मध्य प्रदेश के मंडियों में 25 मार्च को क्या रहे फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

 

मंडी फसल न्यूनतम अधिकतम मॉडल
हरसूद सोयाबीन 3800 5711 5550
हरसूद तुवर 4702 5702 5401
हरसूद गेहूं 1601 1700 1681
हरसूद चना 4100 4619 4551
हरसूद मक्का 1244 1281 1260
हरसूद सरसो 4200 4555 4200
खरगोन कपास 4800 6465 5850
खरगोन गेहूं 1650 1910 1720
खरगोन चना 4801 4655 4411
खरगोन मक्का 1226 1399 1245
खरगोन सोयाबीन 5401 5690 5651
खरगोन डॉलर चना 7150 7805 7650
खरगोन तुवर 5000 5891 5611
खरगोन सरसो 4601 4601 4601
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तरबूज की फसल में मौसम परिवर्तन के कारण हो सकते हैं ये रोग

These diseases can be caused due to change in weather in watermelon crop
  • मौसम में आये अचानक परिवर्तन के कारण कहीं-कहीं बहुत अधिक बारिश हुई है।
  • इसके कारण तरबूज की फसल में कवक रोगों के प्रकोप की सम्भावना बहुत बढ़ गई है।
  • इसके अलावा तरबूज की फसल में इस समय अल्टेरनेरिया ब्लाइट, गमी स्टेम ब्लाइट, उकठा रोग आदि हो सकते है। इसके नियंत्रण के लिए इन रोगो पर प्रभावी उत्पादों का उपयोग अवश्य करें।
  • इन उत्पादों के उपयोग से तरबूज़ की फसल में होने वाले रोगों से फसल को बचाया जा सकता है।
  • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा: इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • गमी स्टेम ब्लाइट/उकठा रोग: कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

 

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कद्दू वर्गीय फसलों की गर्मियों के मौसम में जरूरी है सुरक्षा

How to protect cucurbits crops in summer
  • गर्मियों के मौसम में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत मात्रा में लगायी जाती है।
  • गर्मियों में लगने के कारण सूर्य के तेज प्रकाश के कारण इन फसलों के फल में सन स्ट्रेचिंग हो जाती है।
  • इसके कारण फसल की गुणवत्ता बहुत प्रभावित होती है।
  • किसानों ने इस समस्या से बचने के लिए लगाई गई फसल के फल को घास से ढककर रखें।
  • इसके अलावा फसल में नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए।
  • नियमित सिंचाई करने से मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है।

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करेले में लीफ माइनर कीट से होने वाले नुकसान एवं बचाव के उपाय

Control of leaf miner in Bitter gourd
  • लीफ माइनर कीट के वयस्क गहरे रंग के होते।
  • यह कीट करेले की पत्तियों पर आक्रमण करता है।
  • इसके प्रकोप से पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती हैं। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण होता है।
  • इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
  • ग्रसित पौधों की फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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गिलकी की फसल को मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, जानें नियंत्रण के उपाय

How to control Mites in Sponge gourd
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं जो गिलकी की फसल के कोमल अंगों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। ये पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
  • इसके नियंत्रण हेतु प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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पुराने संग्रहित किए गए गोबर पर डीकम्पोजर का उपयोग कैसे करें?

How to use Decomposer on old stored dung
  • किसान अपने खेत पर इकट्ठा किये गए गोबर को डीकम्पोजर की सहायता से आसानी से उपयोगी खाद में बदल सकते हैं।
  • 4 किलो डीकम्पोजर कल्चर 2-3 टन गोबर के लिए उपयुक्त रहता है।
  • इसके लिए गोबर के ढेर को सबसे पहले अच्छे से पानी से गीला कर लें।
  • इसके बाद डीकम्पोजर कल्चर को अच्छे से 200 लीटर पानी में मिलाएं एवं तैयार किये गए इस पूरे मिश्रण का गोबर के ढेर पर छिड़काव करें।
  • छिड़काव करते समय अगर संभव हो तो गोबर के ढेर को पलटते रहें। ऐसा करने से डीकम्पोजर कल्चर अच्छी तरह से गोबर में मिल जाएगा।
  • इस प्रकार गोबर के ढेर में नमी की मात्रा अच्छे से बनाकर रखें। इससे गोबर बहुत जल्द खाद में परिवर्तित हो जाता है।
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तरबूज की 25-30 दिन की फसल अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबधन

Benefits of nutrition management in watermelon crop in 25 to 30 days
  • तरबूज की फसल में 25 से 30 दिनों की अवस्था दरअसल फूल आने की अवस्था होती है।
  • इस अवस्था में स्वस्थ फूल बने, फूलों का विकास अच्छा हो एवं समय से पहले फूल ना गिरे नहीं इसके लिए इस अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए 10:26:26 @ 100 किलो/एकड़ + MOP @ 25 किलो/एकड़ + बोरान @ 800 ग्राम/एकड़ + कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • इस प्रकार पोषण प्रबंधन करने से तरबूज़ की फसल में NPK, बोरान, पोटाश एवं कैल्शियम नाइट्रेट की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

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टमाटर की फसल का मकड़ी के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

How to control tomato crop from mite outbreak
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं और टमाटर की फसल के कोमल भागों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
  • प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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गेहूँ की कटाई के बाद फसल अवशेष पर ऐसे करें डीकम्पोजर का उपयोग

How to use decomposer after harvesting of wheat
  • गेहूँ की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं।
  • इन अवशेषों के कारण अगली लगाई जाने वाली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।
  • कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नई फसल में ना हो इसके लिए गेहूँ की कटाई के बाद खाली खेत में या फिर फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोजर का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।
  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोजर का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।
  • इसके अलावा ग्रामोफोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोजर उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ में 10 किलो यूरिया के साथ मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।
  • जब डीकम्पोजर का उपयोग किया जा रहा हो तो इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
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कद्दू वर्गीय फसलों को स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस के उपयोग से मिलते हैं कई लाभ

Benefits of Pseudomonas fluorescens in cucurbits crops
  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस एक जैविक कवकनाशी एवं जीवाणु नाशी की तरह कार्य करता है।
  • यह कद्दू वर्गीय फसलों को कवक जनित, जीवाणु जनित, मिट्टी जनित एवं बीज़ जनित रोगों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • बदलते मौसम के कारण फसलों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से यह फसल की रक्षा करता है।
  • यह कद्दू वर्गीय फसलों में गमी स्टेम ब्लाइट रोग को नियंत्रित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कद्दूवर्गीय फसलों में अच्छे जड़ विकास, फल विकास, फूल विकास अड्डी में भी यह बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस कद्दूवर्गीय फसलों को प्रभावित करने वाले रोग जैसे आर्द्र गलन, जड़ गलन, उकठा, तना गलन, फल सड़न, तना झुलसा आदि की रोकथाम में भी सहायक होता है।
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