  • फसल चक्र को अपना कर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रामकता को कम कर सकते हैं।
  • मेटालैक्सिल 4% + मैंकोजेब 64% WP @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ों के पास छिड़काव करें।
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