चने की फसल को उकठा रोग से होगा नुकसान, जल्द करें बचाव

उकठा रोग चने की फसल का एक प्रमुख कवक के द्वारा होने वाला रोग है जो की मिट्टी और बीज जनित रोग है। इसके कारण चने की फसल 60-80% तक खत्म हो जाती है। इस रोग के लिए जिम्मेदार फ्यूजेरियम ऑक्सिस्पोरम नामक कवक है। अधिक मृदा तापमान (25*C से अधिक) और अधिक मृदा नमी इस रोग के प्रसार के लिए अनुकूल होते हैं।

रोग के लक्षण: इस रोग का संक्रमण फसल की अंकुरण अवस्था और फूल वाली अवस्था में देखा जाता है। इस रोग के मुख्य लक्षणों में पौधों का मुरझाना, पत्तियों का पीला पड़ना, डंठलों का गिरना, जड़ व तने पर फफूंद की वृद्वि आदि शामिल है जिसकी वजह से आखिर में पूरा पौधा सूख जाता है।

रोकथाम के उपाय: रोग के लक्षण दिखाई देने पर थायोफिनेट मिथाइल 70% WG (मिल्ड्यू विप या रोको) @ 300 ग्राम + जिब्रेलिक एसिड 0.001% (नोवामैक्स) @250 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। या ट्राइकोडर्मा विरिडी (राइजोकेयर) @500 ग्राम/एकड़ के हिसाब से खेत में 40-50 किलो अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद के साथ मिलाकर भुरकाव करें और हल्की सिंचाई करें।

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