- यह रोग पुरानी पत्तियों के किनारों से शुरू होता है | शुरुआत में छोटे, अंडाकार धब्बे जो आगे चल कर बैगनी भूरे हो जाते हैं तथा इन धब्बो के किनारे पीले रंग के होते हैं |
- जब धब्बे बड़े होने लगते है तब पीले किनारे फ़ैल कर ऊपर नीचे घाव बनते है|
- पत्ते व फूलों की डंठल मुरझा जाती है और पौधा सूख जाता है|
- बिना कंद वाली दूसरी फसलों के साथ 2-3 साल का फसल चक्र का अपनाना चाहिए।
- इस रोग की रोकथाम हेतु कीटाजीन 48 ईसी 80 मिली या क्लोरोथालोनिल 75 डब्लूपी 300 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 12 + मेंकोजेब 63 डब्लूपी 500 ग्राम @ 200 मिली/एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करे|
- जैविक उपचार के माध्यम से स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करे|
आधारीय खुराक (बेसल डोज) और प्रथम सिंचाई
बुवाई के ठीक बाद पहली सिंचाई करें और उपरोक्त उर्वरक की बेसल डोज दे DAP- 40 किलो, MoP- 20 किलो, जिंक सल्फेट 5 किलो प्रति एकड़ की दर से इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में फैलाएं| अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|
Shareलॉकडाउन के बीच गेहूं की खरीदी के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने बनाया रोडमैप
कोरोना वैश्विक महामारी को लेकर चल रहे लॉकडाउन के बीच मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के बीच गेंहूं की बिक्री को लेकर चल रहे संशय को दूर करते हुए बड़ी राहत दी है। इसके अंतर्गत राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से आरम्भ होगी। इस दौरान सामाजिक दूरी का भी ख्याल रखा जाएगा और हर रोज उपार्जन केंद्रों पर चुनिंदा किसानों को ही एसएमएस के माध्यम से बुलाया जाएगा।
इसके साथ ही साथ खरीदी केंद्रों पर हम्माल, तुलावटी और समिति के अन्य कर्मचारी भी सीमित संख्या में रहेंगे। ग़ौरतलब है की पिछले साल राज्य में 3545 खरीदी केंद्र थे, जिन्हें इस बार बढ़ाकर 3813 किया गया है और अन्य नए केंद्र भी बनाए जा रहे जा रहे हैं। इस बार कुल खरीदी केंद्रों की संख्या 4000 तक हो जाएगी।
इस पूरे मुद्दे पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि “प्रदेश में 14 अप्रैल को लॉक डाउन खुलना संभावित है। इसके बाद 15 अप्रैल से प्रदेश में रबी उपार्जन का कार्य प्रारंभ किया जायेगा। 31 मई तक उपार्जन कार्य समाप्त कर लेना है। समय कम है। अतः ऐसी व्यवस्था करें, जिससे किसानों की गेहूं, चना, सरसों और मसूर फसलें समर्थन मूल्य पर सुगमता से खरीदी जा सकें।”
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राइज़ोबियम कल्चर से बीज उपचार कैसे करे
- 1 लीटर पानी में 250 ग्राम गुड़ डाल कर लगभग 15 मिनट तक गर्म करे और इसका घोल बनाएं
- घोल ठंडा होने पर इस में 3 पैकेट (600 ग्राम) राइजोबियम कल्चर मिलाएं और धीरे धीरे लकड़ी के डंडे से हिलाते रहें|
- इस घोल को बीजों पर धीरे-धीरे इस तरह छिड़कना चाहिए कि घोल की परत सब बीजों पर समान रूप से चिपक जाए. 10 किलो बीज के लिए यह पर्याप्त है|
- हाथों में दस्ताने पहनकर बीजों को अच्छी तरह मिला कर इन बीजों को छायादार जगह पर सुखाएं| ध्यान रखें कि बीज आपस में चिपके नहीं|
- उपचारित बीजों को शीघ्र ही बुवाई कर दे|
कपास की सफेद मक्खी प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक किस्म विकसित
- राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान- लखनऊ के वैज्ञानिकों ने कपास की सफेद मक्खी प्रतिरोधी किस्म विकसित की है|
- शोधकर्ताओं ने पौधों की जैव-विविधता से 250 पौधों की पहचान करके ऐसे प्रोटीन अणुओं का पता लगाया जो सफेद मक्खी के लिए विषैले होते है|
- प्रयोगशाला में सफेद मक्खी को जब कीटनाशक प्रोटीन के सम्पर्क में लाया गया तो उसके जीवन चक्र में विपरीत बदलाव आये|
- पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के अधीन केन्द्र में अप्रैल से अक्टूबर के मध्य इस किस्म का परीक्षण किया जायेगा |
- सफेद मक्खी रोधी जिन गुणों को कपास में शामिल किया गया है, यदि प्रक्षेत्र में किये गए परीक्षणों में भी उन्हें प्रभावी पाया जाता है, तो इस किस्म को किसानों को खेती के लिए दिया जा सकता है|
जाने भिंडी में चूर्णिल आसिता (पाउडरी मिल्ड्यू) के प्रकोप से बचाव
- पत्तियों के निचली और ऊपरी सतह पर सफ़ेद-भूरे रंग के पाउडर का विकास होता है जिससे फल की पैदावार में गंभीर कमी आती है|
- यह फफूंद भिंडी को गंभीर रूप से संक्रमित करती है|
पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 400 मिली या थियोफेनेट मिथाइल 70 डब्लू पी या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23 एस सी का 200 मिली प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
Shareसमर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद स्थगित
- कोरोना महामारी के कारण देश में लॉक डाउन के चलते वैसे तो केंद्र सरकार के द्वारा किसानों को कृषि कार्यों एवं फसल बेचने आदि के लिए छूट दी गई है परन्तु अभी भी राज्य सरकारों द्वारा फसल खरीदी शुरू नहीं की जा सकी है, इसका मुख्य कारण यह है की सरकार एक साथ एक जगह पर ज्यादा भीड़ एकत्रित नहीं होने देना चाहती |
- पहले ही राजस्थान में समर्थन मूल्य पर खरीदी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है| अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद स्थगित करने का फैसला लिया है |
- पहले सामान्य हालात में मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद 1 अप्रैल 2020 से की जानी थी | इसके लिए किसान पहले ही ई-उपार्जन से पंजीयन कर चुके हैं |
- परन्तु अभी राज्य शासन कोविड-19 संक्रमण की स्थिति को ध्यान में रखकर एक अप्रैल 2020 से प्रारंभ किये जा रहे गेहूँ उपार्जन कार्य को आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया है।
साइलेज किस तरह से बनाया जाए
- दाने वाली फ़सलों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, जई आदि को साईलेज बनाने के लिए जब दाने दूधि्या अवस्था में हो तो 2-5 सेंटीमीटर छोटे टुकड़ों में काट लें।
- काटे गए हरे चारे के टुकड़ों को जमीन पर कुछ घंटे के लिए फैला देना चाहिए ताकि अधिक पानी की कुछ मात्रा उड़ जाए।
- अब कटे हुए चारे को पहले से तैयार साइलोपिट या साइलेज गड्ढों में डाल दें।
- गड्ढे में चारे को पैरों या ट्रैक्टर से अच्छे से दबाकर भरे जिससे चारे के बीच की हवा निकल जाए।
- गड्ढे को पूरी तरह भरने के बाद उसे ऊपर से मोटी पॉलिथीन डालकर अच्छी तरह से सील कर दें।
- इसके बाद पॉलीथिन कवर के ऊपर से मिट्टी की लगभग एक फीट मोटी परत चढ़ा दें जिससे हवा अंदर ना जा सके।
- साइलोपिट या साइलेज गड्ढों में भंडारित किए गए हरे चारे के टुकड़ों से साइलेज बनने लगता है, क्योंकि हवा और पानी के न होने से दबाए गए चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है, जिस से चारा लंबे समय तक खराब नहीं होता है।
- चारे की आवश्यकता अनुसार गड्ढों को कम से कम 45 दिनों के बाद पशुओं को खिलाने के लिए खोलें।
लॉकडाउन पर ICAR के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों हेतु दिए सलाह को अपनाएँ और रहें सुरक्षित
देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए लॉकडाउन लगा हुआ है ऐसे में किसान भाइयों को इस वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए सरकार की तरफ से कई दिशा निर्देश लगातार जारी किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने भी रबी फसलों की कटाई एवं मड़ाई हेतु एडवाइजरी जारी किये हैं।
फ़सलों की कटाई एवं मड़ाई हेतु सलाह
गेहूं की कटाई हेतु कम्बाइन कटाई मशीन का उपयोग तथा इनके आवागमन की अनुमति सरकार ने दी है। इन मशीनों के रखरखाव के साथ साथ फसल की कटाई में लगे श्रमिकों की सावधानी एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
गेहूं के अलावा सरसों, मसूर, मक्का, मिर्ची और गन्ने जैसे फसलों की भी कटाई एवं तुड़ाई चल रही है। ऐसी स्थिति में समस्त किसानों एवं कृषि श्रमिकों को कटाई एवं तुड़ाई के कार्यों के पहले, कार्यों के दौरान एवं कार्यों के उपरांत व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करना अति आवश्यक है। इस दौरान समस्त किसानों एवं कृषि श्रमिकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मास्क पहन कर काम करें तथा बीच-बीच में साबुन से हाथ धोते रहें।
Shareतोरई की फसल में पत्ती सुरंगक का प्रकोप
- इसका वयस्क रूप एक हलके पीले रंग की मक्खी होती है जो पत्तियों पर अंडे देती है।
- इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है तथा अधिक प्रकोप होने पर पत्तियाँ सूख कर गिर जाती है।
- इस कीट से प्रभावित पौधों पर फलन की समस्या देखने को मिलती है जिससे उपज में कमी आ जाती है।
- खरपतवार को खेत और उसके आसपास से हटाएँ हटाएँ।
इसकी रोकथाम हेतु एबामेक्टिन 1.8% ईसी @ 160 मिली/एकड़ या साइपरमैथ्रिन 4% ईसी + प्रोफेनोफॉस 40% ईसी 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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