वर्मी कम्पोस्ट बनाते समय अपनाई जाने वाली सावधानियां

Precautions to be taken while preparing vermicompost
  • वर्मी बेडों में केंचुआ छोड़ने से पूर्व कच्चे माल (गोबर व आवश्यक कचरा) का आंशिक विच्छेदन जरूर करें। इस प्रक्रिया में 15 से 20 दिन का समय लगता है और इसे करना अति आवश्यक होता है।
  • वर्मी बेडों में भरे गये कचरे में कम्पोस्ट तैयार होने तक 30 से 40 प्रतिशत नमी बनाये रखें। कचरे में नमी कम या अधिक होने पर केंचुए ठीक तरह से कार्य नहीं करते हैं।
  • वर्मी बेड में ताजे गोबर का उपयोग कदापि न करें। ताजे गोबर में गर्मी अधिक होने के कारण केंचुए मर जाते हैं अतः उपयोग से पहले ताजे गोबर को 4 व 5 दिन तक ठंडा अवश्य होने दें।
  • केंचुआ खाद बनाने के दौरान किसी भी तरह के कीटनाशकों का उपयोग न करें।
  • कचरे का पी. एच. उदासीन (7.0 के आसपास) रहने पर केंचुए तेजी से कार्य करते हैं। अतः वर्मीकम्पोस्टिंग के दौरान कचरे का पी.एच. उदासीन बनाये रखे। इसके लिए कचरा भरते समय उसमें राख अवश्य मिलाएं।

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जायद सीजन में खीरे की खेती से कमाएं बंपर मुनाफा

Earn bumper profits from cucumber cultivation in Zaid Season
  • खीरा गर्मियों में लगाई जाने वाली एक बहुत महत्वपूर्ण फसल है।
  • इस मौसम में दलहनी फसलों के अलावा यदि कोई सबसे ज्यादा लाभ देने वाली फसल है तो वह है खीरा जिसकी खेती कर किसान भारी मुनाफा कमा सकते हैं।
  • खीरे के लिए आवश्यक उन्नतशील प्रजातियों का चयन करें। इनमें स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण अगेती, कल्याणपुर हरा, पन्त खीरा-1, फाइन सेट, जापानी लांग ग्रीन आदि शामिल हैं।
  • जायद सीजन में खीरे की फसल लगाने के लिए बीज प्रति एकड़ 300-350 ग्राम लगता है।
  • जायद के खीरे की फसल की बुआई मार्च के माह में कर लेनी चाहिए। अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए समय समय पर आवश्यक उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करें।
  • सावधानी पूर्वक समय से सिंचाई करते रहना चाहिए। पानी की उपलब्धता वाले खेतों का चयन करना चाहिये।

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फसल चक्र अपनाने से मिलते हैं कई फायदे, पढ़ें पूरी जानकारी

What is crop rotation and its benefits
  • मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए विभिन्न फसलों को किसी निश्चित क्षेत्र पर, एक निश्चित क्रम से, किसी निश्चित समय में बोने को फसल चक्र कहते है।
  • इसका उद्देश्य पौधों के भोज्य तत्वों का सदुपयोग तथा भूमि की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशाओं में संतुलन स्थापित करना है।
  • किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए फसल चक्र एक बहुत महत्वपूर्ण कारक होता है।
  • फसल चक्र के प्रकार फसल बोये जाने वाले मौसम पर निर्भर करते हैं। इनमें खरीफ के मौसम का फसल चक्र, रबी के मौसम का फसल चक्र, जायद के मौसम का फसल चक्र शामिल है।

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टमाटर की फसल में जड़ ग्रंथि निमेटोड से होगा नुकसान

Damage from root knot nematode in tomato
  • जड़ ग्रंथि निमेटोड छोटे ‘ईलवर्म’ होते हैं जो मिट्टी में रहते हैं।
  • अक्सर ये नेमाटोड टमाटर की जड़ों में प्रवेश करते हैं और जैसे-जैसे इनकी संख्या बढ़ती जाती है, छोटी जड़ें नष्ट होती जाती हैं, और अनियमित आकार की गठाने बन जाती हैं।
  • यह कीट टमाटर की फसल में नर्सरी अवस्था में ज्यादा आक्रमण करता है।
  • इसके कारण टमाटर की फसल पूरी तरह से खराब हो जाती है।
  • बचाव हेतु कारबोफुरान 3% GR@ 8-10 किलो/एकड़ या कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50% SP की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में पॅसिलोमायसिस लीनेसियस @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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फल छेदक कीट से बैंगन की फसल का ऐसे करें बचाव

How to protect brinjal crop from fruit borer
  • इस कीट के मादा रूप हल्के पीले सफ़ेद रंग के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर एवं तने, फूल  कलिकाओं या फलों के निचले भाग पर देती हैं।
  • अंडे से निकली हुई इल्ली 15-18 मिमी. लम्बी हल्के सफ़ेद रंग की होती है, जो व्यस्क होने पर हल्के गुलाबी रंग में परिवर्तित हो जाती है।
  • यह प्रारंभिक अवस्था में छोटी इल्ली रहती है, जो तने में छेद करके तने के अंदर प्रवेश करती है जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सुख जाती हैं।
  • बाद में इल्ली फलों में छेद कर प्रवेश करती है और गुदे को खा जाती है।
  • इसकी लार्वा अवस्था का जीवन चक्र पूरा हो जाने पर ये तने, सुखी शाखाओं या गिरी हुई पत्तियों पर प्यूपा का निर्माण करती है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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करेले की फसल में पाउडरी मिल्ड्यू का नियंत्रण कैसे करें?

How to control powdery mildew in bitter gourd crops
  • आमतौर पर पाउडरी मिल्ड्यू रोग करेले के पौधे की पत्तियों को प्रभावित करता है, जो की पत्तियों की निचले एवं ऊपरी भाग पर आक्रमण करता है।
  • इसके कारण करेले की पत्तियों की ऊपरी एवं निचली सतह पर पीले से सफेद रंग के पाउडर दिखाई देते हैं।
  • इनके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग से फसलों को होगा नुकसान, जानें प्रबंधन के उपाय

Alternatoria leaf blight disease
  • अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग किसी भी में फसल बुआई के बाद से ही दिखाई देने लगता है।
  • इस रोग के कारण पत्तियों पर भूरे रंग के सकेंद्रिय गोल धब्बे दिखाई देते हैं। यह धब्बे धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं और आखिर में ग्रसित पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।
  • इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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कई स्वास्थ्य लाभ देता है अश्वगंधा, जानें इसके फायदे

Ashwagandha gives many health benefits
  • अश्वगंधा एक चमत्कारी औषधि के रूप में काम करती है। यह शरीर को बीमारियों से बचाने के अलावा दिमाग और मन को भी स्वस्थ रखती है।
  • अश्वगंधा का सेवन करने से दिल संबंधित बीमारियों का खतरा कम हो जाता है।
  • इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होते हैं।
  • इसका सेवन से दिल की मांसपेशियां मजबूत होती है और बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल भी कम होता है।

ऐसे ही अन्य घरेलु नुस्खे और कृषि से सम्बंधित हर जानकारी के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन एप के लेख। नीचे दिए गए शेयर बटन से इस लेख को अपने मित्रों के साथ साझा करें।

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ककड़ी की फसल में बारिश के बाद अब बढ़ेगी ये समस्याएं

After the rain these problems will increase in cucumber crop
  • ककड़ी की फसल एक मुख्य कद्दू वर्गीय फसल है और पिछले दिनों मौसम में अचानक आये  परिवर्तन से फसल में नुकसान की संभावना है। 
  •  मौसम परिवर्तन के कारण ककड़ी में अल्टेरनेरिया ब्लाइट, पाउडरी मिल्डूयू, डाउनी मिल्डूयू का प्रकोप हो सकता है। 

इनके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग अवश्य करें  

  • अल्टरनेरिया पत्ती  धब्बा  रोग : इस रोग के निवारण के लिए कार्बेडेंजियम 12% + मैंकोजेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन@ 300 ग्राम/ एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • पाउडरी  मिल्डूयू: इसके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें। 
  • जैविक उपचार रूप में  ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • डाउनी मिल्डूयू: टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG @ 150 ग्राम/एकड़ या  मेटालैक्सिल 4% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • फसल चक्र अपनाएँ एवं खेत में साफ़ सफाई रखें।

अपनी हर फसल के खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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मौसम में हुए परिवर्तनों से मूंग की फसल पर हो सकता है बुरा प्रभाव

Changes in the weather can cause a bad effect on the moong crop
  • देश के कई क्षेत्रों में पिछले दिनों बारिश हुई है जिसके कारण मिट्टी में नमी की मात्रा बहुत अधिक हो गई है। इसके कारण कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक हो सकता है।
  • मूंग की फसल में अंकुरण अवस्था में पौध गलन (डंपिंग ऑफ), सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग होने की संभावना अधिक है।
  • इसके नियंत्रण के लिए जरूरी उत्पादों का उपयोग समय से करना बहुत आवश्यक है।
  • सर्कोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग: थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • पौध गलन (डंपिंग ऑफ): कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 30 ग्राम/पंप या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 50 ग्राम/पंप या मैनकोज़ेब 64% + मेटालेक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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