प्याज की पत्तियों के ऊपरी सिरे सूख रहे हों तो जल्द करें उपचार

  • टिप बर्न की समस्या में प्याज के पत्तियों के टिप यानी की ऊपरी सिरे जले हुए से नजर आने लगते हैं। यह समस्या अगर फसल के परिपक्व होने की अवस्था के समय दिखती दे तो यह प्रक्रिया स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन युवा पौधों में अगर टिप बर्न की समस्या नजर आये तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।

  • युवा पौधों में यह समस्या कई कारणों से हो सकती है। इसके संभावित कारण निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

1. मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी 

2. फफूंदों से होने वाले संक्रमण 

3. या फिर रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स आदि का संक्रमण 

4. इसके अलावा तेज हवा, सूरज की अधिक रोशनी, मिट्टी में लवण की अधिकता और अन्य पर्यावरणीय कारक भी प्याज के शीर्ष को जला सकते हैं।

नियंत्रण के उपाय 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा/एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए, नोवालक्सम  @ 60 मिली या जम्प (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी) @ 30 ग्राम+ सिलिकोमैक्स @ 50 मिली + नोवामैक्स (जिबरेलिक एसिड 0.001%) @ 300 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें। 

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मक्का की फसल फॉल आर्मी वर्म से हो जायेगी बर्बाद, जल्द कर लें बचाव

  • फॉल आर्मी वर्म कीट मक्के की सभी अवस्थाओं में आक्रमण करते हैं। सामान्यत: यह मक्के की पत्तियों पर आक्रमण करते हैं, लेकिन अधिक प्रकोप होने पर यह भुट्टे को भी नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इस कीटे के लार्वा पौधे के ऊपरी भाग या कोमल पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कीट से ग्रसित पौधे की पत्तियों पर छोटे- छोटे छेद दिखाई देते हैं।

  • नवजात लार्वा पौधे की पत्तियों को खुरच कर खाते हैं, जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधे की ऊपरी पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा पौधे के अंदर घुसकर मुलायम पत्तियों को भी खा जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय  

इसके नियंत्रण के लिए इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी) @ 80 ग्राम या बाराज़ाइड (नोवालुरॉन 5.25% + एमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% एससी) @ 600 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मि ली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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प्याज की फसल नुकसान पहुंचाएगा थ्रिप्स, ऐसे करें नियंत्रण

  • थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते हैं, यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक संख्या में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।

  • अपने तेज मुखपत्र से ये पत्तियों का रस चूसते हैं। इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरी हो जाती हैं।

  • प्रभावित पौधे की पत्तियां सूखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं, या पत्तियां विकृत हो जाती होकर ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं। यह कीट प्याज की फसल में जलेबी रोग का कारक है।

  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदला बदली करके ही उपयोग करना आवश्यक है।

नियंत्रण के उपाय 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा/एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

इस कीट के नियंत्रण के लिए, नोवालक्सम (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी) @ 60 मिली या जम्प (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी) @ 30 ग्राम+ सिलिकोमैक्स @ 50 मिली + नोवामैक्स (जिबरेलिक एसिड 0.001%) @ 300 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें।

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मिर्च की फसल में मकड़ी की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

मिर्च की फसल में मकड़ी द्वारा होने वाले क्षति के लक्षण सितम्बर माह में अधिक होता है। इस कीट के प्रकोप से पैदावार बहुत प्रभावित होती है। यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं, जो पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं। जिस कारण पत्तियां नीचे की ओर (उलटे नाव की तरह) मुड़ जाती हैं। पत्तियों से रस चूसने के कारण पत्तियों के सतह पर सफेद से पीले रंग के धब्बे हो जाते हैं। बढ़ते संक्रमण के साथ ही पत्तियाँ चांदी के रंग की दिखने लगती हैं और बाद में ये पत्तियां गिर जाती हैं।

नियंत्रण के उपाय:

👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी @ 1 किग्रा प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 रासायनिक नियंत्रण के लिए ओबेरोन @ 160 मिली या ओमाइट @ 600 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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देश की विभिन्न मंडियों में 6 सितंबर को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

प्याज़

23

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

38

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

लखनऊ

कद्दू

22

लखनऊ

पत्ता गोभी

25

30

लखनऊ

शिमला मिर्च

45

55

लखनऊ

हरी मिर्च

40

लखनऊ

भिन्डी

45

लखनऊ

नींबू

20

लखनऊ

खीरा

25

लखनऊ

अदरक

24

30

लखनऊ

गाजर

30

लखनऊ

मोसंबी

32

34

लखनऊ

आलू

16

17

लखनऊ

प्याज़

9

10

लखनऊ

प्याज़

11

13

लखनऊ

प्याज़

15

लखनऊ

लहसुन

20

25

लखनऊ

लहसुन

30

40

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

अनन्नास

30

32

लखनऊ

हरा नारियल

44

45

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सोयाबीन में अधिक फलियों के उत्पादन के लिए जरुरी छिड़काव

सोयाबीन की फसल से अच्छी एवं भरपूर पैदावार लेने के लिए, सोयाबीन की फसल में अधिक फलियों के लिए ट्राई डिसॉल्व मैक्स @ 200 ग्राम + 00:00:50 @ 1 किग्रा प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

उपयोग के फायदे 

👉🏻ट्राई डिसॉल्व मैक्स जैव-उत्तेजक है, इसमें पोटेशियम, कैल्शियम, अन्य प्राकृतिक स्थिरक आदि तत्व पाए जाते हैं। यह फली की गुणवत्ता को बढ़ाने के साथ स्वस्थ और वानस्पतिक फसल वृद्धि को बढ़ावा देता है। जड़ विकास में मदद करता है, साथ ही विभिन्न पोषक तत्वों की मात्रा को भी बढ़ाता है।

👉🏻 यह पोटेशियम युक्त पानी में घुलनशील पोषक तत्व है, जो पत्तियों पर छिड़काव के लिए उत्तम है। पोटेशियम से फली का विकास ज्यादा होता है।

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मिर्च की फसल में सफेद मक्खी की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

सफेद मक्खी का प्रकोप 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान में अधिक होता है। इस कीट के शिशु एवं प्रौढ़ पत्तियों की निचली सतह पर चिपकर रस चूसते हैं। यह न केवल रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि पौधों पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं। जिससे काली फफूंद लग जाती है। इससे ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। इसका प्रकोप होने पर पौधों की पत्तियां सिकुड़ने लगती हैं। जिसे विभिन्न स्थानों में कुकड़ा या चुरड़ा-मुरड़ा रोग के नाम से जानते है। 

नियंत्रण के उपाय

👉🏻 खेत को खरपतवार मुक्त रखें। 

👉🏻 निर्धारित मात्रा में नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का प्रयोग करें। 

👉🏻 8-10 पीले स्टिकी ट्रैप स्थापित करें। 

👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, बवे-कर्ब @ 500 ग्राम/एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻रासायनिक नियंत्रण के लिए मेओथ्रिन @ 100-136 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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सोयाबीन की फसल में फली झुलसा के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

प्रिय किसान भाइयों, सोयाबीन की फसल में फली झुलसा रोग का प्रकोप उच्च आर्द्रता और तापमान वाले क्षेत्रों में अधिक होता है। सोयाबीन में फूल एवं दाने भरने की अवस्था में तने, पुष्प के डंठल व फलियों पर गहरे भूरे रंग अनियमित आकार के धब्बे पीलेपन लिए हुए दिखाई देते है। जो बाद में फफूंद की काली और काटें जैसे संरचनाओं से ढ़क जाते है। पत्तीयों का पीला-भूरा होना, मुड़ना एवं झड़ना इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। फली झुलसा से ग्रसित बीज से अंकुरण नहीं होता है।

नियंत्रण के उपाय

👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास-कर्ब @ 500 ग्राम + कॉम्बैट @ 500 ग्राम  +  सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 रासायनिक नियंत्रण के लिए, टेसुनोवा @ 500 ग्राम या फोलिक्यूर @ 250 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150-200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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धान की फसल में जीवाणु झुलसा रोग एवं रोकथाम के उपाय

जीवाणु झुलसा रोग:- यह रोग जैन्थोमोनास ओराइजी नामक जीवाणु के कारण होता है, जिसमें पत्तियां नोक से या किनारों से सूखने लगती हैं। सूखे हुए किनारे अनियमित एवं टेढ़े मेढे होते हैं। रोग ग्रस्त पौधे कमजोर हो जाते हैं, उनमें कल्ले भी कम निकलते हैं। इससे ग्रसित पौधों की नयी पत्तियां हलके मटमैले रंग की हो जाती हैं, जो कि आपस में लिपटकर नीचे से झुलसकर पीली या भूरी हो जाती हैं। अंतत: पूरा पौधा सूखकर मर जाता है, इसका अधिक प्रकोप होने पर यह फसल को 50% या उससे भी अधिक तक नष्ट कर सकता है।

जैविक प्रबंधन:- कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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मिर्च की फसल में फ्यूजेरियम विल्ट रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

फ्यूजेरियम विल्ट:- फ्यूजेरियम विल्ट मिर्च की फसल की सामान्य बीमारी है। यह बीज एवं मृदा जनित बीमारी है, जो फ्यूजेरियम ऑक्सिस्पोरम नामक फफूंद से होता है। प्रभावित पौधे अचानक मुरझा कर धीरे-धीरे सूख जाते हैं। रोग ग्रसित पौधे हाथ से खींचने पर आसानी से उखड़ जाते हैं।

फ्यूजेरियम विल्ट रोग के कारण रोगी पौधों की जड़ें अंदर से भूरी व काली हो जाती हैं। रोगी पौधों को चीर कर देखने पर ऊतक काले दिखाई देते हैं। पौधों की पत्तियां मुरझा कर नीचे गिर जाती हैं। यह रोग हवा और जमीन में ज्यादा नमी व गर्मी होने के कारण एवं सिंचाई से सही नमी का वातावरण मिलने पर अधिक बढ़ता है।

जैविक प्रबंधन:- कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।  तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के आधार पर 2 किलो कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) फॉर्म्युलेशन को 50 किलो गोबर की खाद  के साथ मिलाएं, फिर उसके ऊपर पानी छिड़कें और एक पतली पॉलिथीन शीट से ढक दें। 15 दिनों के बाद जब ढेर पर मायसेलिया की वृद्धि दिखाई दे, तो मिश्रण को एक एकड़  क्षेत्र में प्रयोग करें।

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