Control of mosaic virus in watermelon

  • इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर आते हैं जो बाद में तने और फल पर भी फैल जाते हैं |  
  • प्रभावित पौधे के फल का आकार बदल जाता हैं और फल छोटे रहते है और डंठलों के पास से टूट जाते हैं |
  • यह रोग माहु नामक कीट द्वारा फैलता हैं |
  • इस रोग से बचने के लिए, फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा बुवाई के लिए रोग मुक्त बीज लेने चाहिए |
  • रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।  
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @70-100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |

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Boron deficiency in tomato

  • बोरॉन की कमी की वजह से पत्तिया हल्के हरे से पीले रंग की हो जाती हैं |
  • बोरॉन कमी के लक्षण कैल्शियम की कमी के लक्षण जैसे होते हैं|
  • पत्ते भंगुर हो जाते हैं और आसानी से टूट जाते हैं।
  • इसके अलावा पर्याप्त पानी देने के बाद भी पौधे में पानी की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं|
  • बोरान 20% ईडीटीए @ 200 ग्राम/एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करने से बोरॉन की कमी दूर हो जाता हैं ।

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Irrigation management in cowpea

  • बरवटी में पानी का जमाव अधिक नुकसान पहुँचता हैं एवं इसे अन्य सब्जियों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • दाने वाली किस्मों को 2-3 सिंचाई फूल एवं फली बनते समय देनी चाहिए।
  • सब्जी वाली किस्मों को 4-5 दिन के अन्तराल से फूल एवं फली लगते समय सिंचाई करना चाहिए।
  • फूल लगने के पहले सिंचाई रोक देनी चाहिए।

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Control of fusarium wilt in watermelon

  • रेतीली मिट्टी में यह रोग अधिक पाया जाता है।
  • संक्रमित पौधो को नष्ट करें।
  • रोग मुक्त बीज का उपयोग करे।
  • बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें।
  • जब तरबूज के पौधे पर बीमारी दिखाई दे तो प्रोपिकोनाजोल @ 80-100 मिली/एकड़ का प्रयोग करें।

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Advantage of PSB in Sorghum

  • ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते हैंं|
  • तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता हैंं जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते हैंं |
  • पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते हैंं जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते हैंं|
  • रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता हैंं|
  • इसका उपयोग करने से  25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती हैंं।

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Weed control of cowpea

  • खरपतवार को नियंत्रित करने और जड़ों में हवा के आवागमन के सुधार हेतु कम से कम दो बार निंदाई करना चाहिए।
  • बुवाई के बाद 25 से 30 दिन तक निदाई-गुड़ाई आवश्यक है।
  • पेंडीमेथलीन 38.7% सीएस 700 मिली  /एकड़ या एलाक्लोर 50% ईसी 1 लिटर/एकड़ दर से छिड़काव, 30 दिनों तक निंदा नियंत्रण करता है।

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Fertilizer requirements in makkhan grass

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 6-8 टन/एकड़, यूरिया – 65 किग्रा प्रति एकड़, एसएसपी – 20 किलो प्रति एकड़, की दर से मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • हर कटाई के बाद 65 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें ।

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Control of bacterial leaf spot in coriander

  • बुवाई के लिये स्वस्थ एवं रोग रहित बीजो का चुनाव करे।
  • आवश्यकता पड़ने पर ही सिंचाई करे और अतिरिक्त पानी देने से बचे।
  • नाइट्रोजन उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से बचें, क्योंकि अधिक नत्रजन रोग के विकास के लिए जिम्मेदार हो सकता हैं।
  • जब धनिया के पौधे पर रोग लग जाए तो कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% डब्लूपी का 400-500 ग्राम प्रति एकड़ का छिडकाव करें।

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Control of damping off in coriander

  • इस बीमारी मे बीज या तो मिट्टी से बाहर निकलने से पहले ही सड़ जाते हैं या उगने के तुरंत बाद गिर जाते हैं।
  • धनिया की बुवाई से पहले, खेत की गहरी जुताई कर पुरानी फसल के अवशेषों व खरपतवारो को नष्ट करे|
  • रोग रहित बीज तथा प्रतिरोधी किस्मो का उपयोग करें |
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज की दर से बुवाई से पहले उपचारित करें।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू पी 300 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बना कर जड़ो के पास छिड़काव करें|

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Control of red pumpkin beetle in bottle gourd

  • लौकी के खेत के पास ककड़ी, तोरी, टिंडा आदि की बुवाई न करे क्योकि ये पौधे इस कीट के जीवन चक्र में सहायक होते हैं।
  • पुरानी फसल के अवशेष को नष्ट कर दें |
  • यदि फसल की प्रारंभिक अवस्था में, कीट दिखाई दे तो उसे हाथ से पकड़कर नष्ट कर दें।
  • साईपरमेथ्रिन 25% ईसी 150 मि.ली.प्रति एकड़ + डायमिथोएट 30% ईसी 300 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% डब्लू पी 450 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें|
  • डाइक्लोरवास (डीडीवीपी) 76% ईसी का 250-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करके इस कीट का नियंत्रण किया जा सकता हैं |

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