गिलकी की फसल को मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, जानें नियंत्रण के उपाय

How to control Mites in Sponge gourd
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं जो गिलकी की फसल के कोमल अंगों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। ये पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
  • इसके नियंत्रण हेतु प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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पुराने संग्रहित किए गए गोबर पर डीकम्पोजर का उपयोग कैसे करें?

How to use Decomposer on old stored dung
  • किसान अपने खेत पर इकट्ठा किये गए गोबर को डीकम्पोजर की सहायता से आसानी से उपयोगी खाद में बदल सकते हैं।
  • 4 किलो डीकम्पोजर कल्चर 2-3 टन गोबर के लिए उपयुक्त रहता है।
  • इसके लिए गोबर के ढेर को सबसे पहले अच्छे से पानी से गीला कर लें।
  • इसके बाद डीकम्पोजर कल्चर को अच्छे से 200 लीटर पानी में मिलाएं एवं तैयार किये गए इस पूरे मिश्रण का गोबर के ढेर पर छिड़काव करें।
  • छिड़काव करते समय अगर संभव हो तो गोबर के ढेर को पलटते रहें। ऐसा करने से डीकम्पोजर कल्चर अच्छी तरह से गोबर में मिल जाएगा।
  • इस प्रकार गोबर के ढेर में नमी की मात्रा अच्छे से बनाकर रखें। इससे गोबर बहुत जल्द खाद में परिवर्तित हो जाता है।
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तरबूज की 25-30 दिन की फसल अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबधन

Benefits of nutrition management in watermelon crop in 25 to 30 days
  • तरबूज की फसल में 25 से 30 दिनों की अवस्था दरअसल फूल आने की अवस्था होती है।
  • इस अवस्था में स्वस्थ फूल बने, फूलों का विकास अच्छा हो एवं समय से पहले फूल ना गिरे नहीं इसके लिए इस अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए 10:26:26 @ 100 किलो/एकड़ + MOP @ 25 किलो/एकड़ + बोरान @ 800 ग्राम/एकड़ + कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • इस प्रकार पोषण प्रबंधन करने से तरबूज़ की फसल में NPK, बोरान, पोटाश एवं कैल्शियम नाइट्रेट की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

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टमाटर की फसल का मकड़ी के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

How to control tomato crop from mite outbreak
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं और टमाटर की फसल के कोमल भागों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
  • प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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गेहूँ की कटाई के बाद फसल अवशेष पर ऐसे करें डीकम्पोजर का उपयोग

How to use decomposer after harvesting of wheat
  • गेहूँ की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं।
  • इन अवशेषों के कारण अगली लगाई जाने वाली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।
  • कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नई फसल में ना हो इसके लिए गेहूँ की कटाई के बाद खाली खेत में या फिर फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोजर का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोजर का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।
  • इसके अलावा ग्रामोफोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोजर उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ में 10 किलो यूरिया के साथ मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।
  • जब डीकम्पोजर का उपयोग किया जा रहा हो तो इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
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कद्दू वर्गीय फसलों को स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस के उपयोग से मिलते हैं कई लाभ

Benefits of Pseudomonas fluorescens in cucurbits crops
  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस एक जैविक कवकनाशी एवं जीवाणु नाशी की तरह कार्य करता है।
  • यह कद्दू वर्गीय फसलों को कवक जनित, जीवाणु जनित, मिट्टी जनित एवं बीज़ जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • बदलते मौसम के कारण फसलों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से यह फसल की रक्षा करता है।
  • यह कद्दू वर्गीय फसलों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कद्दूवर्गीय फसलों में अच्छे जड़ विकास, फल विकास, फूल विकास अड्डी में भी यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस कद्दूवर्गीय फसलों को प्रभावित करने वाले रोग जैसे आर्द्र गलन, जड़ गलन, उकठा, तना गलन, फल सड़न, तना झुलसा आदि की रोकथाम में भी सहायक होता है।
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टमाटर की फसल के लिए पोटाश होता है बहुत महत्वपूर्ण

Importance of Potash for Tomato Crop
  • टमाटर की फसल में अच्छे फल उत्पादन के लिए पोटाश का बहुत अधिक महत्व होता है।
  • फसल की शुरुआती अवस्था में पोटाश का उपयोग जमीन से करने पर टमाटर की जड़ों का विकास बहुत अच्छा होता है।
  • पोटाश पौधों में संश्लेषित शर्करा को फलों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पोटाश प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को भी बढ़ावा देता है।
  • टमाटर के सुर्ख़ लाल रंग के लिए आवश्यक लाइकोपेन के निर्माण के लिए भी पोटाश जरूरी है।
  • पोटाश टमाटर के फल का वजन बढ़ाने में भी मदद करता है।

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बारिश और ओलावृष्टि के कारण मध्य प्रदेश में बदल गई एमएसपी पर खरीदी की तारीख

Purchase date on MSP changed in Madhya Pradesh due to rain and hail

फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए अलग-अलग राज्यों के सरकारों द्वारा किसानों से पंजीकरण करवाया जाता है। अगर बात करें मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हेतु किसानों के पंजीकरण का तो इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। हालांकि यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में अभी तक चल रही है। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से उपज खरीदने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इस बाबत किसानों से उपज खरीदने की तारीख भी निर्धारित हो चुकी है।

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा था कि मध्य प्रदेश के किसानों से गेहूँ, सरसों, चना और मसूर की खरीदी 15 मार्च तक कराई जाएगी। लेकिन बारिश और ओलावृष्टि के कारण इस तारीख से खरीदी की शुरुआत नहीं हो पाई है। अब खबर है की खरीदी की प्रक्रिया 22 मार्च से शुरू की जाएगी।

स्रोत: किसान समाधान

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तरबूज में फल वृद्धि एवं अच्छी गुणवत्ता पाने के लिए जरूर अपनाएं ये उपाय

What to do to increase the fruit quality of watermelon
  • तरबूज की फसल में यदि फलों की गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है तो किसानों को उपज पर अच्छी आय की भी प्राप्ति हो जाती है।
  • तरबूज में फल लगने की शुरूआती अवस्था में पोटाश (MOP) @ 2 किलो/एकड़ की दर से प्रतिदिन जमीन में टपक पद्धति से देना चाहिए।
  • पोटाश के उपयोग से तरबूज़ के फल का आकर बहुत अच्छा बनता है।
  • इसी के साथ प्रॉमिनोमेक्स @ 30 मिली/पंप की दर से छिड़काव करें साथ ही PK का बैक्टीरिया @ 1 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • प्रॉमिनोमेक्स एवं प्रोकॉम्बिमेक्स दोनों ही तरबूज के फल की चमक एवं उसके रंग को अच्छा बनने के लिए कार्य करते हैं।
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कद्दूवर्गीय फसल का उत्पादन बढ़ाने में मददगार होती है मधुमक्खी

Know how a bee works as a good pollinator in pumpkin crops
  • ग्रीष्मकालीन फसलों के रूप में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत अधिक मात्रा में लगाई जाती हैं।
  • बदलते मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल के विकास के समय बहुत समस्या आती है।
  • मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • कद्दूवर्गीय फसल में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।
  • मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है, जो पराग कणों को उठा लेते हैं। इसके बाद वे पराग कण को एकत्रित कर मादा फूलों तक पहुँचाते हैं।
  • मधुमक्खी इन फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है।
  • उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।
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