- प्याज़ की नर्सरी में बुआई के बीस दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों तथा कीटों के नियंत्रण एवं अच्छी वृद्धि के लिए किया जाता है।
- इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को अच्छी शुरुआत मिलती है।
- कवक जनित रोगो के प्रबंधन हेतु मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 8% WP @ 60 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
- कीट प्रबंधन के लिए फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 5 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
नाइट्रोजन कृषि के लिए हैं एक अमूल्य तत्व
- नाइट्रोजन मिट्टी में जैविक एवं अजैविक दोनों रूपों में पाया जाता है।
- मिट्टी में नाइट्रोजन 95% पाया जाता है परन्तु मिट्टी में इसकी बहुत कमी पायी जाती है।
- मिट्टी में जो नाइट्रोजन पाया जाता है वह कार्बनिक रूप में पाया जाता है जिसका उपयोग मिट्टी द्वारा एवं फसल द्वारा नहीं किया जाता है।
- मिट्टी एवं फसल द्वारा केवल अकार्बनिक रूप में नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है।
- नाइट्रोजन के स्त्रोत में अमोनियम नाइट्रेट (NO3), अमोनियम सल्फेट, अमोनियम क्लोराइड, कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, यूरिया अमोनियम नाइट्रेट आदि शामिल है और यह सभी अकार्बनिक नाइट्रोजन के प्रकार हैं।
- जब मिट्टी या फसल को इसकी आवश्यकता होती है तो यह पौधों को बहुत लाभ पहुँचता है। यह मिट्टी में घुलकर मिट्टी की सरचना में भी सुधार करता है।
होमोब्रेसिनोलाइड का फसलों के लिए क्या है महत्त्व?
- होमोब्रेसिनोलाइड फसल के लिए बहुत ही लाभकारी उत्पाद है। होमोब्रेसिनोलाइड पौधों में तनाव को कम करके तनाव के प्रति सहनशीलता बढ़ाने में मदद करता है।
- जब फसल तनाव के प्रति सहनशील हो जाती है तो फसल की पैदावार बढ़ती है।
- होमोब्रेसिनोलाइड फसल में दानो की संख्या, दानो का वज़न और प्रति पौधे उपज बढ़ाने में भी बहुत सहायक होता है।
- होमोब्रेसिनोलाइड एंजाइम एवं प्रोटीन संश्लेषण के माध्यम से चयापचय गति विधि को बढ़ावा देता है।
- होमोब्रेसिनोलाइड प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है एवं पौधे में भोजन बनने की क्रिया को तेज़ करने में सहायक होता है।
- होमोब्रेसिनोलाइड का उपयोग फूल या फल लगने की पूर्व अवस्था में छिड़काव के रूप में किया जाता है।
मंडी भाव: मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या है आलू, प्याज, गेहूं के भाव?
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में प्याज़ का भाव 850 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है और सागर जिले के देवरी मंडी में आलू तथा प्याज का भाव क्रमशः 2700 और 1500 रूपये प्रति क्विंटल है।
इसके अलावा करेले का भाव दमोह और हरदा मंडी में क्रमशः 4550, 2200 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। वहीं बात करें टमाटर के मंडी भाव की तो दमोह में यह 2500 रूपये प्रति क्विंटल है तो पेटलावद मंडी में इसका भाव 1800 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है, बड़ौत मंडी में इसका भाव 1700 रूपये प्रति क्विंटल है।
बात गेहूं की करें तो फिलहाल अकलेरा मंडी में इसका भाव 1632 रूपये प्रति क्विंटल है। वहीं इंदौर के अलग अलग मंडियों जैसे गौतमपुरा, मऊ, सांवेर, और इंदौर में गेहूंका भाव क्रमशः 1900, 1810, 1656, 1519 रूपये प्रति क्विंटल है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareबुआई पहले बीज उपचार की विधि एवं सावधानियां
- रबी फ़सलों में बीज़ उपचार निम्र प्रकार से किया जाता है।
- बीज़ को एक मिट्टी के बर्तन या एक पॉलीथीन शीट पर, फैला कर कवक नाशक एवं कीट नाशक के सूखे या तरल रूप को बीजों पर अच्छे से बिखेर कर मिला दें।
- इस प्रकार के उपचार में एक बात का ध्यान रखे की रसायन अच्छे से बीजों पर चिपक जाये।
- बीज़ उपचार की दूसरी विधि में रसायनों को बीजों पर चिपकाने वाले मिश्रण के साथ रसायनों को मिलाकर को उपचारित करें।
- बीज उपचार करते समय कुछ सावधानियाँ बरतना बहुत आवश्यक होता है।
- उपचार में सबसे पहले कवकनाशी का उपयोग करें एवं उसके बाद कीटनाशी का उपयोग करें और सबसे आखिर में किसी भी जैविक उत्पाद (PSB/राइजोबियम) का उपयोग करें।
- उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक, कवकनाशक की सुझाई गयी मात्रा का ही उपयोग करें।
- जिस दिन बुआई करनी हो उसी दिन बीज उपचार करें।
- बीज उपचार करने के बाद बीज को भंडारित करके ना रखें।
- दवाई की मात्रा या बीजों पर रसायन को लेपित करने के लिए आवश्यकता अनुसार पानी का उपयोग करें।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अलावा किसानों को और 5000 रुपए देने की सिफारिश
कृषि लागत व मूल्य आयोग की तरफ से केंद्र सरकार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के 6000 रूपये के अलावा किसानों को 5,000 रुपए देने की सिफारिश की गई है। आयोग ने केंद्र सरकार से कहा है कि किसानों को हर साल फर्टिलाइजर सब्सिडी के तौर 5,000 रुपए नकद राशि दिए जाएं।
इसके अलावा आयोग ने अपनी सिफारिश में यह भी कहा है कि ये राशि दो बार में किसानों के बैंक अकाउंट में सीधे ट्रांसफर (DBT) की जा सकती है। इसके अंतर्गत 2,500 रुपए खरीफ की फसल और 2,500 रुपए रबी की फसल के सीजन में दिए जा सकते हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareआलू की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन करने के फायदे
- आलू की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता पड़ती है। आलू की फसल कन्द वाली फसल होती है इसी कारण आलू की फसल बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण करती है।
- पौधे की बेहतर बढ़वार एवं फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए उचित समय पर उचित मात्रा में खाद प्रबंधन बहुत ही आवश्यक होता है।
- बुआई के समय हम यूरिया (एसएसपी के साथ) @ 60 किलो/एकड़ + यूरिया (एसएसपी के बिना) @ 45 किलो/एकड़ की दर से बुआई के समय खाली खेत में भुरकाव करें।
- इन सभी पोषक तत्वों के साथ ग्रामोफोन की पेशकश “आलू समृद्धि किट” का उपयोग आलू की फसल में पोषण प्रबंधन के लिए किया जा सकता है।
- इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार द्वारा मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए एवं मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवक को ख़त्म करने के लिए किया जाता है।
मटर की फसल में बुआई के बाद 15 दिनों में पोषण प्रबंधन
- जिस प्रकार मटर की बुआई के समय पोषण प्रबंधन किया जाता है ठीक उसी प्रकार बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन किया जाना बहुत आवश्यक होता है।
- बुआई के 15 दिनों में पोषण प्रबंधन करने से मटर की फसल को बहुत अच्छी शुरुआत मिलती है।
- पोषण प्रबंधन मटर की फसल को कवक जनित एवं किट जनित रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करने में सहायता प्रदान करता है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए सल्फर 90% @ 5 किलो/एकड़ + जिंक सल्फ़ेट @ 5 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- यह ध्यान रखें की पोषण प्रबंधन के समय खेत में पर्याप्त नमी जरूर हो।
मॉनसून के अंतिम चरण में मध्यप्रदेश समेत इन राज्यों में होगी बारिश, जाने मौसम पूर्वानुमान
पूरे देश में अब मॉनसून अपने अंतिम चरण में पहुँच चुका है और जाते जाते मानसूनी बारिश ने कई राज्यों में मौसम सुहाना कर दिया है। ग़ौरतलब है की इस साल मॉनसून की बारिश 15% अधिक हुई है। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दो दिनों में मध्यप्रदेश समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में तेज बारिश और आंधियों की संभावना है।
अगले 24 घंटों के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो बिहार, उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्य भागों, मध्य प्रदेश के उत्तरी और मध्य हिस्सों, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय और मुंबई समेत कोंकण गोवा में कुछ मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना जताई गई है। इसके अलावा पूर्वोत्तर भारत, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में, दक्षिणी गुजरात में में हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर तेज़ वर्षा होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareबुआई के समय पोषण प्रबंधन कर भिन्डी की फसल को दें बेहतर शुरुआत
- भिन्डी की फसल सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है ।
- पर भिन्डी की बुआई से पहले खेत में अच्छे से जुताई करना जरूरी होता है।
- बात करें पोषण प्रबंधन की तो भिन्डी की फसल में बुआई के समय पोषण प्रबंधन रासायनिक और जैविक दो तरीकों से दिया जाता है।
- रासायनिक प्रबंधन: DAP @ 75 किलो/एकड़ + MOP@ 30 किलो/एकड़ की दर से भुरकाव करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ + NPK बैक्टीरिया@ 100 ग्राम/एकड़ + सीवीड, एमिनो, ह्यूमिक एसिड, मायकोराइज़ा @ 2 किलो/एकड़ + ज़िंक सोलुब्लाइजिंग बैक्टीरिया @ 100 ग्राम/एकड़ की दर मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
