बुवाई के बाद 3 से 5 दिनों में- पूर्व उद्भव खरपतवारो के नियंत्रण के लिए
अंकुरण से पहले खरपतवार के प्रबंधन के लिए 200 लीटर पानी में पेण्डामैथलीन 38.7 CS [धानुटॉप सुपर] 700 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे |
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बुवाई के बाद 3 से 5 दिनों में- पूर्व उद्भव खरपतवारो के नियंत्रण के लिए
अंकुरण से पहले खरपतवार के प्रबंधन के लिए 200 लीटर पानी में पेण्डामैथलीन 38.7 CS [धानुटॉप सुपर] 700 मिली प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे |
Shareबुवाई के 1 से 2 दिन बाद- बेसल खुराक और पहली सिंचाई
बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और नीचे दिए गए उर्वरको का मिट्टी अनुप्रयोग करें – यूरिया- 20 किग्रा + ट्राइकोडर्मा विराइड [राइज़ोकेयर] 500 ग्राम + एनपीके बैक्टीरिया कन्सोर्टिया [टीम बायो -3] 100 ग्राम + जेडएनएसबी [ताबा जी] 100 ग्राम + समुद्री शैवाल, ह्यूमिक, अमीनो और माइकोराइजा [मैक्समाइको ] 2 किलो प्रति एकड़ l
Shareबुवाई के दिन- बीज उपचार
बीज को मिट्टी में लगने वाले फफूंद या कीटों से बचाने के लिए बीज को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% [कर्मानोवा ] 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई से पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।
Shareबुवाई से 1 से 3 दिन पहले- भूमि की अंतिम तैयारी
डीएपी 50 किग्रा + बोरोनेटेड एसएसपी दानेदार 75 किग्रा + एमओपी 75 किग्रा + जिंक सल्फेट 10 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 10 किग्रा / एकड़ की दर से बुवाई से पहले मिट्टी में मिलाएं l
Shareबुवाई से 6 से 8 दिन पहले- क्यारियों की तैयारी और दूरी
1.2 मीटर चौड़ाई और 30 सेमी की ऊंचाई के बेड को तैयार करें और रोपण के दौरान पौधे को पौधे से दूरी 1 फीट रखें।
Shareबुवाई से 8 से 10 दिन पहले- खेत की तैयारी
गोबर की खाद 4 एमटी + कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया 4 किलो अच्छी तरह से मिलाकर एक एकड़ क्षेत्र की मिट्टी में मिलाएं l
Shareबुवाई से 90 से 110 दिन बाद – कटाई की अवस्था
जब फसल सूख जाए और कठोर हो जाए तब फसल की कटाई करें। अनाज को 6 से 7 दिनों तक सूरज की रोशनी में सुखाएं।
Shareबुवाई से 71 से 75 दिन बाद- अंतिम सिंचाई
अनाज के अच्छे विकास के लिए अनाज भरने के दौरान फसल को अंतिम सिंचाई दें। इसके बाद सिंचाई बंद कर दें।
Shareबुवाई से 55 से 60 दिन बाद – अनाज का आकार बढ़ाएं
अनाज का आकार बढ़ाने के लिए 00:00:50 (ग्रोमोर) 800 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें। खेत में निरीक्षण करें, यदि फली में छोटे छेद या इल्ली देखे जाते हैं, तो इस छिड़काव में क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी (कोराजन) 60 मिली या फ्लुबेंडामाइड 20% डब्ल्यूजी (टाकुमी) 80 मिली मिलाएं।
Shareबुवाई के 46 से 50 दिन बाद- फूल आने पर सिंचाई करें
फूल आने की अवस्था में फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट (मुरझाने) जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी निकाल दें।
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