-
मौसम में लगातार हो रहे परिवर्तन एवं जरुरत से कम बारिश की वजह से कपास की फसल में, पत्तियों के पीलेपन की बहुत अधिक समस्या आ रही है और इस समस्या के कारण, फसल की वृद्धि एवं विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है।
-
कपास की फसल में पत्तियों का पीलापन कवक, कीट एवं पोषण संबंधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
-
यदि यह कवक के कारण होता है तो क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
-
मौसम के परिवर्तन या पोषण के कारण ऐसा होने पर सीवीड (विगरमैक्स जेल) @ 400 ग्राम/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
-
कीटों के प्रकोप के कारण ऐसा होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 80 ग्राम/एकड़ की दर उपयोग करें।
12 जुलाई को इंदौर मंडी में क्या रहे प्याज के भाव?
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 12 जुलाई के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।
12 जुलाई को मध्य प्रदेश की मंडियों में क्या रहे अलग अलग फसलों के भाव
मंडी |
फसल |
न्यूनतम |
अधिकतम |
मॉडल |
रतलाम _(नामली मंडी) |
गेहूँ लोकवन |
1650 |
1781 |
1705 |
रतलाम _(नामली मंडी) |
यलो सोयाबीन |
6500 |
7501 |
7250 |
रतलाम |
गेहूँ लोकवन |
1756 |
2235 |
1870 |
रतलाम |
गेहूँ मिल |
1630 |
1740 |
1715 |
रतलाम |
विशाल चना |
3500 |
4850 |
4400 |
रतलाम |
इटालियन चना |
4200 |
4681 |
4500 |
रतलाम |
डॉलर चना |
3000 |
8000 |
7351 |
रतलाम |
यलो सोयाबीन |
6700 |
7600 |
7290 |
रतलाम |
मटर |
3301 |
7950 |
6901 |
रतलाम |
मका |
1746 |
1746 |
1746 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
सोयाबीन |
6500 |
7603 |
7000 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
गेहूँ |
1650 |
2230 |
1940 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
चना |
4000 |
4752 |
4376 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
डॉलर चना |
6999 |
6999 |
6999 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
मटर |
4100 |
4394 |
4247 |
रतलाम _(सेलाना मंडी) |
मसूर |
4101 |
5100 |
4750 |
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी फसल की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।
छोटे व मंझौले किसानों की मदद के लिए सरकार भरेगी फसल बीमा का प्रीमियम
मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया है कि किसानों के फसल बीमा का प्रीमियम सरकार भरने जा रही है। इस विषय पर जल्द ही फैसला कर लिया जाएगा। इस फैसले से उन छोटे व मंझौले किसानों को लाभ मिलेग जो किसी कारणवश अपना प्रीमियम नहीं भर पा रहे हैं। सरकार के प्रीमियम भरने से किसानों को बीमा का लाभ आसानी से मिल पायेगा।
इसके अलावा किसानों को एक ही स्थान पर कृषि उत्पाद व उपकरण से लेकर अन्य सामान कम दर में उपलब्ध कराने के लिये मंडी परिसर में कैंटीन शुरू करने पर भी विचार हो रहा हैं। सरकार इस विषय पर भी शीघ्र निर्णय लेने वाली है। इसके साथ ही अलावा मंडी आने वाले किसानों के लिए अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर क्लिनिक सुविधा भी प्रारंभ होने वाली है। यहाँ किसानों की सभी प्रकार की मेडिकल जांच होगी और उनके कार्ड भी बनेगें।
स्रोत: कृषक जगत
Shareकृषि एवं किसानों से सम्बंधित लाभकारी सरकारी योजनाओं से जुड़ी जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।
कपास की फसल में फूल लगने के पहले जरूर कर लें कीट व रोग प्रबधन
-
कपास की फसल के पुष्प गूलर तथा अन्य बढ़वार अवस्थाओं में, भिन्न-भिन्न किस्म के कीट एवं रोग सक्रिय रहते हैं।
-
इन कीटों एवं बीमारियों के नियंत्रण के लिए 40-45 दिनों में छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।
-
गुलाबी सुंडी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड19.81 OD% @ 150 मिली/एकड़ का या मकड़ी की रोकथाम के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ का या जैविक नियंत्रण के लिए बेवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
-
कवक जनित रोग के नियंत्रण के लिए, कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें या जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
-
होमोब्रेसिनोलाइड 0.04 W/W @ 100मिली/एकड़ का उपयोग करें, पौधे की अच्छी वृद्धि एवं फूलों के अच्छे विकास के लिए यह छिड़काव करना बहुत आवश्यक है।
-
छिड़काव के 24 घंटे के अंदर अगर वर्षा हो जाये तो पुनः छिड़काव करें।
पत्तियों की निचली सतह पर अच्छी तरह से छिड़काव किया जाना चाहिए क्योंकि कीट पत्तियों की निचली सतह पर अधिक सक्रिय होते हैं।
-
कवक रोग, कीट नियंत्रण एवं पोषण प्रबंधन के लिए उपाय करने से कपास की फसल का उत्पादन अच्छा होता है। इस प्रकार से छिड़काव करने से डेंडू का निर्माण बहुत अच्छा होता है एवं उपज की गुणवत्ता बढती है।
Shareफसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।
मिर्च की बाढ़ सिंचाई वाली फसल में 20-30 दिनों में जरूर करें उर्वरक प्रबधन
-
मिर्च की फसल के अच्छे उत्पादन के लिए समय समय पर पोषक तत्वों का प्रबंधन भी बहुत आवश्यक होता है क्योंकि पोषक तत्वों की कमी मिर्च की फसल में पीलापन एवं पत्तियों के आकार में परिवर्तन का कारण बनती है। इन पोषक तत्वों की कमी के कारण मिर्च की फसल का विकास रुक जाता है।
-
मिर्च की रोपाई के 20-30 दिनों बाद उर्वरक प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है। इस समय मिर्च के पौधों की जड़ें मिट्टी में फैलती हैं और पौधा वृद्धि करने लगता है। पौधे एवं जड़ों की अच्छी बढ़वार के लिए उर्वरक प्रबंधन बहुत आवश्यक है।
-
इस समय उर्वरक प्रबंधन के लिए यूरिया @ 45 किलो/एकड़, DAP @ 50 किलो/एकड़, मैग्नेशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़, सल्फर @ 5 किलो/एकड़, जिंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ की दर से खेत में भुरकाव करें। उर्वरकों के उपयोग के समय खेत में नमी होना बहुत आवश्यक है।
-
यूरिया: मिर्च की फसल में यूरिया, नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने जैसी समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।
-
DAP (डाय अमोनियम फॉस्फेट): डाय अमोनियम फॉस्फेट का उपयोग फास्फोरस की पूर्ति के लिए किया जाता है। इसके उपयोग से जड़ की वृद्धि अच्छी होती है और पौधे की बढ़वार में सहायता मिलती है।
-
मैग्नीशियम सल्फेट: मिर्च में मेग्नेशियम सल्फेट के अनुप्रयोग से फसल में हरियाली बढ़ती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती है और अंततः उच्च पैदावार व उपज की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
-
ज़िंक सल्फेट: पौधों की सामान्य बढ़वार के लिए जिंक प्रमुख सूक्ष्म पोषक तत्व हैं। इसके उपयोग से, मिर्च के पौधे में वृद्धि अच्छी होती है और फसल की उपज भी बढ़ती है।
-
सल्फर: यह पौधों की जड़ों की बढ़वार के लिए मुख्य रूप से सहायक होता है। विभिन्न कोशिकाओं के विभाजन में भी इस तत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
Shareफसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।
कपास की फसल में 40-50 दिनों में इन उर्वरकों की पूर्ति है जरूरी
-
कपास की फसल में 40-45 दिनों की अवस्था, डेंडू बनने की शुरुआती अवस्था होती है। इस अवस्था में कपास की फसल को अधिक पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है इस हेतु निम्नलिखित पोषक तत्वों का उपयोग करना जरूरी हो जाता है।
-
यूरिया @ 30 किलो + MOP @ 30 किलो + मैग्नीशियम सल्फेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से भूमि में मिलाएं।
-
यूरिया: कपास की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से पत्तियों में पीलापन एवं सूखने जैसी समस्या नहीं आती है, यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को भी तेज़ करता है।
-
MOP (पोटाश): पोटाश संश्लेषित शर्करा को कपास के पौधे के सभी भागों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पोटाश प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को बढ़ावा देता है और पौधों में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ता है।
-
मैग्नीशियम सल्फेट: मेग्नेशियम सल्फेट अनुप्रयोग से कपास की फसल में हरियाली बढ़ती है एवं प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में तेज़ी आती है। अंततः उच्च पैदावार और उत्पादन की गुणवत्ता भी बढ़ती है।
-
इस प्रकार पोषण प्रबधन करने से कपास की फसल में नाइट्रोज़न की पूर्ति बहुत अच्छे से होती है। पोटाश के कारण डेंडु की संख्या और आकार में बढ़ोतरी होती है। मैगनेशियम सल्फेट सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति करता है। यदि डेंडू का निर्माण बहुत अच्छा होता है तो कपास का उत्पादन भी अधिक होता है।
Shareफसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।
मध्य भारत में भारी से अति भारी बारिश की आशंका, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत के ज्यादातर क्षेत्रों में भारी से अति भारी बारिश की आशंका बन रही है। दिल्ली सहित पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी राजस्थान में गर्मी और उमस से हाल बेहाल है। पूर्वी हवाएं शुरू हो गई है तथा उमस बढ़ गई है अब जल्द ही बारिश शुरू होगी। परंतु भारी बारिश की संभावना कम है। बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड सहित पूर्वोत्तर में जारी वर्षा में कमी आएगी। दक्षिण भारत में मानसून सक्रिय बना रहेगा।
वीडियो स्रोत: मौसम तक
Shareमौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।
अब मध्य प्रदेश समेत ज्यादातर राज्यों में होगी मॉनसून की भारी बारिश
गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र में भारी बारिश की संभावना तेलंगाना तेलंगाना में भी तेज बारिश के आसार। बंगाल की खाड़ी से आद्र हवा में नमी बढ़ा रही हैं। आज रात या कल से दिल्ली सहित पंजाब हरियाणा तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान में बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। केरल गोवा कर्नाटक सहित दक्षिण भारत में मानसून सक्रिय रहेगा।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareमौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।