फसलों की उत्पादन बढ़ाने में पोटैशियम का महत्त्व

पौधों की वृद्धि एवं विकास के लिये पोटैशियम आवश्यक पोषक तत्व है। पोटैशियम फसलों को सूखा, पाला तथा कीट बीमारी आदि से बचाने में मदद करता है। जिन फसलों को पोटैशियम की पूरी मात्रा मिलती है, उन्हें उपज देने के लिये अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार पोटैशियम के प्रयोग से फसल की जल उपयोग-क्षमता बेहतर होती है। पोटैशियम फसलों की गुणवत्ता बढ़ाने वाला सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्व है। पोटैशियम फसलों में दाने का विकास के लिए भी बहुत आवश्यक है। फसल में प्रारम्भिक अवस्था से ही पोटैशियम की आवश्यकता होती है।  इससे तने का पूर्ण विकास हो जाता है, जिससे पौधा नहीं गिरता।

फसलों की निचली पत्तियों में किनारे से पीला पड़ना पोटैशियम के कमी के लक्षण हैं। पोटैशियम प्रयोग से यह समस्या नहीं आती है। पोटैशियम उत्पादन की गुणवत्ता को बढ़ाता है, अनाज के दानों की चमक, फलों का आकार, स्वाद व रंग भी पोटैशियम के कारण बढ़ता है फसल की आवश्यकतानुसार जमीन की तैयारी के समय पोटाश का उपयोग अति आवश्यक है। फसलों में छिड़काव के रूप में, 00:00:50, @ 5 ग्राम प्रति लीटर पानी के हिसाब से भी उपयोग किया जा सकता है।

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कद्दू वर्गीय फसलों में मोज़ेक वायरस के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

कद्दू वर्गीय फसलों में मोजेक वायरस का फैलाव, माहू एवं यांत्रिक उपकरणों की वजह से होता है। जिसके लक्षण पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के एक विकृत मिश्रित धब्बों के रूप में देखे जा सकते हैं। इस वायरस के चलते पत्तियां पतली और झुर्रीदार हो जाती हैं। वहीं पत्तियों के आकार का कम होना, सिकुड़ना एवं किनारों से नीचे की ओर मुड़ना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं

👉🏻 जैविक निवारण के लिए, ब्रिगेड बी @ 1 किग्रा प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 माहु के नियंत्रण के लिए, एडमायर @ 14 ग्राम  +  सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 2 दिन बाद, प्रिवेंटल BV @ 100 ग्राम प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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खरीफ प्याज की फसल में रोपाई के 40-45 दिन की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन

प्याज की फसल में पौधे के विकास के साथ साथ कंद विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। जो बीमारी, कीट एवं प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। मिट्टी में इन पोषक तत्वों की कमी होने से फसलों पर इसके लक्षण दिखने लगते हैं।

 पोषक तत्व प्रबंधन – प्याज की फसल में पौधों के अच्छे वृद्धि विकास के साथ – साथ कंद का आकार बढ़ाने के  लिए, यूरिया @ 30 किग्रा + एग्रोमिन (जिंक 5% + आयरन 2% + मैंगनीज 1% + बोरॉन 1% + कॉपर 0.5%) @ 5 किग्रा + कोरोमंडल जिंक सल्फेट @ 5 किग्रा, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।

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गोभी वर्गीय फसल में अल्टरनेरिया पत्ती धब्बा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट गोभीवर्गीय फसलों “पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रुसेल्स  स्प्राउट्स और ब्रोकोली” आदि का एक सामान्य पत्ती रोग है। इस रोग के लक्षण आमतौर पर पहले पुराने, निचली पत्तियों पर देखे जाते हैं। इससे फसलों के तने तथा पत्तियों पर छोटे, गहरे रंग के चित्तियाँ दिखाई देती हैं, जो आपस में मिलकर गोलाकार घाव बनाते हैं। घाव पत्ती के दोनों ओर से दिखाई देते हैं और परिगलित घाव आसानी से फट जाता है। पत्तियों के अलावा फूलगोभी और ब्रोकली के फूल पर भी लक्षण दिखाई देते हैं। 

नियंत्रण के उपाय

👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, मोनास-कर्ब @ 500 ग्राम + कॉम्बैट @ 500 ग्राम + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

👉🏻 इस रोग के रोकथाम के लिए, बोनस (टेबुकोनाज़ोल 38.39% एससी) @ 240 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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फसलों में रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम कैसे करें?

फेरोमोन ट्रैप – फेरोमोन ट्रैप में अलग-अलग प्रजातियों के नर वयस्क कीटों को आकर्षित करने के लिए कृत्रिम रबर का ल्यूर (सेप्टा) लगाया जाता है। इसमें उसी प्रजाति के नर को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रसायन लगा होता है। आकर्षित नर पतंग ट्रैप में लगी प्लास्टिक की थैली में आने के बाद वहाँ फंसकर मर जाते हैं। फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग इल्लियों को ग़ैर-रासायनिक तरीके से खत्म करने का इकलौता तरीका है। 

जैविक कीटनाशक – विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक पदार्थों को जैविक कीटनाशक के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है, जो फसलों के लिए घातक सूक्ष्म जीव, कीटों एवं इल्लियों पर नियंत्रण करते हैं। इनमें नीम, बबुल, सीताफल, धतूरा के बीज और पत्तियां, नीलगिरि, लैंटाना, तम्बाकू, और करंज की पत्तियां शामिल हैं। 

बर्ड पर्च – खेती में चिड़िया का बहुत महत्त्व है, प्रत्येक चिड़िया एक घंटे में 40 से 50 इल्लियां खा जाती हैं। इसे खेत में टी आकार की 8 से 10 खूटियां, फसल से ‘डेढ़ से दो’ फ़ीट की ऊंचाई पर लगाएं। 

ट्रैप फसल – ट्रैप फसल से विशेष गंध आती है, जिससे कीट उस फसल की ओर आकर्षित होते हैं। उदाहरण के लिए, सुआ में ऐसी गंध होती हैं, जो पत्तियां खाने वाली इल्लियों और पतंगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। जिससे कीट सुआ पर आ जाते हैं और मुख्य फसल बच जाती है, इसके लिए 12 लाइन मुख्य फसल की और 2 लाइन सुआ की डालें।

लेडीबर्ड बीटल – यह एक लाभदायक कीट है। इसे किसान एवं फसल का मित्र भी खा जाता है। एक वयस्क लेडीबग एक दिन में सैकड़ों एफिड्स और अपने जीवनकाल में हजारों का मार कर खा सकती है।

चिपचिपा जाल- कीट प्रकोप की सूचना के लिए, पीले चिपचिपे ट्रैप (येलो स्टिकी ट्रैप) और नीला चिपचिपे ट्रैप (ब्लू स्टिकी ट्रैप) @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाब  से खेत में स्थापित करें।  यह रस चूसने वाले कीट (माहु, थ्रिप्स, जैसिड, सफ़ेद मक्खी) को आकर्षित करता है। जिसके आधार पर कीटनाशक अपनाकर फसल को कीट प्रकोप से बचा सकता है।

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प्याज की पत्तियों के ऊपरी सिरे सूख रहे हों तो जल्द करें उपचार

  • टिप बर्न की समस्या में प्याज के पत्तियों के टिप यानी की ऊपरी सिरे जले हुए से नजर आने लगते हैं। यह समस्या अगर फसल के परिपक्व होने की अवस्था के समय दिखती दे तो यह प्रक्रिया स्वाभाविक हो सकती है, लेकिन युवा पौधों में अगर टिप बर्न की समस्या नजर आये तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।

  • युवा पौधों में यह समस्या कई कारणों से हो सकती है। इसके संभावित कारण निम्न प्रकार से हो सकते हैं:

1. मिट्टी में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की कमी 

2. फफूंदों से होने वाले संक्रमण 

3. या फिर रस चूसक कीट जैसे थ्रिप्स आदि का संक्रमण 

4. इसके अलावा तेज हवा, सूरज की अधिक रोशनी, मिट्टी में लवण की अधिकता और अन्य पर्यावरणीय कारक भी प्याज के शीर्ष को जला सकते हैं।

नियंत्रण के उपाय 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा/एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए, नोवालक्सम  @ 60 मिली या जम्प (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी) @ 30 ग्राम+ सिलिकोमैक्स @ 50 मिली + नोवामैक्स (जिबरेलिक एसिड 0.001%) @ 300 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें। 

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मक्का की फसल फॉल आर्मी वर्म से हो जायेगी बर्बाद, जल्द कर लें बचाव

  • फॉल आर्मी वर्म कीट मक्के की सभी अवस्थाओं में आक्रमण करते हैं। सामान्यत: यह मक्के की पत्तियों पर आक्रमण करते हैं, लेकिन अधिक प्रकोप होने पर यह भुट्टे को भी नुकसान पहुंचाने लगते हैं। इस कीटे के लार्वा पौधे के ऊपरी भाग या कोमल पत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं। इस कीट से ग्रसित पौधे की पत्तियों पर छोटे- छोटे छेद दिखाई देते हैं।

  • नवजात लार्वा पौधे की पत्तियों को खुरच कर खाते हैं, जिससे पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती हैं। जैसे-जैसे लार्वा बड़ा होता है, पौधे की ऊपरी पत्तियों को पूर्ण रूप से खाकर नष्ट कर देते हैं। इसके अलावा पौधे के अंदर घुसकर मुलायम पत्तियों को भी खा जाते हैं।

नियंत्रण के उपाय  

इसके नियंत्रण के लिए इमानोवा (इमामेक्टिन बेंजोएट 5 एसजी) @ 80 ग्राम या बाराज़ाइड (नोवालुरॉन 5.25% + एमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% एससी) @ 600 मिली + सिलिको मैक्स @ 50 मि ली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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प्याज की फसल नुकसान पहुंचाएगा थ्रिप्स, ऐसे करें नियंत्रण

  • थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते हैं, यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक संख्या में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।

  • अपने तेज मुखपत्र से ये पत्तियों का रस चूसते हैं। इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरी हो जाती हैं।

  • प्रभावित पौधे की पत्तियां सूखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं, या पत्तियां विकृत हो जाती होकर ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं। यह कीट प्याज की फसल में जलेबी रोग का कारक है।

  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदला बदली करके ही उपयोग करना आवश्यक है।

नियंत्रण के उपाय 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी (बवेरिया बेसियाना 1.15% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा/एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

इस कीट के नियंत्रण के लिए, नोवालक्सम (थियामेथोक्सम 12.6% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 9.5% जेडसी) @ 60 मिली या जम्प (फिप्रोनिल 80% डब्ल्यूजी) @ 30 ग्राम+ सिलिकोमैक्स @ 50 मिली + नोवामैक्स (जिबरेलिक एसिड 0.001%) @ 300 मिली, प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से  छिड़काव करें।

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मिर्च की फसल में मकड़ी की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय

मिर्च की फसल में मकड़ी द्वारा होने वाले क्षति के लक्षण सितम्बर माह में अधिक होता है। इस कीट के प्रकोप से पैदावार बहुत प्रभावित होती है। यह बहुत ही छोटे कीट होते हैं, जो पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं। जिस कारण पत्तियां नीचे की ओर (उलटे नाव की तरह) मुड़ जाती हैं। पत्तियों से रस चूसने के कारण पत्तियों के सतह पर सफेद से पीले रंग के धब्बे हो जाते हैं। बढ़ते संक्रमण के साथ ही पत्तियाँ चांदी के रंग की दिखने लगती हैं और बाद में ये पत्तियां गिर जाती हैं।

नियंत्रण के उपाय:

👉🏻 जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड बी @ 1 किग्रा प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻 रासायनिक नियंत्रण के लिए ओबेरोन @ 160 मिली या ओमाइट @ 600 मिली + सिलिकोमैक्स @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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देश की विभिन्न मंडियों में 6 सितंबर को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

14

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

19

गुवाहाटी

प्याज़

11

गुवाहाटी

प्याज़

13

गुवाहाटी

प्याज़

17

गुवाहाटी

प्याज़

18

गुवाहाटी

प्याज़

15

गुवाहाटी

प्याज़

16

गुवाहाटी

प्याज़

22

गुवाहाटी

प्याज़

23

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

38

गुवाहाटी

लहसुन

15

20

गुवाहाटी

लहसुन

20

25

गुवाहाटी

लहसुन

25

32

गुवाहाटी

लहसुन

35

40

लखनऊ

कद्दू

22

लखनऊ

पत्ता गोभी

25

30

लखनऊ

शिमला मिर्च

45

55

लखनऊ

हरी मिर्च

40

लखनऊ

भिन्डी

45

लखनऊ

नींबू

20

लखनऊ

खीरा

25

लखनऊ

अदरक

24

30

लखनऊ

गाजर

30

लखनऊ

मोसंबी

32

34

लखनऊ

आलू

16

17

लखनऊ

प्याज़

9

10

लखनऊ

प्याज़

11

13

लखनऊ

प्याज़

15

लखनऊ

लहसुन

20

25

लखनऊ

लहसुन

30

40

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

अनन्नास

30

32

लखनऊ

हरा नारियल

44

45

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