How to flower promotion in chickpea

  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा चने की फसल में फूलों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है|
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 एम.एल./एकड़ का स्प्रे करें|
  • समुद्री शैवाल का सत 180-200 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 200 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें ख़ास तोर पर बोरोन |
  • 2 ग्राम/एकड़ जिब्रेलिक एसिड का स्प्रे भी कर सकते है|

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Seed rate of watermelon

तरबूज की बीज दर उसको लगाने के तरीके और किस्म पर निर्भर करती हैं|

  • उन्नत एवं रिसर्च किस्में:- 1.5 -2 किलो/ एकड़ |
  • हाईब्रिड किस्में:- 300-500 ग्राम/ एकड़

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Seed treatment of Muskmelon

खरबूज में बीज उपचार:-

  • खरबूज बुवाई से लेकर कटाई तक विभिन्न बिमारियों से ग्रसित रहता है जिस कारण इसका उत्पादन कम हो जाता है|
  • खरबूज के इन रोगो के नियंत्रण के लिए एवं इसके प्रकोप को कम करने के लिए बीज उपचार एक महत्वपूर्ण काम है|
  • बीज को कार्बेन्डाजिम 50% WP 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए|
  • या फिर कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37. 5 % ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करना चाहिए|
  • वायरस के कारण आने वाले रोग को रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस (48%) 1 एम.एल./किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रसायन से बीज उपचारित करने के उपरांत बीज को ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 4 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित कर सकते है|
  • एक केमिकल के बाद दूसरे केमिकल से उपचार करने के मध्य 20-30 मिनिट का अंतराल रखना चाहिए|
  • बीज को उपचार करने के बाद इसे लगभग 30 मिनिट तक छाँव वाले स्थान पर सुखाना चाहिए|

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Sowing Time suitable for Watermelon

तरबूज की बुवाई का समय:-

  • तरबूजे की बुवाई का समय नवम्बर से मार्च तक है।
  • नवम्बर-दिसम्बर की बुवाई के बाद पौधों को पाले से बचाना चाहिए तथा अधिकतर बुवाई जनवरी-मार्च तक की जाती है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में मार्च-अप्रैल के महीनों में बोया जाता है।

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Management of Black Scurf Disease of Potato

आलू में काला चित्ती रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग के कारण आलू की त्वचा पर काली सतह बन जाती है|
  • कन्दो का राइजोकटोनिया से संक्रमित मिट्टी के संपर्क मे आने से यह रोग फैलता है|
  • इस रोग के लक्षण पौधों के ऊपरी एवं निचले दोनों भागो में देख सकते है|
  • इस रोग के कारण पौधे के ऊपरी भाग में हरापन कम होने लगता है एवं पत्तियाँ बैंगनी रंग की दिखाई देती है|
  • पौधों के निचले भागों जैसे -जड, कन्द इत्यादि मे धब्बे बनने लग जाते है|
  • कन्द मे रोग आने के कारण इसकी गुणवत्ता के साथ-साथ इसका बाजार भाव भी कम हो जाता है|

प्रबंधन:-

  • फसल को लगाने से पहले मृदा के पौषक तत्त्व एवं पी.एच.की जाँच करा लेना चाहिए| मृदा का पी.एच.कम होने की दशा में यह रोग फ़ैल नहीं पाता है|
  • ऐसी जगह जहाँ यह रोग हर साल आता है उस स्थान पर आलू की फसल नहीं लेना चाहिए|
  • प्रमाणित कन्दों का ही उपयोग करें यदि ऐसा संभव ना हो सके तो कन्दों को फफूँदनाशक से उपचार करके ही बोए|
  • सल्फर 90% wdg @ 6 किलो/प्रति एकड़ आवश्यक रूप से दे | या अमोनियम सल्फेट खाद का उपयोग करें |
  • रोग के उपचार के लिए कन्दों को पेंसिकुरोन 250 सी.एस. 25 मिली /क्विंटल कन्द या पेनफ्लूफेन 10 मिली/ क्विंटल कन्द की दर से उपचारित करें|

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Land Preparation for Watermelon Cultivation

तरबूज की खेती के लिए खेत की तैयारी:-

  • तरबूज की खेती सभी प्रकार की मृदा मे की जा सकती है लेकिन हल्की, रेतीली एवं उर्वर दोमट मृदा उत्तम होती है|
  • मृदा में कार्बनिक पदार्थों की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है इसकी पूर्ति के लिए हरी खाद, कम्पोस्ट, केंचुआ की खाद इत्यादि को जुताई के समय मिला देना चाहिये |
  • खेत की अच्छी तैयारी के लिए पहले गहरी जुताई करे फिर हैरो चलाये जिससे जमीन भुरभुरी हो जाए|
  • हल्का ढाल दक्षिण दिशा की और रखना हैं|
  • खेत में से घास फुस साफ़ करें|
  • लेवलर से खेत को समतल करें और 2 मी. की दूरी पर मेड़ बनाये |

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Irrigation Management of Wheat

गेहू मे सिंचाई प्रबंधन:-

  • अच्छी फसल की प्राप्ति के लिए समय पर सिंचाई करना बहुत जरुरी होता है।
  • फसल में गाभा के समय और दानो में दूध भरने के समय सिंचाई करनी चाहिए।
  • ठंड के मौसम में अगर वर्षा हो जाये तो सिंचाई कम भी कर सकते है
  • कृषि वैज्ञानिको के मुताबिक जब तेज हवा चलने लगे तब सिंचाई को कुछ समय तक रोक देना चाहिए।
  • कृषि वैज्ञानिको का ये भी कहना है की खेत में 12 घंटे से ज्यादा देर तक पानी जमा नहीं रहने देना चाहिए ।
  • गेहूँ की खेती में पहली सिंचाई बुआई के लगभग 25 दिन बाद करनी चाहिए।
  • दूसरी सिंचाई लगभग 60 दिन बाद और तीसरी सिंचाई लगभग 80 दिन बाद करनी चाहिए।

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Soil requirement for muskmelon

खरबूज की खेती के लिए उत्तम मिट्टी –

  • खरबूज सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है|
  • इसके लिए रेतीली दोमट मृदा सर्वोत्तम होती है|
  • मिट्टी अच्छे जल निकास वाली और कार्बनिक पदार्थ से भरपूर होना चाहिए|
  • मिट्टी का पी.एच. 6.0 से 7.0 होने से उत्पादन अधिक होता है साथ ही फल का स्वाद भी अच्छा रहता है|
  • मिट्टी का तापक्रम 15° सेंटीग्रेड से कम हो जाने पर बीज की वृद्धि और पौधे का विकास रुक जाता है|
  • लवण सहित क्षारीय भूमि खरबूज की खेती के लिए उत्तम नहीं मानी जाती है|

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Important Practices for Increase Yield of Watermelon

तरबूज की उपज बढ़ाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें:-

  • काले प्लास्टिक से मल्चिंग  करने से कई तरह के लाभ होते है जैसे – यह मिट्टी को गर्म रखेगा, खरपतवार वृद्धि में बाधा डालेगा, और फलो का विकास, साफ़ सुथरे वातावरण में करने में सहायक होगा ।
  • तरबूज के बीज की बोवाई से ले कर फल तैयार होने तक विभिन्न अवस्थाए  जैसे बोवाई, फूल आने के पूर्व, फल बनते समय पानी का होना बहुत जरूरी  है|
  • मिट्टी को नम रखना जरूरी है, लेकिन यह ध्यान रखते हुए कि खेत में अतिरिक्त पानी भरा नहीं हो । बेल के आधार पर सुबह के समय पानी देना अच्छा होता है, सिचाई के समय यह ध्यान रखे की पत्तिया गीली नहीं हो | जैसे ही  फल बढ़ने लगे पानी कम कर देना चाहिए। शुष्क मौसम या गर्म मौसम फलो को मीठा बनाने में सहायक होता है |
  • यदि आप उर्वरक का चुनाव कर रहे है तो, यह  सुनिश्चित कर ले कि जो उर्वरक आप चुन रहे है वह फॉस्फोरस और पोटेशियम की तुलना में अधिक नाइट्रोजन प्रदान करता हो।लेकिन जब फलो का विकास हो रहा हो तब वो उर्वरक  चुने जो फॉस्फोरस और पोटेशियम ज्यादा दे और नाइट्रोजन कम प्रदान करे| तरल समुद्री शैवाल का उपयोग करना ज्यादा अच्छा होता हैं।
  • एक ही बेल  पर अलग-अलग नर और मादा फूल पैदा करती  हैं। सामान्यत मादा फूल आने के कई सप्ताह पहले नर फूलों का आना  शुरू हो जाता हैं। नर फूल का गिरना पैदावार को नुकसान नहीं पहुँचाता । अगर ये झड भी जाए तो मादा फूल बेल पर रहते है और फल बनाते है ।
  • मधुमक्खिया परागण के लिए आवश्यक होती है, जिससे बेल में फलो की संख्या बढ़ती है |जब फल पक रहा हो तब उसे सड़ने से बचने के लिए धीरे से उठा कर जमीन और फल के बीच गत्ते का  टुकड़ा या भूसा रख देना चाहिए |

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Sowing Time of Clusterbean (Guar)

ग्वार फली की बुआई का उचित समय:-

  • फसल मे अधिक उत्पादन बीज की गुणवत्ता पर अधिक निर्भर करता है|
  • वर्षा आधारित क्षेत्रों में बीज की बुवाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े में की जाती है|
  • सिंचित क्षेत्रों में बीज की बुवाई जुलाई माह के आख़िरी सप्ताह में की जाती है|
  • गर्मी के मौसम में बीज के बुवाई का समय बहुत महत्वपूर्ण होता है|
  • ग्वार के बीज को बोने का दूसरा समय फरवरी के आखिरी सप्ताह से मार्च के पहले सप्ताह तक होता है|
  • गर्मी के मौसम में समय पर बुवाई ना करने पर अधिक तापक्रम के समय पुष्पन प्रभावित होता है|
  • गर्मी के मौसम में बीजों को बोते समय वातावरण का तापक्रम 25-30 सेंटीग्रेट होना चाहिए|

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