- नेपच्युन बैटरीचलित स्प्रेयर बैटरी से संचालित है जिसकी टंकी की क्षमता 16 लीटर है।
- इसका प्रेसर 0.2 से 0.45 Mpa का है जो 12 V/8AH बैटरी पर काम करता है।
- रेगुलेटर के माध्यम से प्रेसर को नियंत्रित किया जा सकता है।
- इस स्प्रेयर में कीटनाशी, कवकनाशी, शाकनाशी आदि का व्यापक प्रयोग कृषि, बागवानी, वानिकी एवं उद्यान में किया जा सकता हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लॉकडाउन मेंं किसानों को मिले 2424 करोड़ रुपये
लॉकडाउन के दौरान सरकार ख़ास कर के किसानों को मदद पहुंचाने के लिए कई कदम उठा रही है। इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत लॉकडाउन के दौरानअब तक 12 राज्यों के बहुत सारे किसानों को 2424 करोड़ के दावों का भुगतान किया गया है।
इसके साथ साथ सरकार इस बात पर भी ध्यान दे रही है कि इस योजना से अधिक से अधिक किसान जुड़ें और लाभान्वित हों। इसके लिए सरकार किसानों को फोन पर मैसेज भेजकर बीमा में शामिल होने की अपील कर रही है। इसकी मदद से खेती में किसानों का जोखिम कम हो जाएगा।
किसानों को इस योजना से जोड़ने के साथ साथ सरकार बीमा कंपनियों के समक्ष कई प्रकार के शर्त रख रही है जिससे किसानों का हित को सुरक्षित करने में मदद मिले। इसके अंतर्गत बीमा का अधिकांश प्रीमियम केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर देती हैं।
ज्यादा जानकारी के लिए https://pmfby.gov.in/ पर जाएँ
Shareस्वास्थ्य के लिए वरदान है बकरी का दूध
- बकरी का दूध प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज व इम्युनोग्लोबुलिन की पर्याप्त मात्रा से युक्त होता है जो स्वास्थ्य को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता हैं।
- गाय के दूध की तुलना में बकरी के दूध में अल्फा कैसिइन की मात्रा कम, कपा कैसिइन की बराबर और बीटा कैसिइन की उच्च मात्रा होती है। बकरी के दूध में कम अल्फा कैसिइन पाचनशक्ति को बढ़ाता है।
- बकरी का दूध पेट व आंत के रोगों के उपचार में सहायक है।
- एलर्जी और कैंसर के उपचार के लिए भी बकरी का दूध उत्तम माना गया है।
- बकरी के दूध में संयुग्मित लिनोलिक एसिड (सीएलए) की उच्च मात्रा होती है। सीएलए की इसके एंटी कारसिनोजेनिक गुण के कारण कोलोरेक्टल और स्तन कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका पाई गई है।
- डेंगू व चिकनगुनिया जैसे रोगों में बकरी का दूध इस रोग की रोकथाम व इलाज के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- बकरी का दूध शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।
देवास के किशन चंद्र ने मूंग की खेती से पाया बम्पर उत्पादन, ग्रामोफ़ोन को कहा धन्यवाद
कोई भी किसान खेती इसलिए करता है ताकि उसे इससे अच्छा मुनाफ़ा प्राप्त हो और खेती से मुनाफ़ा प्राप्त करने के लिए जो दो महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखने वाली होती हैं उनमें पहला ‘खेती की लागत को कम करना’ होता है और दूसरा ‘उत्पादन को बढ़ाना’ होता है। इन्हीं दो बिंदुओं पर ध्यान दे कर देवास जिले के खातेगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम नेमावर के किसान श्री किशन चंद्र राठौर जी ने पिछले साल मूंग की फसल से बम्पर उत्पादन प्राप्त किया था। इस बम्पर उत्पादन को प्राप्त करने के लिए किशन जी ने ग्रामोफ़ोन से भी मदद ली थी।
दरअसल किशन चंद्र जी दो साल पहले ग्रामोफ़ोन से जुड़े थे। शुरुआत में उन्होंने ग्रामोफ़ोन से थोड़ी बहुत सलाह ली लेकिन पिछले साल जब वे मूंग की खेती करने जा रहे थे तब उन्होंने अपने 10 एकड़ ज़मीन में आधे पर ग्रामोफ़ोन की सलाह अनुसार खेती की और बाकी के आधे ज़मीन पर अपने पुराने अनुभवों के आधार पर खेती की। ग्रामोफ़ोन की सलाह पर किशन चंद्र जी ने अपने खेतों में सॉइल समृद्धि किट डलवाया और बुआई से लेकर कटाई तक विशेषज्ञों से सलाह लेते रहे जिसका असर उत्पादन में देखने को मिला।
जब फसल की कटाई हुई तब उत्पादन के आंकड़े चौंकाने वाले थे। जिन पांच एकड़ के खेत में किशन जी ने अपने अनुभव के आधार पर खेती की उसमे महज 18 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ और लागत ज्यादा रही वहीं ग्रामोफ़ोन की सलाह पर खेती किये गए पांच एकड़ के खेत में 25 क्विंटल मूंग का उत्पादन हुआ और लागत भी काफी कम लगी थी।
ग्रामोफ़ोन की सलाह ने जहाँ लागत कम किया वहीं उत्पादन में 7 क्विंटल का इज़ाफा कर दिया। पिछले साल के अपने इन्हीं अनुभवों को किशन जी ने टीम ग्रामोफ़ोन से शेयर किया और कहा की इस साल भी वे मूंग की फसल ग्रामोफ़ोन की सलाह पर अपने पूरे 10 एकड़ के खेत में लगाएंगे।
Shareउड़द में सरकोस्पोरा पत्ती धब्बा रोग से बचाव
- पत्तियों पर लाल भूरे किनारों से घिरे हुए कई छोटे छोटे हल्के पीले -भूरे रंग के गोल धब्बे हो जाते हैं।
- इसी तरह के धब्बे शाखाओं और हरी फलियों पर भी होते हैं।
- पत्तियों पर गंभीर रूप से धब्बे होने पर फलियों के बनने के समय भारी मात्रा में पत्ते झड़ने लगते है।
- रोग के शुरुआती अवस्था में कार्बेन्डाजिम 12 + मैनकोजेब 63 WP 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें और 10 दिन बाद छिड़काव दोहराये।
- इससे उपचार हेतु क्लोरोथालोनिल 33.1 + मेफेनोक्साम 3.3 SC 400 मिली या एजॉक्सीस्टॉबिन 11 + टेबुकोनाजोल 18.3 SC 250 मिली/एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
जाने कपास की उन्नत किस्मों के बारे में
- कावेरी जादु : यह किस्म सूखे के प्रति और रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
- इस संकर किस्म की फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमे गूलर (डोडे) मध्यम एवं पौधा लम्बा होता है अतः कम दुरी में बुवाई लिए भी उपयुक्त किस्म है।
- रासी आरसीएच-659 : यह 145-160 दिनों की मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन के लिए अच्छी संकर किस्म है।
- इस किस्म में डोडे बड़े व अधिक संख्या में लगते है तथा यह किस्म सिंचित क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है।
- रासी नियो: यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी लिए अच्छी किस्म है साथ ही साथ रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है।
- रासी मगना: इस किस्म में गूलर बड़े व अधिक संख्या में लगते है जो मध्यम से भारी मिट्टी में उगाने के लिए अच्छी है। रसचूसक कीटों के प्रति मध्यम सहनशील है।
- कावेरी मनी मेकर: फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमे डोडे बड़े आकार के लगते है जो अच्छे से खिलने और चमकदार होते है।
- आदित्य मोक्ष: यह किस्म सिंचित व बारानी क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है जो 150-160 दिनों की फसल अवधि रखती है।
- नुजीवेदु भक्ति: यह किस्म रसचूसक कीटों प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसकी फसल अवधि लगभग 140 दिनों की होती है।
- सुपर कॉटन (प्रभात) : यह किस्म मध्यम सिंचित व काली भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है तथा रसचूसक कीटों प्रति सहनशील है।
गन्ने में दीमक प्रकोप से बचाव
- जिस क्षेत्र में दीमक की अधिक समस्या है वहां यह कीट गन्ने में भारी हानि पहुंचाता है |
- दीमक होने की पुष्टि ग्रसित पौधे की जड़ों एवं निचले तने में जीवित दीमक और उनकी बनाई हुई सुरंग देख कर की जा सकती है|
- गर्मियों में मिट्टी में दीमक को नष्ट करने के लिए गहरी जुताई करें और हमेशा अच्छी सड़ी खाद का हीं प्रयोग करें।
- 1 किग्रा बिवेरिया बेसियाना को 50 किग्रा गोबर की सड़ी खाद में मिलाकर बुवाई से पहले खेत में डाले|
- क्लोरोपायरीफास 20 ईसी 2.47 लीटर प्रति एकड़ की दर से सिंचाई के साथ उपयोग करे|
थनैला रोग के पहचान के लक्षण
- थनैला रोग एक जीवाणु जनित रोग है, जो ज्यादातर दुधारू पशु गाय, भैंस, बकरी को होता है।
- थनैला रोग में पशु के अयन (थन) का सुजना, अयन का गरम होना एवं अयन का रंग हल्का लाल होना इस रोग की प्रमुख पहचान हैं |
- अधिक संक्रमण से दूध निकालने का रास्ता एक दम बारीक हो जाता है और साथ में दूध फट के आना, मवाद आना जैसे लक्षण दिखाई देते है।
- संक्रमित पशु के दूध सेवन से मनुष्यों में कई बिमारियों हो सकती है |इस कारण यह रोग और महत्वपूर्ण हो जाता है |
केंद्रीय कृषि मंत्री ने राज्यों के कृषि मंत्रियों संग वीडियो कान्फ्रेंसिंग कर कृषि कार्यों का लिया जायजा
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को देश के सभी राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से बातचीत की और कोरोना वायरस के संक्रमण को कम करने के लिए चल रहे देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान हो रहे कृषि से जुड़े कार्यों का जायजा लिया।
यह वीडियो कान्फ्रेंसिंग कृषि भवन में बुधवार को आयोजित किया गया और इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर के साथ केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला और कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे। उन्होंने राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ रबी फ़सलों की कटाई तथा ख़रीद जैसे मुद्दों पर चर्चा की और अगले सीजन की फसल की बुआई के लिए उर्वरकों और बीजों व अन्य आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराने की व्यवस्था को लेकर भी विचार-विमर्श किया। इससे एक दिन पहले केंद्रीय कृषि मंत्री ने विभाग के अधिकारियों से भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की थी।
ग़ौरतलब है की वर्तमान में गेहूं, सरसों, चना समेत कई रबी फ़सलों की कटाई का सीजन चल रहा है साथ ही साथ कॉटन, मिर्च और मूंग जैसी जायद फ़सलों की बुआई भी होनी है। फ़सलों की कटाई या बुआई को रोका नहीं जा सकता, इसलिए, सरकार ने लॉकडाउन के दौरान भी इसकी इजाज़त दी है और रोज़ाना इस पर नए नए कदम उठा रही है।
स्रोत: ANI
Shareकिसान सम्मान निधि के अंतर्गत 4.91 करोड़ किसान परिवारों को मिले 9826 करोड़ रुपये
वर्तमान में देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने लिए लॉकडाउन लगा हुआ है जिसकी वजह से गरीब किसान परिवारों के पास पैसे की कमी हो रही है। इसी कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना” के अंतर्गत 1.70 लाख करोड़ रूपये के बड़े राहत पैकेज की और प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसान परिवारों सहायता देने के लिए अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही 2000 रुपये की किस्त देने की घोषणा सरकार की तरफ से की गई थी |
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 8.7 करोड़ किसान परिवार को पैसे दिए जाएंगे जिसमें से सरकार ने 24 मार्च से 03 अप्रैल तक लगभग 4.91 करोड़ किसानों को इस वित्त वर्ष की किस्त जारी कर दी है। इसके अंतर्गत 4.91 करोड़ किसान परिवारों को 9826 करोड़ रुपये दिए गए हैं। किसानों को दी गई राशि की जानकारी देश के केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने दी।
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