उन्नत उर्वरकों में शामिल है नीम खली, जानें उपयोग विधि व फायदे

What is Neem cake and how to use it
  • नीम खली दरअसल एक जैविक उर्वरक है और इसमें NPK, नाइट्रोज़न, फॉस्फोरस, पोटैशियम, ज़िंक, कॉपर, सल्फर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन और सूक्ष्म पोषक तत्व पाए जाते हैं।
  • नीम खली के उपयोग से खेती की मिट्टी में नमी बनी रहती है।
  • इसके प्रयोग से पौधों की पत्तियों एवं तने में चमक आ जाती है।
  • इसके प्रयोग से पौधे कीटाणु मुक्त होकर फल – फूल देने लगते हैं।
  • नीम खली के प्रयोग से पौधे मजबूत और टिकाऊ होते हैं नीम खली को शोभाकार पौधों के अतिरिक्त खेतों में भी डाला जा सकता है।
  • नीम खली के प्रयोग से पौधों में अमीनो एसिड का लेवल बढ़ता है जो क्लोरोफिल का लेवल बढ़ाती है। इस वजह से पौधा हरा भरा नजर आता है।
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तरबूज की फसल में आ रही है पाउडरी मिल्ड्यू की समस्या, ऐसे करें नियंत्रण

How to solve the problem powdery mildew of watermelon
  • आमतौर पर तरबूज की फसल में होने वाला यह रोग पत्तियों को प्रभावित करता है, जिससे पत्तियों के निचले एवं ऊपरी भाग ग्रषित हो जाते हैं।
  • यह पत्तियों की ऊपरी एवं निचली सतह पर पीले से सफेद रंग के पावडर के रूप में दिखाई देती है।
  • इनके प्रबंधन के लिए एजेस्ट्रोबिन 11% + टेबूकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़ या एजेस्ट्रोबिन@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ + स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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समस्या को हीं बनायें समाधान, गाजर घास नामक खरपतवार का ऐसे उठायें लाभ

What is the importance of congress grass in Agriculture
  • फसलों में उग आने वाला अनचाहा खरपतवार गाजर घास वैसे तो किसानों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है परंतु इसका कृषि में बहुत महत्व होता है।
  • गाजर घास नाइट्रोज़न का बहुत अच्छा स्रोत है और इसके उपयोग से फसलों में जैविक रूप से नाइट्रोज़न की पूर्ति की जा सकती है।
  • गाजर घास से तैयार कम्पोस्ट एक ऐसी जैविक खाद है, जिसके प्रयोग से फसलों, मनुष्यों ओर पशुओं पर कोई भी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • कम्पोस्ट बनाने पर गाजर घास में जीवित अवस्था में पाया जाने वाले विषाक्त रसायन “पार्थेनिन” का पूर्णतः विघटित हो जाता है।
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प्याज की 50 से 60 दिनों की फसल अवस्था में जरूर करें ये काम

Crop management in onion in 50 - 60 days
  • प्याज की फसल की इस अवस्था में तीन अलग-अलग रूपों में फसल प्रबंधन करना आवश्यक होता है।
  • कवक रोगों से रक्षा के लिए: पत्ती झुलसा रोग एवं बैगनी धब्बा रोग के निवारण के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 400 मिली/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
    जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कीटों से रक्षा के लिए: रस चूसक कीटों एवं मकड़ी जैसे कीटों के नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
    जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • पोषण प्रबंधन: प्याज़ की इस अवस्था में पोषण प्रबंधन के लिए 00:52:34@ 1 किलो/एकड़ और साथ ही सूक्ष्म पोषक तत्व @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मिश्रित खेती करने से किसानों को मिलते हैं कई फायदे

How is inter-cropping beneficial o farmers?
  • मिश्रित खेती की प्रक्रिया को कृषि की तकनीकी भाषा में अंतरसस्य (इंटरक्रॉपिंग) कहते हैं।
  • इस प्रकार की खेती खेतों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार होती है।
  • इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करने पर रासायनिक/उर्वरक के अनुप्रयोग में कमी आती है ।
  • मिश्रित फसल में खरपतवार, कीड़े और बीमारी की समस्या कम होती है।
  • अंतरसस्य (इंटरक्रोपिंग) में सब्जियों की फसलें कम अवधि में उच्च उत्पादन देती है।
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कद्दू वर्गीय फसलों में जैविक सूक्ष्म जीवाणु एजेटोबेक्टर के उपयोग से मिलेंगे कई लाभ

Benefits of the use of organic microbial culture Azotobacter in cucurbit crops
  • एज़ोटोबैक्टर स्वतंत्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु हैंं।
  • यह जीवाणु वातावरण के नाइट्रोजन को लगातार जमीन में जमा करता रहता है।
  • इसका उपयोग करने पर 20% से 25% तक कम नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • ये जीवाणु बीजों का अंकुरण प्रतिशत बढ़ा देते हैंं।
  • तने एवं जड़ों की संख्या और लंबाई बढ़ाने में भी यह सहायक होते हैं।
  • रोग आने की संभावना को भी यह कम करते हैं।
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धतूरे के उपयोग का जैविक खेती में मिलता है कई लाभ

Benefit of Dhatura (moonflower) in organic farming
  • धतूरा एक पादप है जो लगभग 1 मीटर तक ऊँचा होता है। इसके पेड़ काले-सफेद दो रंग के होते हैं।
  • धतूरा आम तौर पर ज़हरीला और जंगली फल माना जाता है।
  • इसके औषधीय गुणों के कारण इसका कृषि में भी काफी महत्व होता है।
  • इसकी पत्तियों को गोमूत्र एवं पानी में गलाकर उपयोग करने पर यह कीटनाशक की तरह कार्य करता है।
  • धतूरे का उपयोग पंचगव्य बनाने में भी किया जाता है।
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मटका खाद कैसे होता है तैयार और क्या हैं इसके फायदे

How is Matka Khad prepared and what are its benefits
  • जिस प्रकार नाडेप विधि, वर्मीकम्पोस्ट, बायो गैस आदि खाद बनने की विधि है ठीक उसी प्रकार मटका खाद बनने की भी एक सामान्य एवं सरल विधि है।
  • इस विधि के द्वारा अच्छी गुणवत्ता वाला खाद बनता है एवं यह कम खर्च में तैयार हो जाता है।
  • इसे तैयार करने के लिए गाय-भैंस का मूत्र, गुड़, एक मटका, पानी एवं गोबर की आवश्यकता होती है।
  • इन सभी सामग्रियों को आपस में मिलाकर मटके में डाल कर रखें एवं हर 2-3 दिनों में लकड़ी की सहायता से इसे हिलाते रहें।
  • इस प्रकार 7 से 10 दिनों में मटका खाद बनकर तैयार हो जाता है।
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लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या का ऐसे करें निवारण

What is the reason of yellowing of garlic and onion leaves
  • जिस प्रकार मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, इसके कारण लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या बहुत अधिक आ रही है।
  • लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलापन कवक जनित रोगों, कीट जनित रोगों एवं पोषण संबधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
  • यदि यह कवक जनित रोगों के कारण से होता है तो कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • पोषक तत्वों की कमी के कारण होने पर सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कीटों के प्रकोप के कारण होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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तरबूज की फसल के बेहतर विकास के लिए महत्वपूर्ण है बोरान

Importance of Boron for Watermelon
  • तरबूज की फसल के लिए मुख्य रूप से 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमे बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है।
  • बोरान तरबूज के पौधे की जड़ों को विकृत नहीं होने देता है और लगातार जड़ों के विकास को बनाए रखता है।
  • बोरान की कमी से पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है, फल कम बनते हैं, पत्तियां एवं तने का विकास बहुत कम होता है एवं तरबूज का फल फटने लगता है।
  • फसल में बोरान पोषक तत्व की पूर्ति छिड़काव के द्वारा, ड्रिप के माध्यम से या खेत में बुआई पूर्व मिट्टी में मिलाकर पूर्ति की जा सकती है।
  • इसलिए मिट्टी की जांच के बाद बोरान का उपयोग करें, ध्यान रहे बोरान की अधिकता भी पौधे पर विषैला प्रभाव डालती है।
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