मिर्च में पाउडरी मिल्ड्यू व डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

Symptoms and prevention measures of powdery mildew and downy mildew in chilli
  • पाउडरी मिल्ड्यू एवं डाउनी मिल्ड्यू एक कवक जनित रोग है जो मिर्च की फसल में पत्तियों को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं।

  • इसके प्रकोप से होने वाले रोग को भभूतिया रोग के नाम से भी जाना जाता है।

  • पाउडरी मिल्ड्यू के कारण मिर्च के पौधे की पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद पाउडर दिखाई देता है।

  • डाउनी मिल्ड्यू रोग में पत्तियों की निचली सतह पर पीले धब्बे बन जाते हैं और कुछ समय बाद ये धब्बे बड़े होकर कोणीय हो कर भूरे रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।

  • जो भूरा पाउडर पत्तियों पर जमा होता उसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बहुत प्रभावित होती है।

  • इस रोग को नियंत्रित करने के लिए, नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC) @ 240-400 मिली/एकड़ या टेसुनोवा (टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG) @ 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में, ट्राइको शील्ड कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस) @ 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

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कम बारिश में सोयाबीन की फसल को पड़ती है विशेष देखभाल की जरूरत

How to take care of soybean crops in low rainfall
  • आजकल मौसम की असमानता हर तरफ देगी जा रही है। इसकी वजह से कहीं बहुत अधिक बारिश हो जाती है तो कहीं बारिश की कमी हो जाती है।

  • जहाँ जहाँ बारिश की कमी है उन क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

  • सूखे एवं अधिक तापमान के कारण सोयाबीन की फसल को बहुत नुकसान हो रहा है।

  • इसके कारण सोयाबीन की फसल पर म्लानि एवं पौधे के मुरझाने की समस्या देखने को मिल रही है।

  • इसके कारण पौधा तनाव में आ जाता है और पौधे की वृद्धि भी बहुत कम होती है।

  • इसके प्रबंधन के लिए नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001%)@ 180-200 मिली/एकड़ या मैक्सरूट (ह्यूमिक एसिड + पोटैशियम + फुलविक एसिड@ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

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बैंगन की पत्तियों में गंभीर संक्रमण पैदा करेगा पत्ती धब्बा रोग, जानें बचाव के उपाय

Leaf spot disease will cause severe infection in brinjal leaves
  • बैंगन के पौधों में पत्ती धब्बा रोग का संक्रमण शुरुआत में पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। ये धब्बे छोटे, क्लोरोटिक गोलाकार से अंडाकार आकृति के होते हैं जो ऊपरी पत्ती की सतह पर भूरे से भूरे और निचली पत्ती की सतह पर हल्के भूरे रंग में बदल जाते हैं।

  • जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, धब्बों के केंद्र में स्पोरुलेशन के साथ रोगग्रस्त ऊतकों के संकेंद्रित छल्ले विकसित हो सकते हैं। घाव सूख सकते हैं, जिससे ऊतकों में दरारें पड़ सकती हैं और शॉट होल का विकास हो सकता है।

  • इस रोग में बैंगन के फलों पर संक्रमण नहीं फैलता है लेकिन पत्तियों पर गंभीर संक्रमण होने के कारण पैदावार में भारी कमी देखने को मिल सकती है।

  • इस रोग के नियंत्रण के लिए नोवाफेनेट (थियोफिनेट मिथाइल 75% wp) @ 300 ग्राम/एकड़ + मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1% w.p.) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करें।

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मक्का में होल्कस पत्ती धब्बा रोग के लक्षणों को पहचानें व अपनाएं बचाव के उपाय

Identify the symptoms of Holcus Leaf Spot disease in maize and adopt preventive measures
    • होल्कस पत्ती धब्बा रोग दरअसल स्यूडोमोनास सिरिंज जीवाणु के कारण होता है। इसकी वजह से पत्तियों पर गोल आकार के, सफेद से लेकर हल्के भूरे रंग के धब्बे बन जाते हैं। धब्बों के किनारे आमतौर पर भूरे रंग के होते हैं।

    • यह रोग अक्सर बरसाती तूफ़ान के बाद के गर्म तापमान(75-85°F अनुकूल) में प्रकट होता है। तूफ़ान के दौरान, पानी के छींटों से रोगज़नक़ फैल जाता है और होने वाले घाव रोगज़नक़ को पत्ती में प्रवेश करने में सक्षम बनाते हैं। इससे आखर में पत्ते पूरी तरह से सूख जाते हैं।

    • 2 होल्कस पत्ती के दागों को एक कवक रोग के रूप में आईस्पॉट में भी देखा जा सकता है, जिसमें भूरे रंग की सीमा और पीले आभामंडल के साथ गोल दाग भी होते हैं।

      नियंत्रण के उपाय

    • रोग फैलाने वाली आर्द्र जलवायु परिस्थितियों से बचने के लिए देर से पौधे लगाएं।

    • जब पत्ते गीले हों तो खेतों में काम करने से बचें।

    • ऊपरी सिंचाई से भी बचें।

    • खेत को खरपतवार से मुक्त रखें।

    • खेत के पास पेड़ हो तो वहां खाद न डालें या पौधों के अवशेष न छोड़ें।

    • संक्रमित पौधों को तुरंत हटा दें और उनके अवशेषों को जला दें।

    • गैर-संवेदनशील फसलों के साथ फसल चक्र की सिफारिश की जाती है।

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कपास में होगा मिलीबग का प्रकोप, कर लें बचाव की तैयारी

There will be an outbreak of Mealybug in cotton
  • कपास की फसल के वनस्पति विकास वाले चरण के दौरान मिलीबग से संक्रमित पौधों में पत्तियों का मुड़ने, झाड़ीदार अंकुर, झुर्रियों वाली या मुड़ी हुई और गुच्छेदार पत्तियों के लक्षण दिखाई देते हैं। इससे पौधे सूखने लगते हैं और बौने व शुष्क हो जाते हैं।

  • वयस्क और शिशु मिलीबग नरम और कठोर दोनों प्रकार के पौधों के ऊतकों में छेद कर देते हैं और उनका रस चूसते हैं। यह कपास की फसल के विकास के सभी चरणों में हो सकता है।

  • हालांकि इससे नुकसान अक्सर थोड़ा-थोड़ा होता है, पर उन क्षेत्रों में नुकसान और भी बदतर हो सकता है जहां फसल तनाव में है (उदाहरण के लिए खराब जल निकासी वाले क्षेत्र)।

  • भारी संक्रमण जो जल्दी शुरू होता है और बना रहता है, वे चिपचिपे पदार्थ उत्सर्जित करते हैं। जिसके कारण ये कई बीमारियों के वाहक के रूप में काम करते हैं।

  • इसके रासायनिक उपचार के लिए नोवालक्सम (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC)@ 50 मिली + बवे कर्ब (ब्यूवेरिया बैसियाना) @ 250 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

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मक्का में फॉल आर्मीवर्म का प्रकोप होगा घातक, जानें बचाव के उपाय

Outbreak of Fall Armyworm in Maize will be fatal
  • यह कीट मक्के की फसल की सभी अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाता है। सामान्यतः यह मक्के की पत्तियों पर आक्रमण करता है, लेकिन अधिक प्रकोप होने पर यह मक्के को नुकसान भी पहुंचाता है।

  • इसका लार्वा मक्के के पौधे के ऊपरी भाग या मुलायम पत्तियों पर आक्रमण करते हैं, प्रभावित पौधे की पत्तियों पर छोटे-छोटे छेद दिखाई देते हैं।

  • फॉल आर्मीवर्म हरे, गुलाबी, भूरे या काले रंग के होते हैं। इनकी आंखों के बीच, अंग्रेजी के अक्षर उल्टे Y के जैसा सफेद रंग का निशान बना हुआ होता है।

  • फॉल आर्मीवर्म के शरीर के प्रत्येक खंड पर ट्रेपेज़ॉइड पैटर्न के धब्बे बने होते हैं।

    रासायनिक नियंत्रण

  • प्रोफेनोवा सुपर (प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 04% EC) @ 400मिली/एकड़ या इमानोवा (एमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG) @ 100 ग्राम/एकड़ या कवर (क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% W/W SC) @ 60 मिली/एकड़ की दर से इस्तेमाल करें + बवे कर्ब (ब्यूवेरिया बैसियाना) @ 250 ग्राम/एकड़।

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टमाटर की पत्तियों पर जीवाणुयुक्त धब्बे से होगी भारी क्षति, जल्द करें उपचार

Bacterial leaf spot will cause heavy damage in tomatoes
  • मानसून और तेज़ बारिश इस रोग के विकास के लिए अनुकूल होते हैं। इस बीमारी के अधिकांश प्रकोप का पता क्षेत्र में होने वाली भारी बारिश से लगाया जा सकता है।

  • इस रोग से संक्रमित पत्तियों पर छोटे, भूरे, पानी से लथपथ, पीले आभामंडल से घिरे गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं।

  • पुराने पौधों पर पत्रक का संक्रमण अधिकतर पुरानी पत्तियों पर होता है और गंभीर रूप से पत्तियों के गिरने की वजह भी बन सकता है।

  • रोग के सबसे अधिक लक्षण हरे फल पर दिखाई देते हैं। फलों पर पहले छोटे, पानी से लथपथ धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में उभर कर बड़े हो जाते हैं।

  • इन घावों के केंद्र अनियमित, हल्के भूरे और खुरदुरी, पपड़ीदार सतह के साथ थोड़े धंसे हुए हो जाते हैं।

  • पके फल इस रोग के प्रति संवेदनशील नहीं होते हैं। कुछ समय तक बीज की सतह पर रहने से बीज की सतह जीवाणुओं से दूषित हो जाती है।

  • इस रोग से फसल के बचाव हेतु मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1% WP) @ 250 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

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फसलों की फूल अवस्था का सबसे जरूरी टॉनिक न्यूट्रीफुल मैक्स

Increase the speed of flower and fruit growth in crops with Nutriful Maxx
  • यह एक प्लांट सुपरफूड है जो फसल विकास को बढ़ावा देता है।

  • यह अमेरिका से आयातित बेस ऑर्गेनिक एसिड से स्वदेशी रूप से निकाला जाता है।

  • इससे फसल में पौधे स्वस्थ एवं मजबूत होते हैं।

  • इसकी मदद से फसलों में फूल निर्माण तेज होता है जिससे बेहतर फल बनते हैं।

  • इससे जड़ से अंकुर तक पोषक प्रणाली का परिवहन बढ़ता है।

  • सूखे व पाले आदि के खिलाफ यह उत्पाद पौधों की प्रतिरक्षा करती है।

  • इस उत्पाद के उपयोग की मात्रा छिड़काव के लिए 250 मिली प्रति एकड़ है।

  • कपास, धान, दलहनी फसलें एवं सभी सब्जियों वाली फसलों में आप इसका उपयोग कर सकते हैं।

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सोयाबीन में मामा गाय का प्रकोप बढ़ रहा है, जल्द करें बचाव के उपाय

Outbreak of False wireworm is increasing in soybean
  • सोयाबीन में लगने वाले “मामा गाय” कीट को अंग्रेजी में फॉल्स वायरवॉर्म के नाम से जानते हैं।

  • इस कीट के वयस्क नए अंकुर के पत्तों को, या बढ़ती हुई नोक को, या जमीन के स्तर के पास तने को ‘रिंग बार्किंग’ करके खा जाती हैं जिसकी वजह से उभरते हुए अंकुर नष्ट हो जाते हैं।

  • इसके वयस्क मिट्टी की सतह पर सक्रिय होते हैं। ये अनाज वाली फसलों की तुलना में दलहनी फसलों को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।

  • यह कीट सोयबीन की फलियों में नवविकसित दानों को खा जाते हैं तथा फलियों को काट कर गिरा भी देते हैं।

  • इस कीट के नियंत्रण हेतु लैमनोवा (लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 04.90% CS) @ 200-250 मिली/एकड़ या ट्रेसर स्पिनोसैड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।

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धान की फसल में ब्राउन प्लांट हॉपर पहुंचाएगा भारी नुकसान

Brown plant hopper will cause heavy loss in paddy crop
  • ब्राउन प्लांट हॉपर के व्यस्क स्वरूप दरअसल पत्तीयों की मुख्य शिराओं के पास अर्ध चंद्राकार अंडे देते हैं।

  • इस कीट का निम्फ और व्यस्क भूरे से सफेद रंग का होता और पौधे के तने के आधार के पास रहता है तथा वहीं से पौधे को नुकसान पहुँचता है।

  • प्लांट हॉपर द्वारा किया गया नुकसान पौधे में पीलेपन के रूप में नजर आता है।

  • अधिक जनसंख्या होने पर हॉपरबर्न के लक्षण नजर आते हैं, इस स्थिति में फसल से शत प्रतिशत हानि हो जाती हैं।

  • धान की फसल में ब्राउन प्लांट हॉपर का नियंत्रण के लिए नोवासेटा (एसिटामिप्रिड 20% SP) @ 40 ग्राम/एकड़ या फिपनोवा (फिप्रोनिल 5% SC) @ 400-600 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

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