Control of bacterial leaf spot in coriander

  • बुवाई के लिये स्वस्थ एवं रोग रहित बीजो का चुनाव करे।
  • आवश्यकता पड़ने पर ही सिंचाई करे और अतिरिक्त पानी देने से बचे।
  • नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचें, क्योंकि अधिक नत्रजन रोग के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकता हैं।
  • जब धनिया के पौधे पर रोग लग जाए तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लूपी का 400-500 ग्राम प्रति एकड़ का छिडकाव करें।

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Control of damping off in coriander

  • इस बीमारी मे बीज या तो मिट्टी से बाहर निकलने से पहले ही सड़ जाते हैं या उगने के तुरंत बाद गिर जाते हैं।
  • धनिया की बुवाई से पहले, खेत की गहरी जुताई कर पुरानी फसल के अवशेषों व खरपतवारो को नष्ट करे|
  • रोग रहित बीज तथा प्रतिरोधी किस्मो का उपयोग करें |
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज की दर से बुवाई से पहले उपचारित करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू पी 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ो के पास छिड़काव करें|

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Control of red pumpkin beetle in bottle gourd

  • लौकी के खेत के पास ककड़ी, तोरी, टिंडा आदि की बुवाई न करे क्योकि ये पौधे इस कीट के जीवन चक्र में सहायक होते हैं।
  • पुरानी फसल के अवशेष को नष्ट कर दें |
  • यदि फसल की प्रारंभिक अवस्था में, कीट दिखाई दे तो उसे हाथ से पकड़कर नष्ट कर दें।
  • साईपरमेथ्रिन 25% ईसी 150 मि.ली.प्रति एकड़ + डायमिथोएट 30% ईसी 300 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% डब्लू पी 450 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें|
  • डाइक्लोरवास (डीडीवीपी) 76% ईसी का 250-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करके इस कीट का नियंत्रण किया जा सकता हैं |

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Harvesting of Garlic

  • किस्मों के आधार पर लहसुन, रोपाई  के 4 से 5 माह में तैयार हो जाती है।
  • जब पौधों के ऊपरी शिराये झुक जाती है व निचला भाग हल्का पीले-हरे रंग के हो जाते है तब कन्दों को निकालने का उपयुक्त समय होता है।
  • पौधों को हाथ से उखाड़ कर खेत में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता हैं।
  • फ़सल सुखने के बाद उन्हें बाज़ार की आवश्यकता के अनुसार काटा या बंडल बनाया जाता है।

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Irrigation schedule in makkhan grass

  • पहली सिंचाई बुवाई के तुरंत बाद करनी चाहिए। और दूसरी सिंचाई बुवाई के लगभग 5 से 6 दिन बाद ।
  • बाद में 10 दिनों के अंतराल पर, या जरूरत के अनुसार।
  • पहली सिंचाई, हाथ से निराई और यूरिया 40 किग्रा/एकड़ देने के बाद करनी चाहिए ।

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Seed rate of cowpea

  • अलग-अलग किस्मों के लिए बीज दर निम्नलिखित है|
  • झाडीनुमा किस्मों के लिए– 10 से 12 कि.ग्रा./एकड़ |
  • अर्ध चढ़ने वाली किस्मों के लिए–10 से 12 कि.ग्रा./एकड़ |
  • चढ़ने वाली किस्मों के लिए -2 से 2.5 कि. ग्रा./ एकड़|
  • दानों व सब्जी दोनो प्रकार की किस्मों के लिए
  • छिड़काव विधि में 30 से 35 कि.ग्रा./ एकड़|
  • एक-एक बोने वाली विधि के लिए 20 से 30 कि.ग्रा./ एकड़।

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Seed rate of coriander

  • 18-20 किग्रा/एकड़ बीज पत्ती वाली फसल के लिए उपयोग किया जाता हैं।
  • 10-12 किग्रा/एकड़ बीज फसल उत्पादन के लिए उपयोग किया जाता हैं।

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Control of leaf miner in cowpea

  • इस कीट के लार्वा पत्तियों को अंदर से, टेडे़-मेढ़ आकृति में खाते है।  
  • माइनर का आक्रमण होने पर पत्तियों पर सफेद रंग की चमकदार धारियों का निर्माण ऊपरी सतह पर होता है।   
  • कीट से ग्रसित पौधों की फलन एवं फूलन क्षमता पर विपरित  प्रभाव पड़ता है।
  • दैहिक कीटनाशक जैसे डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी @ 200 मिली/एकड़ या ट्रायजोफॉस 40% ईसी @ 350-500 मिली/ एकड़ की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Climate for cowpea cultivation

  • बरबटी गर्मी के मौसम की फसल है|  
  • दाने एवं सब्जी दोनों प्रकार की बरबटी, अधिक तापमान, सूखा व खराब भूमि में भी उगाई जा सकती हैं |  
  • वर्षा व तापमान का असर अलग-अलग किस्मों पर अलग-अलग होता है, इसलिए किस्मों का चुनाव मौसम के अनुसार करना चाहिए।
  • बरबटी की फसल 21 oC से 35 oC तापमान पर अच्छी होती हैं।

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Control of aphid in muskmelon

  • ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये ताकि ये कीट फैलने न पाये।
  • माहू का प्रकोप दिखाई देने पर एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17% एसएल @ 100 मिली प्रति एकड या एसीटामाप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर पंद्रह दिन के अंतराल से छिड़काव कर इनका प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता हैंं |

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