गोमूत्र का फसलों एवं मिट्टी को मिलता है काफी लाभ

Cow urine benefits of crops and soil
  • गोमूत्र एक प्रकार से जैविक कीटनाशक, जैविक कवकनाशी एवं पौध वृद्धि नियामक की तरह कार्य करता है।

  • रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग के कारण मिट्टी की जो उर्वरा शक्ति प्रभावित हुई है गोमूत्र उसमें सुधार करने में सहायता करता है।

  • इसके उपयोग से भूमि के लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु बढ़ते हैं जिससे भूमि प्राकृतिक रूप में बनी रहती है।

  • मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है एवं यह मिट्टी का कटाव रोकने में सहायक होता है।

  • गोमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैंगनीज, कार्बोलिक एसिड इत्यादि पाये जाते हैं जो मिट्टी के सुधार एवं फसल उत्पादन में बहुत मददगार होते हैं।

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खरगोश पालन से एक साल में लागत हो जाएगी डबल, होगी लाखों की कमाई

Rabbit farming

आजकल लोग नए नए तरह के बिजनेस शुरू रहे हैं और ऐसा ही एक बिजनेस है खरगोश पालन का, जिसकी शुरुआती लागत करीब 4 लाख रुपए होती है। हालांकि एक साल के अंदर इस बिजनेस में लगाई गई 4 लाख रुपए की लागत डबल हो जाती है।

खरगोश पालन दरअसल खरगोश के बालों से बनने वाले ऊन के लिए किया जाता है। खरगोश पालन के एक यूनिट में तीन नर खरगोश और 7 मादा खरगोश होते हैं।इसके 10 यूनिट्स पर 2 लाख रुपए का खर्च आता है। एक साल में एक मादा खरगोश करीब 7 बार बच्चे देती है। एक साल में 7 मादा खरगोश करीब 245 बच्चे देंगी। इस तरह खरगोश के बच्चों का एक बैच करीब 2 लाख रुपए की कमाई कर सकता है।

स्रोत: कृषि जागरण

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लहसुन के भाव में आ सकती है तेजी, जानें कब तक खुलेगी मध्य प्रदेश की मंडियां?

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में लॉक डाउन है जिसकी वजह से मंडी भी कई हफ़्तों से बंद है। ऐसे में अब खबर आ रही है की जल्द ही मंडी खुल सकती है और खासकर के लहसुन के भाव में तेजी देखने को मिल सकती है। विस्तृत जानकारी के लिए देखें वीडियो।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

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करेले की फसल को रस चूसक कीटों के प्रकोप से ऐसे बचाएं

How to protect Bitter gourd crop from sucking pests
  • करेले की फसल सभी मौसम में लगायी जाने वाली सब्ज़ियाँ वर्गीय फसल है। रस चूसक कीटों का करेले की फसल पर आक्रमण फसल के जीवन चक्र में कभी भी हो सकता है।

  • इन कीटों में थ्रिप्स, एफिड, जैसिड, मकड़ी, सफ़ेद मक्खी आदि शामिल हैं। ये सभी कीट फसलों की पत्तियों का रस चूसकर फसल को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं।

रस चुसक कीटो के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग करें 

  • थ्रिप्स नियंत्रण: प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • एफिड/जैसिड नियंत्रण: एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • सफ़ेद मक्खी नियंत्रण: डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

  • मकड़ी नियंत्रण: प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पायरोमैसीफेन 22.9% SC @ 250 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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चक्रवातीय तूफ़ान ताऊ ते की चपेट में पूरा देश, जानें कहाँ कहाँ होगी भारी बारिश

storm in Arabian Sea Tauktae

पूरे देश में चक्रवाती तूफान ताऊ ते का प्रभाव देखने को मिल रहा है। जल्द ही यह समुद्री तूफान और ज्यादा प्रभावी होगा। यह तूफान आगे बढ़ रहा है जिससे लक्षद्वीप और केरल पर बारिश की गतिविधियां कम हो गई हैं। हालांकि तटीय कर्नाटक के शहरों में भारी बारिश जारी है। तूफान के कारण गोवा और महाराष्ट्र के तटीय शहरों में 16 मई से मूसलाधार बारिश होने और तूफानी रफ्तार से हवाएँ चलने की संभावना है। तूफान का लैंडफाल गुजरात पर 17 से 18 मई के बीच होगा और यह मध्य प्रदेश तथा राजस्थान समेत भारत के कई अन्य राज्यों को भी प्रभावित कर सकता है।

वीडियो स्रोत: मौसम तक

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अच्छी उपज प्राप्ति के लिए मिर्च की नर्सरी लगाते समय बरतें ये सावधानियां

Precautions to be taken while planting chilli nursery
  • मिर्च की नर्सरी तैयार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि जिस जगह पर नर्सरी लगाई जा रही है वह पूरी तरह से साफ होनी चाहिए और वहां पानी ठहराव नहीं होना चाहिए।

  • अच्छी फसल उगाने के लिए पौधे का स्वस्थ होना जरूरी होता है। इसलिए पौधशाला की मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जैविक पदार्थ होने चाहिए।

  • पौधशाला में नमी अधिक होने पर पद गलन रोग की आशंका बनी रहती है।

  • इसलिए पहले नर्सरी की मिट्टी और बीजों का उपचार करें, उसके बाद ही बुआई करें।

  • हर सप्ताह खरपतवार और अवांछनीय पौधों को हटा दें साथ ही आवश्यकता के अनुसार नर्सरी की सिंचाई करें।

अपनी मिर्च व अन्य फसलों के खेत मेरे खेत विकल्प से जरूर जोड़ें। स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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फसल उत्पादन में लौह तत्व का महत्व

Importance of Iron in Crop Production
  • फसल वृद्धि और बेहतर उत्पादन के लिए लौह तत्व (Fe) को एक बहुत आवश्यक तत्व माना जाता है।

  • पौधे में कई एन्ज़इम्स होते हैं जो पौधे में ऊर्जा स्थान्तरण तथा नाइट्रोजन के फिक्ससेशन के लिए उपयोगी होते हैं।

  • लौह (आयरन) तत्व की कमी आमतौर पर अधिक pH वाली मिट्टी में देखी जाती है क्योंकि ऐसी मिट्टी में लौह तत्व पौधे को उपलब्ध नहीं हो पाता है।

  • आयरन की कमी के कारण नई पत्तियों में हरित लवक की कमी हो जाती है।

  • आयरन की कमी के कारण पत्तियां नीचे से हल्की-पीली या चितकबरी रंग की होना शुरु हो जाती हैं, साथ ही चित्तकबरापन मध्य शिराओं के ऊपर व नीचे की ओर बढ़ने लगता है।

  • इसकी कमी को @150-200 ग्राम/एकड़ की दर से चिलेटेड आयरन का घोल बनाकर, छिड़काव करके दूर कर सकते हैं।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

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एक दो स्थानों को छोड़ मध्यप्रदेश का मौसम बना रहेगा शुष्क, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

मध्य भारत में अब मौसम साफ़ होने वाला है। ज्यादातर इलाके शुष्क बने रहेंगे। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के एक दो स्थानों में हल्की बारिश देखने को मिल सकती है पर ज्यादातर क्षेत्र में मौसम साफ़ बना रहेगा।

वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर

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इस ट्रैक्टर हार्वेस्टर मशीन से आसानी से मूंग और फसल अवशेष अलग कर सकते हैं

This tractor harvester machine can easily separate Green Gram and crop residues

इस ट्रैक्टर पर एक ऐसा मशीन सेट किया गया है इसके इस्तेमाल से किसान भाई खेत में भी मूंग और मूंग के फसल अवशेष को बड़ी आसानी से अलग कर सकते हैं। देखें वीडियो।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

ये भी पढ़ें: भारत में लॉन्च हुआ सीएनजी ट्रैक्टर, किसानों के लिए होगा काफी फ़ायदेमंद

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मिर्च ड्रिप किट में शामिल ये उत्पाद मिर्च की फसल को देंगे संपूर्ण पोषण

These products included in the Chilli Drip Kit will give full nutrition to the chili crop

  • किसान मिर्च की फसल में ड्रिप इरीगेशन के साथ समृद्धि किट का भी उपयोग कर सकते हैं।

  • ग्रामोफ़ोन ने घुलनशील कृषि उत्पादों का मिर्च ड्रिप किट तैयार किया है। यह किट पूर्णतः घुलनशील एवं ड्रिप के लिए पूर्णतया उपयुक्त है। इस किट का वजन 1.8 किलो है और यह एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।

  • इस किट में एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, मायकोराइज़ा, वीगरमैक्स जेल जैसे नैनो तकनीक पर आधारित उत्पाद हैं।

  • ये उत्पाद मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करते हैं और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाते है। पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में भी ये मदद करते हैं जिसके कारण बेहतर वानस्पतिक विकास में मदद मिलती है।

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