पाला, उससे होने वाली हानि एवं बचाव

डॉ. शंकर लाल गोलाडा

कैसै करें पाले और शीत लहर से फसलों का बचाव

पाले के प्रभाव से पौधों की पत्तियां एवं फूल झुलसे हुए दिखाई देते है। एवं बाद में झड़ जाते हैं। यहां तक कि अधपके फल सिकुड़ जाते है। उनमें झाुर्रियां पड़ जाती हैं एवं कलिया गिर जाते है। फलियों एवं बालियों में दाने नहीं बनते हैं एवं बन रहे दाने सिकुड़ जाते है। दाने कम भार के एवं पतले हो जाते है रबी फसलों में फूल आने एवं बालियां/ फलियां आने व उनके विकसित होते समय पाला पडऩे की सर्वाधिक संभावनाएं रहती है। अत: इस समय कृषकों को सतर्क रहकर फसलों की सुरक्षा के उपाय अपनाने चाहिये। पाला पडऩे के लक्षण सर्वप्रथम आक आदि वनस्पतियों पर दिखाई देते है। पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।

कब गिरेगा पाला : – जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रूक जाती है, तो रात्रि को पाला पडऩे की संभावना रहती है। वैसे साधारणत: पाला गिरने का अनुमान इनके वातावरण से लगाया जा सकता है। सर्दी के दिनों में जिस रोज दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिन्दु से नीचे गिर जाये। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बन्द हो जाये तथा आसमान साफ रहे, या उस दिन आधी रात से ही हवा रूक जाये, तो पाला पडऩे की संभावना अधिक रहती है। रात को विशेषकर तीसरे एवं चौथे प्रहर में पाला पडऩे की संभावना रहती है। साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाये, यदि शीत लहर हवा के रूप में चलती रहे तो कोई नुकसान नहीं होता है। परन्तु यही इसी बीच हवा चलना रूक जाये तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

शीत लहर एवं पाले से फसल की सुरक्षा के उपाय : –

खेतों की सिंचाई जरूरी : – जब भी पाला पडऩे की सम्भावना हो या मौसम पूर्वानुमान विभाग से पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई दे देनी चाहिए। जिससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है सिंचाई करने से 0. 5 – 2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान मे बढ़ोतरी हो जाती हैं ।

पौधे को ढकें : – पाले से सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। जिससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता और पौधे पाले से बच जाते हैं। पॉलीथीन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

खेत के पास धुंआ करें : – अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता और पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।

रासायनिक उपचार : – जिस दिन पाला पडऩे की सम्भवना हों उन दिनों फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिये। इस हेतु एक लीटर गंधक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कें। ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगें। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीत लहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक के तेजाब को 15 से 15 दिन के अन्तर से दोहराते रहें।

>>>सल्फर 90 % WDG पाउडर को 3 किलोग्राम 1 एकड़ में छिड़काव करने के बाद सिंचाई करें ।

>>> सल्फर 80% WDG पाउडर को 40 ग्राम प्रति पम्प (15 लीटर पानी) में मिलाकर स्प्रे करें ।

दीर्घकालिन उपाय : – फसलों को बचाने के लिये खेत की उत्तरी-पश्चिमी मेड़ों पर तथा बीच-बीच में उचित स्थानों पर वायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूत, शीशम, बबूल, खेजड़ी अरडू एवं जामुन आदि लगा दिये जाये तो पाले और ठण्डी हवा के झोंको से फसल का बचाव हो सकता हैं ।

Source:- https://www.krishakjagat.org

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Management of Bark Eating Caterpillar in Guava

अमरुद की छाल खाने वाली ईल्ली:- इस कीट के संक्रमण की पहचान शिराओं, शाखाओं, तनों एवं मुख्य तने पर बनी अनियमित सुरंग एवं पेच जिस पर जाले के साथ खाई हुई लकड़ी का भूरा एवं कीट का मल लगा होता है, से होती है| छेद विशेष रूप से शिराओं और शाखाओं के जोड़ों पर भी देखा जा सकता है| युवा शाखायें सूखी और मर जाते हैं जिससे पौधे को बीमार दिखते हैं।

प्रबंधन:-·

  •  इस कीट के संक्रमण को रोकने के लिए बाग साफ और स्वस्थ रखें।
  • शुरुआती संक्रमण को पहचानने के लिए समय समय पर सुखी कोमल शिराएँ देखे|·
  •  शुरुआती संक्रमण में ईल्ली द्वारा बनाए गए छेदों में लोहे का तार डाल कर ईल्ली को मार देना चाहिए| ·
  • अधिक संक्रमण होने पर जालों को हटा कर कपास की रूई के फोये को डायक्लोरोवास 0.05% के घोल में डूबा कर इनके बने छेद में भर देना चाहिए या मोनोक्रोटोफोस 0.05% या क्लोरोपाईरीफास 0.05% इंजेक्शन से डाल कर मिट्टी से छेद बंद करे|

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Subsidy on Agricultural Machinery and Equipments Part-1

कृषि मशीनरी और उपकरण पर अनुदान भाग-1 :-

कृषि मशीनरी का नाम अधिकतम स्वीकार्य अनुदान (एससी, एसटी, छोटे और सीमान्त किसानों, महिलाओं आदि के लिए ) अधिकतम स्वीकार्य अनुदान (अन्य के लिए)
ट्रेक्टर
08 से 20 HP 1 लाख रु 75,000/- रु.
20 से 70 HP 1.25 लाख रु 1 लाख रु.
पॉवर टिल्लर
8 BHP से कम 50,000/- रु. 40,000/- रु.
8 BHP से अधिक 75,000/- रु. 60,000/- रु.
राईस ट्रांसप्लान्टर
सेल्फ प्रोपलड राईस ट्रांसप्लान्टर (4 पंक्ति) 94,000/- रु. 75,000/-
सेल्फ प्रोपलड राईस ट्रांसप्लान्टर (4-8 पंक्तियों से अधिक )सेल्फ प्रोपलड राईस ट्रांसप्लान्टर (8-16 पंक्तियों से अधिक ) 2 लाख रु. 2 लाख रु.
सेल्फ प्रोपलड मशीनरी
रिप्पर-कम-बाइंडर 1.25 लाख रु. 1 लाख रु.
ऑटोमैटिक यूरिया ब्रिकेटिंग डीप प्लेसमेंट/ यूरिया एप्लीकेशन मशीन 63,000/- रु. 50,000/-
विशिष्ट सेल्फ प्रोपलड मशीनरी
रिप्पर एवं पोस्ट होल डिग्गर/ औगुर एवं पेंयुमैटिक/ अन्य प्लान्टर 63,000/- रु. 50,000/- रु.
सेल्फ प्रोपलड उद्यानिकी मशीनरी
फ्रूट प्लक्करस, ट्री प्रुनर्स, फ्रूट हार्वेस्टर, फ्रूट ग्रेडरस, ट्रैक ट्रोली, नर्सरी मीडिया फिलिंग मशीन, मल्टीपरपस हाइड्रोलिक सिस्टम, पावर आपरेटड उद्यानिकी टूल्स फॉर प्रूनिंग, बन्डिंग, ग्रेडिंग, शेयरिंग आदि| 1.25 लाख रु. 1 लाख रु.

 

अधिक जानकारी के लिए उद्यानिकी विभाग/कृषि विभाग  में वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी/ वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करे |

http://mpkrishi.mp.gov.in/hindisite/suvidhaye.aspx

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Subsidy on Pomegranate cultivation

अनार क्षेत्र विस्तार:- परियोजना अंतर्गत अनार टिश्यु कल्चर पौध रोपण मय ड्रीप इरीगेशन हेतु प्रति हेक्टेयर निर्धारित इकाई लागत राशि रु. 1.50 लाख पर 50% अनुदान राशि रुपये 0.75 लाख का प्रावधान है| अनुदान 3 वर्षो में 60:20:20 के मान से प्रथम वर्ष क्रमश: राशि रु. 45 हजार एवं अनुरक्षण पर द्वितीय एवं तृतीय वर्ष 15-15 हजार 80% पौधे जीवित होने पर देय है| प्रति कृषक 0.5 हेक्टेयर से अधिकतम 5.00 हेक्टेयर तक पौध रोपण की पात्रता है| योजना समस्त जिलो में लागू है| आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Symptoms and Control of Stemphylium Blight in Onion

स्टेमफाईटम झुलसा रोग:- छोटे पीले से नारंगी धब्बे या धारियां पत्ति के बीच में बनती है जो बाद में बड़ी धुरी के आकार से अंडाकार हो जाती है जो धब्बे के चारो ओर गुलाबी किनारे इसका लक्षण है| धब्बे पत्तियों के किनारे से नीचे की और बढ़ते है| धब्बे आपस में मिलकर बड़े क्षेत्र बनाते है पत्तियां झुलसी दिखाई है पौधे की सभी पत्तियां प्रभावित होती है| चोपाई के 30 दिन बाद 10-15 दिन के अंतराल पर या बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर फफूंदनाशियों मेन्कोजेब 75%WP @ 50 ग्राम प्रति पम्प, ट्रायसाईकलाज़ोल @ 20 मिली प्रति पम्प, हेक्सकोनाज़ोल @ 20 मिली, प्रोपिकोनाज़ोल @ 20 मिली प्रति पम्प का छिडकाव करे |

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Subsidy on Medicinal and Aromatic Crops

औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना:- योजना के तहत कृषक को स्वेच्छा से क्षेत्र के अनुकूल औषधीय एवं सुगंधित फसल के क्षैत्र विस्तार हैतु फसलवार 20 से 75% तक का अनुदान देय है| प्रत्येक कृषक को योजनान्तर्गत 0.25 हेक्टर से 2 हेक्टर तक लाभ देने का प्रावधान है | फसलवार अनुदान विवरण निम्नानुसार है:-

क्र. फसल का नाम अनुदान राशि( रूपये में)
1. आंवला 13,000/-
2. अश्वगंधा 5,000/-
3. बेल 20,000
4. कोलियस 8,600/-
5. गुडमार 5000/-
6. कालमेघ 5000/-
7. सफेद मुसली 62,500/-
8. सर्पगंधा 31,250/-
9. शतावर 12,500/-
10. तुलसी 6,000/-

आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Use of Bio-Fertilizer mycorrhiza (VAM)

जैविक उर्वरक मायकोराईजा(VAM):- मायकोराईजा फफूंद मायसेलिया और पौधे की जड़ों के बीच गठबंधन है। VAM एक एन्डोट्रॉफिक (अंदर रहता है) माइकोरार्इज़ा है जो एस्पेटेक्स फाइकाइसेट्स फफूंद द्वारा बनाई जाती है। VAM एक कवक है जो पौधों की जड़ों में प्रवेश करता है जिससे उन्हें मिट्टी से पोषक तत्व लेने में मदद मिलती है। VAM मुख्य रूप से फास्फोरस, जस्ता और सल्फर पोषक तत्वों को लेने में मदद करता है|  VAM हाईफा पौधों के रूट ज़ोन के आसपास नमी बनाए रखने में मदद करता है। यह जड़ एवं मिट्टी जनित रोगजनकों और नेमाटोड से प्रतिरोध को बढ़ाता है| ये कॉपर, पोटेशियम, एल्युमिनियम, मैंगनीज, लौह और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्वों को मिट्टी से पौधों की जड़ों तक पहुचाते हैं। मायकोरार्इज़ा सभी फसलों के लिए 4 किलोग्राम प्रति एकड़ बुआई के समय या बुवाई के 25-30 दिनों के बाद देना चाहिए|

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Subsidy on Horticultural Machinery

उद्यानिकी के विकास हेतु यंत्रीकरण को बढ़ावा देने की योजना:- कृषक जो आधुनिक यंत्रो का उपयोग उद्यानिकी फसलो में करना चाहते है उन्हें ऐसे यंत्रो पर इकाई लागत का 50% या अधिकतम निम्नानुसार अनुदान देय है-

क्र. उद्यानिकी मशीनरी अधिकतम अनुदान राशि
1 आलू प्लान्टर/डीगर के लिए 30000.00
2 लहसुन/प्याज प्लान्टर/डीगर 30000/-
3 ट्रेक्टर माउणटेड ऐगेब्लास्टर स्प्रेयर के लिए 75,000/-
4 पॉवर आपरेटेड प्रुनिग मशीन के लिए 20000/-
5 फोगिंग मशीन के लिए 10000/-
6 मल्च लेइंग मशीन 30000/-
7 पॉवर टिलर के लिए 75,000
8 पॉवर वीडर के लिए 50,000/-
9 ट्रेक्टर विथ रोटावेटर 1,50,000/-
10 प्याज/लहसुन मार्कर 500/-
11 पोस्ट होल डीगर 50,000/-
12 ट्री प्रुनर 45,000/-
13 प्लांट हेज ट्रिगर 35,000/-
14 मिस्ट ब्लोअर 30,000/-
15 पॉवर स्प्रे पम्प 25,000/-

आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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Time for Fertilization in Garlic

लहसुन में खाद देने का समय:-

  1. खेत की तैयारी के समय
  2. लगते समय
  3. लगाने के 20-30 दिन बाद
  4. लगाने के 30-45 दिन बाद
  5. लगाने के 45-60 दिन बाद
  6. यदि किसी कारण से खाद की पुरी मात्रा नहीं दी गयी है तो कुछ जल्दी घुलने वाले उर्वरक 75 दिन की अवस्था में दिए जा सकते है |

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Subsidy for Spice Crop

मसाला क्षेत्र विस्तार योजना:- मसाला क्षेत्र विस्तार योजना अंतर्गत उन्नत/संकर मसाला फसल के लिए इकाई लागत का 50% बीज वाली फसलो हैतु अधिकतम 10000/- रुपये प्रति हेक्टेयर तथा मसाला की कंद/प्रकंद वाली फसल जैसे:- हल्दी, अदरक और लहसुन के लिए अधिकतम रुपये 50,000/- प्रति हेक्टेयर अनुदान दिये जाने का प्रावधान है योजना में एक कृषक को 0.25 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर तक का लाभ दिया जा सकता है| सभी वर्ग के कृषक लाभ ले सकते है | आवेदन के लिए ऑन लाईन पंजीयन करवाए और वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे|

http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php

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