मिश्रित खेती करने से किसानों को मिलते हैं कई फायदे

How is inter-cropping beneficial o farmers?
  • मिश्रित खेती की प्रक्रिया को कृषि की तकनीकी भाषा में अंतरसस्य (इंटरक्रॉपिंग) कहते हैं।
  • इस प्रकार की खेती खेतों की विविधता और स्थिरता को बनाए रखने में मददगार होती है।
  • इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करने पर रासायनिक/उर्वरक के अनुप्रयोग में कमी आती है ।
  • मिश्रित फसल में खरपतवार, कीड़े और बीमारी की समस्या कम होती है।
  • अंतरसस्य (इंटरक्रोपिंग) में सब्जियों की फसलें कम अवधि में उच्च उत्पादन देती है।
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कद्दू वर्गीय फसलों में जैविक सूक्ष्म जीवाणु एजेटोबेक्टर के उपयोग से मिलेंगे कई लाभ

Benefits of the use of organic microbial culture Azotobacter in cucurbit crops
  • एज़ोटोबैक्टर स्वतंत्रजीवी नाइट्रोजन स्थिरिकरण वायवीय जीवाणु हैंं।
  • यह जीवाणु वातावरण के नाइट्रोजन को लगातार जमीन में जमा करता रहता है।
  • इसका उपयोग करने पर 20% से 25% तक कम नाइट्रोजन उर्वरक की आवश्यकता होती है।
  • ये जीवाणु बीजों का अंकुरण प्रतिशत बढ़ा देते हैंं।
  • तने एवं जड़ों की संख्या और लंबाई बढ़ाने में भी यह सहायक होते हैं।
  • रोग आने की संभावना को भी यह कम करते हैं।
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धतूरे के उपयोग का जैविक खेती में मिलता है कई लाभ

Benefit of Dhatura (moonflower) in organic farming
  • धतूरा एक पादप है जो लगभग 1 मीटर तक ऊँचा होता है। इसके पेड़ काले-सफेद दो रंग के होते हैं।
  • धतूरा आम तौर पर ज़हरीला और जंगली फल माना जाता है।
  • इसके औषधीय गुणों के कारण इसका कृषि में भी काफी महत्व होता है।
  • इसकी पत्तियों को गोमूत्र एवं पानी में गलाकर उपयोग करने पर यह कीटनाशक की तरह कार्य करता है।
  • धतूरे का उपयोग पंचगव्य बनाने में भी किया जाता है।
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मटका खाद कैसे होता है तैयार और क्या हैं इसके फायदे

How is Matka Khad prepared and what are its benefits
  • जिस प्रकार नाडेप विधि, वर्मीकम्पोस्ट, बायो गैस आदि खाद बनने की विधि है ठीक उसी प्रकार मटका खाद बनने की भी एक सामान्य एवं सरल विधि है।
  • इस विधि के द्वारा अच्छी गुणवत्ता वाला खाद बनता है एवं यह कम खर्च में तैयार हो जाता है।
  • इसे तैयार करने के लिए गाय-भैंस का मूत्र, गुड़, एक मटका, पानी एवं गोबर की आवश्यकता होती है।
  • इन सभी सामग्रियों को आपस में मिलाकर मटके में डाल कर रखें एवं हर 2-3 दिनों में लकड़ी की सहायता से इसे हिलाते रहें।
  • इस प्रकार 7 से 10 दिनों में मटका खाद बनकर तैयार हो जाता है।
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लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या का ऐसे करें निवारण

What is the reason of yellowing of garlic and onion leaves
  • जिस प्रकार मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं, इसके कारण लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलेपन की समस्या बहुत अधिक आ रही है।
  • लहसुन एवं प्याज की फसल में पीलापन कवक जनित रोगों, कीट जनित रोगों एवं पोषण संबधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
  • यदि यह कवक जनित रोगों के कारण से होता है तो कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • पोषक तत्वों की कमी के कारण होने पर सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कीटों के प्रकोप के कारण होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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तरबूज की फसल के बेहतर विकास के लिए महत्वपूर्ण है बोरान

Importance of Boron for Watermelon
  • तरबूज की फसल के लिए मुख्य रूप से 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमे बोरान एक प्रमुख आवश्यक पोषक तत्व है।
  • बोरान तरबूज के पौधे की जड़ों को विकृत नहीं होने देता है और लगातार जड़ों के विकास को बनाए रखता है।
  • बोरान की कमी से पत्तियों की आकृति विकृत हो जाती है, फल कम बनते हैं, पत्तियां एवं तने का विकास बहुत कम होता है एवं तरबूज का फल फटने लगता है।
  • फसल में बोरान पोषक तत्व की पूर्ति छिड़काव के द्वारा, ड्रिप के माध्यम से या खेत में बुआई पूर्व मिट्टी में मिलाकर पूर्ति की जा सकती है।
  • इसलिए मिट्टी की जांच के बाद बोरान का उपयोग करें, ध्यान रहे बोरान की अधिकता भी पौधे पर विषैला प्रभाव डालती है।
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खेती में गौमूत्र के इस्तेमाल से आपको मिलेंगे कई लाभ

benefits from the use of cow urine in farming
  • गौमूत्र आपकी फसल एवं आपके खेत की मिट्टी के लिए अमृत की तरह है।
  • गौमूत्र से तैयार कीटनाशक के छिड़काव के बाद फसल या फल पर किसी प्रकार के कोई कीट नहीं बैठते हैं।
  • इससे तैयार कीटनाशक से किसी प्रकार की कोई दुर्गंध भी नहीं आती है।
  • गोमूत्र में नाइट्रोज़न की अच्छी मात्रा पाई जाती है। इसका छिड़काव पौधे की जड़ में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है।
  • इसके उपयोग से जड़ों को बढ़ने में सहायता मिलती है।
  • इसके उपयोग से मिट्टी में सूक्ष्म लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं साथ ही मिट्टी का प्राकृतिक रूप बना रहता है।
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जैविक विधि से करें सुरक्षित खेती और पाएं अच्छा उत्पादन

Benefits of organic farming
  • जैविक खेती किसानों के लिए बहुत लाभकारी खेती होती है।
  • इससे भूमि की उपज क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
  • इससे सिंचाई अंतराल में भी वृद्धि होती है क्योंकि जैविक खाद लम्बे समय तक मिट्टी में नमी को बनाये रखते हैं।
  • रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
  • फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है।
  • जैविक खेती से प्राप्त उत्पादों का बाजार भाव अधिक मिलता है जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।
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आरा मक्खी से सरसों की फसल को होगा काफी नुकसान, जानें नियंत्रण विधि

Symptoms and prevention of sawfly
  • सरसोंं की फसल में आरा मक्खी का प्रकोप होने का डर सबसे ज्यादा रहता है।
  • आरा मक्खी दरअसल काले रंग की होती हैं जो पत्तियों को बहुत तेजी के साथ नुकसान पहुँचाती है।
  • इसके अलावा इसके कारण पत्तियों के किनारों पर छेद जैसी संरचना बनती है और यह कीट पत्तियों को खाती चली जाती है। इसके कारण सरसों की पत्तियां बिल्कुल छलनी हो जाती हैं।
  • इसके निवारण के लिए प्रोफेनोफोस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 30.5% SC@ 50 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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तरबूज में ब्लॉसम एंड रॉट के प्रकोप से होने वाली क्षति एवं बचाव के उपाय

Damages of Blossom and rot in watermelon crop
  • इस रोग के प्रकोप के कारण तरबूज के फल के पिछले किनारे में गहरी सड़ी-गली और सिकुड़न जैसी संरचना बन जाती है।
  • सामान्यत: यह पानी देने का अंतराल कम या अधिक होने के कारण होता है।
  • जब खेत की मिट्टी बहुत सूखी हो जाती है, तब कैल्शियम मिट्टी में रह जाता है और पौधों को प्राप्त नही हो पाता है।
  • इसके निवारण के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @10 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • तरबूज में ब्लॉसम एंड रॉट के प्रकोप से होने वाली क्षति एवं बचाव के उपाय।
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