Harvesting of Garlic

  • किस्मों के आधार पर लहसुन, रोपाई  के 4 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • पौधों को हाथ से उखाड़ कर खेत में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता हैं।
  • फ़सल सुखने के बाद उन्हें बाज़ार की आवश्यकता के अनुसार काटा या बंडल बनाया जाता है।

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Irrigation schedule in makkhan grass

  • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। और दूसरी सिंचाई बुवाई के लगभग 5 से 6 दिन बाद ।
  • बाद में 10 दिनों के अंतराल पर, या जरूरत के अनुसार।
  • पहली सिंचाई, हाथ से निराई और यूरिया 40 किग्रा/एकड़ देने के बाद करनी चाहिए ।

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Seed rate of cowpea

  • अलग-अलग किस्मों के लिए बीज दर निम्नलिखित है|
  • झाडीनुमा किस्मों के लिए– 10 से 12 कि.ग्रा./एकड़ |
  • अर्ध चढ़ने वाली किस्मों के लिए–10 से 12 कि.ग्रा./एकड़ |
  • चढ़ने वाली किस्मों के लिए -2 से 2.5 कि. ग्रा./ एकड़|
  • दानों व सब्जी दोनो प्रकार की किस्मों के लिए
  • छिड़काव विधि में 30 से 35 कि.ग्रा./ एकड़|
  • एक-एक बोने वाली विधि के लिए 20 से 30 कि.ग्रा./ एकड़।

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Seed rate of coriander

  • 18-20 किग्रा/एकड़ बीज पत्ती वाली फसल के लिए उपयोग किया जाता हैं।
  • 10-12 किग्रा/एकड़ बीज फसल उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता हैं।

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Control of leaf miner in cowpea

  • इस कीट के लार्वा पत्तियों को अंदर से, टेडे़-मेढ़ आकृति में खाते है।  
  • माइनर का आक्रमण होने पर पत्तियों पर सफेद रंग की चमकदार धारियों का निर्माण ऊपरी सतह पर होता है।   
  • कीट से ग्रसित पौधों की फलन एवं फूलन क्षमता पर विपरित  प्रभाव पड़ता है।
  • दैहिक कीटनाशक जैसे डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी @ 200 मिली/एकड़ या ट्रायजोफॉस 40% ईसी @ 350-500 मिली/ एकड़ की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Climate for cowpea cultivation

  • बरबटी गर्मी के मौसम की फसल है|  
  • दाने एवं सब्जी दोनों प्रकार की बरबटी, अधिक तापमान, सूखा व खराब भूमि में भी उगाई जा सकती हैं |  
  • वर्षा व तापमान का असर अलग-अलग किस्मों पर अलग-अलग होता है, इसलिए किस्मों का चुनाव मौसम के अनुसार करना चाहिए।
  • बरबटी की फसल 21 oC से 35 oC तापमान पर अच्छी होती हैं।

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Control of aphid in muskmelon

  • ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि ये कीट फैलने न पाये।
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एसएल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता हैंं |

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Control of cowpea pod borer

  • ईल्ली फलियों में छेद करके बीजो को खाती है।
  • यदि फूल और फली न हो तो लार्वा पत्तियाँ ही खाने लगती है।
  • गहरी जुताई करके जमीन में रहने वाली कीट की प्यूपा अवस्था को ख़त्म कर सकते हैं| इसके अलावा फसल चक्र अपनाना भी कीट नियंत्रण में सहायक होता है। ।
  • प्रतिरोधक/सहनशील किस्मों को बोये।
  • 3 फीट लम्बी डण्डी 10/है की दर से परजीवी पक्षियों के बैठने के लिए लगाये।
  • क्लोरपाइरीफोस 20% ईसी 450 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5% एससी @ 160-200 मिली/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।

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Control of White fly in bottle gourd

  • शिशु एवं वयस्क अण्डाकार हरे-सफेद रंग के होते हैं।
  • वयस्क लगभग 1मि.ली. लम्बे एवं शरीर पर सफेद मोम जैसे आवरण होते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते हैं एवं मधु-श्राव का उत्सर्जन करते हैं जिसकी वजह से प्रकाश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न होती हैं।
  • पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है और काली फफूंद से ढक जाती है।
  • यह कीट पत्ती मोड़क विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है।
  • पीले पात्र वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाये।
  • बुवाई के समय कार्बोफ्यूरान 3% जीआर 8 किग्रा/एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाये।
  • डायमिथोएट 30%ईसी का 250 ग्राम/एकड़ की दर से 15 दिन के अन्तराल से छिड़काव करें।

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Control of pod borer in moong

  • जब इल्लिया बड़ी हो जाती है तब वह फलीयों के अंदर दानो को खाकर अधिक नुकसान पहुंचाती हैं।
  • फली छेदक इल्ली के द्वारा संक्रमण के कारण फली समय के पहले सूख कर पौधे से गिर जाती हैं |
  • बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी में उपस्थित कीट के अंडो एवं कोकून को नष्ट कर दे |
  • बुवाई के लिए मूंग की कम अवधि वाली किस्मों का चयन करें।
  • मूंग के पौधों के बीच निश्चित दूरी रखे |
  • क्लोरपाइरीफोस 20% ई.सी.450 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5% एस.सी. @ 160-200 मिली/एकड़ का पानी  में घोल बना कर छिड़काव करें।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एस.जी. @ 100 ग्राम/एकड़ का पानी में घोल बना कर छिड़काव करें।

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