- रबी फ़सलों में बीज़ उपचार निम्र प्रकार से किया जाता है।
- बीज़ को एक मिट्टी के बर्तन या एक पॉलीथीन शीट पर, फैला कर कवक नाशक एवं कीट नाशक के सूखे या तरल रूप को बीजों पर अच्छे से बिखेर कर मिला दें।
- इस प्रकार के उपचार में एक बात का ध्यान रखे की रसायन अच्छे से बीजों पर चिपक जाये।
- बीज़ उपचार की दूसरी विधि में रसायनों को बीजों पर चिपकाने वाले मिश्रण के साथ रसायनों को मिलाकर को उपचारित करें।
- बीज उपचार करते समय कुछ सावधानियाँ बरतना बहुत आवश्यक होता है।
- उपचार में सबसे पहले कवकनाशी का उपयोग करें एवं उसके बाद कीटनाशी का उपयोग करें और सबसे आखिर में किसी भी जैविक उत्पाद (PSB/राइजोबियम) का उपयोग करें।
- उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक, कवकनाशक की सुझाई गयी मात्रा का ही उपयोग करें।
- जिस दिन बुआई करनी हो उसी दिन बीज उपचार करें।
- बीज उपचार करने के बाद बीज को भंडारित करके ना रखें।
- दवाई की मात्रा या बीजों पर रसायन को लेपित करने के लिए आवश्यकता अनुसार पानी का उपयोग करें।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अलावा किसानों को और 5000 रुपए देने की सिफारिश
कृषि लागत व मूल्य आयोग की तरफ से केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 6000 रूपये के अलावा किसानों को 5,000 रुपए देने की सिफारिश की गई है। आयोग ने केंद्र सरकार से कहा है कि किसानों को हर साल फर्टिलाइजर सब्सिडी के तौर 5,000 रुपए नकद राशि दिए जाएं।
इसके अलावा आयोग ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा है कि ये राशि दो बार में किसानों के बैंक अकाउंट में सीधे ट्रांसफर (DBT) की जा सकती है। इसके अंतर्गत 2,500 रुपए खरीफ की फसल और 2,500 रुपए रबी की फसल के सीजन में दिए जा सकते हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareआलू की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन करने के फायदे
- आलू की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता पड़ती है। आलू की फसल कन्द वाली फसल होती है इसी कारण आलू की फसल बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण करती है।
- पौधे की बेहतर बढ़वार एवं फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित समय पर उचित मात्रा में खाद प्रबंधन बहुत ही आवश्यक होता है।
- बुआई के समय हम यूरिया (एसएसपी के साथ) @ 60 किलो/एकड़ + यूरिया (एसएसपी के बिना) @ 45 किलो/एकड़ की दर से बुआई के समय खाली खेत में भुरकाव करें।
- इन सभी पोषक तत्वों के साथ ग्रामोफोन की पेशकश “आलू समृद्धि किट” का उपयोग आलू की फसल में पोषण प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
- इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए एवं मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवक को ख़त्म करने के लिए किया जाता है।
मटर की फसल में बुआई के बाद 15 दिनों में पोषण प्रबंधन
- जिस प्रकार मटर की बुआई के समय पोषण प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी प्रकार बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन किया जाना बहुत आवश्यक होता है।
- बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करने से मटर की फसल को बहुत अच्छी शुरुआत मिलती है।
- पोषण प्रबंधन मटर की फसल को कवक जनित एवं किट जनित रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए सल्फर 90% @ 5 किलो/एकड़ + जिंक सल्फ़ेट @ 5 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- यह ध्यान रखें की पोषण प्रबंधन के समय खेत में पर्याप्त नमी जरूर हो।
मॉनसून के अंतिम चरण में मध्यप्रदेश समेत इन राज्यों में होगी बारिश, जाने मौसम पूर्वानुमान
पूरे देश में अब मॉनसून अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है और जाते जाते मानसूनी बारिश ने कई राज्यों में मौसम सुहाना कर दिया है। ग़ौरतलब है की इस साल मॉनसून की बारिश 15% अधिक हुई है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दो दिनों में मध्यप्रदेश समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में तेज बारिश और आंधियों की संभावना है।
अगले 24 घंटों के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों, मध्य प्रदेश के उत्तरी और मध्य हिस्सों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय और मुंबई समेत कोंकण गोवा में कुछ मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा पूर्वोत्तर भारत, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में, दक्षिणी गुजरात में में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर तेज़ वर्षा होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareबुआई के समय पोषण प्रबंधन कर भिन्डी की फसल को दें बेहतर शुरुआत
- भिन्डी की फसल सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है ।
- पर भिन्डी की बुआई से पहले खेत में अच्छे से जुताई करना जरूरी होता है।
- बात करें पोषण प्रबंधन की तो भिन्डी की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन रासायनिक और जैविक दो तरीकों से दिया जाता है।
- रासायनिक प्रबंधन: DAP @ 75 किलो/एकड़ + MOP@ 30 किलो/एकड़ की दर से भुरकाव करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ + NPK बैक्टीरिया@ 100 ग्राम/एकड़ + सीवीड, एमिनो, ह्यूमिक एसिड, मायकोराइज़ा @ 2 किलो/एकड़ + ज़िंक सोलुब्लाइजिंग बैक्टीरिया @ 100 ग्राम/एकड़ की दर मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
किसानों के लिए खुशख़बरी, गेहूँ समेत कई फ़सलों की बढ़ा दी गई है एमएसपी
सरकार ने देश के सभी किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए गेहूं समेत अन्य फ़सलों के न्यूतनम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट के माध्यम से इसकी जानकारी दी है।
पीएम मोदी ने इस विषय पर कहा, ‘किसानों के कल्याण के लिए कार्य करना हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। अन्नदाताओं के हित में काम करने की हमारी प्राथमिकताओं के अनुरूप कैबिनेट ने एमएसपी बढ़ाने का एक और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इससे करोड़ों किसान लाभान्वित होंगे। अधिक एमएसपी जहां किसानों को सशक्त करेगी, वहीं उनकी आय दोगुनी करने में भी मदद करेगी।’
कितना बढ़ा समर्थन मूल्य?
- गेहूँ का समर्थन मूल्य 50 रूपए बढ़ाकर 1975 रूपए,
- जौ का 75 रू बढ़ाकर 1600 रू,
- चने का 225 रू बढ़ाकर 5100 रू,
- मसूर का 300 रू बढ़ाकर 5100 रू,
- सरसों का 225 रू बढ़ाकर 4650 रू,
- कुसुम्भ का 112 रू बढ़ाकर 5327 रू/ क्विण्टल कर दिया गया है।
स्रोत: नई दुनिया
Shareभिन्डी की उन्नत खेती के लिए बुआई पूर्व ऐसे करें बीज़ उपचार
- जिस प्रकार बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के पूर्व बीज उपचार बहुत आवश्यक होता है।
- बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है साथ ही अंकुरण भी अच्छा होता है।
- बीज उपचार हम रासायनिक और जैविक दो विधियो से कर सकते हैं।
- रासायनिक उपचार: बुआई से पहले कवक जनित रोगों से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WS @ 3 मिली/किलो बीज की दर से बीज़ उपचार करें।
- कीट जनित रोगों एवं कीटों से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 48% FS @ 4 मिली/किलो बीज या थियामेंथोक्साम 30% FS @ 4 मिली/किलो बीज की दर से बीज़ उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो + PSB @ 2 ग्राम/किलो बीज़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
- इस प्रकार बीजों को अच्छी तरह से उपचारित करके ही लगाना चाहिए एवं बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी भी बनाये रखना चाहिए।
भिन्डी की फसल बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार कैसे करें?
- जिस खेत में भिंडी के बीज की बुआई की जानी चाहिए उस खेत का बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
- खेत का मिट्टी उपचार मिट्टी जनित कीटों एवं कवकों से पौध की रक्षा करने लिए किया जाता है।
- पुरानी फसलों के जो अवशेष खेत में रह जाते है वे अवशेष हानिकारक कवकों एवं कीटों के उत्पन्न होने का कारण बनते हैं। इन्ही कवकों एवं कीटों के नियंत्रण लिए बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
- FYM @ 10 टन/एकड़ और कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया @4 किलो/एकड़ और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश समृद्धि किट का उपयोग फसल में कैसे एवं कब करें
- ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश समृद्धि किट का उपयोग बुआई के समय मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
- अगर बुआई के समय समृद्धि किट का उपयोग नहीं कर पाएं हैं तो इसका उपयोग बुआई के 15 दिनों के अंदर किया जा सकता है।
- इसका उपयोग बुआई के बाद पहली उर्वरक खुराक के साथ किया जा सकता है।
- बुआई के 15 दिनों में उपयोग करते समय एक बात का विशेष ध्यान रखे की समृद्धि किट के साथ सल्फर का उपयोग ना किया जाए।
- ग्रामोफ़ोन की खास पेशकश समृद्धि किट को मुख्य रूप से आलू, प्याज़, लहसुन, मटर के लिए खास रूप से तैयार किया गया है।
- समृद्धि किट को खेत की 50 -100 किलो मिट्टी में मिलाकर भुरकाव के रूप में उपयोग करें।