जानिए, खेती में बीज उपचार का महत्व
👉🏻किसान भाइयों, खेती के लिए बीज उपचार बहुत ही आवश्यक होता है। जिससे बीज जनित और मिट्टी जनित रोग की रोकथाम होती है।
👉🏻देश में फसलों के 70 से 80 प्रतिशत किसान बीज नहीं बदलते है और पुराने बीजों का ही इस्तेमाल करते हैं।
👉🏻इस कारण कीट और रोग लगने का खतरा ज्यादा रहता है, फलस्वरूप लागत खर्च बढ़ जाता है।
👉🏻बीज उपचार से बीज जनित और मिट्टी जनित बीमारियों की रोकथाम हो जाती है।
👉🏻बीजोपचार से ही 6-10 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
👉🏻बीजोपचार से अंकुरण अच्छा होने के साथ ही पौधो की वृद्धि भी बढ़िया होती है बीजोपचार से कीटनाशको का प्रभाव भी बढ़ जाता है तथा फसल 20 से 25 दिन के लिए सुरक्षित हो जाती है।
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कद्दू वर्गीय फसलों में डाउनी मिल्ड्यू रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय
रोग का परिचय:- कद्दू वर्गीय फसलों जैसे – करेला, लौकी, कद्दू, तुरई, तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी, गिल्की आदि की एक गंभीर समस्या है। जो की स्यूडोपेरोनोस्पोरा क्यूबेंसिस नामक फफूंद के कारण होता है। एक बार इसका प्रकोप होने के बाद रोग तेजी से फैलता है, जिससे फलों की गुणवत्ता और उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
रोग के लक्षण:- रोग के लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर छोटे पीले धब्बे या पानी से लथपथ घावों के रूप में दिखाई देते हैं। पत्ती की निचली सतह पर सफ़ेद कोमल फफूंद का आवरण दिखाई देता है। लंबे समय तक वातावरण में अधिक नमी के कारण रोग का प्रसार तेजी से होता है।
रोग की रोकथाम:-
जैविक नियंत्रण:- (मोनास कर्ब)स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस @ 500 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव कर सकते हैं।
रासायनिक नियंत्रण:- (कस्टोडिया )एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी @ 300 मिली या ( संचार )मेटलैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64 % डब्ल्यूपी @ 500 ग्राम प्रति एकड़ छिड़काव करें l
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अगले 10 दिन जारी रहेगी मानसूनी बारिश, देखें मौसम पूर्वानुमान
15 जून तक जो मानसून में कमी देखी गई थी वह 16 जून से पूरी होनी शुरू हो गई है। अब जून के बाकी बचे दिनों के दौरान पूरे भारत में अच्छी बारिश की संभावना दिखाई दे रही है जिससे किसानों को फसल की बुवाई में सहायता मिलेगी। पूर्वोत्तर राज्यों में भारी बारिश की गतिविधियां जारी रहेंगी। मानसून लगातार प्रगति करेगा और कई राज्यों में आगे बढ़ेगा।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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देश के विभिन्न मंडियों में 18 जून को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?
देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं? |
|||
मंडी |
फसल |
न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में) |
अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में) |
जयपुर |
प्याज़ |
11 |
12 |
जयपुर |
प्याज़ |
13 |
14 |
जयपुर |
प्याज़ |
15 |
16 |
जयपुर |
प्याज़ |
4 |
5 |
जयपुर |
प्याज़ |
6 |
7 |
जयपुर |
प्याज़ |
8 |
9 |
जयपुर |
प्याज़ |
10 |
11 |
जयपुर |
लहसुन |
12 |
15 |
जयपुर |
लहसुन |
18 |
22 |
जयपुर |
लहसुन |
28 |
35 |
जयपुर |
लहसुन |
38 |
45 |
जयपुर |
लहसुन |
10 |
12 |
जयपुर |
लहसुन |
15 |
18 |
जयपुर |
लहसुन |
22 |
25 |
जयपुर |
लहसुन |
30 |
35 |
लखनऊ |
प्याज़ |
5 |
7 |
लखनऊ |
प्याज़ |
10 |
– |
लखनऊ |
प्याज़ |
11 |
13 |
लखनऊ |
प्याज़ |
13 |
14 |
लखनऊ |
प्याज़ |
7 |
9 |
लखनऊ |
प्याज़ |
10 |
11 |
लखनऊ |
प्याज़ |
14 |
15 |
लखनऊ |
प्याज़ |
16 |
17 |
लखनऊ |
लहसुन |
10 |
– |
लखनऊ |
लहसुन |
15 |
20 |
लखनऊ |
लहसुन |
30 |
32 |
लखनऊ |
लहसुन |
35 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
14 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
12 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
14 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
15 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
18 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
20 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
21 |
– |
गुवाहाटी |
लहसुन |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
34 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
34 |
38 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
38 |
42 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
27 |
33 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
34 |
38 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
38 |
42 |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
11 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
13 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
15 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
16 |
18 |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
12 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
14 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
15 |
– |
सिलीगुड़ी |
प्याज़ |
18 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
17 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
25 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
32 |
– |
सिलीगुड़ी |
लहसुन |
36 |
– |
मंदसौर |
लहसुन |
11 |
– |
मंदसौर |
लहसुन |
16 |
– |
मंदसौर |
लहसुन |
21 |
– |
मंदसौर |
लहसुन |
26 |
– |
रतलाम |
प्याज़ |
3 |
6 |
रतलाम |
प्याज़ |
6 |
9 |
रतलाम |
प्याज़ |
9 |
12 |
रतलाम |
प्याज़ |
11 |
14 |
रतलाम |
लहसुन |
5 |
9 |
रतलाम |
लहसुन |
9 |
24 |
रतलाम |
लहसुन |
21 |
35 |
रतलाम |
लहसुन |
33 |
40 |
आगरा |
प्याज़ |
7 |
– |
आगरा |
प्याज़ |
8 |
– |
आगरा |
प्याज़ |
9 |
10 |
आगरा |
प्याज़ |
11 |
13 |
आगरा |
प्याज़ |
7 |
– |
आगरा |
प्याज़ |
8 |
9 |
आगरा |
प्याज़ |
10 |
12 |
आगरा |
प्याज़ |
13 |
15 |
आगरा |
प्याज़ |
6 |
8 |
आगरा |
प्याज़ |
8 |
9 |
आगरा |
प्याज़ |
10 |
12 |
आगरा |
प्याज़ |
13 |
– |
आगरा |
लहसुन |
12 |
15 |
आगरा |
लहसुन |
18 |
20 |
आगरा |
लहसुन |
21 |
22 |
आगरा |
लहसुन |
25 |
28 |
शाजापुर |
प्याज़ |
4 |
6 |
शाजापुर |
प्याज़ |
7 |
10 |
शाजापुर |
प्याज़ |
10 |
13 |
रतलाम |
आलू |
16 |
– |
रतलाम |
टमाटर |
35 |
38 |
रतलाम |
हरी मिर्च |
25 |
30 |
रतलाम |
तरबूज |
8 |
10 |
रतलाम |
कद्दू |
10 |
12 |
रतलाम |
आम |
42 |
– |
रतलाम |
आम |
30 |
– |
रतलाम |
आम |
35 |
45 |
रतलाम |
केला |
22 |
– |
रतलाम |
पपीता |
12 |
16 |
रतलाम |
अनार |
80 |
100 |
जयपुर |
अनन्नास |
65 |
– |
जयपुर |
सेब |
105 |
– |
जयपुर |
नींबू |
28 |
30 |
जयपुर |
आम |
32 |
35 |
जयपुर |
नींबू |
40 |
– |
जयपुर |
नींबू |
40 |
– |
जयपुर |
अदरक |
30 |
– |
जयपुर |
हरा नारियल |
35 |
– |
जयपुर |
आलू |
14 |
16 |
आगरा |
नींबू |
40 |
– |
आगरा |
कटहल |
11 |
– |
आगरा |
अदरक |
19 |
– |
आगरा |
अनन्नास |
24 |
25 |
आगरा |
तरबूज |
4 |
5 |
आगरा |
आम |
20 |
35 |
आगरा |
नींबू |
45 |
50 |
आगरा |
हरा नारियल |
42 |
– |
आगरा |
पत्ता गोभी |
13 |
– |
आगरा |
शिमला मिर्च |
25 |
– |
लखनऊ |
आलू |
15 |
16 |
लखनऊ |
अदरक |
27 |
30 |
लखनऊ |
आम |
30 |
37 |
लखनऊ |
अनन्नास |
20 |
30 |
सिलीगुड़ी |
अदरक |
22 |
– |
सिलीगुड़ी |
अनन्नास |
45 |
– |
सिलीगुड़ी |
आम |
33 |
36 |
वाराणसी |
आलू |
15 |
16 |
वाराणसी |
अदरक |
34 |
35 |
वाराणसी |
आम |
25 |
35 |
वाराणसी |
आम |
45 |
50 |
वाराणसी |
आम |
28 |
33 |
वाराणसी |
अनन्नास |
17 |
28 |
वाराणसी |
प्याज़ |
10 |
– |
वाराणसी |
प्याज़ |
11 |
13 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
15 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
16 |
वाराणसी |
प्याज़ |
11 |
– |
वाराणसी |
प्याज़ |
12 |
14 |
वाराणसी |
प्याज़ |
14 |
15 |
वाराणसी |
प्याज़ |
15 |
17 |
वाराणसी |
लहसुन |
12 |
18 |
वाराणसी |
लहसुन |
15 |
22 |
वाराणसी |
लहसुन |
20 |
30 |
वाराणसी |
लहसुन |
30 |
35 |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
11 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
12 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
14 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
10 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
12 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
18 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
13 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
18 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
20 |
– |
गुवाहाटी |
प्याज़ |
21 |
– |
गुवाहाटी |
लहसुन |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
33 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
34 |
38 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
38 |
42 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
20 |
25 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
28 |
34 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
35 |
40 |
गुवाहाटी |
लहसुन |
40 |
42 |
गुवाहाटी |
अदरक |
28 |
30 |
गुवाहाटी |
आलू |
17 |
19 |
गुवाहाटी |
आलू |
22 |
23 |
गुवाहाटी |
नींबू |
48 |
– |
गुवाहाटी |
आम |
45 |
– |
गुवाहाटी |
लीची |
55 |
– |
कानपुर |
प्याज़ |
5 |
– |
कानपुर |
प्याज़ |
10 |
– |
कानपुर |
प्याज़ |
11 |
13 |
कानपुर |
प्याज़ |
14 |
– |
कानपुर |
लहसुन |
10 |
– |
कानपुर |
लहसुन |
15 |
20 |
कानपुर |
लहसुन |
30 |
– |
कानपुर |
लहसुन |
35 |
– |
कोलकाता |
आलू |
22 |
– |
कोलकाता |
अदरक |
34 |
– |
कोलकाता |
प्याज़ |
10 |
– |
कोलकाता |
प्याज़ |
11 |
– |
कोलकाता |
प्याज़ |
16 |
– |
कोलकाता |
लहसुन |
15 |
– |
कोलकाता |
लहसुन |
30 |
– |
कोलकाता |
लहसुन |
48 |
– |
कोलकाता |
तरबूज |
16 |
– |
कोलकाता |
अनन्नास |
45 |
55 |
कोलकाता |
सेब |
130 |
155 |
कोलकाता |
आम |
60 |
70 |
कोलकाता |
लीची |
50 |
60 |
कोलकाता |
नींबू |
50 |
55 |
मध्यप्रदेश मंडियों में 18 जून को क्या रहे प्याज़ के भाव?
आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे देवास, मंदसौर, बदनावर, इंदौर, खंडवा और कालापीपल आदि में क्या चल रहे हैं प्याज़ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में प्याज़ के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अलीराजपुर |
1,000 |
2,000 |
बदनावर |
500 |
1,775 |
ब्यावरा |
300 |
900 |
दमोह |
500 |
500 |
देवास |
200 |
500 |
देवास |
300 |
800 |
हाटपिपलिया |
600 |
1400 |
हाटपिपलिया |
600 |
1400 |
हरदा |
600 |
800 |
इंदौर |
200 |
1,600 |
जावरा |
360 |
1,441 |
जावद |
300 |
600 |
कालापीपल |
110 |
1,350 |
कालापीपल |
100 |
1,297 |
खंडवा |
400 |
700 |
खरगोन |
500 |
1,500 |
खरगोन |
500 |
1,500 |
कुक्षी |
500 |
900 |
मंदसौर |
150 |
1,251 |
नरसिंहगढ़ |
100 |
1,920 |
पिपरिया |
400 |
1,300 |
सीहोर |
200 |
1,316 |
सेंधवा |
300 |
910 |
शुजालपुर |
400 |
1,051 |
टिमरनी |
600 |
1,000 |
स्रोत: एगमार्कनेट
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। लेख पसंद आया हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
कुचिंडा मिर्च को जीआई टैग मिलने से बढ़ेगी प्रसिद्धि, जानें इसकी महत्ता
किसानों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से विविधता पूर्ण खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके चलते सरकार किसानों को परंपरागत खेती के अलावा सब्जियों और फलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। इसी कड़ी में उड़ीसा में कुचिंडा मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए एक खुशखबरी सामने आई है।
दरअसल ग्रामीण विकास और विपणन सोसाइटी की ओर से कुचिंडा मिर्च के सैंपल को टेस्ट के लिए कोच्चि स्थित प्रयोगशाला भेजा गया था। जिसके काफी अच्छे रिजल्ट सामने आए हैं। ऐसे में उड़ीसा की इस क्षेत्रीय मिर्च पर जीआई टैग दिए जाने की चर्चा जोरों पर है।
जीआई टैग क्या है?
जीआई टैग ऐसे उत्पाद को मिलता है, जो गुणवत्ता के पैमाने पर हर तरह से खरा उतरता हो। इसके साथ ही यह टैग उस विशेष उत्पाद को उसके मूल क्षेत्र से जोड़ने के लिए दिया जाता है। कहने का मतलब ये है कि, जीआई टैग बताता है कि उत्पाद विशेष का निर्माण कहां हुआ है।
जीआई टैग की महत्ता
ऐसे उत्पाद को देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बिक्री के लिए आसानी से बाजार उपलब्ध हो जाता है। जीआई टैग मिले उत्पादों को कानूनी संरक्षण मिलता है। जिसके चलते इन उत्पाद का व्यवसाय करने वाले लोगों को ज्यादा मुनाफा प्राप्त होता है।
इसी क्रम में अब कुचिंडा मिर्च की खेती करने वाले किसान भाईयों की आमदनी में वृद्धि होगी। काफी लंबे समय से कुचिंडा को अपनी खास पहचान नहीं मिल पा रही थी। हालांकि जीआई टैग लगते ही देश के साथ ही अब इसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी मांग बढ़ जाएगी।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकृषि क्षेत्र की महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो लाइक और शेयर करना ना भूलें।
मध्य प्रदेश की मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?
आज मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे कैलारस, कालापीपल, लटेरी और पृथ्वीपुर आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव |
||
कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
झाबुआ |
2,150 |
2,150 |
पृथ्वीपुर |
1,915 |
1,927 |
लटेरी |
2,285 |
2,380 |
कैलारासो |
1,975 |
2,015 |
श्योपुरबडोद |
1,920 |
1,998 |
अजयगढ़ |
1,900 |
1,920 |
लटेरी |
2,000 |
2,150 |
कालापीपाल |
1,890 |
2,140 |
सिमरिया |
1,820 |
1,900 |
भानपुरा |
1,850 |
1,860 |
पचौरी |
1,750 |
2,100 |
स्रोत: राष्ट्रीय कृषि बाजार
Shareअब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें। जानकारी पसंद आये तो लाइक और शेयर जरूर करें।
सोयाबीन की फसल में खरपतवार नियंत्रण के उपाय
👉🏻किसान भाइयों, सोयाबीन एक प्रमुख तिलहनी फसल है। यदि समय रहते खररपतवारों का प्रबंधन न किया जाए तो इसके द्वारा सोयाबीन की फसल में 40% तक उत्पादन में कमी देखी गई है।
आज के विषय में हम खरपतवार नियंत्रण के उपाय के बारे में जानेगें :-
👉🏻सोयाबीन की फसल उगने से पूर्व बीज बुवाई के बाद और बीज अंकुरण होने से पहले खरपतवारनाशी दवाइयों का इस्तेमाल कर खरपतवारों से छुटकारा पा सकते हैं।
👉🏻बुवाई के 3-5 दिन के अंदर विल्फोर्स-32 (इमेजेथापायर 2% + पेन्डीमिथालीन 30% ईसी) @ 1 लीटर प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। एवं फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें। चौड़ी व सकरी पत्ती वाले खरपतवारों का कारगर नियंत्रण होता है।
👉🏻बुवाई के 3-5 दिन के अंदर मार्क/स्ट्रॉगआर्म (डिक्लोसुलम 84% डब्ल्यूडीजी) 12.4 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें एवं फ्लैट फेन नोजल का प्रयोग करें।
खरपतवार नियंत्रण के फायदे
👉🏻सोयाबीन की फसल में खरपतवारों को नष्ट करने से उत्पादन में लगभग 25 से 70 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है।
👉🏻भूमि में उपलब्ध पोषक तत्व में से 30 से 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 8-10 किग्रा फास्फोरस एवं 40 – 100 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से बचत होती है।
👉🏻इसके अलावा फसलों का वृद्वि विकास तेजी से होता है तथा उत्पादन के स्तर में बढ़ोतरी होती है, साथ ही कीट एवं रोगों से बचाव होता है।
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जानिए, मिर्च की खेती में मल्चिंग के फायदे
👉🏻किसान भाइयों, मिर्च की खेती में लगायी गयी फसल को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पौधे के चारों ओर घास या प्लास्टिक की एक परत बिछाई जाती है, जिसे मल्चिंग कहते है।
मल्चिंग (पलवार) दो प्रकार की होती है, जैविक एवं प्लास्टिक मल्च l
प्लास्टिक मल्चिंग विधि:- जब खेत में लगाए गए पौधों की जमीन को चारों तरफ से प्लास्टिक शीट द्वारा अच्छी तरह ढक दिया जाता है तो, इस विधि को प्लास्टिक मल्चिंग कहा जाता है l इस तरह पौधों की सुरक्षा होती है और फसल उत्पादन भी बढ़ता है l बता दें कि यह शीट कई प्रकार और कई रंग में उपलब्ध होती है।
जैविक मल्चिंग विधि:- जैविक मल्चिंग में पराली पत्तों इत्यादि का उपयोग किया जाता है। इसे प्राकृतिक मल्चिंग भी कहा जाता है। यह बहुत ही सस्ती होती है। इसका उपयोग प्रायः जीरो बजट खेती में भी किया जाता है। पराली को न जलाएं बल्कि इसका उपयोग मल्चिंग में करें। मल्चिंग में इसका उपयोग करने से आपको पराली की समस्या से निजात के साथ अधिक उपज प्राप्त होगी।
लाभ:- मृदा में नमी संरक्षण एवं तापमान नियंत्रण में सहायक, हवा एवं पानी से मिट्टी का कटाव कम करना, पौधों के वृद्धि के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करना, उत्पादकता में सुधार, भूमि की उर्वरा शक्ति एवं स्वास्थ्य में सुधार, खरपतवारों की वृद्धि को रोकना।
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