Control of cowpea pod borer

  • ईल्ली फलियों में छेद करके बीजो को खाती है।
  • यदि फूल और फली न हो तो लार्वा पत्तियाँ ही खाने लगती है।
  • गहरी जुताई करके जमीन में रहने वाली कीट की प्यूपा अवस्था को ख़त्म कर सकते हैं| इसके अलावा फसल चक्र अपनाना भी कीट नियंत्रण में सहायक होता है। ।
  • प्रतिरोधक/सहनशील किस्मों को बोये।
  • 3 फीट लम्बी डण्डी 10/है की दर से परजीवी पक्षियों के बैठने के लिए लगाये।
  • क्लोरपाइरीफोस 20% ईसी 450 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5% एससी @ 160-200 मिली/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।

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Control of White fly in bottle gourd

  • शिशु एवं वयस्क अण्डाकार हरे-सफेद रंग के होते हैं।
  • वयस्क लगभग 1मि.ली. लम्बे एवं शरीर पर सफेद मोम जैसे आवरण होते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते हैं एवं मधु-श्राव का उत्सर्जन करते हैं जिसकी वजह से प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती हैं।
  • पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है और काली फफूंद से ढक जाती है।
  • यह कीट पत्ती मोड़क विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है।
  • पीले पात्र वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाये।
  • बुवाई के समय कार्बोफ्यूरान 3% जीआर 8 किग्रा/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाये।
  • डायमिथोएट 30%ईसी का 250 ग्राम/एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।

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Control of pod borer in moong

  • जब इल्लिया बड़ी हो जाती है तब वह फलीयों के अंदर दानो को खाकर अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
  • फली छेदक इल्ली के द्वारा संक्रमण के कारण फली समय के पहले सूख कर पौधे से गिर जाती हैं |
  • बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी में उपस्थित कीट के अंडो एवं कोकून को नष्ट कर दे |
  • बुवाई के लिए मूंग की कम अवधि वाली किस्मों का चयन करें।
  • मूंग के पौधों के बीच निश्चित दूरी रखे |
  • क्लोरपाइरीफोस 20% ई.सी.450 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5% एस.सी. @ 160-200 मिली/एकड़ का पानी  में घोल बना कर छिड़काव करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. @ 100 ग्राम/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।

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Method of sowing in okra

  • भिन्डी को समतल मिट्टी या मेढ पर बोया जाता है, यदि मिट्टी भारी है तो इसे मेढ पर बोया जाना चाहिए।
  • भिंडी की संकर किस्मों को 75 x 30 सेमी या 60 x 45 सेमी की दूरी पर लगाया जाता है।
  • भिंडी की बुवाई से 3-4 दिन पहले सिंचाई करना फायदेमंद होता हैं
  • लगभग 4-5 दिनों में बीज अंकुरित हो जाते हैं।

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Control of thrips in moong

  • थ्रिप्स पौधों का रस चूसता हैं जिससे पौधे पीले व कमज़ोर हो जाते है जिससे उपज कम हो जाती हैं|
  • इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 400 मिली. प्रति एकड़ या फिप्रोनिल 400 मिली. प्रति एकड़ या थायमेथोक्जोम 200 ग्राम प्रति एकड़ का स्प्रे हर 10 दिन के अंतराल पर करे|
  • नीम के बीज की गिरी का अर्क (NSKE) 5% या ट्राईजोफास @ 350 मिली/एकड़  पानी में घोल कर छिड़काव करें|

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Soil and Climate for coriander

  • अच्छी तरह जल निकास वाली दोमट मिट्टी इसकी खेती के लिए अच्छी मानी जाती हैं
  • वर्षा आधारित खेती के लिए चिकनी मिट्टी अच्छी होती है जिसका pH 6-8 होनी चाहिए।
  • धनिया की फसल हेतु उपयुक्त तापमान 20-25 oC होता हैं|
  • ठंडी और शुष्क जलवायु इसकी फसल के लिए अच्छी मानी जाती हैं

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Control of bacterial wilt in tomato

  • रोगग्रस्त पौधों की पत्तियां पीले रंग की होकर सूखने लगती हैं एवं कुछ समय बाद पौधा सूख जाता हैं
  • नीचे की पत्तियां पौधे के सूखने से पहले गिर जाती हैं
  • पौधे के तने के नीचे के भाग को काटने पर उसमें से जीवाणु द्रव दिखाई देता हैं
  • पौधों के तने के बाहरी भाग पर पतली एवं छोटी जड़े निकलने लगती हैं
  • कद्दू वर्गीय सब्जिया, गेंदा या धान की फसल को उगाकर फसल चक्र अपनायें।
  • खेत में पौधे लगाने से पहले ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव 6 कि.ग्राम प्रति एकड़ की दर से करें।
  • स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट I.P. 90% w/w + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड I.P. 10% w/w  20 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग।
  • कसुगामाइसिन 3% एस.एल. 300 मिली/एकड़ के प्रयोग करके भी इस रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

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Weed management in muskmelon

  • खरबूज की फसल में खरपतवार की समस्या, कम उत्पादन का मुख्य कारण हैं क्यो की यह खेत में फसल के साथ स्थान, पानी और पोषक तत्वों के लिए प्रतियोगिता करते हैं |  
  • खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए केवल उतनी ही गहरी जुताई करें जितनी आवश्यक हो।
  • समय पर बुवाई करना भी बेहद जरूरी हैं।
  • गहरी जड़ वाले खरपतवारों को हल से या हौ चलाकर निकाल दे, या हाथो से खरपतवारो की निंदाई करे
  • खरबूज के खेत में खरपतवार की समस्या से बचने के लिए, पॉलीथीन मल्चिंग करना एक अच्छा उपाय हैं।

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Seed rate of Makkhan Grass

  • एकल बुवाई हेतु – 5 से 6 किलोग्राम प्रति एकड |  
  • बरसीम के साथ  – 2 से 3 किलोग्राम प्रति एकड़ |

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Irrigation scheduling in Brinjal

  • पौधो की अच्छी वृद्वि के लिये, फूलों एवं फलों के वृद्वि एवं विकास के लिये समय पर सिंचाई करना आवश्यक होता हैं।
  • ठंड के समय हल्की सिंचाई 8 से 10 दिन के अंतराल एवं 5 से 6 दिन के अंतराल से ग्रीष्म ऋतु में देना चाहिये।  
  • ठंड के मौसम में हल्की सिंचाई देकर अधिक ठण्ड से होने वाली हानि को कम कर सकते है ।

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