करेले की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू का नियंत्रण कैसे करें?

How to control powdery mildew in bitter gourd crops
  • आमतौर पर पाउडरी मिल्ड्यू रोग करेले के पौधे की पत्तियों को प्रभावित करता है, जो की पत्तियों की निचले एवं ऊपरी भाग पर आक्रमण करता है।
  • इसके कारण करेले की पत्तियों की ऊपरी एवं निचली सतह पर पीले से सफेद रंग के पाउडर दिखाई देते हैं।
  • इनके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग से फसलों को होगा नुकसान, जानें प्रबंधन के उपाय

Alternatoria leaf blight disease
  • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग किसी भी में फसल बुआई के बाद से ही दिखाई देने लगता है।
  • इस रोग के कारण पत्तियों पर भूरे रंग के सकेंद्रिय गोल धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं और आखिर में ग्रसित पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।
  • इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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कई स्वास्थ्य लाभ देता है अश्वगंधा, जानें इसके फायदे

Ashwagandha gives many health benefits
  • अश्वगंधा एक चमत्कारी औषधि के रूप में काम करती है। यह शरीर को बीमारियों से बचाने के अलावा दिमाग और मन को भी स्वस्थ रखती है।
  • अश्वगंधा का सेवन करने से दिल संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
  • इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते हैं।
  • इसका सेवन से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है और बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी कम होता है।

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ककड़ी की फसल में बारिश के बाद अब बढ़ेगी ये समस्याएं

After the rain these problems will increase in cucumber crop
  • ककड़ी की फसल एक मुख्य कद्दू वर्गीय फसल है और पिछले दिनों मौसम में अचानक आये  परिवर्तन से फसल में नुकसान की संभावना है। 
  •  मौसम परिवर्तन के कारण ककड़ी में अल्टेरनेरिया ब्लाइट, पाउडरी मिल्डूयू, डाउनी मिल्डूयू का प्रकोप हो सकता है। 

इनके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग अवश्य करें  

  • अल्टरनेरिया पत्ती  धब्बा  रोग : इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/ एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पाउडरी  मिल्डूयू: इसके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें। 
  • जैविक उपचार रूप में  ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाउनी मिल्डूयू: टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG @ 150 ग्राम/एकड़ या  मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • फसल चक्र अपनाएँ एवं खेत में साफ़ सफाई रखें।

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मौसम में हुए परिवर्तनों से मूंग की फसल पर हो सकता है बुरा प्रभाव

Changes in the weather can cause a bad effect on the moong crop
  • देश के कई क्षेत्रों में पिछले दिनों बारिश हुई है जिसके कारण मिट्टी में नमी की मात्रा बहुत अधिक हो गई है। इसके कारण कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक हो सकता है।
  • मूंग की फसल में अंकुरण अवस्था में पौध गलन (डंपिंग ऑफ), सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग होने की संभावना अधिक है।
  • इसके नियंत्रण के लिए जरूरी उत्पादों का उपयोग समय से करना बहुत आवश्यक है।
  • सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग: थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • पौध गलन (डंपिंग ऑफ): कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 30 ग्राम/पंप या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 50 ग्राम/पंप या मैनकोज़ेब 64% + मेटालेक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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मध्य प्रदेश के मंडियों में 25 मार्च को क्या रहे फसलों के भाव

Mandi Bhaw Madhya Pradesh

 

मंडी फसल न्यूनतम अधिकतम मॉडल
हरसूद सोयाबीन 3800 5711 5550
हरसूद तुवर 4702 5702 5401
हरसूद गेहूं 1601 1700 1681
हरसूद चना 4100 4619 4551
हरसूद मक्का 1244 1281 1260
हरसूद सरसो 4200 4555 4200
खरगोन कपास 4800 6465 5850
खरगोन गेहूं 1650 1910 1720
खरगोन चना 4801 4655 4411
खरगोन मक्का 1226 1399 1245
खरगोन सोयाबीन 5401 5690 5651
खरगोन डॉलर चना 7150 7805 7650
खरगोन तुवर 5000 5891 5611
खरगोन सरसो 4601 4601 4601
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तरबूज की फसल में मौसम परिवर्तन के कारण हो सकते हैं ये रोग

These diseases can be caused due to change in weather in watermelon crop
  • मौसम में आये अचानक परिवर्तन के कारण कहीं-कहीं बहुत अधिक बारिश हुई है।
  • इसके कारण तरबूज की फसल में कवक रोगों के प्रकोप की सम्भावना बहुत बढ़ गई है।
  • इसके अलावा तरबूज की फसल में इस समय अल्टेरनेरिया ब्लाइट, गमी स्टेम ब्लाइट, उकठा रोग आदि हो सकते है। इसके नियंत्रण के लिए इन रोगो पर प्रभावी उत्पादों का उपयोग अवश्य करें।
  • इन उत्पादों के उपयोग से तरबूज़ की फसल में होने वाले रोगों से फसल को बचाया जा सकता है।
  • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा: इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • गमी स्टेम ब्लाइट/उकठा रोग: कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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कद्दू वर्गीय फसलों की गर्मियों के मौसम में जरूरी है सुरक्षा

How to protect cucurbits crops in summer
  • गर्मियों के मौसम में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत मात्रा में लगायी जाती है।
  • गर्मियों में लगने के कारण सूर्य के तेज प्रकाश के कारण इन फसलों के फल में सन स्ट्रेचिंग हो जाती है।
  • इसके कारण फसल की गुणवत्ता बहुत प्रभावित होती है।
  • किसानों ने इस समस्या से बचने के लिए लगाई गई फसल के फल को घास से ढककर रखें।
  • इसके अलावा फसल में नियमित सिंचाई करते रहना चाहिए।
  • नियमित सिंचाई करने से मिट्टी का तापमान नियंत्रित रहता है।

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करेले में लीफ माइनर कीट से होने वाले नुकसान एवं बचाव के उपाय

Control of leaf miner in Bitter gourd
  • लीफ माइनर कीट के वयस्क गहरे रंग के होते।
  • यह कीट करेले की पत्तियों पर आक्रमण करता है।
  • इसके प्रकोप से पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती हैं। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण होता है।
  • इससे पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
  • ग्रसित पौधों की फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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गिलकी की फसल को मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, जानें नियंत्रण के उपाय

How to control Mites in Sponge gourd
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते हैं जो गिलकी की फसल के कोमल अंगों जैसे पत्तियां, फूल, कलियों एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियों पर सफ़ेद रंग के धब्बे बन जाते हैं।
  • जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। ये पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में पौधा मर जाता है।
  • इसके नियंत्रण हेतु प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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