आपकी चना फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई से 41 से 45 दिन बाद – फूलों को बढ़ावा देना और हरी इल्ली और कवक रोगों का प्रबंधन

फूलों को बढ़ावा देने और फली छेदक और कवक रोगों के हमले को रोकने के लिए होमोब्रासिनोलाइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू (डबल) 100 मिली + एमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी (इमानोवा) 100 ग्राम प्रति एकड़ स्प्रे करें। यदि पत्तियों पर किसी भी प्रकार का लाल-भूरा कवक विकास देखा जाता है, तो इस छिड़काव में हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी (नोवाकोन) 400 ग्राम प्रति एकड़ डालें।

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बुवाई से 31 से 35 दिन बाद- उकठा रोग प्रबंधन

उकठा रोग को रोकने के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी (राइजोकेयर) 500 ग्राम या थियोफेनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू/डब्ल्यू (मिलडुविप) 500 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ रूट जोन के पास ड्रेंच करें/ डाले।

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बुवाई से 20 से 25 दिन बाद -इल्ली का प्रबंधन

वानस्पतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए और फली छेदक इल्ली और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगोरमैक्स जेल) 400 ग्राम + प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी (प्रोफेनोवा सुपर) 400 मिली + कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% (करमानोवा) 300 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

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बुवाई से 3 से 5 दिन बाद – पूर्व उद्धभव खरपतवार के लिए छिड़काव

उगने से पहले खरपतवार के प्रबंधन के लिए पेंडामेथालिन 38.7% ईसी (धनुटोप सुपर) 700 मिली प्रति एकड़ का 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

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बुवाई के दिन- मूलभूत पोषक तत्व प्रदान करने के लिए उर्वरकों की आधारभूत खुराक दें

बुवाई के तुरंत बाद उर्वरक की आधारभूत मात्रा निम्न प्रकार से डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- डीएपी- 40 किग्रा, एमओपी- 30 किग्रा + पीके बैक्टीरिया का संघ (प्रो कॉम्बिमैक्स) 1 किग्रा + ट्राइकोडर्मा विरिडी (राइजोकेयर) 500 ग्राम + समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा + राइजोबियम (जैव वाटिका आर ग्राम) 1 किलो प्रति एकड़।

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बुवाई से 1 दिन पहले- बीज़ उपचार

उचित अंकुरण के लिए बीजों को 4 से 5 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। फिर बीज को मिट्टी में फंगस या कीड़ों से बचाने के लिए ट्राइकोडर्मा विरिडी + पीएसबी + राइजोबियम (राइजोकेयर 5 ग्राम + पी राइज 2 ग्राम) प्रति किलो बीज या कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% डब्ल्यूपी (विटावैक्स अल्ट्रा) 2.5 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। बुवाई से तीन दिन पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।

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बुवाई से 8 से 10 दिन पहले- खेत की तैयारी और खाद का आवेदन

1000 किलो गोबर की खाद में कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया (स्पीड कम्पोस्ट) 4 किलो प्रति एकड़ डालें। अच्छी तरह मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र में मिट्टी में फैला दें। फिर जमीन की दो बार जुताई करके उसे समतल कर दें।

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आपकी गेहू फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 115 से 120 दिन बाद- कटाई की अवस्था

बालियों के पक जाने (भौतिक परिपक्वता) पर फसल को तुरन्त काट लेना चाहिए अन्यथा दाने झड़ने की साम्भावना होती हे। खराब मौसम की दशा में कम्बाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग श्रेयस्कर है जिससे हानियों से बचा जा सकता है।

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100-110 बुवाई के बाद- अनाज के उचित सुखने और परिपक्वता के लिए सिंचाई बंद कर दें

अनाज भरने की अवस्था के बाद फसल को अंतिम सिंचाई दें ताकि उचित परिपक्वता हो और अनाज अच्छे से सूख सके। इसके बाद सिंचाई बंद कर दें।

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बुवाई के 85-90 दिन बाद- अनाज का आकार बढ़ाने और पाले की चोट से बचाव के लिए

दानों का आकार बढ़ाने और गेरुआ रोग के नियंत्रण के लिए 00:00:50 (ग्रोमोर) 1 किलो + प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी (ज़ेरॉक्स) 200 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे। फसल को पाले से बचाने के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस (मोनास कर्ब) 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से इस छिड़काव में मिलाए।

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