प्राकृतिक खेती के लिए गोपालन पर मिल रहा अनुदान

देश में  प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। साथ ही किसानों और पशुपालकों को लाभ पहुंचाने के लिए गोपालन पर भी जोर दिया जा रहा है। सरकार के अनुसार प्राकृतिक खेती के लिए देसी गाय बेहद जरूरी है। इस बात को ध्यान में रखते हुए मध्यप्रदेश सरकार एक खास योजना चला रही है। 

योजना के अनुसार राज्य सरकार द्वारा प्राकृतिक खेती के लिए गोपालन पर अनुदान दिया जा रहा है। हालांकि यह खास अनुदान देसी गाय के लिए ही दिया जाएगा। जहां इस योजना के अंतर्गत किसानों को आर्थिक सहायता के तौर पर हर महीने 900 रूपए मिलेंगे। इस हिसाब से लाभार्थी किसान को सलाना 10 हजार 800 रूपए प्राप्त होंगे। इस योजना के लिए राज्य के 5200 गांवों को चुना गया है। जहां इस योजना का लाभ हर एक गांव के 5-5 किसानों को दिया जाएगा। 

इसके अलावा पशुओं की सुरक्षा को देखते हुए राज्य सरकार ने कई सख्त फैसले भी लिए हैं। इसके अनुसार अगर सड़क पर मवेशी को आवारा पाया जाता है तो, पशु मालिक को जुर्माने के तौर पर 5 हजार रूपए भरने होंगे। इसके साथ ही प्राकृतिक कृषि किट खरीदने के लिए किसानों को 75% की राशि सरकार खुद उपलब्ध कराएगी। कुल मिलाकर प्राकृतिक खेती और देसी गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है, ताकि हर स्तर का किसान प्राकृतिक खेती और गोपालन के जरिए बढ़िया कमाई कर सके।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों में गेहूँ भाव में दिखी कितनी तेजी?

wheat mandi rates

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे भीकनगांव, खातेगांव, पलेरा, सतना, शाजापुर और थांदला आदि में क्या चल रहे हैं गेहूँ के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में गेहूं के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

खरगोन

भीकनगांव

2229

2411

रेवा

चाकघाट

2050

2300

शिवपुरी

खनियाधाना

2015

2015

देवास

खातेगांव

1980

2340

देवास

खातेगांव

1980

2455

टीकमगढ़

पलेरा

2130

2170

सतना

सतना

2000

2250

खरगोन

सेगाँव

2100

2100

शाजापुर

शाजापुर

2150

2200

पन्ना

सिमरिया

2150

2150

झाबुआ

थांदला

2100

2300

उमरिया

उमरिया

1800

2400

श्योपुर

विजयपुर

2200

2230

स्रोत: एगमार्कनेट

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मक्का की फसल में (भुट्टा) निकलने की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन एवं जरूरी छिड़काव

मक्के की फसल में भुट्टे का आकार बढ़ाने के लिए, (भुट्टा) निकलने की अवस्था में पोषक तत्व प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपाय हैं। मक्के की फसल में भुट्टा निकलने की अवस्था बुवाई के 45-50 दिनों में शुरू हो जाती है। 

पोषण प्रबंधन:- मक्के की अधिक पैदावार लेने के लिये, यूरिया @ 35 किग्रा +  कैलबोर  (कैल्शियम 11% + मैग्नीशियम 1.0 % + सल्फर 12 % + पोटेशियम  1.7 +  बोरॉन  4%) @ 5 किग्रा , प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें। 

यूरिया:- मक्के की फसल में यूरिया नाइट्रोज़न की पूर्ति का सबसे बड़ा स्त्रोत है। इसके उपयोग से, पत्तियों में पीलापन एवं सूखने की समस्या नहीं आती है। यूरिया प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज़ करता है।

कैलबोर:- इस उत्पाद में कैल्शियम 11% + मैग्नीशियम 1.0 % + सल्फर 12 % + पोटेशियम  1.7 +  बोरॉन  4% का मिश्रण शामिल है, जो पोषण, विकास, प्रकाश संश्लेषण, शर्करा के परिवहन और कोशिका भित्ति निर्माण के लिए आवश्यक हैं। कैलबोर  आमतौर पर उपयोग किए जाने वाले अधिकांश उर्वरकों और कृषि रसायनों के साथ संगत है।

आवश्यक छिड़काव:- मक्के की फसल में 5 से 10 % सिल्क बनना शुरू हो जाये, तब इस अवस्था में, नूट्रीफूल मैक्स @ 250 मिली या डबल (होमोब्रासिनोलाइड 0.04% डब्ल्यू/डब्ल्यू) 100 मिली प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

नूट्रीफूल मैक्स:- नूट्रीफूल मैक्स पौध वृद्धि प्रवर्तक है। इसमें फुलविक एसिड अर्क- 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम  ट्रेस मात्रा में  5% + अमीनो एसिड आदि तत्व पाए जाते है। यह गाब के विकास एवं भुट्टे के गुणवत्ता को बढ़ाता है, एवं पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाता है। सूखे, पाले आदि के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा देता है।

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30 हजार रूपए अनुदान पर करें पौध रोपण

किसानों की आमदानी बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें फलों, मसालों और बागवानी को बढ़ावा दे रही हैं। ज्यादा संख्या में किसान इनकी खेती करें, इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं। इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को आम, अमरूद एवं नींबू के पौधे अनुदान पर प्रदान कर रही है। 

इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को निर्धारित मापदंड के अनुसार 40% से 50% अनुदान दिया जाएगा। यह सहायता राशि 60:20:20 के अनुपात में दी जाएगी। योजना के अनुसार यह आवेदन ड्रिप रहित पौधों के रोपण के लिए मान्य हैं। सरकार द्वारा पौध रोपण की लागत 60 हजार रूपए निर्धारित की गई, इसके तहत 50% अनुदान के आधार पर 30 हजार रूपए राशि प्रदान की जाएगी। बता दें कि सरकार द्वारा दी जा रही यह आर्थिक मदद कम से कम 1/4 हेक्टेयर और अधिकतम 4 हेक्टेयर रोपण पर दी जाएगी।

17 अगस्त 2022 से आवेदन करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इच्छुक किसान राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट https://mpfsts.mp.gov.in/mphd पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। योजना से जुड़ी सभी जानकारी भी इसी वेबसाइट पर प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप भी इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं तो बिना देरी करें जल्द आवेदन करें।

स्रोत: किसान समाधान

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मध्यप्रदेश मंडियों में क्या चल रहे टमाटर के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बड़वाह, खरगोन, सेंधवा और शिवपुरी आदि में क्या चल रहे हैं टमाटर के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में टमाटर के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

खरगोन

बड़वाह

1175

2000

खरगोन

खरगोन

800

2000

बड़वानी

सेंधवा

1000

1200

शिवपुरी

शिवपुरी

1200

1200

स्रोत: एगमार्कनेट प्रोजेक्ट

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जानिए क्या है सोयाबीन मोज़ेक वाइरस और पीला मोज़ेक वाइरस के बीच का अंतर

सोयाबीन मोज़ेक वाइरस :

कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर कहीं-कहीं पीला मोजेक वायरस या कहीं-कहीं सोयाबीन मोजेक वायरस के लक्षण देखे गए हैं। पीला मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों में सोयाबीन की ऊपरी पत्तियों पर पीले रंग के चितकबरे पीले-हरे धब्बे बनते हैं। पत्तियों का यह पीलापन धीरे-धीरे बढक़र फैलने लगता है तथा पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और आकार में टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। इस वायरस को फैलाने वाला प्रमुख वाहक कीट सफेद मक्खी होती है।

पीला मोज़ेक वाइरस :

जबकि सोयाबीन मोजेक वायरस में सोयाबीन की ऊपरी पत्तियां चमड़े की तरह  गहरे हरे रंग में परावर्तित होती हैं इस बीमारी को अन्य स्वस्थ पौधों पर फैलाने के लिए माहू वाहक का कार्य करते हैं।

नियंत्रण के उपाय 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड – बी (बवेरिया बेसियाना  1.15% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें | 

  • इसके अलावा किसान भाई सफ़ेद मक्खी व एफिड प्रकोप की सूचना के लिए, पीले चिपचिपे ट्रैप @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में स्थापित करें|  यह कीट प्रकोप को इंगित करेगा जिसके आधार पर किसान भाई ऊपर बताय गए उपाय अपनाकर फसल को कीट प्रकोप से बचा सकते हैं।

  • तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के आधार पर इन कीटों के नियंत्रण के लिए, टफगोर (डाइमेथोएट 30 ईसी) @ 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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देश की विभिन्न मंडियों में 27 अगस्त को क्या रहे फलों और फसलों के भाव?

Todays Mandi Rates

देश के विभिन्न शहरों में फलों और फसलों की कीमतें क्या हैं?

मंडी

फसल

न्यूनतम मूल्य (किलोग्राम में)

अधिकतम मूल्य (किलोग्राम में)

लखनऊ

कद्दू

25

लखनऊ

पत्ता गोभी

25

30

लखनऊ

शिमला मिर्च

45

60

लखनऊ

हरी मिर्च

30

लखनऊ

भिन्डी

20

लखनऊ

नींबू

40

लखनऊ

खीरा

27

लखनऊ

अदरक

24

30

लखनऊ

गाजर

30

लखनऊ

मोसंबी

25

27

लखनऊ

आलू

18

लखनऊ

प्याज़

9

10

लखनऊ

प्याज़

11

13

लखनऊ

प्याज़

16

17

लखनऊ

लहसुन

20

25

लखनऊ

लहसुन

30

40

लखनऊ

लहसुन

45

50

लखनऊ

अनन्नास

28

30

लखनऊ

हरा नारियल

48

50

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे लहसुन के भाव?

Indore garlic Mandi bhaw

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे भोपाल, देवास, इंदौर, कुक्षी और शुजालपुर आदि में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

भोपाल

भोपाल

500

2000

देवास

देवास

200

800

देवास

देवास

200

700

इंदौर

गौतमपुरा

200

861

इंदौर

इंदौर

200

2500

धार

कुक्षी

600

1000

सीहोर

सीहोर

2111

2617

शाजापुर

शुजालपुर

400

1889

झाबुआ

थांदला

800

1200

स्रोत: एगमार्कनेट

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मध्यप्रदेश की चुनिंदा मंडियों में क्या चल रहे सोयाबीन के भाव?

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों जैसे बड़नगर, बैतूल, धामनोद, कालापीपल, खातेगांव, खरगोन और मंदसौर आदि में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

विभिन्न मंडियों में सोयाबीन के ताजा मंडी भाव

जिला

कृषि उपज मंडी

न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)

शाजापुर

आगर

2229

5390

उज्जैन

बड़नगर

4520

5550

धार

बदनावर

4000

5550

शाजापुर

बैरछा

5600

5600

बैतूल

बैतूल

4500

5531

खरगोन

भीकनगांव

4900

5590

छिंदवाड़ा

छिंदवाड़ा

5275

5580

धार

धामनोद

3005

5400

धार

गंधवानी

6190

6216

डिण्डोरी

गोरखपुर

5000

5300

सीहोर

इछावर

4000

5400

शाजापुर

कालापीपल

4200

5750

उज्जैन

खाचरोद

4141

5325

खरगोन

खरगोन

4896

5900

देवास

खातेगांव

3400

5850

राजगढ़

खिलचीपुर

5650

5850

विदिशा

लटेरी

3500

5205

मंदसौर

मंदसौर

4000

5370

इंदौर

महू

3400

3400

राजगढ़

पचौरी

4900

5450

दमोह

पथरिया

4600

5450

मंदसौर

पिपलिया

2200

5800

खरगोन

सनावद

4710

5455

इंदौर

सांवेर

4100

5900

सीहोर

श्यामपुर

5732

5744

विदिशा

सिरोंज

4705

5391

रतलाम

ताल

4457

5375

हरदा

टिमरनी

4700

5525

स्रोत: एगमार्कनेट

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मिर्च की फसल में फ्यूजेरियम विल्ट रोग की पहचान एवं रोकथाम के उपाय

फ्यूजेरियम विल्ट:- फ्यूजेरियम विल्ट मिर्च की फसल की सामान्य बीमारी है। यह बीज एवं मृदा जनित बीमारी है, जो फ्यूजेरियम ऑक्सिस्पोरम नामक फफूंद से होता है। प्रभावित पौधे अचानक मुरझा कर धीरे-धीरे सूख जाते हैं। रोग ग्रसित पौधे हाथ से खींचने पर आसानी से उखड़ जाते हैं।

फ्यूजेरियम विल्ट रोग के कारण रोगी पौधों की जड़ें अंदर से भूरी व काली हो जाती हैं। रोगी पौधों को चीर कर देखने पर ऊतक काले दिखाई देते हैं। पौधों की पत्तियां मुरझा कर नीचे गिर जाती हैं। यह रोग हवा और जमीन में ज्यादा नमी व गर्मी होने के कारण एवं सिंचाई से सही नमी का वातावरण मिलने पर अधिक बढ़ता है।

जैविक प्रबंधन:- कॉम्बैट (ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 1 % डब्ल्यूपी) @ 500 ग्राम, प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करें।  तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के आधार पर 2 किलो कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी) फॉर्म्युलेशन को 50 किलो गोबर की खाद  के साथ मिलाएं, फिर उसके ऊपर पानी छिड़कें और एक पतली पॉलिथीन शीट से ढक दें। 15 दिनों के बाद जब ढेर पर मायसेलिया की वृद्धि दिखाई दे, तो मिश्रण को एक एकड़  क्षेत्र में प्रयोग करें।

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