देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं? |
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शहर |
मंडी |
कमोडिटी |
वैरायटी |
ग्रेड (एवरेज/सुपर) |
न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में) |
अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में) |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
अनन्नास |
क्वीन |
– |
54 |
55 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
तरबूज |
बैंगलोर |
– |
14 |
15 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
अदरक |
हसन |
– |
28 |
29 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
कटहल |
केरल |
– |
28 |
30 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
कच्चा आम |
केरल |
– |
50 |
55 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
कच्चा आम |
तमिलनाडु |
– |
55 |
60 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
टमाटर |
– |
– |
12 |
15 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
हरा नारियल |
बैंगलोर |
– |
30 |
32 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
आलू |
चिप्सोना |
सुपर |
10 |
12 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
आलू |
पुखराज |
– |
10 |
12 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
प्याज |
नासिक |
– |
14 |
15 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
प्याज |
कुचामन |
– |
7 |
9 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
प्याज |
सीकर |
– |
12 |
13 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
लहसुन |
– |
फूल |
40 |
42 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
लहसुन |
– |
मिडियम |
34 |
35 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
लहसुन |
– |
छोटा |
30 |
31 |
जयपुर |
मुहाना मंडी |
नींबू |
महाराष्ट्रा |
– |
110 |
115 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
प्याज |
सागर |
– |
10 |
11 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
प्याज |
नासिक |
– |
12 |
13 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
लहसुन |
– |
– |
8 |
13 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
लहसुन |
न्यू |
– |
30 |
35 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
कटहल |
– |
– |
24 |
– |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
अदरक |
औरंगाबाद |
– |
22 |
– |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
हरी मिर्च |
कोलकाता |
– |
40 |
45 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
नींबू |
मद्रास |
– |
85 |
– |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
नींबू |
महाराष्ट्रा |
– |
105 |
– |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
अनन्नास |
किंग |
– |
35 |
– |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
आलू |
पुखराज |
– |
7 |
8 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
आलू |
ख्याति |
– |
7 |
8 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
आलू |
चिप्सोना |
– |
10 |
11 |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
आलू |
– |
गुल्ला |
5 |
– |
आगरा |
सिकंदरा मंडी |
तरबूज |
महाराष्ट्रा |
– |
15 |
16 |
अगले 24 घंटे होगी तबाही की बारिश, कई राज्यों पर होगा असर
इस समय मानसून की लाइन मध्य भारत के ऊपर से गुजर रही है तथा दक्षिण पश्चिमी राजस्थान के ऊपर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। इनके मिले-जुले प्रभाव से राजस्थान गुजरात तथा मध्य प्रदेश में अगले 24 घंटों के दौरान भारी बारिश के कारण कई स्थानों पर जलभराव की आशंका है। दिल्ली पंजाब और हरियाणा में 28 जुलाई से बारिश बढ़ेगी और कई स्थानों पर तेज बारिश हो सकती है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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आधुनिक यंत्र और नई तकनीक पर मिल रहा भारी अनुदान, जल्द कराएं आवेदन
देशभर में सभी किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत बनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई लाभकारी योजनाएं चला रही हैं। इसी क्रम में सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र में आधुनिकता को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसानों को खेती बाड़ी में ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। इसके लिए सरकार कृषि यंत्र और नई तकनीक की खरीदी पर अनुदान प्रदान कर रही है।
सोलर पंप, ड्रिप, फार्मपौण्ड व डिग्गी पर अनुदान
इसी कड़ी में राजस्थान सरकार अपने राज्य के किसानों को अनुदान पर ड्रिप इरिगेशन के लिए सिंचाई संयंत्र उपलब्ध करा रही है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने 1.60 लाख कृषकों को सिंचाई संयंत्र उपलब्ध कराने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। वहीं पहले से ही 9,738 फार्मपौण्ड और 1,892 डिग्गियों के निर्माण के लिए सब्सिडी देने की घोषणा की जा चुकी है। इसके अलावा प्रेदश में 22,807 सोलर पंप स्थापित करने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।
जल्द कराएं आवेदन
इस योजना का लाभ उठाने के लिए आधिकारिक वेबसाइट https://rajkisan.rajasthan.gov.in पर जाएं। यहां पर फार्मपौण्ड, डिग्गी, ड्रिप इरिगेशन एवं सोलर पंप से लेकर खेती बाड़ी से जुड़ी सभी योजनाओं के विकल्प दिए गए हैं। जिसकी मदद से आप राज्य सरकार की सभी योजनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही इसी पोर्टल पर आप ऑनलाइन आवदेन भी कर सकते हैं।
स्रोत : किसान समाधान
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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?
मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे अलोट, बड़वानी, भांडेर, जावरा और खातेगांव आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।
विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव |
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कृषि उपज मंडी |
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल) |
अलोट |
2000 |
2190 |
बड़वानी |
2200 |
2200 |
बागली |
1910 |
1915 |
बक्तारा |
2000 |
2130 |
भांडेर |
2015 |
2015 |
भीकनगांव |
1970 |
2200 |
चंदेरी |
2180 |
2190 |
गंधवानी |
2115 |
2115 |
हटा |
1900 |
1910 |
जैसीनगर |
2025 |
2075 |
जावरा |
2110 |
2110 |
खानिअधना |
2015 |
2125 |
खातेगांव |
1800 |
2240 |
खातेगांव |
1980 |
2158 |
लोहर्दा |
2100 |
2100 |
पंधाना |
2150 |
2150 |
रामनगर |
2000 |
2000 |
रहली |
1950 |
2050 |
सागर |
2000 |
2400 |
सतना |
1800 |
1900 |
सेगाँव |
2160 |
2200 |
शाहगढ़ |
2100 |
2100 |
सोनकच्छ |
1920 |
2359 |
स्रोत: एगमार्कनेट
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बेल वाली फसलों में फल मक्खी की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय
फल मक्खी के पहचान
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यह कीट विकसित मुलायम फलों को क्षति पहुंचाते हैं।
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फल मक्खी का प्रकोप जुलाई से अक्टूबर माह तक जारी रहता है।
-
इन कीटों की मादा मक्खी मुलायम फलों के गूदे में प्रवेश करके उसमें अपने अण्डे देती है। 1-2 दिन में (शिशु ) फलों के अंदर ही निकल आते हैं और फल के अंदर ही गूदे को खाकर विकसित होते हैं।
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साथ ही फलों के अंदर ही अपशिष्ट पदार्थ छोड़ते हैं, जिससे फल सड़ने लगता है। फलों के क्षतिग्रस्त भाग से तेज गंध आने लगती है एवं फल टेड़े- मेड़े आकार के हो जाते हैं। इस कारण फलों की गुणवत्ता खराब होती है, जो कि फिर बिक्री योग्य नहीं रहते हैं।
फेरोमोन ट्रैप :-
यह एक प्रकार की विशेष गंध होती है, जो मादा पतंगा छोड़ती हैं। यह गंध नर पतंगों को आकर्षित करती है। विभिन्न कीटों द्वारा विभिन्न प्रकार के फेरोमोन छोड़े जाते हैं, इसलिए अलग-अलग कीटों के लिए अलग-अलग ल्यूर काम में लिए जाते हैं। कद्दू वर्गीय फसल में फल मक्खी की रोकथाम के लिए आईपीएम ट्रैप ( मेलोन फ्लाई ल्यूर) 8 से 10 ट्रैप प्रति एकड़ स्थापित करें।
रोकथाम
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बेनेविया (सायंट्रानिलिप्रोल 10.26% ओडी) @ 360 मिली + स्टिकर (सिलिको मैक्स) @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के के हिसाब से छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण के लिए, बवे-कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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पूरे देश में बढ़ेगी बारिश, जानें किन राज्यों में होगा ज्यादा असर
मध्य भारत में मानसून सक्रिय बना हुआ है तथा मध्य प्रदेश, गुजरात और दक्षिणी राजस्थान में मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त है। मानसून की लाइन अब मध्य भारत के आसपास है। 27 जुलाई से पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश और दिल्ली सहित पूरे भारत में बारिश की गतिविधियां बढ़ेंगी।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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जल्द कराएं अपना बिजली बिल आधा, पढ़ें पूरी जानकारी
तपती गर्मी के साथ बढ़ते बिजली का बिल आम जनता के लिए एक बड़ी परेशानी बना हुआ है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार ‘हाफ बिजली बिल योजना’ चला रही है। इसके माध्यम से प्रदेश के लोगों को बिजली के बिल का सिर्फ आधा भाग ही देना होगा। इतना ही नहीं, योजना के अन्तर्गत गरीबी रेखा के नीचे आने वाले लोगों को हर महीने 30 यूनिट तक बिजली मुफ्त दी जा रही है।
योजना का लाभ उठाने के लिए पात्रता
400 यूनिट तक बिजली की खपत करने वाले उपभोक्ताओं को इस योजना का लाभ प्राप्त होगा। 400 यूनिट से ज्यादा का बिल होने पर आप इस योजना से वंचित रह जाएंगे। इसके अलावा योजना का लाभ उन उपभोक्ताओं को मिलेगा, जिन्होंने अपने पिछले बकाया सभी बिजली के बिल को पूरा भरा हो।
बिजली बिल में 50% छूट पाने के लिए उपभोक्ता के पास मूल निवास का प्रमाण पत्र, पुराने बिजली बिल, पहचान पत्र और आधार कार्ड होना जरूरी है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको आधिकारिक वेबसाइट पर आवेदन करना होगा।
स्रोत : कृषि जागरण
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कद्दू वर्गीय फसलों में फूल और फल गिरने का कारण और रोकथाम के उपाय
कद्दू वर्गीय फसल जैसे लौकी, तोरई, तरबूज,खरबूज, पेठा, खीरा, टिण्डा, करेला आदि में फूल झड़ने व फल गिरने से पैदावार में भारी गिरावट आती है। इसके कारण निम्न हैं –
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परागण की कमी
विभिन्न तंत्रों के कारण परागण विफल हो सकता है तथा परागण की कमी, पराग कर्ता की कमी या विपरीत पर्यावरण के कारण पर परागण विफल हो सकता है।
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पोषक तत्वों की कमी
कई बार सही मात्रा में पौधे को पोषक तत्व नहीं मिल पाते जिसके कारण फूल एवं फल पूर्णरूप से विकसित नहीं हो पाते हैं और गिर जाते हैं। इसके लिए पौधे को गंधक, बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि तत्वों का मिलना बहुत जरूरी होता है
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जल की कमी /नमी :
पर्याप्त जल की कमी के कारण पौधे पोषक तत्वों को भूमि से अपनी जड़ों के द्वारा अवशोषित नहीं कर पाते जिसके कारण फूलों व फलों में कई प्रकार के तत्वों की कमी हो जाती है और वह गिरने लगते हैं। साथ ही अत्यधिक तापमान और तेज हवा के चलने से पानी का अत्यधिक वाष्पीकरण होता है। जिससे पेड़ों की पत्तियां मुरझा जाती हैं, जो फल गिरने का कारण बनती हैं।
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बीज का विकास
बीज से निकलने वाले ओक्सीटोक्सिन, पोधो से फलों को जोड़े रहने में सहायक होते हैं | परागण कम या नहीं होने पर, बीज सही से बन नहीं पाते या बीज का सही विकास नहीं हो पाता है, इन दोनों ही अवस्थाओं में फल अधिक मात्रा में गिरते हैं।
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कीट तथा बीमारियां
विभिन्न प्रकार के कीट एवं सूक्ष्म जीवों के पौधों में लगने से फल एवं फूल झड़ने लगते हैं।
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कार्बोहाइड्रेट की मात्रा :
फलों को बनाने और उन को विकसित करने के लिए कार्बोहाइड्रेट की ज्यादा मात्रा की जरूरत होती है और अगर पौधों में कार्बोहाइड्रेट का स्तर कम होता है तो फलों के झड़ने की समस्या अधिक होने लगती है।
फल एवं फूलों के झड़ने से रोकने के उपाय
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पोषक तत्वों का छिड़काव:- पौधों में समय-समय पर पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाना चाहिए। मुख्य एवं सूक्ष्म जैसे – बोरान, कैल्शियम, मैग्नीशियम आदि।
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सिंचाई:- आवश्यकता अनुसार एक निश्चित अंतराल से फसलों में सिंचाई करते रहना चाहिए जिससे पर्याप्त मात्रा में नमी बनी रहे। ध्यान रहे जरूरत से ज्यादा सिंचाई भी नुकसानदायक हो सकती है।
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गुड़ाई:- बेल वाली सब्जियों में समय-समय पर गुड़ाई व अन्य अंतर सस्य कार्य होते रहना चाहिए ताकि खेत खरपतवारों से मुक्त रहे। गोबर की अच्छी पकी हुई खाद या केंचुआ खाद (Vermicompost) का इस्तेमाल समय समय पर करना जरूरी है।
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कीट नियंत्रण : फसलों में कीट व बीमारी अधिक मात्रा में हानि पहुंचाते हैं। इसलिए समय पर देखरेख करें और कीट नियंत्रण करें।
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हार्मोन का संतुलन बनाए रखना : सामान्य फसल में, हार्मोन के असंतुलन के कारण भी अधिक नुकसान होता है| तो हार्मोन का संतुलन बनाए रखें। इसमें नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001%) @ 300 मिली प्रति एकड़, @ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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परागण कर्ता का उपयोग
इन फसलों के परागण के लिए मधुमक्खी या अन्य कीटों का होना आवश्यक है। इन कीटो की उपस्थिति के समय किसी भी प्रकार का छिडकाव या अन्य कृषि कार्य खेत में ना करें। इससे परागण के कार्य सरलता से व समय पर होता है।
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मध्य भारत पर मानसून हुआ केंद्रित, होगी भयंकर बारिश
मानसून की ट्रफ अब मध्य भारत की तरफ आ गई है जिसके प्रभाव से दक्षिणी राजस्थान, गुजरात के कई जिलों सहित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में तेज बारिश हो सकती है। मानसून ट्रफ के मध्य भारत की ओर बढ़ने के कारण पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में अगले दो-तीन दिनों के दौरान हल्की बारिश और कुछ मध्यम बौछारें पड़ सकती हैं।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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मक्का की फसल में 40 से 45 दिन की अवस्था में पोषक प्रबंधन
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मक्का खरीफ ऋतु की प्रमुख फसल है। हालांकि जहां सिंचाई के साधन हैं, वहां रबी और खरीफ की अगेती फसल के रूप में मक्का की खेती की जा सकती है। मक्का कार्बोहाइड्रेट का बहुत अच्छा स्रोत है। यह एक बहुपयोगी फसल है, मनुष्य के साथ- साथ पशुओं के आहार का प्रमुख अवयव भी है तथा मक्का की खेती का औद्योगिक क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है।
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मक्का फसल को खरपतवार रहित होना चाहिए। जिससे सीधे मुख्य फसल ही पोषक तत्व ग्रहण करेंगे और पोषक तत्व का नुकसान नहीं होगा एवं फसल भी स्वस्थ रहेगी।
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मक्का की अधिक पैदावार लेने के लिये पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं। यूरिया 35 किग्रा, सूक्ष्म पोषक तत्व मिश्रण केलबोर (बोरॉन 4 + कैल्शियम 11 + मैग्नीशियम 1 + पोटेशियम 1.7 + सल्फर 12 %) @ 5 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से भुरकाव करें।
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मक्का की फसल में 40 से 45 दिन की अवस्था में फूल आना शुरू होता है। ज्यादा फूल लगने के लिए, होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू (डबल) @ 100 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।
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