सरसों की फसल में माहू प्रकोप के लक्षणों को पहचानें और करें नियंत्रण

Symptoms and control measures of aphid in mustard crop
  • कीट पहचान: माहू छोटे, मुलायम शरीर वाले, मोती के आकार के कीट होते हैं।

  • अनुकूल परिस्थिति: इनका प्रकोप आमतौर पर दिसंबर के दूसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान होता है और मार्च तक जारी रहता है। माहू की तेजी से वृद्धि के लिए 70 से 80% आर्द्रता एवं 8 और 24°C के बीच का तापमान अनुकूल होता है। बारिश और आर्द्र मौसम कीटों के विकास को तेज करने में मदद करते हैं।

  • क्षति के लक्षण: निम्फ और वयस्क दोनों पत्तियों, कलियों और फली से रस चूसते हैं। संक्रमित पत्तियाँ मुड़ी हुई दिखाई देती हैं और उन्नत अवस्था में पौधे मुरझाकर मर जाते हैं। पौधे रूखे नजर आते हैं और कीड़ों द्वारा उत्सर्जित मीठे स्त्राव (हनीड्यू) पर काली फफूंद उग आती है।

  • नियंत्रण: थियामेथॉक्सम 25% WP 100 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 30.5% SC 100 मिली या फ्लोनिकामिड 50% WG 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। इन उत्पादों के साथ सिलिकॉन आधारित स्टिकर 5 मिली प्रति टैंक के अनुसार मिला सकते हैं।

  • इसके लिए पीले स्टिकी जाल 10 प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ मेटारीजियम 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

जानें क्या है गेहूँ फर्टी किट की उपयोगिता, कैसे फसल को मिलता है इससे लाभ?

Know the utility of Wheat Ferti Kit

  • रबी के मौसम की विशेष फसल गेहूँ के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है, ‘गेहूँ फर्टी किट’ जिसका फसल की बुवाई के बाद भी आप उपयोग कर सकते हैं।

  • इस किट में समुद्री शैवाल, अमीनो अम्ल, ह्यूमिक अम्ल और माइकोराइजा के साथ जिंक सल्फेट एवं अन्य आवश्यक पोषक तत्व जैसे फास्फोरस, पोटाश, मैग्नम, जिंक एवं सल्फर आदि सम्मिलित है।

  • इस किट का कुल वजन 9 किलो है। इस किट में 3 उत्पाद शामिल हैं जो फसल के उचित विकास के लिए लाभदायक हैं। इन तीन उत्पादों में मेजर सोल [P 15% + K 15% + Mn 15% + Zn 2.5% + S 12%], माइक्रो पावर जिंक सल्फेट [जिंक सल्फेट], मैक्समाइको [समुद्री शैवाल, अमीनो अम्ल, ह्यूमिक अम्ल और माइकोराइजा ] शामिल हैं l

  • यह किट फसल के विकास एवं वृद्धि के साथ मिट्टी की गुणवत्ता सुधारक की तरह भी कार्य करता है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

Share

लहसुन की 25 दिन की अवस्था में इन आवश्यक सिफारिशों को जरूर अपनाएँ

Necessary recommendations 25 days after sowing in garlic crop
  • कंद वर्गीय फसल होने की वजह से लहसुन की फसल में पोषण प्रबंधन एवं रोग प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इस समय फसल प्रबंधन करने से लहसुन की फसल में कवक जनित रोगों जैसे जड़ गलन, तना गलन, पीलापन आदि से फसल की सुरक्षा की जा सकती है। इसके लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63%@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • लहसुन की फसल में लगने वाले कीटो से फसल की रक्षा करने के लिए लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS 250 मिली/एकड़ या जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • लहसुन की फसल की एक समान वृद्धि के लिए जल घुलनशील उर्वरक 19:19:19 या 20:20:20 @ 1 किलो प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। अच्छे परिणाम के लिए छिड़काव के साथ स्टिकर 5  मिली प्रति टैंक की दर से मिलाएं।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

चने की फसल को उकठा रोग से होगा नुकसान, जल्द करें बचाव

Gram crop will be damaged due to the wilt disease, protect it soon

उकठा रोग चने की फसल का एक प्रमुख कवक के द्वारा होने वाला रोग है जो की मिट्टी और बीज जनित रोग है। इसके कारण चने की फसल 60-80% तक खत्म हो जाती है। इस रोग के लिए जिम्मेदार फ्यूजेरियम ऑक्सिस्पोरम नामक कवक है। अधिक मृदा तापमान (25*C से अधिक) और अधिक मृदा नमी इस रोग के प्रसार के लिए अनुकूल होते हैं।

रोग के लक्षण: इस रोग का संक्रमण फसल की अंकुरण अवस्था और फूल वाली अवस्था में देखा जाता है। इस रोग के मुख्य लक्षणों में पौधों का मुरझाना, पत्तियों का पीला पड़ना, डंठलों का गिरना, जड़ व तने पर फफूंद की वृद्वि आदि शामिल है जिसकी वजह से आखिर में पूरा पौधा सूख जाता है।

रोकथाम के उपाय: रोग के लक्षण दिखाई देने पर थायोफिनेट मिथाइल 70% WG (मिल्ड्यू विप या रोको) @ 300 ग्राम + जिब्रेलिक एसिड 0.001% (नोवामैक्स) @250 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। या ट्राइकोडर्मा विरिडी (राइजोकेयर) @500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से खेत में 40-50 किलो अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ मिलाकर भुरकाव करें और हल्की सिंचाई करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

चने की फसल में जरूरी है खरपतवार प्रबंधन, ऐसे करें बचाव

Weed management is necessary in gram crop
  • चने की फसल में अनेक प्रकार के खरपतवार जैसे बथुआ, खरतुआ, मोरवा, प्याजी, मोथा, दूब इत्यादि उगते हैं।

  • ये खरपतवार फसल के पौधों के साथ पोषक तत्वों, नमी, स्थान एवं प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करके उपज को प्रभावित करते हैं। इसके अतिरिक्त खरपतवारों के द्वारा फसल में अनेक प्रकार की बीमारियों एवं कीटों का भी प्रकोप होता है जो बीज की गुणवत्ता को भी प्रभावित करते हैं।

  • खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि को रोकने के लिए समय पर नियंत्रण करना बहुत आवश्यक है। चने की फसल में दो बार गुड़ाई करना पर्याप्त होता है। प्रथम गुड़ाई फसल बुवाई के 20-25 दिन पश्चात व दूसरी 50-55 दिनों बाद करनी चाहिए।

  • यदि मजदूरों की उपलब्धता न हो तो फसल बुवाई के के 1-3 दिन में पेंडीमेथलीन 38.7% EC 700 मिली प्रति एकड़ की दर से खेत में समान रूप से छिड़काव करें। फिर बुवाई के 20-25 दिनों बाद एक गुड़ाई कर दें।

  • इस प्रकार चने की फसल में खरपतवारों द्वारा होने वाली हानि की रोकथाम की जा सकती है।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

चने की फसल में लगने वाले कवक रोगों का प्रबंधन

How to manage fungal diseases in gram crop
  • चने की फसल रबी के मौसम की एक मुख्य फसल मानी जाती है।

  • रबी के मौसम में तापमान में होने वाले परिवर्तनों के कारण चने की फसल में कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत होता है। इसके अंतर्गत स्कोचायटा ब्लाइट, फ़ुज़ेरियम विल्ट, स्टेम रॉट जैसे रोग चने की फसल को बहुत प्रभावित करते हैं।

  • इन रोगों के नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग आवश्यक होता है।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

मैक्समायको के उपयोग का तरीका एवं फसलों को इससे मिलने वाले लाभ

Method of use of Maxxmyco and its benefits to crops
  • ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा इन सभी उत्पादों को मिलाकर मैक्समायको को तैयार किया गया है।

  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है। यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है साथ ही यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में भी मदद करता है।

  • यह उत्पाद जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती हैं और यही विकसित जड़ फसल को अच्छी शुरुआत प्रदान करता है।

  • इसमें मौजूद ह्यूमिक एसिड मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करता और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाता है।

  • समुद्री शैवाल पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में मदद करता है और अमीनो एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे पौधे का बेहतर वनस्पति विकास होता है।

  • मैक्समायको @ 2 किलो/एकड़ को मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है। 50 किलो FYM या खेत की मिट्टी में मिलाकर इसे खेत में बुआई के पहले, बुआई के समय या बुआई के 15 -20 दिनों में भुरकाव के रूप में उपयोग करें।

Maxxmyco

स्मार्ट कृषि एवं उन्नत कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों व यंत्रों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

 

Share

प्याज की फसल को स्टेम फाइलम झुलसा रोग से होगा नुकसान

What is Stemphylium blight disease in onion crops
  • इस रोग में प्याज़ के पत्तों पर छोटे पीले से नारंगी रंग के धब्बे या धारियां पत्ती के बीच में दिखाई देती हैं जो बाद में अंडाकार हो जाती हैं। धब्बे के चारो ओर गुलाबी किनारे इसके प्रमुख लक्षण हैं।

  • धब्बे पत्तियों के किनारे से नीचे की ओर बढ़ते हैं, साथ ही धब्बे आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र फैलते हैं साथ ही पत्तियां झुलसी हुई दिखाई देती हैं।

  • रोपाई के बाद 10-15 दिन के अंतराल पर या बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फफूंदनाशियों जैसे थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

  • हेक्सकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली प्रति एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

  • क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

लहसुन की फसल में शीर्ष जलन से होगा नुकसान, जानें बचाव के उपाय

Causes and management of tip burn problem in garlic crop
  • लहसुन की फसल में शीर्ष जलन की समस्या मुख्यतः फसल विकास के समय दिखाई देती है। जब फसल परिपक्व अवस्था के करीब होती है तो शीर्ष जलने की प्रक्रिया स्वाभाविक हो सकती है। लेकिन युवा पौधों में शीर्ष जलन कई कारणों से हो सकता है। इसके संभावित कारणों में मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी, फफूंद संक्रमण या रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स आदि शामिल हैं।

  • तेज हवा, सूरज की अधिक रोशनी, मिट्टी में लवण अधिकता और अन्य पर्यावरणीय कारक लहसुन के शीर्ष को जला सकते हैं। भूरे रंग, सूखे शीर्ष वाले पत्ते के सभी संभावित कारणों को देखते हुए, यह तय करना कठिन हो सकता है कि पौधे को क्या प्रभावित कर रहा है। याद रखें यदि आपने उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखा है तो समस्या कवक से संबंधित हो सकती है।

  • शीर्ष जलन की समस्या से उपाय के लिए उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखें, रस चूसक कीट पर्ण सुरंगक, थ्रिप्स कीटों से बचाव के लिए नीम ऑइल 10000 पीपीएम वाला 200 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

  • फिप्रोनिल 5% SC 400 मिली या थायामेथोक्साम 25% WG 100 ग्राम + टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG 500 ग्राम + जिब्रेलिक अम्ल 0. 001% 300 मिली प्रति एकड़ पानी में घोलकर छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

लहसुन की फसल में 15-20 दिनों में छिड़काव की सिफारिशें

Recommendations for spraying garlic in 15-20 days
  • लहसुन की फसल में अच्छे उत्पादन के लिए बुवाई के बाद समय-समय पर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक है।

  • इसके द्वारा लहसुन की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है साथ ही लहसुन की फसल रोग एवं कीट रहित रहती है।

  • कवक जनित रोगों के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक कवकनाशी के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • कीट नियंत्रण के लिए एसीफेट 75% SP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक कीटनाशक के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • पोषक तत्व प्रबंधन के लिए समुद्री शैवाल @ 400 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक अम्ल @ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • इन सभी छिड़काव के साथ सिलिकॉन आधारित स्टीकर 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी का उपयोग अवश्य करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share