करेले की फसल में फल मक्खी का प्रबंधन

  • फल मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है और अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुंचाती है।
  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनके भीतरी भाग को खाते है। इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं।
  • इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं।
  • इस समस्या से ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों का नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, पौधे की उचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्था को नष्ट करना चाहिये।
  • कीट के प्रभावी नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप और फेरामोन ट्रैप का उपयोग करें।
  • इसके नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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