Use of wheat and gram sawdust/straw

  • भूसा वह फसल सामग्री हैंं। जो फसल से अनाज को अलग करने के बाद बचा हुआ अवशेष होता है
  • जिसका अनेक तरह से उपयोग किया जा सकता है जैसे खाद बनाने, मल्च के रूप  में, नर्सरी की तैयारी के समय, इसके आलावा मिट्टी की जैविक क्षमता को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण होता है |  
  • गेहूं का भूसा/ पुआल मशरुम उत्पादन के लिए उपयुक्त सामग्री हैंं।
  • गेंहू और चने के भूसे का उपयोग गोबर की खाद बनाने में भी किया जाता है | और इसके साथ साथ गोबर के उपले बनाने के लिए भी इसे, गोबर के साथ मिलाया जाता हैंं।
  • कृषि उद्योग जैसे मुर्गी पालन आदि में सतह को सूखा रखने एवं तापमान नियंत्रित करने के लिए बिछाली के रूप में भी उपयोग किया जाता हे ।
  • गेहूं का भूसा / पुआल का उपयोग पशु आहार में भी किया जाता हैंं।

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Harvesting in wheat

  • जब पुआल पीला सूखा और भंगुर हो जाए एवं दाना कठोर हो जाए तब फसल की कटाई की जाती हैं |
  • हाल के वर्षों में देश के कई राज्यों में फसल की कटाई और गहाई के लिए थ्रेशिंग मशीन का उपयोग किया जाने लगा हैं|
  • जब अनाज में लगभग 15 प्रतिशत नमी हो तब फसल की कटाई कर लेना चाहिए।
  • गेहूं की बाली पीली होने पर ही फसल की कटाई की जाती हैं।
  • गेहूं की बुआई, से 110-130 दिनों अंतराल पर गेहूं कटाई की जाती हैंं।

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Post-harvest management in gram

  • चने की फसल की कटाई के बाद पांच से छह दिनों तक अच्छे से सूखा लेना चाहिए |
  • सुखाने के बाद, कटी हुई फसल की थ्रेशिंग मशीन द्वारा गहाई की जाती हैंं।
  • भंडारण से पहले फसल के दानों को अच्छी तरह से सुखाया जाना चाहिये।
  • भंडारण के समय होने वाले पल्स बीटल के आक्रमण से बचने के लिए 10% मैलाथियान घोल में  बैग डुबोएं।

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Storage technique for gram

  • लगभग 13 से 15 प्रतिशत नमी होने पर फसल की कटाई करने से चने के दाने कम गिरते हैंं।
  • भण्डारण में उचित रखरखाव चने की गुणवत्ता को बहुत प्रभावित करता हैंं जैसे उसके रंग बाहरी संरचना आदि|
  • फसल भण्डारण से पहले उसकी सफाई कर लेना चाहिये।
  • भंडारण  में रखे अनाज का  समय समय पर निरिक्षण करते रहना चाहिए |
  • भंडारण के समय अनाज में नमी का विशेष ध्यान रखें। कम नमी होने पर दाना, रख रखाव के समय टूट सकता हैंं।
  • वातावरण अनुकूल न रहने पर अनाज अधिक टूटता हैंं|
  • अगर दाना स्वस्थ हो तो उसका बाजार मूल्य अधिक होता हैंं।

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Lesser grain borer control in wheat

  • अनाजों को भंडारित करने के पहले उन्हें अच्छे से धुप में सूखा लेना चाहिए |
  • सीमेंट या कंक्रीट से बने हुए पक्के भंडारगृह का उपयोग करना चाहिए, जिसमे हवा का आगमन अच्छा हो|
  • भंडारगृह में अनाज के बोरो की थप्पी  के बीच कम से कम 2 फ़ीट का अंतर होना आवश्यक है |
  • भंडारगृह में बोरो की थप्पी इस प्रकार रखे की वह न तो छत को न ही दीवारों को छुए।
  • भंडारणगृह में हवा का आवागमन अगर अच्छा रहे तो यह अनाज में  नमी की मात्रा बढ़ने नहीं देता हैंं जिससे अनाज में विभिन्न तरह के रोग एवं कीट से बचाया जा सकता हैंं।
  • अनाज के भंडारण के लिए नम और गीले बैग का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।
  • शुष्क मौसम के दौरान महीने में कम से कम एक बार और बारिश के मौसम में एक पखवाड़े में अनाज का  निरीक्षण किया जाना चाहिए। यदि अनाज में नमी की मात्रा अधिक दिखे तो उसे जल्द से जल्द भंडार गृह से अलग कर सूखाने का प्रबंध करना चाहिए।
  • मेलाथियाँन @ 100 मिलीग्राम प्रति वर्ग मीटर का छिडकाव करना चाहिए।
  • डाईक्लोरवास @ 0.5 ग्राम प्रति वर्ग मीटर का उपयोग भी अनाज को संक्रमित होने से बचता हैंं|
  • डेल्टामेथ्रिन की 10 ग्राम प्रति लीटर का घोल बना कर भंडारगृह में स्प्रे करे |
  • कीटनाशक जहर हैंं| इसलिए लेबल पर सभी सुरक्षित एहतियात का पालन करना आवश्यक हैंं।

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Seed rate in green gram (Moong)

  • खरीफ के मौसम के लिए, बीज दर 8-9 किग्रा / एकड़ का उपयोग करें जबकि गर्मियों के मौसम में बीज की दर 12-15 किग्रा / एकड़ हैंं।

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Maturity index of wheat

  • फसल तब काटी जाती हैंं जब दाने कठोर हो जाता हैंं और पुआल पीला सूखा और भंगुर हो जाता हैंं।
  • अनाज में लगभग 15 प्रतिशत नमी होने पर कटाई की जाती हैंं।
  • गेहूं की कटाई के समय गेहूं की वाली पीली हो जानी चाहिये।
  • गेहूं की बुआई से 110-130 दिनों बाद पर गेहूं कटाई की जाती हैंं।

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Climatic conditions for green gram (moong) cultivation

  • मूंग की खेती के लिए उत्तम जलवायु गर्म आर्द्र और तापमान 25-35℃ होना चाहिए|
  • मुंग के लिए वह क्षेत्र सबसे उपयुक्त हैं जहां वार्षिक वर्षा 60-75 cm होती हैं|
  • बुवाई के समय तापमान 25-30℃ अच्छा माना जाता हैंं।
  • कटाई के समय तापमान 30-35℃ अच्छा माना जाता  हैंं।
  • मुंग को सभी दलहनी फसलों में सबसे सख्त माना जाता है और यह काफी हद तक सूखे को सहन कर सकता है।
  • हालांकि, जल जमाव और बादल वाला मौसम फसल के लिए हानिकारक है।
  • यह देश में तीनों मौसमों में उगाया जाता है।

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Anthracnose control in watermelon

  • खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये।
  • बीजों को कार्बोंन्डाजिम 50% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
  • 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Management of mosaic virus in bottle gourd

  • पौधे पूर्ण रूप से सुख जाते हैं| पत्तियों पर पीले धब्बे मोज़ेक जैसे बन जाते हैं|
  • पौधे की पत्तियां नीचे की तरफ मुड़ी हुई रहती हैं और पत्ती का आकार सामान्य से छोटा होता हैं।
  • फल का आकार बदल जाता हैं और आकार में छोटे होते हैं। यह रोग एफिड द्वारा फेलता हैं।

 प्रबंधन –

  • खरपतवार और रोगी पौधों को खेतों से हटाने से संक्रमण की संभावना कम हो सकती हैं|
  • रोग प्रतिरोध किस्मो का उपयोग करके कुछ किसान वायरस फैलने पर नियंत्रण करते हैं।
  • इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करे।

 

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