मैक्समायको के उपयोग का तरीका एवं फसलों को इससे मिलने वाले लाभ

Method of use of Maxxmyco and its benefits to crops
  • ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा इन सभी उत्पादों को मिलाकर मैक्समायको को तैयार किया गया है।

  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है। यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है साथ ही यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।

  • यह उत्पाद जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती हैं और यही विकसित जड़ फसल को अच्छी शुरुआत प्रदान करता है।

  • इसमें मौजूद ह्यूमिक एसिड मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करता और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाता है।

  • समुद्री शैवाल पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में मदद करता है और अमीनो एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे पौधे का बेहतर वनस्पति विकास होता है।

  • मैक्समायको @ 2 किलो/एकड़ को मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। 50 किलो FYM या खेत की मिट्टी में मिलाकर इसे खेत में बुआई के पहले, बुआई के समय या बुआई के 15 -20 दिनों में भुरकाव के रूप में उपयोग करें।

Maxxmyco

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प्याज की फसल को स्टेम फाइलम झुलसा रोग से होगा नुकसान

What is Stemphylium blight disease in onion crops
  • इस रोग में प्याज़ के पत्तों पर छोटे पीले से नारंगी रंग के धब्बे या धारियां पत्ती के बीच में दिखाई देती हैं जो बाद में अंडाकार हो जाती हैं। धब्बे के चारो ओर गुलाबी किनारे इसके प्रमुख लक्षण हैं।

  • धब्बे पत्तियों के किनारे से नीचे की ओर बढ़ते हैं, साथ ही धब्बे आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र फैलते हैं साथ ही पत्तियां झुलसी हुई दिखाई देती हैं।

  • रोपाई के बाद 10-15 दिन के अंतराल पर या बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फफूंदनाशियों जैसे थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

  • हेक्सकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली प्रति एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

  • क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।

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लहसुन की फसल में शीर्ष जलन से होगा नुकसान, जानें बचाव के उपाय

Causes and management of tip burn problem in garlic crop
  • लहसुन की फसल में शीर्ष जलन की समस्या मुख्यतः फसल विकास के समय दिखाई देती है। जब फसल परिपक्व अवस्था के करीब होती है तो शीर्ष जलने की प्रक्रिया स्वाभाविक हो सकती है। लेकिन युवा पौधों में शीर्ष जलन कई कारणों से हो सकता है। इसके संभावित कारणों में मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी, फफूंद संक्रमण या रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स आदि शामिल हैं।

  • तेज हवा, सूरज की अधिक रोशनी, मिट्टी में लवण अधिकता और अन्य पर्यावरणीय कारक लहसुन के शीर्ष को जला सकते हैं। भूरे रंग, सूखे शीर्ष वाले पत्ते के सभी संभावित कारणों को देखते हुए, यह तय करना कठिन हो सकता है कि पौधे को क्या प्रभावित कर रहा है। याद रखें यदि आपने उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखा है तो समस्या कवक से संबंधित हो सकती है।

  • शीर्ष जलन की समस्या से उपाय के लिए उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखें, रस चूसक कीट पर्ण सुरंगक, थ्रिप्स कीटों से बचाव के लिए नीम ऑइल 10000 पीपीएम वाला 200 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

  • फिप्रोनिल 5% SC 400 मिली या थायामेथोक्साम 25% WG 100 ग्राम + टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG 500 ग्राम + जिब्रेलिक अम्ल 0. 001% 300 मिली प्रति एकड़ पानी में घोलकर छिड़काव करें।

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लहसुन की फसल में 15-20 दिनों में छिड़काव की सिफारिशें

Recommendations for spraying garlic in 15-20 days
  • लहसुन की फसल में अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई के बाद समय-समय पर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।

  • इसके द्वारा लहसुन की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है साथ ही लहसुन की फसल रोग एवं कीट रहित रहती है।

  • कवक जनित रोगों के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक कवकनाशी के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • कीट नियंत्रण के लिए एसीफेट 75% SP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक कीटनाशक के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • पोषक तत्व प्रबंधन के लिए समुद्री शैवाल @ 400 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक अम्ल @ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • इन सभी छिड़काव के साथ सिलिकॉन आधारित स्टीकर 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी का उपयोग अवश्य करें।

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जानवरों के लिए बेहद उपयोगी खाद्य है चरी

Useful Fodder for animals Barsim
  • चरी (बरसीम) पशुओं के लिए बहुत ही लोकप्रिय चारा है। यह अत्यंत पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चारा है।

  • इसके अलावा यह लवणीय एवं क्षारीय भूमि को सुधारने के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में भी वृद्धि करती है।

  • चरी वर्ष के पूरे शीतकालीन समय में और गर्मी के आरम्भ तक हरे चारे के रूप में पशुओ के लिए उपलब्ध रहती है।

  • पशुपालन व्यवसाय में पशुओं से अधिक दुग्ध उत्पादन लेने के लिए हरे चारे का विशेष महत्व है।

  • पशुओं के आहार पर लगभग 70 प्रतिशत व्यय होता है और हरा चारा लगाकर इस व्यय को कम करके अधिक लाभ अर्जित किया जा सकता है।

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लहसुन की फसल में जड़ सड़न रोग का ऐसे करें नियंत्रण

Control of root rot disease in garlic crop
  • तापमान अचानक गिरने व बढ़ने के कारण यह रोग होता है। इस रोग के फंगस जमीन में पनपते हैं जिसके प्रकोप से लहसुन की फसल की जड़ें काली पड़ कर सड़ जाती हैं। इससे पौधे आवश्यक पोषक तत्व नहीं ले पाते तथा पौधे पीले होकर और मुरझा जाते हैं।

  • इस रोग के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC@ 200 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फसल की बुवाई हमेशा मिट्टी उपचार एवं बीज़ उपचार करके ही करें।

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मटर की बुवाई के 8 से 15 दिन में ये छिड़काव जरूर करें

Necessary spraying to be done in peas in 8 - 15 days after sowing
  • मटर की फसल अक्टूबर-नवंबर में लगाई जाने वाली प्रमुख फसल है। इसका प्रयोग हरी अवस्था में फलियों के रूप में सब्जी के लिए तथा सूखे दानों का प्रयोग दाल के लिए किया जाता है।

  • मटर बेहद पौस्टिक होती है और इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट तथा विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसके अलावा इसमें खनिज पदार्थ भी पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है।

  • मटर में बुवाई के 8-15 दिन बाद फसल की वानस्पतिक वृद्धि एवं कीट व कवक जनित रोगों से बचाव के लिए निम्न छिड़काव आवश्यक हैं।

  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम + ऐसिटामिप्रिड 20% एसपी 100 ग्राम + समुद्री शैवाल 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके साथ सिलिकॉन आधारित स्टिकर/स्प्रेडर 5 मिली प्रति टैंक के हिसाब से भी मिला सकते हैं।

  • जैविक नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।

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लहसुन व प्याज की फसल को बदलते मौसम के प्रभावों से बचाएं

Changing weather effects on Garlic and Onion crops
  • मौसम में लगातार परिवर्तन होने से प्याज़ एवं लहसुन की फसल बहुत अधिक प्रभावित हो रही है।

  • इसके प्रभाव के कारण प्याज़ एवं लहसुन की फसल के पत्ते पीले एवं इनके किनारे सूखने लगते हैं।

  • कहीं कहीं फसल में सही एवं समान वृद्धि नहीं होती है।

  • प्याज़ एवं लहसुन की फसल में पत्तियों पर अनियमित धब्बे दिखाई देते हैं।

  • इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए एवं मौसम की विपरीत परिस्थिति के कारण फसल को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • समुद्री शैवाल @ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक अम्ल 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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बुवाई के बाद बीज अंकुरण बढ़ाने के लिए इन खास उपायों का करें उपयोग

Special measures to increase germination after sowing the crop
  • अधिकतर क्षेत्रों में रबी के मौसम की फसल बुवाई लगभग पूरी हो चुकी है।

  • मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण कहीं कहीं फसल का अंकुरण बहुत अच्छे से नहीं हो पा रहा है। ऐसी स्थिति में किसान कुछ सरल उपाय अपनाकर फसल के अंकुरण प्रतिशत को बहुत हद तक बढ़ा सकते हैं।

  • बुवाई के समय खेत में अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी होना बहुत आवश्यक है। पर्याप्त नमी में पौधे का अंकुरण अच्छा होता है और पौधों में नई जड़ें बनने लगती हैं।

  • जड़ों के अच्छे विकास एवं बढ़वार के लिए बुवाई के 15-20 दिनों के अंदर जैविक उत्पाद मैक्समायको 2 किलो/एकड़ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में करें।

  • इसी के साथ समुद्री शैवाल @ 1.0 किलो/एकड़ या ह्यूमिक अम्ल @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।

  • ग्रामोफोन के समृद्धि किट में उपलब्ध NPK कन्सोर्टिया 3 किलो प्रति एकड़ मिट्टी में उपयोग करने से अच्छे बीज अंकुरण के साथ जड़ों में भी अच्छा विकास देखने को मिलता है।

  • यदि मिट्टी में किसी भी प्रकार के कवक जनित रोगों का प्रकोप दिखाई दे तो उचित कवकनाशी का उपयोग कर सकते हैं।

  • इन उपायों को अपनाकर फसलों का अंकुरण बहुत हद तक बढ़ाया जा सकता है।

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टमाटर की फसल में फूलों की वृद्धि के समय इस प्रकार करें प्रबंधन

Flower promotion nutrients in Tomato
  • टमाटर की फसल में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि फसल में फलों का उत्पादन फूलों की संख्या पर ही निर्भर करती है।

  • बुआई के 30-45 दिनों बाद टमाटर की फसल में फूल वाली अवस्था प्रारम्भ होती है।

  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा टमाटर की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है।

  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% w/w 100-120 मिली/एकड़ का छिड़काव करें।

  • समुद्री शैवाल 300 मिली/एकड़ का छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

  • जिब्रेलिक एसिड @ 200 मिली/एकड़ का छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

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