मिर्च की फसल में मकड़ी के क्षति के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

क्षति के लक्षण:- यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं, जो पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं। इस कारण पत्तियां नीचे की ओर मुड़ जाती हैं। रस निकल जाने की वजह से पत्तियों के सतह पर सफेद से पीले रंग के धब्बे हो जाते हैं। संक्रमण के बढ़ने से पहले पत्तियाँ चांदी के रंग की दिखने लगती हैं और अंत में ये पत्तियां झड़ जाती हैं।

नियंत्रण के उपाय:- इसके नियंत्रण के लिए ओबेरोन (स्पाइरोमेसिफेन 22.90% एस सी) @ 160 मिली या ओमाइट (प्रोपरजाईट 57% EC) @ 600 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।

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मिर्च की फसल में चिनोफोरा ब्लाइट रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

क्षति के लक्षण 

इस रोग का कारक चिनोफोरा कुकुर्बिटारम है, रोग के कवक आमतौर पर पौधे के ऊपरी हिस्से, फूल ,पत्तियों,नई शाखाओं और फलों को संक्रमित करते हैं। प्रारम्भिक अवस्था में पानी से लथपथ क्षेत्र पत्ती पर विकसित होते हैं। प्रभावित शाखा सूख कर लटक जाती है | अधिक संक्रमण में  फल भूरे से काले रंग के हो जाते है,संक्रमित भाग पर कवक की परत देखी जा सकती है। 

जैविक प्रबंधन:- कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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मिर्च की फसल में डाई बैक रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

डाई बैक:- मिर्च में डाई बैक एक प्रमुख समस्या है। यह रोग कोलेटोट्रिकम कैप्सिसि नामक फंगस की वजह से होता है। मिर्च के फल पर पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। जिस वजह से फल में सड़न होना शूरू हो जाती है। इस रोग के कारण कोमल टहनियों के सिरे पीछे की ओर से सड़ जाते हैं। शाखा या पौधे का पूरा शीर्ष मुरझा जाता है। प्रभावित टहनियों की सतह पर कई काले बिंदु बिखरे हुए दिखाई देते हैं। शीर्ष या कुछ किनारे की शाखाएं मृत हो जाती हैं, या फिर गंभीर संक्रमण की स्थिति में पूरा पौधा सूख जाता है। वहीं आंशिक रूप से प्रभावित पौधों में कम गुणवत्ता वाले फल लगते हैं। 

नियंत्रण के उपाय:- इसके नियंत्रण के लिए, स्कोर (डाइफेनोकोनाज़ोल 25% ईसी) @ 50 मिली प्रति 100 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। या इंडेक्स (माइक्लोबुटानिल 10% डब्ल्यू पी) @ 80 ग्राम + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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सोयाबीन की फसल में लगने वाली प्रमुख इल्लियां एवं उनके नियंत्रण के उपाय

सोयाबीन फली छेदक

यह कीट सोयाबीन की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है। इस कीट का आक्रमण सोयाबीन की फसल की शुरुआती अवस्था में ही हो जाता है। यह कीट पौधे के नरम भागों को सबसे पहले नुकसान पहुंचता है। उसके बाद सोयाबीन की फली, फिर बीज को नुकसान पहुंचाता है। यह इल्ली सोयाबीन की फली के अंदर घुसकर उसे नुकसान पहुंचाती है। 

चने की इल्ली

यह इल्ली पौधे के सभी हिस्सों पर आक्रमण करती है, लेकिन ये फूल और फली को खाना अधिक पसंद करते है। प्रभावित फली पर काला छिद्र दिखाई देता है, जिसमें से लार्वा भोजन करते दौरान फली से बाहर लटका हुआ दिखाई देता है। व्यस्क इल्ली पत्तियों के क्लोरोफिल को खुरच -खुरच कर खाती है, जिससे पत्तियाँ कंकाल में परिवर्तित हो जाती है। गंभीर संक्रमण की अवस्था में पत्तियां टूट कर गिरने लगती हैं, जिस कारण अंत में पौधा सूखकर मर जाता है।

तम्बाकू की इल्ली

इस कीट की इल्ली सोयाबीन की पत्तियों के क्लोरोफिल को खुरचकर खाती है, जिससे खाये गए पत्ते पर सफ़ेद पीले रंग की रचना दिखाई देती है। अत्यधिक प्रकोप होने पर ये तना, कलिया, फूल और फलों को भी नुकसान पहुंचाती है। जिस कारण अंत में पौधों पर सिर्फ डन्डीया ही दिखाई देती हैं। 

नियंत्रण के उपाय:-  इसके नियंत्रण के लिए, प्लेथोरा (नोवलूरॉन 05.25% + इंडोक्साकार्ब 4.50 % एससी) @ 350 मिली या फेम (फ्लुबेंडियामाइड 39.35% एससी) @ 60 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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धान की फसल में पत्ती लपेटक कीट की पहचान एवं नियंत्रण

पत्ती लपेटक:- इस कीट की मादा धान की पत्तियों के शिराओं के पास समूह में अंडे देती हैं। इन अण्डों से 6-8 दिन में सूड़ियां बाहर आती हैं। ये सूड़ियां पहले मुलायम पत्तियों को खाती हैं। इसके बाद अपने लार द्वारा रेशमी धागा बनाकर पत्ती को किनारों से मोड़ देती हैं और अन्दर ही अन्दर खुरच कर खाती रहती हैं। इस कीट का प्रकोप अगस्त – सितम्बर माह में अधिक दिखाई देता है। इस रोग के प्रकोप से प्रभावित खेत में धान की पत्तियां सफ़ेद एवं झुलसी हुई दिखायी देती है।

नियंत्रण के उपाय:-

इसके नियंत्रण के लिए, सुपर 505 (क्लोरपायरीफॉस 50% + साइपरमेथ्रिन 5% ईसी) @ 280 मिली या लेमनोवा (लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 4.90% सीएस) @ 100 मिली +  सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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कपास की फसल में डेंडु बनते समय पोषक तत्व प्रबंधन एवं जरुरी छिड़काव

किसान भाइयों, कपास की अधिक पैदावार लेने के लिये पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय है। कपास की फसल में डेंडु बनना बुवाई के 60-65 दिनों में शुरू हो जाता है। इस अवस्था में पोषण एवं कीट प्रबंधन उचित तरीके से इस प्रकार करें –  

पोषण प्रबंधन

  • कपास की अधिक पैदावार लेने के लिये, यूरिया 30 किलो + एमओपी 30 किग्रा + मैग्नीशियम सल्फेट 10 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करना बहोत आवश्यक है। 

डेंडू निर्माण के लिए आवश्यक छिड़काव 

  • कपास की फसल में 5 से 10 % पूड़ी बनना शुरू हो जाये, तब इस अवस्था में, न्यूट्रीफुल मैक्स (फुल्विक एसिड का अर्क 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम ट्रेस मात्रा में – 5 % + अमीनो एसिड) @ 250 मिली या डबल (होमोब्रासिनोलाइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू) 100 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

उपयोग के फायदे 

  • न्यूट्रीफुल मैक्स – न्यूट्रीफुल फूल मैक्स पौध वृद्धि प्रवर्तक है। इसमें फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम ट्रेस मात्रा में  5% + अमीनो एसिड आदि तत्व पाए जाते हैं। यह फूलो के रंग, डेंडु के गुणवत्ता को बढ़ाता है, एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता में भी वृद्धि करता है। सूखे, पाले आदि के खिलाफ रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ावा देता है। 

  • एवं परागण की क्रिया पूरी हो जाती है, जिससे फूल व पूड़ी नहीं गिरते हैं। साथ ही ये पौधों को तनाव मुक्त रखता है। यह फसलों की उत्पादन के साथ साथ गुणवत्ता में भी वृद्धि करता है।

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देश की विभिन्न मंडियों में 18 अगस्त को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

अदरक

30

32

रतलाम

आलू

18

20

रतलाम

टमाटर

28

35

रतलाम

हरी मिर्च

50

60

रतलाम

भिन्डी

14

18

रतलाम

नींबू

22

25

रतलाम

फूलगोभी

25

30

रतलाम

पत्ता गोभी

35

40

रतलाम

बैंगन

13

14

रतलाम

करेला

35

36

रतलाम

कटहल

18

20

रतलाम

खीरा

13

14

रतलाम

शिमला मिर्च

36

40

रतलाम

केला

35

36

रतलाम

अनार

45

55

रतलाम

सेब

85

रतलाम

पपीता

30

34

लखनऊ

आलू

20

21

लखनऊ

प्याज़

9

10

लखनऊ

प्याज़

11

12

लखनऊ

प्याज़

13

14

लखनऊ

प्याज़

15

16

लखनऊ

प्याज़

9

11

लखनऊ

प्याज़

12

13

लखनऊ

प्याज़

14

लखनऊ

प्याज़

14

15

लखनऊ

अनन्नास

25

28

लखनऊ

हरा नारियल

40

42

लखनऊ

लहसुन

20

25

लखनऊ

लहसुन

30

40

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

लहसुन

15

20

लखनऊ

लहसुन

25

32

लखनऊ

लहसुन

35

40

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

फूलगोभी

25

30

लखनऊ

शिमला मिर्च

45

55

लखनऊ

हरी मिर्च

55

60

लखनऊ

भिन्डी

20

लखनऊ

नींबू

48

लखनऊ

खीरा

24

26

लखनऊ

अदरक

36

40

लखनऊ

गाजर

28

30

लखनऊ

मोसंबी

28

जयपुर

प्याज़

12

13

जयपुर

प्याज़

14

15

जयपुर

प्याज़

15

16

जयपुर

प्याज़

6

जयपुर

प्याज़

8

जयपुर

प्याज़

9

जयपुर

प्याज़

10

जयपुर

लहसुन

8

10

जयपुर

लहसुन

15

18

जयपुर

लहसुन

22

25

जयपुर

लहसुन

28

30

रतलाम

प्याज़

3

6

रतलाम

प्याज़

6

8

रतलाम

प्याज़

8

13

रतलाम

प्याज़

13

15

रतलाम

लहसुन

7

9

रतलाम

लहसुन

10

16

रतलाम

लहसुन

17

24

रतलाम

लहसुन

26

45

शाजापुर

प्याज़

3

6

शाजापुर

प्याज़

9

11

शाजापुर

प्याज़

12

14

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कपास की फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग:- यह बीज जनित रोग है, जो अल्टरनेरिया मेक्रोस्पोरा नामक फफूंद से होता है। इस रोग से पत्तियों की ऊपरी सतह पर भूरे रंग के छोटे-छोटे धब्बे बनते हैं, जो बाद में काले भूरे एवं गोलाकार हो जाते है। इन धब्बों में बनने वाली गोलाकार वलय इसकी पहचान का मुख्य लक्षण हैं। अंंत में अधिक रोग ग्रसित पत्तियां पौधों से झड़ जाती हैं। 

रोग प्रबंधन के उपाय:-

  • कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें 

  • टिल्ट (प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी) @ 200 मिली या एंट्राकोल (प्रोपीनेब 70% डब्ल्यूपी) @ 600 ग्राम + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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धान की फसल में चूसक कीटों की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

भूरा पौध फुदका या माहू :- 

यह छोटे आकार एवं भूरे रंग की कीट होते हैं, इसके शिशु और वयस्क दोनों ही धान को नुकसान पहुंचाते हैं। जो मुख्य रूप से जल स्तर से ऊपर पौधों के जड़ के पास आधार पर चिपके हुए दिखाई देते हैं। शिशु और प्रौढ़ कीट पौधों का रस चूसकर कमजोर कर देते हैं। अत्यधिक प्रकोप की स्थिति में खेतों में कई हिस्से सूखे नज़र आते हैं, इसे हॉपर बर्न कहते हैं। 

नियंत्रण के उपाय 

इसके नियंत्रण के लिए थियानोवा 75 (थियामेथोक्सम 75% एसजी) @ 60 ग्राम या तापूज (बुप्रोफेज़िन 15% + एसीफेट 35% डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

हिस्पा :-

इस कीट के व्यस्क भृंग नीले काले रंग के होते हैं, जिनके ऊपर छोटे छोटे कांटे होते है। इसके व्यस्क पत्तियों को कुरेद कर खाना शुरू कर देते हैं। इससे पत्तियों पर लम्बी सफ़ेद धारिया बन जाती हैं। हिस्पा का अधिक प्रकोप अगस्त व सितम्बर माह में होता है। रोपाई के बाद से ही इस कीट के प्रकोप से पौधे मुरझा कर मर जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय 

इसके नियंत्रण के लिए सेलक्विन (क्विनालफोस 25% ईसी) @ 600 मिली  या धनवान 20 (क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी) @ 500 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मिली, प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूबी) @ 1 किग्रा/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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देश की विभिन्न मंडियों में 9 अगस्त को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

कमोडिटी

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

रतलाम

अदरक

28

32

रतलाम

आलू

18

20

रतलाम

टमाटर

22

24

रतलाम

हरी मिर्च

48

52

रतलाम

पत्ता गोभी

25

30

रतलाम

भिन्डी

22

25

रतलाम

नींबू

30

35

रतलाम

फूलगोभी

28

35

रतलाम

बैंगन

13

16

रतलाम

करेला

40

45

रतलाम

कटहल

18

20

रतलाम

पपीता

28

30

रतलाम

शिमला मिर्च

30

35

रतलाम

खीरा

14

16

रतलाम

केला

35

36

रतलाम

अनार

45

55

रतलाम

सेब

80

82

लखनऊ

कद्दू

22

लखनऊ

पत्ता गोभी

25

30

लखनऊ

शिमला मिर्च

50

60

लखनऊ

हरी मिर्च

40

लखनऊ

भिन्डी

20

26

लखनऊ

नींबू

45

48

लखनऊ

खीरा

18

20

लखनऊ

गाजर

28

लखनऊ

मोसंबी

30

लखनऊ

केला

15

गुवाहाटी

प्याज

14

गुवाहाटी

प्याज

16

गुवाहाटी

प्याज

17

गुवाहाटी

प्याज

18

गुवाहाटी

प्याज

13

गुवाहाटी

प्याज

15

गुवाहाटी

प्याज

17

गुवाहाटी

प्याज

18

गुवाहाटी

प्याज

15

गुवाहाटी

प्याज

18

गुवाहाटी

प्याज

20

गुवाहाटी

प्याज

21

गुवाहाटी

लहसून

20

25

गुवाहाटी

लहसून

28

33

गुवाहाटी

लहसून

33

38

गुवाहाटी

लहसून

38

42

गुवाहाटी

लहसून

20

25

गुवाहाटी

लहसून

25

33

गुवाहाटी

लहसून

33

38

गुवाहाटी

लहसून

38

42

शाजापुर

प्याज

4

7

शाजापुर

प्याज

7

9

शाजापुर

प्याज

9

13

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