टमाटर की फसल के लिए पोटाश होता है बहुत महत्वपूर्ण

Importance of Potash for Tomato Crop
  • टमाटर की फसल में अच्छे फल उत्पादन के लिए पोटाश का बहुत अधिक महत्व होता है।
  • फसल की शुरुआती अवस्था में पोटाश का उपयोग जमीन से करने पर टमाटर की जड़ों का विकास बहुत अच्छा होता है।
  • पोटाश पौधों में संश्लेषित शर्करा को फलों तक पहुंचाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • पोटाश प्राकृतिक नत्रजन की कार्य क्षमता को भी बढ़ावा देता है।
  • टमाटर के सुर्ख़ लाल रंग के लिए आवश्यक लाइकोपेन के निर्माण के लिए भी पोटाश जरूरी है।
  • पोटाश टमाटर के फल का वजन बढ़ाने में भी मदद करता है।

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बारिश और ओलावृष्टि के कारण मध्य प्रदेश में बदल गई एमएसपी पर खरीदी की तारीख

Purchase date on MSP changed in Madhya Pradesh due to rain and hail

फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए अलग-अलग राज्यों के सरकारों द्वारा किसानों से पंजीकरण करवाया जाता है। अगर बात करें मध्य प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी हेतु किसानों के पंजीकरण का तो इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया है। हालांकि यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में अभी तक चल रही है। मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से उपज खरीदने की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। इस बाबत किसानों से उपज खरीदने की तारीख भी निर्धारित हो चुकी है।

मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने कहा था कि मध्य प्रदेश के किसानों से गेहूँ, सरसों, चना और मसूर की खरीदी 15 मार्च तक कराई जाएगी। लेकिन बारिश और ओलावृष्टि के कारण इस तारीख से खरीदी की शुरुआत नहीं हो पाई है। अब खबर है की खरीदी की प्रक्रिया 22 मार्च से शुरू की जाएगी।

स्रोत: किसान समाधान

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तरबूज में फल वृद्धि एवं अच्छी गुणवत्ता पाने के लिए जरूर अपनाएं ये उपाय

What to do to increase the fruit quality of watermelon
  • तरबूज की फसल में यदि फलों की गुणवत्ता बहुत अच्छी रहती है तो किसानों को उपज पर अच्छी आय की भी प्राप्ति हो जाती है।
  • तरबूज में फल लगने की शुरूआती अवस्था में पोटाश (MOP) @ 2 किलो/एकड़ की दर से प्रतिदिन जमीन में टपक पद्धति से देना चाहिए।
  • पोटाश के उपयोग से तरबूज़ के फल का आकर बहुत अच्छा बनता है।
  • इसी के साथ प्रॉमिनोमेक्स @ 30 मिली/पंप की दर से छिड़काव करें साथ ही PK का बैक्टीरिया @ 1 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • प्रॉमिनोमेक्स एवं प्रोकॉम्बिमेक्स दोनों ही तरबूज के फल की चमक एवं उसके रंग को अच्छा बनने के लिए कार्य करते हैं।
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कद्दूवर्गीय फसल का उत्पादन बढ़ाने में मददगार होती है मधुमक्खी

Know how a bee works as a good pollinator in pumpkin crops
  • ग्रीष्मकालीन फसलों के रूप में कद्दू वर्गीय फसलें बहुत अधिक मात्रा में लगाई जाती हैं।
  • बदलते मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल के विकास के समय बहुत समस्या आती है।
  • मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
  • कद्दूवर्गीय फसल में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।
  • मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है, जो पराग कणों को उठा लेते हैं। इसके बाद वे पराग कण को एकत्रित कर मादा फूलों तक पहुँचाते हैं।
  • मधुमक्खी इन फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है।
  • उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।
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तरबूज की फसल में इन उपायों से बढ़ाएं फूलों की संख्या

How to increase the number of flowers in watermelon crop
  • तरबूज की फसल की बुआई को लगभग एक माह पूरा हो चुका है।
  • एक माह की अवस्था को पूर्ण करने के बाद तरबूज की फसल में फूल अवस्था शुरू हो जाती है।
  • फूल लगने की अवस्था में अच्छे फूल उत्पादन एवं असमय फूलों को गिरने से बचाने के लिए कुछ उपाय करना बहुत आवश्यक होता है।
  • फूलों के अच्छे उत्पादन एवं फूलों को गिरने से बचाने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसी के साथ तरबूज़ के पौधे के अच्छे विकास एवं वृद्धि हेतु जिब्रेलिक एसिड @ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मिट्टी परीक्षण की आवश्यकता क्यों होती है और इससे क्या फायदे मिलते हैं?

Why soil testing is required
  • मिट्टी में पोषक तत्वों के स्तर की जांच करके फसल एवं किस्म के अनुसार तत्वों की संतुलित मात्रा का निर्धारण कर खेत में खाद एवं उर्वरक मात्रा की सिफारिश हेतु मिट्टी परीक्षण करवाना बहुत जरूरी होता है।
  • मिट्टी की अम्लीयता, लवणता एवं क्षारीयता की पहचान एवं सुधार हेतु सुधारकों की मात्रा व प्रकार की सिफारिश कर इस प्रकार की भूमि को कृषि योग्य बनाने हेतु महत्वपूर्ण सलाह एवं सुझाव देने के लिए मिट्टी परीक्षण आवश्यक होती है।
  • फल के बाग लगाने के लिये भूमि की उपयुक्तता का पता लगाने हेतु भी यह जरूरी होता है।
  • मृदा उर्वरता मानचित्र तैयार करने के लिये भी मिट्टी परीक्षण करना जरूरी होता है। यह मानचित्र विभिन्न फसल उत्पादन योजना निर्धारण के लिये महत्वपूर्ण होता है तथा क्षेत्र विशेष में उर्वरक उपयोग संबंधी जानकारी देता है।
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तरबूज की फसल में थ्रिप्स कीट के प्रकोप का ऐसे करें नियंत्रण

Control measures of thrips in watermelon
  • थ्रिप्स कीट के शिशु एवं वयस्क रूप तरबूज के पौधों की पत्तियों को खुरचकर रस चूसते हैं। पौधे के कोमल डंठल, कलियों व फूलों पर इसका प्रकोप होने पर ये टेढी मेढी हो जाती हैं। इसके प्रभाव के कारण पौधे छोटे रह जाते हैं।
  • इसके नियंत्रण हेतु लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% एस सी @ 400 मिली/एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।
  • कीटनाशक को 15 दिनों के अंतराल में बदलकर उपयोग करें।
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मूंग की 15-20 दिनों की फसल अवस्था में जरूर अपनाएँ ये फसल प्रबंधन उपाय

Benefits of crop management in 15-20 days in green gram crop
  • मूंग की 15 -20 दिनों की फसल अवस्था में कीट प्रकोप, कवक रोगों का प्रकोप एवं वृद्धि व विकास से संबंधित समस्या आ सकती है।
  • इन सभी समस्या के निवारण के लिए मूंग की इस फसल अवस्था में फसल प्रबंधन के उपायों को अपनाना बहुत आवश्यक होता है।
  • कीट प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से कवक रोगों के नियंत्रण के लिए छिड़काव करें।
  • कवक रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • अच्छी फसल वृद्धि एवं विकास के लिए विगरमैक्स जेल @ 400 ग्राम/एकड़ + 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
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मूंग की फसल में खरपतवार प्रबंधन कैसे करें?

How to manage weed in moong crop?
  • मूंग प्रमुख दलहनी फसलों में शामिल है एवं कम समय में अच्छा उत्पादन देने वाली फसल है।
  • मध्य प्रदेश के कई जिले में मूंग की खेती बहुत बड़े पैमाने पर की जाती है।
  • मूंग की बुआई के बाद लगभग 20 से 30 दिन तक किसान को खरपतवारों पर खास ध्यान देना चाहिए।
  • ऐसा इसलिए क्योंकि शुरुआती दौर में खरपतवार फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं।
  • मूंग की फसल में किसान पेन्डीमिथालीन 38.7 CS@ 700 मिली/एकड़ की दर से पूर्व उद्भव खरपतवारनाशी के रूप में उपयोग करें।
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तरबूज की फसल में 30-35 दिनों में ये छिड़काव जरूर करें

Do these spray in 30-35 days in watermelon crop
  • तरबूज की फसल में 30-35 दिनों की अवस्था में फूल बनने की शुरुआत होती है।
  • इस अवस्था में कीट प्रकोप के रूप में थ्रिप्स, एफिड, लीफ माइनर जैसे रस चूसक कीटों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
  • कवक एवं जीवाणु जनित रोगों के रूप में पत्ती झुलसा रोग, जड़ गलन, तना गलन जैसे रोगों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
  • लीफमाइनर के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC@ 150 मिली/एकड़ उपयोग करें।
  • एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ रस चूसक कीटों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
  • इन दोनों प्रकार के कीटों के जैविक नियंत्रण के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 500 ग्राम/एकड़ सभी प्रकार के कवक रोगों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
  • कवक जनित रोगों के जैविक नियंत्रण के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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