कपास की फसल में कैसे करे भूमि उपचार?

How to do soil treatment in Cotton crop?
  • कपास में कृषि प्रक्रिया गहरी जुताई के साथ आरंभ करने के बाद 3-4 बार हैरो चला दे ताकि मिट्टी भुरभुरी होने साथ जलधारण क्षमता बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जायेंगे।
  • मिट्टी उपचार अवश्य करे अतः 4 किलो जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टेरिया, 2 किलो ग्रोमेक्स (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा), 2 किलो ट्राइकोडर्मा विरिडी और 100 ग्राम एनपीके कन्सोर्टिया बैक्टेरिया को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिला कर खेत में बिखेर दे।
  • ऐसा करने से भूमि की संरचना सुधारने, पौधें का संपूर्ण विकास व संपूर्ण पोषण वृद्धि के साथ-साथ हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है।
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मूंग और उड़द की फसल में जीवाणु अंगमारी से बचाव कैसे करें?

How to protect bacterial blight from Green gram and black gram
  • पत्तियों की सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे इस रोग की पहचान है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर ये धब्बे लाल रंग जैसे पाये जाते हैं।
  • जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो धब्बे आपस में मिल जाते है और पत्तियां पीली पड़ जाती है अतः समय से पहले झड़ जाती है।
  • इससे नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 20 ग्राम प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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मध्यप्रदेश में गेंहू की खरीदी जारी, अब तक 400 करोड़ रुपये के गेहूं की हुई खरीदी

कोरोना संकट के मद्देनज़र सभी जरूरी एहतिआत बरतते हुए पिछले 15 अप्रैल से इंदौर, उज्जैन और भोपाल को छोड़ कर मध्यप्रदेश के सभी जिले में समर्थन मूल्य पर गेंहू की खरीदी शुरू कर दी गई थी। आज इस खरीदी के कार्य को शुरू हुए एक हफ्ता बीत चुका है।

इस पूरे एक हफ्ते में प्रदेश की लगभग चार हजार सहकारी समितियों के माध्यम से प्रदेश के सवा लाख किसानों से 400 करोड़ रुपये के गेहूं की खरीदी की गई है। मंगलवार से खरीदी की प्रक्रिया को और विस्तार दिया जा रहा है। इसमें लगभग 25 हजार किसानों को मैसेज भेजे जाएंगे। एक सोसायटी में 25 किसानों को बुलाया जाएगा, जिसमें 20 छोटे और पांच बड़े किसान होंगे।

स्रोत: नई दुनिया

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प्याज और लहसुन के भंडारण में इन बातों का रखें ध्यान

How to storage onion and garlic
  • कंद को पूरी तरह बिना पके हुए ही निकाल देने से कन्द के अन्दर खाली जगह बच जाती है, जो की बाद में गर्मी और नमी के प्रभाव में आकर सड़न पैदा करती है।
  • इस स्थिति से बचने के लिए कन्द के ऊपरी तने यानि सतह से उपरी भाग को 80% तक सूखने के बाद ही निकाले अतः इस स्थिति में पोधे का तना मुड़कर ज़मीन की और हो जाता है तब निकाले।
  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हो तो तने से कन्द को न काटे जब जरूरत हो तभी काटे। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दे।
  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धुप में सूखने दे। लहसुन कंद की जड़ को तब तक सूखने दे जब तक जड़े बिखर न जाये। फिर कंद से तने के बीच में 2 इंच की दुरी रख कर ही काटे ताकी उनकी परत हटने पर कलिया बिखरे नही और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।
  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। प्याज लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दे, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सडन पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सडन फैल जाती है।
  • मानसून में वातावरण नमी बढ़ जाती है और वो कंद को ख़राब करती है अतः भण्डारित किये गए प्याज लहसुन को समय समय पर देखते भी रहे। यदि कही कंदो से सड़न या बदबू आती है तो उस जगह से ख़राब कंदो को अलग कर ले अन्यथा वह अन्य उपज को भी ख़राब कर देता है।
  • अच्छे भण्डारण के लिए भण्डार गृहों का तापमान 25-30 डिग्री सें. तथा आर्द्रता 65-70 प्रतिशत के मध्य होनी चाहिए।
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जीवामृत बनाने की विधि

Method of Making Jeevamrut
  • सर्वप्रथम प्लास्टिक ड्रम छायां में रखकर 10 किलो गोबर, 10 लीटर पुराना गोमूत्र, 1 किलोग्राम किसी भी दाल का आटा, 1 किलोग्राम बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी, 1 किलो गुड़ (तैयार घोल में उपस्थित बैक्ट्रिया ज्यादा सक्रिय हो जाये ), को 200 लीटर पानी में अच्छी तरह से लकड़ी की सहायता से मिलाये।
  • अब इस ड्रम को कपड़े से मुह को ढक दें। इस घोल पर सीधी धूप नही पड़नी चाहिए।
  • अगले दिन इस घोल को फिर से किसी लकड़ी की सहायता से दिन में 2-3 बार हिलाए। 5-6 दिनों तक प्रतिदिन इसी कार्य को करते रहे।
  • लगभग 6 दिन के बाद, जब घोल में बुलबुले उठने कम हो जाये तब जीवामृत उपयोग के लिए बनकर तैयार हो जायेगा।
  • यह 200 लीटर जीवामृत एक एकड़ भूमि के लिये पर्याप्त है।
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मध्य प्रदेश: 15 लाख किसानों को बड़ी राहत, फसल बीमा के अंतर्गत मिलेंगे 2990 करोड़

Relief for farmers, Govt. extended the duration of short-term crop loan

मध्यप्रदेश में किसानों के लिये सरकार की तरफ से एक बड़ी खुशख़बरी आई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के 15 लाख किसानों को फसल बीमा के अंतर्गत कुल 2990 करोड़ की बीमा राशि देने की बात कही है।

बता दें की यह बड़ी राशि प्रदेश के किसानों को अगले सप्ताह तक दे भी दी जाएगी। फसल बीमा के तहत यह राशि सीधे किसानों के खातों में पहुंचा दी जायेगी। मंत्रालय में कृषि विभाग की बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया जहाँ मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, प्रमुख सचिव कृषि अजीत केसरी एवं अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।

दरअसल साल 2018 के खरीफ सीजन के दौरान प्रदेश के करीब 35 लाख किसानों ने अपनी फ़सलों का बीमा कराया था। अब इनमें से 8.40 लाख किसानों को 1930 करोड़ की बीमा राशि मिलनी है। इसके अलावा 2018-19 के रबी सीजन में प्रदेश के 25 लाख किसानों ने रबी फ़सलों के लिए बीमा कराया था, इनमें से भी 6.60 लाख किसानों को 1060 करोड़ की बीमा राशि मिलनी है।

स्रोत: एनडीटीवी

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मूंग और उड़द की फसल को सफेद मक्खी से बचा कर फूलों की संख्या बढ़ाएं

Increase the number of flowers by protecting the crop of moong and urad from white fly
  • सफेद मक्खी पत्तियों के निचली सतह पर रहकर रस चूसती हुई पाई जाती है।
  • इसके शिशु एवं वयस्क रूप दोनों रस चूसकर पौधे की बढ़वार को रोक देता है, जिससे पत्तिया पीली पड़कर गिर जाती है अतः उपज में कमी आती है।
  • विषाणुजनित मोजैक रोग फैलाने के लिए आम तौर पर सफेद मक्खी जिम्मेदार होती है।
  • इसके नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP 200 ग्राम या पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC 200 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
  • मूंग और उड़द में फूलों की संख्या बढ़ाने के लिए होमोब्रेसिनीलॉइड 0.04 % @ 100 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जीवामृत क्या है, इसके फायदे एवं प्रयोग की विधि

What is Jeevamrut, its benefits and method of use
  • जीवामृत एक अत्यधिक प्रभावशाली जैविक खाद है। जिसे गोबर के साथ पानी मे कई और पदार्थ जैसे गौमूत्र, बरगद या पीपल के नीचे की मिटटी, गुड़ और दाल का आटा मिलाकर तैयार किया जाता है।
  • जीवामृत पौधों की वृद्धि और विकास में सहायक है। यह पौधों की विभिन्न रोगाणुओं से सुरक्षा करता है तथा पौधों की प्रतिरक्षा क्षमता को भी बढ़ाता है। जिससे पौधे स्वस्थ बने रहते हैं तथा फसल से बहुत ही अच्छी पैदावार मिलती है।
  • पलेवा और प्रत्येक सिंचाई के साथ 200 लीटर जीवामृत का प्रयोग एक एकड़ में सामान्य रूप से प्रयोग करना चाहिए।
  • अच्छी तरह से छानकर टपक या छिड़काव सिंचाई के माध्यम से भी प्रयोग कर सकते है, जो कि 1 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए पर्याप्त है।
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कैसे बचाएं अमरुद के वृक्ष को उकटा रोग के प्रकोप से

How to save Guava tree from wilt disease
  • रोग का पहला बाहरी लक्षण पत्तियों का हल्का पीले रंग हो जाना साथ ही साथ शीर्ष शाखाओं की पतियों का घुमावदार हो जाना है।
  • आगे की अवस्था में पत्तियां पीली से लाल जैसे रंग में बदल जाती है और समय पहले झड़ जाती है।
  • कुछ टहनियाँ खाली हो जाती हैं और नई पत्तियों या फूलों को लाने में असफल हो जाती हैं अंत में सूख जाती हैं।
  • बाग में उचित स्वच्छता से बीमारी को जांच के दायरे में रखा जा सकता है। संक्रमित पेड़ों को उखाड़ देना चाहिए, जलाया जाना चाहिए और पेड़ के तने के बीच खाई खोदी जानी चाहिए।
  • एस्परजिलस नाईजर NA-7 से या ट्राइकोडर्मा विरिडी उपचारित देशी खाद 5 किलोग्राम प्रति गढ्ढा पौधा लगाते समय तथा 10 किलोग्राम प्रति गढ्ढा पुराने पौधो में गुड़ाई कर डालें।
  • अमरूद के पौधे के चारों ओर थाले बनाएं और उसमें कार्बन्डाजिम दवा की दो ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी में घोलकर उससे थाले में डेचिंग करें।
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लांच हुआ किसान रथ मोबाइल एप, कृषि उत्पाद के बेहतर परिवहन में होगा मददगार

Kisan Rath App launched, will be helpful in better transportation of agricultural produce

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच देश भर में चल रहे लॉकडाउन को मद्देनज़र रखते हुए ख़ास कर के कृषि से जुड़े लोगों को सरकार की तरफ से हर संभव मदद और राहत देने का कार्य चल रहा है। अब इसी कड़ी में केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को किसान रथ मोबाइल एप लांच किया है जो कृषि उत्पादों के परिवहन में सुगमता लाएगा।

श्री तोमर के साथ इस मौके पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला एवं श्री कैलाश चौधरी तथा मंत्रालय के सचिव श्री सजंय अग्रवाल सहित अन्य संबंधित वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। इस मौके पर श्री तोमर ने कहा कि “मौजूदा संकट के दौर में ही, कृषि का काम भी बहुत तेज़ी के साथ करने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा की “कृषि उत्पादों के परिवहन में कुछ दिक्कतें थी, और इसी को दूर करने के लिए किसान रथ मोबाइल एप लांच किया गया है। यह मोबाइल एप निश्चित रूप से पूरे देश में कृषि उत्पादों के सुचारू परिवहन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।”

इस एप को आप प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं और फिर इसपर खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इस एप में किसान, ट्रेडर और सर्विस प्रोवाइडर तीनों खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।

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