दीमक जैसे जमीनी कीड़े से फसल का करें बचाव, अपनाएं जैविक नियंत्रण विधि

Protect your crop from soil insect like termites
  • दीमक जैसे जमीनी कीड़े सभी प्रकार की फसलों को बर्बाद कर सकते हैं। ये पौधों की जड़ों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
  • आलू, टमाटर, मिर्च, बैंगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, सरसों, राई, मूली, गेहूँ आदि फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है।

इन कीटों के नियंत्रण हेतु निम्र प्रबंधन उपायों का उपयोग करें

  • बीजों को कीटनाशकों के द्वारा बीज़ उपचार करके ही बोना चाहिए।
  • कीटनाशी मेट्राजियम से मिट्टी उपचार अवश्य करना चाहिए।
  • कच्ची गोबर की खाद का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि कच्चा गोबर इस कीट का मुख्य भोजन होता है।
  • अतः गोबर का उपयोग करने से पहले उसे अच्छी तरह सड़ा कर ही उपयोग करें।
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मध्य प्रदेश समेत इन क्षेत्रों में आने वाले कुछ दिनों में हो सकती है बारिश

weather forecast

दक्षिण पूर्वी एवं पूर्वी मध्यप्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़, झारखंड, तटीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, विदर्भ, मराठवाड़ा जैसे क्षेत्रों में कल से आने वाले कुछ दिनों तक बारिश की संभावना बन रही है। इसके साथ ही पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी के भी आसार बन रहे हैं। उत्तर भारत में घना कोहरा छाये रहने की संभावना है। हालाँकि अब सर्दी के जल्द विदाई की संभावना बन गई है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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करेले की फसल में फल मक्खी का प्रबंधन

Management of fruit fly in bitter gourd crop
  • फल मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है और अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुंचाती है।
  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनके भीतरी भाग को खाते है। इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं।
  • इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
  • इस समस्या से ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों का नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, पौधे की उचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्था को नष्ट करना चाहिये।
  • कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप और फेरामोन ट्रैप का उपयोग करें।
  • इसके नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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फसलों में पत्ती झुलसा रोग के लक्षण एवं बचाव के उपाय

Symptoms and prevention of leaf blight disease in crops
  • ब्लाइट एक कवक एवं जीवाणु जनित बीमारी है। इसके लक्षणों में पौधों में गंभीर पीलापन, भूरापन, स्पॉटिंग, मुरझाने की समस्या या फिर पत्तियों, फूलों, फलों, तने और कभी कभी पूरे पौधे का मरना शामिल होता है।
  • आमतौर पर यह रोग पूरे पौधे और पौधे के तेजी से बढ़ते ऊतकों पर हमला करते हैं।
  • फंगल और बैक्टीरियल ब्लाइट्स के प्रकोप में अधिक नमी सबसे बड़ा कारण होती है।
  • जीवाणु जनित रोग के निवारण के लिए कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड@ 24 ग्राम/एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ या सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ से छिड़काव करें।
  • कवक जनित रोगों के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@500 ग्राम/एकड या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.30% W/W@ 250 मिली/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मूंग समृद्धि किट से कई किसानों को हुआ मूंग का बम्पर उत्पादन, जानें इसके फायदे

Moong Samriddhi Kit

मूंग की फसल के लिए ग्रामोफ़ोन की ख़ास पेशकश ‘मूंग समृद्धि किट’ के उपयोग से पिछले वर्ष कई किसानों ने मूंग का बम्पर उत्पादन प्राप्त किया। इस साल भी किसान इस किट को इस्तेमाल करने वाले हैं। आप भी इसके इस्तेमाल से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं। आइये जानते हैं इस किट की खासियत क्या है?

  • मूंग समृद्धि किट दरअसल एक भूमि सुधारक की तरह कार्य करता है।
  • इस किट में तीन आवश्यक बैक्टीरिया PK एवं राइजोबियम है, जो मिट्टी में PK (फॉस्फोरस + पोटाश) की पूर्ति करके फसल के स्वस्थ्य बढ़वार में सहायता करते हैं।
  • इसके साथ ही राइजोबियम का जीवाणु वातावरण से प्राप्त नाइट्रोज़न को सरल रूप में परिवर्तित करके फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
  • इस किट में एक जैविक कवकनाशी ट्रायकोडर्मा विरिडी को शामिल किया गया है जो मूंग की फसल को कवकजनित रोगों से सुरक्षित रखता है।
  • इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का भी संयोजन है। ये मिट्टी की गुणवत्ता में काफी सुधार करता है, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करता है। ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके मूंग की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में भी मदद करता है।
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गिलकी की फसल में लीफ माइनर का ऐसे करें प्रबंधन

Leaf Miner in Sponge gourd
  • लीफ माइनर के वयस्क गहरे रंग के होते हैं।
  • यह कीट गिलकी की पत्तियों पर आक्रमण करता है।
  • इससे पत्तियों पर सफेद रंग की टेढ़ी-मेढ़ी धारियां बन जाती हैं।
  • यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनने के कारण होता है।
  • इससे फसल की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
  • कीट से ग्रसित पौधों में फल एवं फूल लगने की क्षमता पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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प्रो-अमिनो मैक्स के उपयोग से होगा आपकी फसल का सम्पूर्ण विकास

Pro-AminoMaxx gives complete growth to your crop
  • प्रो-अमीनो मैक्स एक जैविक उत्पाद है।
  • यह जड़ विकास को तेज करता है।
  • फूलों और फलों की संख्या बढ़ाता है।
  • पौधें की कमजोरियों को दूर करता है।
  • मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि करता है।
  • फसलों की पैदावार को बढ़ाने में मदद करता है।
  • पौधे को मौसम एवं रसायनो के कारण होने वाले तनाव से रक्षा करता है।
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प्याज की फसल में अनियन मेगट का ऐसे करें प्रबंधन

How to prevent onion maggot in onion crop
  • प्याज का मेगट सफेद रंग का बहुत छोटा कीट होता है।
  • यह प्याज़ के कंद को बहुत नुकसान पहुँचाता है।
  • बड़े कंदो में 9 से 10 मैगट एक साथ हमला करते हैं और उसे खोखला बना देते हैं।
  • इसके कारण प्याज़ का कंद पूरी तरह सड़ जाता है।
  • इस कीट के निवारण के लिए फिप्रोनिल 0.3% 7.5 या कारटाप हाइड्रोक्लोरइड 7.5 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाएं।
  • फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या क्लोरोपायरीफॉस 20% EC@ 1 लीटर/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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गेहूँ की फसल में होने वाली पीलेपन की समस्या का ऐसे करें नियंत्रण

How to prevent yellowing problem in wheat crop
  • गेहूँ की फसल में परिपक्वता की अवस्था में पीलेपन की समस्या दिखाई दे रही है।
  • इस समस्या का कारण गेहूँ की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण होती है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए जिब्रेलिक एसिड @ 300 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • इसके अलावा 19:19:19 @ 1 किलो/एकड़ या 20:20:20 @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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उन्नत उर्वरकों में शामिल है नीम खली, जानें उपयोग विधि व फायदे

What is Neem cake and how to use it
  • नीम खली दरअसल एक जैविक उर्वरक है और इसमें NPK, नाइट्रोज़न, फॉस्फोरस, पोटैशियम, ज़िंक, कॉपर, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।
  • नीम खली के उपयोग से खेती की मिट्टी में नमी बनी रहती है।
  • इसके प्रयोग से पौधों की पत्तियों एवं तने में चमक आ जाती है।
  • इसके प्रयोग से पौधे कीटाणु मुक्त होकर फल – फूल देने लगते हैं।
  • नीम खली के प्रयोग से पौधे मजबूत और टिकाऊ होते हैं नीम खली को शोभाकार पौधों के अतिरिक्त खेतों में भी डाला जा सकता है।
  • नीम खली के प्रयोग से पौधों में अमीनो एसिड का लेवल बढ़ता है जो क्लोरोफिल का लेवल बढ़ाती है। इस वजह से पौधा हरा भरा नजर आता है।
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