Suitable Climate for Muskmelon Cultivation

खरबूज की खेती के लिए आवश्यक वातावरणीय दशा:- 

  • खरबूज के बीज को बोने के सही समय नवंबर से फरवरी तक होता है|
  • गर्म -शुष्क मौसम फल की वृद्धि एवं अच्छे स्वाद के लिए अच्छा माना जाता है|
  • उच्च तापक्रम एवं धूप खरबूज में शर्करा की मात्रा को बढ़ाता है|
  • खरबूज की मिठास वंशानुगत विशेषताओं पर निर्भर करती है लेकिन पर्यावरणीय दशा कुछ हद तक इसे प्रभावित करती है|
  • यह ठंड के लिए अतिसंवेदनशील है एवं यह गर्मी की फसल के रूप में उगाया जाता है।

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Control of Aphids in Pea

मटर में माहु का नियंत्रण:-

  • हरे रंग के छोटे कीट होते है । वयस्क, बड़े नाशपाती के आकार वाले हरे, पीले या गुलाबी रंग के होते है।

हानि :-  

  • पत्तियों, फूलों व फल्लियों से रस चूसते है ।  
  • प्रभावित पत्तियां मुड़ जाती है व टहनियां छोटी रह जाती है ।
  • यह कीट मीठे पदार्थ का रिसाव करते है जो सूटी मोल्ड को विकसित करते है ।

नियंत्रण :-  

  • निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  
  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प

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The likelihood of Frost

पाला पड़ने की संभावना:-

  • पाले का पौधों पर प्रभाव शीतकाल में अधिक होता है।
  • जब तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर जाता है तथा हवा रुक जाती है, तो रात्रि को पाला पड़ने की संभावना रहती है।
  • वैसे साधारणता पाले का अनुमान दिन के बाद के वातावरण से लगाया जा सकता है।
  • सर्दी के दिनों में जिस दोपहर से पहले ठंडी हवा चलती रहे एवं हवा का तापमान जमाव बिंदु से नीचे गिर जाए। दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए तथा आसमान साफ रहे हैं, या उस दिन आधी रात के बाद से ही हवा रुक जाए, तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है।
  • रात को विशेष तीसरे एवं चौथे पहर में पाला पड़ने की संभावनाएं रहती हैं।
  • साधारणतया तापमान चाहे कितना ही नीचे चला जाए, यदि शीतलहर हवा के रुप में चलती रहे तो नुकसान नहीं होता है परंतु यदि इसी बीच हवा चलना रुक जाए तथा आसमान साफ हो तो पाला पड़ता है, जो फसलों के लिए नुकसानदायक है।

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Control of Fruit borer in Tomato

टमाटर में फल छेदक का नियंत्रण:-

  • फल छेदक छेद बनाकर फल में प्रवेश करता है और पूरी तरह से उन्हें नष्ट कर देता है जिससे गुणवत्ता और उपज दोनों में भारी नुकसान हो जाता है।
  • इस कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए, प्रोफेनफोस 40% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या इंडोक्सकार्ब 14.5% एससी @ 200 मिलीलीटर /एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट (5% एस.जी) 80 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करे |

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Fertilizer Requirments for Watermelon

तरबूज़ की खेती के लिए उचित उर्वरक की मात्रा:- 

  • तरबूज की खेती में अच्छी उपज के लिए अच्छी तरह सड़ी हुई खाद 15-25 टन/हेक्टेयर मृदा की तैयारी के समय उपयोग करें|
  • इसकी खेती में कुल 135 क़ि.ग्रा. यूरिया, 100 क़ि.ग्रा डी.ए.पी. एवं 70 किलोग्राम एम.ओ.पी. प्रति एकड़ की आवश्यकता होती है|
  • इसमें फास्फोरस, पोटाश की पूरी मात्रा एवं नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के पूर्व उपयोग किया जाता है|
  • बची हुई नाइट्रोजन को बुवाई के 10-15 दिनों बाद उपयोग किया जाता है|
  • सामान्यतः नाइट्रोजन की अधिक मात्रा उच्च तापक्रम पर तरबूज मे फूलों की संख्या को कम कर देता है और साथ में उपज को भी प्रभावित करता है|

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Harvest and Post Harvest Management of Onion

प्याज की तुड़ाई एवं तुड़ाई उपरान्त तकनीक

तुड़ाई:-

  • किस्मों के आधार पर प्याज, रोपण के 3 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • गर्मी के दिनों में भूमि कडी हो जाती है तब कंदों को भूमि से बाहर निकालने के लिए खुरपी का इस्तेमाल किया जाता है।
  • रबी मौसम की तुलना में खरीफ मौसम की फसल मे कम उपज होती है।

पैकिंग:-

  • लम्बी दूरी के बाजारों में ट्रक, रेल या वायुयान के द्वारा परिवहन के लिए जूट एवं नेट के बोरो का उपयोग पैकिग के लिए किया जाता है।
  • सामान्यतः 40 कि.ग्राम क्षमता के जूट एवं नेट बैग का उपयोग देश में एवं निर्यात के लिए 6-25 कि.ग्राम क्षमता वाले बोरो का उपयोग किया जाता है।
  • निर्यात के उद्देश्य से प्याज को 14-15 कि.ग्राम क्षमता की टोकरियों में भी पैक किया जाता है।

छटाई:-

  • कंदों को उपचारित करने के बाद हाथों एवं मशीनों के द्वारा आकार के आधार पर विभिऩ्न श्रेणी में श्रेणीकरण किया जाता है।
  • श्रेणीकृत प्याज को भंडारण के पूर्व उसमे से सड़े, कटे एवं अवाँछित लक्षण वाले कंदों को अलग कर देना चाहिये।
  • श्रेणी गत करने से पहले कंदों के ऊपर के सूखे छिलको को अलग कर देना चाहिये जिससे कंद आकर्षक दिखायी देते है।
  • उपचारित प्याजों को उनके आकार एवं घरेलू बाजार की उपलब्धता एवं निर्यात आधार पर श्रेणीकृत किया जाता है।

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Gramophone organised its ‘Field Day’

ग्रामोफ़ोन के फील्ड डे पर उमड़ी किसानो की भीड़ – 08 दिसंबर, 2018 को, ग्रामोफोन ने अपना ‘फील्ड डे’ आयोजित किया जहां सामान्य तौर उपयोग की जाने वाली कृषि पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई आधुनिक कृषि पद्धतियों से किया गया। ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों ने किसान को हर कदम पर निर्देशित किया और फसल चक्र की समीक्षा की जिस वजह से फसल की गुणवत्ता बहुत अच्छी है और परिणाम काफी उत्साहजनक हैं। बैंकपुरा गांव (धामनोद) के किसान मनीष अग्रवाल ग्रामोफ़ोन के बारे में कहते है की, “मैं इस सीजन में ग्रामोफोन के विशेषज्ञों से मदद ले रहा हूं और अन्य क्षेत्रों की तुलना में, मेरी फसल स्वस्थ है और मुझे उम्मीद है कि इस बार 30-40% ज़्यादा उत्पादन होगा”।

आइये देखते है सामान्य किसान द्वारा की खेती की फसल की गुणवत्ता का ग्रामोफ़ोन द्वारा आधुनिक पद्धतियों से उगाई गई फसल का तुलनात्मक अध्ययन

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Suitable climate and soil for watermelon

तरबुज के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मिट्टी:-

  • गर्म एवं शुष्क जलवायु इसकी खेती के लिए उत्तम होती है।
  • बीज के जमाव व पौधों की बढ़वार के लिए 22-26 डिग्री सेल्सियस तापक्रम अच्छा होता है। यह ग्रीष्म ॠतु की फसल है, इसलिए पाला सहन नही कर सकती |
  • हवा में अधिक नमी होने पर फल देरी से पकते हैं।
  • फल पकते समय मौसम शुष्क तथा पछुआ हवा बहने से फलों में मिठास बढ़ जाती है। उचित जल निकास और जीवांश युक्त बलुई मिट्टी या दोमट मिट्टी इसके लिए सर्वोत्तम पायी गयी है।
  • इसकी फसल के लिए सर्वोत्तम मृदा पी एच मान 5-7 होता है। उचित जल निकास ना होने पर कई प्रकार की बीमारियों का प्रकोप होने लगता है| नदी के किनारे भूमि में इसकी खेती सफलता पूर्वक की जा सकती है।

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Control Of Jassid in Okra

भिन्डी में जेसिड (फुदका) का नियंत्रण:-

पहचान:-

  • शिशु एवं वयस्क दोनों समान आकार के होते है, किन्तु शिशु में पंखों का निर्माण नही होता है।
  • खेत के अन्दर फसल में प्रवेश करने पर शिशु एवं वयस्क दोनों उड़ते हुये दिखाई देते है।  
  • वयस्क पत्तियों एवं शाखाओं की निचली सतह पर अण्डे देते है।  
  • इनका जीवन चक्र 2 सप्ताह में पूरा होता है।

हानि:-

  • शिशु एवं वयस्क कीट दोनों हरे रंग के एवं छोटे आकार के होते है।
  • शिशु एवं वयस्क, पत्तियों की निचली सतह से रस चूसते हैं ।
  • ग्रसित पत्तियां ऊपर की तरफ मुड़ जाती है जो बाद में पीली हो जाती है एवं उन पर जले हुये धब्बे बन जाते है। इनके द्वारा माइकोप्लाज्मा रोग जैसे लघु पर्ण एवं विषाणु रोग जैसे चितकबरापन स्थानांतरित होता है।  
  • इस कीट के अत्यधिक प्रभाव देखे जाने पर पौधे में फल लगना कम हो जाता है।

नियंत्रण:-

  • बुआई के समय कार्बोफुरोन 3 जी @ 10 किलो प्रति एकड़ जमीन में मिलाये|
  • जेसिड की रोकथाम हेतु जेसिड दिखाई देने पर हर 15 दिन में प्रोफेनोफॉस 50 % ईसी @ 400 मिली या एसीटामाप्रीड 20% @ 80 ग्राम का स्प्रे करें |
  • जैसिड से बचाव के लिए नीम- लहसुन का सत जैसिड आने से पहले हर 15 दिन में करें|

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Post Calving Challenges In Milk Cattles

दुधारू पशुओं में प्रसव उपरांत सुरक्षा:-

  • प्रसव के बाद पशु की शारीरिक शक्ति कम हो जाती है इसके साथ-साथ कैल्शियम की कमी भी सामान्यता देखने को मिलती है जिसकी वजह से पशुओं में दूध का उत्पादन तो कम होता ही है, पशु को मिल्क फीवर होने की भी सम्भावना बढ़ जाती है, कुछ पशुओं को जेर गिराने में भी समस्या होती है| इस समय पशुओं का अच्छे से ख्याल रखना तथा सही मात्रा में और सही पशु आहार का देना चाहिये| साथ ही इसे शक्ति वर्धक पेय देना भी जरूरी होता है|

उपाय:-

  • ट्रान्समिक्स मिल्क फीवर और केटोसिस जैसे चयापचय विकारों की संभावनाओं को कम करने में मदद करता है|
  • ट्रान्समिक्स ब्याने से होने वाले तनाव को कम करता है |
  • ट्रान्समिक्स प्लेसेंटा और मेट्रिसिस की संभावनाओं को रोकता है|
  • ट्रान्समिक्स पशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने में सहायक होता है|
  • ट्रान्समिक्स दूध उत्पादन को बढ़ाता है|

मात्रा:-

  • प्रसव के बाद पशुओं को 500 मिली ट्रान्समिक्स बोतल से पिलाइए तथा दूसरी खुराक 48 से 72 घंटे बाद बोतल से ही पिलाइए|

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