किसानों को मिलेंगे MSP के 2.37 लाख करोड़ रुपये, सीधे ट्रांसफर होंगे खाते में

Farmers will get Rs 2.37 lakh crore of MSP

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद भवन में वर्ष 2022 का बजट मंगलवार को पेश कर दिया गया। इस बजट में उनके द्वारा कृषि क्षेत्र के लिए कई घोषणाएं की गईं।

इस दौरान सीतारमण ने कहा कि “प्राकृतिक खेती को बढ़ावा मिलेगा, इसके अलावा, किसानों को हाईटेक बनाने के लिए PPP मॉडल शुरू होगा। किसानों के खातों में 2.37 लाख करोड़ रुपये की एमएसपी सीधे ट्रांसफर की जाएगी। कृषि-वानिकी को अपनाने के इच्छुक किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।”

उन्होंने आगे कहा की “रबी सीजन 2021-22 में गेहूं की खरीद और खरीफ सीजन 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद से 163 लाख किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूँ और धान का कवर मिलेगा और 2.37 लाख करोड़ रुपये उनके एमएसपी मूल्य का सीधा भुगतान होगा।

स्रोत: दैनिक जागरण

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सोयाबीन भाव में कितनी तेजी, देखें 18 फरवरी को रतलाम मंडी के भाव

Mandsaur Mandi Soybean Rate,

सोयाबीन भाव में आज कितनी तेजी या मंदी देखने को मिली? वीडियो के माध्यम से देखें की आज मंडी में कैसा चल रहा है सोयाबीन का भाव !

स्रोत: यूट्यूब

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इस योजना से मछली पालकों को मिलेगा 60% का अनुदान, पढ़ें पूरी खबर

Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana

मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत वित्त वर्ष 2020-21 में की गई है। यह योजना मछली उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने में मदद हेतु शुरू की गई है। इससे मछली पालकों की आय में भी वृद्धि होगी।

इस योजना के अंतर्गत विभिन्न प्रावधान हैं। इन प्रावधानों में मछली बीज उत्पादन हैचरी निर्माण, नए मछली बीज संवर्धन हेतु पोखर-तालाब का निर्माण, नए तालाब का निर्माण, पंगेसियस मछली पालन, मिश्रित मछली पालन, तिलापिया मछली पालन की व्यवस्था शामिल हैं।

इस योजना के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और महिला वर्ग से आने वाले हितग्राहियों को 60% का अनुदान दिया जाएगा। इसके साथ ही सामान्य वर्ग एवं अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाले हितग्राहियों को 40% का अनुदान दिया जाएगा।

स्रोत: कृषि जागरण

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एक ही पौधे में उगेगा टमाटर और बैंगन, वैज्ञानिकों को मिली बड़ी सफलता

Tomato and brinjal will grow in the same plant

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिकों ने बड़ी सफलता प्राप्त की है। वैज्ञानिकों ने ग्राफ्टिंग तकनीक के माध्यम से ऐसा पौधा विकसित कर लिया है जिसमे टमाटर और बैंगन दोनों उगेगा। इस पौधे में ब्रिमैटो (Brimato) नाम दिया गया है।

बता दें कल सब्जियों की उपज में वृद्धि के लिए वैज्ञानिक ग्राफ्टिंग तकनीक का सहारा लेते हैं। इसके अंतर्गत दो सब्जियों को ग्राफ्ट करते हैं जिससे एक ही पौधे से दोनों सब्जी प्राप्त हो जाती है। इसके माध्यम से कम समय और कम जगह में ज्यादा सब्जियों का उत्पादन हो जाता है।

स्रोत: टीवी 9

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इंदौर मंडी में 18 फरवरी को क्या रहे प्याज भाव?

Indore onion Mandi Bhaw

वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 18 फरवरी के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

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मूंग समृद्धि किट से पाएं मूंग की जबरदस्त उपज, जानें इसके लाभ

Get tremendous yield of Moong with Moong Samridhi Kit
  • मूंग की उन्नत खेती के लिए ग्रामोफ़ोन का ‘मूंग समृद्धि किट’ एक जांचा परखा नुस्खा है जिसकी मदद से पिछले 3 साल से किसान बेहतरीन उपज प्राप्त कर रहे हैं।

  • इस किट का उपयोग बुवाई के समय मिट्टी में मिलाकर या बुवाई के बाद 15-20 दिनों में मिट्टी में बिखेरकर किया जा सकता है।

  • इस किट में आपको वो सब कुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरुरत मूंग की फसल को होती है। इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार द्वारा उर्वरा शक्ति बढाने के लिए किया जाता है।

मूंग समृद्धि किट में निम्नलिखित उत्पादों को शामिल किया गया है

  • पी के बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स): यह मिट्टी और फसल में दो प्रमुख तत्वों पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है। जिसके कारण पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं, विकास अच्छा होता है, फसल उत्पादन बढ़ता है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है।

  • राइज़ोबियम कल्चर (जैव वाटिका-आर):- यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सरल रूप में परिवर्तित करता है जिसे पौधे द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पौधों के विकास, श्वसन आदि जैसी विभिन्न जीवन प्रक्रियाओं में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करता है। 

  • ट्राइकोडर्मा विरिडी (कॉम्बैट):- यह मिट्टी में लाभकारी कवक की संख्या को बढ़ाता है और जड़ के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है, जो कि कवक के द्वारा होने वाले नुकसान से पौधे की रक्षा करता है।

  • ह्यूमिक एसिड, सीवीड एक्स्ट्रैक्ट, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा (मैक्समाइको):- यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है, मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है। यह पौधे के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व प्रदान करती है और जड़ों के सतह क्षेत्र को बढ़ाती है।

    कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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तरबूज की फसल को लीफ माइनर कीट से ऐसे बचाएं

Save the watermelon crop from leaf miner attack
  • किसान भाइयों पर्ण सुरंगक कीट का प्रकोप जब तरबूज की फसल दो पत्ती अवस्था में रहती है तब अधिक देखने को मिलता है। 

  • इस कीट के कारण पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है। यह धारियाँ, इल्ली के पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण बनती है। 

  • इस कीट के आक्रमण से तरबूज के पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते है। 

  • कीट से ग्रसित पौधों की फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

  • इसके नियंत्रण के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग आवश्यक होता है –

  • रासायनिक में अबासीन (एबामेक्टिन 1.9 % ईसी) @ 150 मिली या ट्रेसर (स्पिनोसैड 45% एससी) @ 60 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • जैविक में बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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जायद सीजन में मूंग की जबरदस्त उत्पादन देने वाली किस्में

Varieties of Green Gram giving tremendous production in Zayed season

मध्यप्रदेश में मूंग की खेती ग्रीष्म एवं खरीफ दोनों मौसम में की जाती है। मूंग कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फसल है। किसान भाइयों जैसा की आप सभी जानते है कि जायद का मौसम आ रहा है और किसान भाई मूंग की खेती करने वाले है। लेकिन किसान भाइयों के सामने एक गंभीर समस्या आती है कि वह कौन सी किस्में लगाएं और कौन सी नहीं जिससे उन्हें ज्यादा उपज प्राप्त हो सके। जायद के मौसम में यह किस्में लगाएं भरपूर उत्पादन पाएं।

किस्म का नाम – अवस्थी सम्राट PDM 139
पकने की अवधि – 55-60 दिन
उपज – 5-6 क्विंटल प्रति एकड़
दानों का रंग – चमकदार हरे दाने
लगाने का समय – जायद एवं खरीफ
बीजदर – 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़
विषेशताएं – पीत शिरा मोज़ैक वायरस के लिए प्रतिरोधक।

किस्म का नाम – प्रसाद सम्राट PDM 139
पकने की अवधि – 55-60 दिन
उपज – 5-6 क्विंटल प्रति एकड़
दानों का रंग – चमकदार हरे दाने
लगाने का समय – जायद एवं खरीफ
बीजदर – 8-10 किलोग्राम प्रति एकड़
विषेशताएं – पीत शिरा मोज़ैक वायरस के लिए प्रतिरोधक।

किस्म का नाम – नवल (NVL-1)
फसल अवधि – 60-65 दिन
पौधे की ऊंचाई – 50-60 सेमी.
फली में दानों की संख्या – 14
दानों का रंग – चमकदार हरा
दाने का आकार – बोल्ड
विशेषताएं – पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति अत्यधिक सहनशील और पीत शिरा मोज़ैक के प्रति मध्यम सहनशील।

ऐसी ही अन्य और भी किस्में जैसे – सतमन विजय SAS-7007, प्रसाद श्वेता आदि। यह किस्में आप ग्रामोफ़ोन ऐप से आर्डर कर सकते है।

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मध्य प्रदेश के साथ साथ कई राज्यों में वर्षा की संभावना, देखें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

विदर्भ के साथ साथ छत्तीसगढ़ के भी कई जिलों में बारिश की गतिविधियां देखने को मिली है। अब हल्की बारिश मध्य प्रदेश समेत बिहार झारखंड के कुछ भागों में भी देखने को मिल सकती है। सिक्किम समेत पूर्वोत्तर क्षेत्रों में भी हल्की बारिश संभव है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में भारी बारिश जारी रहेगी। केरल लक्षद्वीप व तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में छिटपुट बारिश के साथ पहाड़ों पर हल्का हिमपात हो सकता है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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350 रुपए में किराए पर ड्रोन लेकर खेती को बनाएं आसान, जानें कैसे?

Make farming easy by renting a drone for Rs 350

भारतीय कृषि में नवाचार और आधुनिकीकरण लाने के उद्देश्य से सरकार कई तरह के नए प्रयोग कर रही है। अब किसानों को खेती में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना एक रोजमर्रा की जरुरत बन गई है। ड्रोन के उपयोग भी कृषि क्षेत्र में किये जाने की बाते अब ज्यादा होने लगी है।

वैसे ड्रोन की कीमत ज्यादा होती है और इसका इस्तेमाल हर किसान नहीं कर सकता इसी को देखते हुए कुछ सरकार एजेंसियां ​​ड्रोन खरीद कर किसानों को किराए पर दे सकती हैं। ऐसा हो जाने से एक एकड़ जमीन में कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव के लिए 350 रुपये तक की दर से किराया लगेगा। इससे कृषि खर्च बेहद कम हो जायेगी और उर्वरकों की बचत भी होगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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