- किसानों को हर वर्ष मिलेंगे 6000 रुपये।
- पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लिए पात्र किसान ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ भी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
- किसानों को 4% ब्याज दर पर 3 लाख रुपये तक का ऋण मिलेगा।
- इसके अंतर्गत आने वाले पात्र किसान, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) का भी लाभ उठा सकते हैं।
- ये दोनों योजनाएं दो लाख रुपए के बीमाकृत मूल्य के लिए दुर्घटना बीमा एवं जीवन बीमा क्रमशः 12 रूपये और 330 रूपये के प्रीमियम पर प्रदान करती है।
सिंचाई के अच्छे प्रबंधन से तरबूज की पैदावार में सुधार कैसे करें
- तरबूज अधिक पानी चाहने वाली फसल है लेकिन पानी का भराव इस फसल के लिए हानिकारक होता है|
- तरबूज की खेती खासकर गर्म मौसम में होती हैं इसलिए इसमें सिंचाई का अंतराल बहुत महत्तवपूर्ण होता हैं|
- तरबूज में 3-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए|
- फूल आने के पहले, फूल आने के समय एवं फल की वृद्धि के समय पानी की कमी से उत्पादन में बहुत कमी आ जाती है|
- फल पकने के समय सिंचाई रोक देना चाहिए ऐसा करने से फल की गुणवत्ता बढ़ती है और साथ ही फल फटने की समस्या भी नहीं आती है|
तरबूज की महत्वपूर्ण किस्मे
क्र. | किस्म का नाम | फल का आकार | फल का भार
(किलोग्राम ) |
फसल अवधि
(दिन ) |
फल का रंग |
1. | सागर किंग | अंडाकार | 3-5 | 60 – 70 | फल का रंग काला तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है |
2. | सागर किंग प्लस | अंडाकार | 3-5 | 60 – 70 | फल का रंग काला तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है |
3. | काजल | अंडाकार | 3- 3.5 | 60 – 70 | फल का रंग काला तथा गुदा गुलाबी रंग का दिखाई देता है |
4. | 2208 | अंडाकार | 2-4 | 70 – 80 | फल का रंग काला तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है |
तरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी
- तरबूज की खेती सभी प्रकार की मृदा मे की जा सकती है लेकिन हल्की, रेतीली एवं उर्वर दोमट मृदा उत्तम होती है|
- मृदा में कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है इसकी पूर्ति के लिए हरी खाद, कम्पोस्ट, केंचुआ की खाद इत्यादि को जुताई के समय मिला देना चाहिये |
- खेत की अच्छी तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करे फिर हैरो चलाये जिससे जमीन भुरभुरी हो जाए|
- हल्का ढाल दक्षिण दिशा की और रखना हैं|
- खेत में से घास फुस साफ़ करें|
तरबूज की बुवाई का समय
- तरबूजे की बुवाई का समय नवम्बर से मार्च तक है।
- नवम्बर-दिसम्बर की बुवाई के बाद पौधों को पाले से बचाना चाहिए तथा अधिकतर बुवाई जनवरी-मार्च तक की जाती है।
- पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के महीनों में बोया जाता है।
सरसों की फसल पर पेंटेड बग का प्रबंधन
- खेत की गहरी जुताई करें ताकि कीड़ों के अंडे नष्ट हो जाएं|
- कीट के हमले से बचने के लिए समय से पहले बुवाई करे |
- कीट के प्रभाव को कम करने के लिए बुवाई के चार सप्ताह के दौरान फसल की सिंचाई करें
- थाइमेथोक्साम 25% WP (एविडेंस / अरेवा) @ 300 ग्राम/एकड़ का प्रति एकड़ छिड़काव करे | या
- ऐसफेट 75% एसपी (एसेमैन) याका प्रति एकड़ छिड़काव करे |
- स्प्रे बायफेन्थ्रिन (klintop / मार्कर) @ 300 मिली/एकड़ का प्रति एकड़ छिड़काव करे |
सरसो की फसल में पेंटेड बग की पहचान
- इस कीट का व्यस्क काले रंग का होता है ,जिसके ऊपर लाल व पीले रंग की धारिया पायी जाती है |
- इस कीट से प्रभावित पौधा मुरझाकर सूखने लगता है |
- निम्फ तथा व्यस्क दोनों ही अवस्था पौधे को नुकसान पहुँचती हैं|
- ये कीट पौधे का रस चूस कर अपना भोजन प्राप्त करते हैं जिसकी वजह से पौधे की बढ़वार रुक जाती हैं तथा पौधा पीला हो जाता हैं |
- पौधे की फली अवस्था में यह कीट फलियों को नुकसान पहुंचाते हैं ,जिसके वजह से दानो की गुणवत्ता तथा उपज दोनों ही प्रभावित होती हैं |
टमाटर के खेत में कैल्शियम की कमी का उपचार
- रोपाई के 15 दिन पहले मुख्य खेत में गोबर की ठीक से सड़ी हुई खाद का उपयोग करें |
- बचाव हेतु रोपाई के पहले कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से खेत में मिलाये | या
- कमी के लक्षण दिखाई देने पर कैल्शियम EDTA @ 150ग्राम/एकड़ की दर से दो बार छिड़काव करे
सरसो में पोषण प्रबंधन
- सरसो की फसल में फुल वाली अवस्था महत्वपूर्ण हैं |
- इस अवस्था में फूलों की संख्या बढ़ाने एवं फली के विकास के समय हार्मोन देना फ़ायदेमंद होता हैं |
- इसके लिए होमोब्रेसिनीलॉइड 0. 04 % @ 100 ml/एकड़ के साथ 19:19:19 @ 1 किलो प्रति एकड़ का छिड़काव करे |
जाने करेले की फसल में फास्फोरस घोलक जीवाणु का महत्व
- ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते है|
- तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते है |
- पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते है जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते है|
- रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता है|
- इसका उपयोग करने से 25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती ।