गेहूँ की फसल में जिंक की कमी से होगा नुकसान

Zinc an essential element in wheat
  • किसान भाइयों मध्य प्रदेश की मिट्टी में जिंक की कमी मुख्यतः पाई जाती है जिससे किसानों को अपनी गेहूँ फसल में यह समस्या देखने को मिलती है। जिंक की कमी के कारण फसल पकने में अधिक समय लगता है। 

  • गेहूँ में जिंक की कमी के लक्षण 25 से 30 दिन में नजर आने लगते हैं।

  • गेहूँ में जिनक यानी जस्ते की कमी के कारण पौधे की ऊंचाई घट जाती है, फसल वृद्धि असमान दिखाई देती है, पत्तियां छोटी रह जाती है। 

  • पौधों की बीच की पत्तियों में सफेद, भूरे धब्बे दिखाई देते हैं, जो लंबाई में फैलते हैं। जिंक की कमी ज्यादा होने पर पत्तियां सफेद होकर कर मर जाती है।

  • जिंक की कमी को खेत में जिंक सल्फेट देकर दूर किया जा सकता है। इसकी कमी के अनुसार, मात्रा 5-10 किलोग्राम प्रति एकड़ तक दी जा सकती है।

  • खड़ी फसल में कमी दिखाई देने पर जिंक सल्फेट 0.5 प्रतिशत घोल का छिड़काव बुवाई के 30 दिन के अंदर कर सकते है, एवं 15 दिनों के अंतराल में आवश्यकतानुसार दोहरा सकते है।

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फसलों का च्यवनप्राश मैक्समायको फसलों को कैसे पहुँचाता है लाभ?

How Gramophone's Maxxmyco benefits crops

  • मैक्समायको में ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा का मिश्रण है।

  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक होता है।

  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, ताकि जड़ पूरी तरह से विकसित हो सके और फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सके।

  • इसमें मौजूद ह्यूमिक एसिड मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करता और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाता है।

  • समुद्री शैवाल पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में मदद करता है और अमीनो एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया को बढ़ाता है।

  • इसके परिणामस्वरूप बेहतर वनस्पति विकास होता है और पौधों के स्वास्थ में भी सुधार होता है।

  • यह पौधे की प्रत्येक अवस्था जैसे फूल, फल, पत्ती आदि की अवस्था में विकास में मदद करता है साथ ही साथ सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है।

स्मार्ट कृषि एवं उन्नत कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों व यंत्रों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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टमाटर में टोमेटो स्पॉटेड विल्ट वायरस की रोकथाम के उपाय

Tomato Spotted Wilt Virus in Tomato
  • किसान भाइयों टमाटर में टोमेटो स्पॉटेड विल्ट वायरस [टोस्पो] थ्रिप्स के द्वारा फैलता है।

  • टमाटर के पौधे की नई पत्तियों पर बैंगनी, भूरे रंग के धब्बे इस रोग के प्रारंभिक लक्षण हैं। बाद में यह भूरे रंग के धब्बे आपस में मिलकर बड़े धब्बों/छल्लों में बदल जाते हैं एवं पत्तियों के ऊतकों को नष्ट करने लगते हैं।  

  • अधिक संक्रमण होने पर टमाटर के फल अधपके रह जाते हैं।   

  • अधपके फलों पर हल्के पीले रंग के धब्बे बनने लगते हैं अंत में यह धब्बे धीरे-धीरे बड़े आकार के धब्बों में बदल जाते हैं। 

  • वायरस के नियंत्रण के लिए थ्रिप्स की रोकथाम करना बहुत जरुरी है इसके लिए फिप्रोनिल 5% एससी @ 400 मिली या लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली या स्पिनोसेड 45% एससी @ 75 मिली की दर से छिड़काव करें। 

  • जैविक उपचार के रूप में ब्यूवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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आलू की फसल को स्कैब रोग के प्रकोप से ऐसे बचाएं

Management of scab disease in potato crops
  • यह एक फफूंद जनित रोग है जिसका प्रभाव आलू के कंदों पर बहुत अधिक मात्रा में देखा जाता है।

  • आलू के कंदों पर गहरे भूरे रंग के उभरे हुए स्कैब/धब्बे दिखाई देते हैं जो हाथ लगाने पर दरदरे लगते हैं। ये स्कैब कंद की सतह के केवल एक छोटे से हिस्से को प्रभावित कर पूरी तरह से सतह को ढक सकते हैं। कभी-कभी कटे हुए भाग टूटे हुए संकेन्द्रित वलय का रूप ले लेते हैं।

  • इस रोग से ग्रसित कंद खाने योग्य नहीं रहते हैं। इस रोग के निवारण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम या कासुगामायसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • इस रोग के प्रभावी नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।

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पौधशाला में आर्द्रगलन से होंगे भयंकर परिणाम, समय रहते करें बचाव

Damping off disease is a big problem in nursery
  • पौधशाला में आर्द्र जड़ गलन रोग एक सामान्य बीमारी है जो ज्यादातर नर्सरी/पौधशाला में अंकुर/पौध/सीडलिंग अवस्था में होती है। यह रोग बहुत जल्दी फैलकर पौध को संक्रमित करता है और उन्हें मार देता है।

  • यह रोग मृदा जनित फफूंद जैसे पीथियम/फाइटोफ्थोरा/राइजोक्टोनिया/ फ्युजेरियम के कारण होता है।

  • इसके लक्षण में तने पर जमीन के पास वाले भाग पर भूरे पानी के धंसे हुए घाव दिखाई देते हैं। इससे धीरे-धीरे तना एवं जड़ सड़ने लग जाती है और पौधे जमीन की सतह पर गिर कर मर जाते हैं।

  • उच्च घनत्व, उच्च आर्द्रता और उच्च तापमान में लगाए गए पौधों में रोग का संक्रमण अधिक तेजी से होता है।

  • इस रोग के प्रबंधन के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी @ 30 ग्राम/पंप ड्रेंचिंग करें।

  • रोको (थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी) @ 50 ग्राम/पंप ड्रेंचिंग करें।

  • संचार (मैनकोज़ेब 64% + मेटालेक्सिल 8% डब्ल्यूपी) @ 60 ग्राम/पंप की दर से ड्रेंचिंग करें।

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भिंडी को सफेद मक्खी से बचाना है जरूरी, ऐसे करें प्रबंधन

Whitefly management in Okra
  • भिंडी की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले सफ़ेद मक्खी दरअसल छोटे छोटे कीट होते हैं।

  • इसके शिशु तथा प्रौढ़ दोनों ही पत्तियों की निचली सतह से रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं। जिससे पौधे की वृद्धि कम होती है व उपज में कमी देखी जाती है।

  • सफेद मक्खी भिंडी में पीत शिरा मोजेक वायरस का प्रमुख वाहक होती है जिसे पीलिया रोग के नाम से जाना जाता है।

  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।

  • इस कीट के रोकथाम के लिए डायफेन्थुरान 50% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम या फ्लोनिकामिड 50% डब्ल्यूजी @ 60 मिली या एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 100 ग्राम या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% ईसी @ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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धान की 15 से 20 दिन की पौधशाला में जरूर करें ये आवश्यक छिड़काव

Necessary spraying management in 15 to 20 days of paddy nursery
  • छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों में भी रबी धान की पौधशाला/नर्सरी इस समय चल रही है l 

  • तापमान में गिरावट एवं पाले जैसी सम्भावना में धान के किसानों को पौधशाला का विशेष ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। 

  • साथ ही इस अवस्था में फसल में तना छेदक, रस चूसक कीट व जड़ गलन रोग के प्रकोप की सम्भावना अधिक होती है।

  • इसके प्रबंधन के लिए करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 30 ग्राम + फिपनोवा (फिप्रोनिल 5% एससी) @ 30 ग्राम प्रति पंप की दर से छिड़काव करें। 

  • खरीफ धान की पौधशाला की तुलना में रबी धान की पौधशाला में 10 से 15 दिन अधिक लगता है एवं धान की जड़ों का विकास भी कम दिखता है। इसके लिए ह्यूमिक एसिड @ 10 ग्राम प्रति पंप की दर से छिड़काव करें। 

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भिंडी की फसल में फूल गिरने के कारण एवं रोकथाम के उपाय

Management for flower growth in okra crop
  • किसान भाइयों सब्जी वर्गीय फसलों में भिंडी का अपना अलग ही महत्व है।

  • भिंडी की फसल में फूल आने पर इसमें फूल गिरने की समस्या देखी जाती है। 

  • इसी कारण भिंडी की फसल में फूल अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन करना बहुत जरूरी है।

  • भिंडी की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या देखी जाती है l 

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल उत्पादन भी प्रभावित होता है l 

  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व का मिश्रण @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग कर सकते है। 

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पाक्लोबुट्राज़ोल 40% एससी @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें। 

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मटर की फसल में ऐसे करें पाउडरी मिल्ड्यू रोग का नियंत्रण

Know how to control powdery mildew disease in pea crop
  • यह मटर की फसल में कवक से होने वाला एक मुख्य रोग है l  इस रोग के लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर आते हैं। इसके बाद पौधे के अन्य भागों पर भी ये दिखाई देते हैं।  

  • मटर की पत्तियों की दोनों सतहों पर पाउडर जमा हो जाता है l कोमल तने और फली आदि पर चूर्णिल धब्बे बन जाते हैंl पौधे की सतह पर सफ़ेद चूर्ण दिखाई देते हैं। फल या तो लगते नहीं हैं या छोटे रह जाते हैं।  

  • रासायनिक उपचार के लिए हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली या सल्फर 80% WDG @ 500  ग्राम या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 

  • जैविक उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।

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