जानिए क्या है सोयाबीन मोज़ेक वाइरस और पीला मोज़ेक वाइरस के बीच का अंतर

सोयाबीन मोज़ेक वाइरस :

कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर कहीं-कहीं पीला मोजेक वायरस या कहीं-कहीं सोयाबीन मोजेक वायरस के लक्षण देखे गए हैं। पीला मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों में सोयाबीन की ऊपरी पत्तियों पर पीले रंग के चितकबरे पीले-हरे धब्बे बनते हैं। पत्तियों का यह पीलापन धीरे-धीरे बढक़र फैलने लगता है तथा पत्तियां सिकुड़ जाती हैं और आकार में टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं। इस वायरस को फैलाने वाला प्रमुख वाहक कीट सफेद मक्खी होती है।

पीला मोज़ेक वाइरस :

जबकि सोयाबीन मोजेक वायरस में सोयाबीन की ऊपरी पत्तियां चमड़े की तरह  गहरे हरे रंग में परावर्तित होती हैं इस बीमारी को अन्य स्वस्थ पौधों पर फैलाने के लिए माहू वाहक का कार्य करते हैं।

नियंत्रण के उपाय 

  • जैविक नियंत्रण के लिए, ब्रिगेड – बी (बवेरिया बेसियाना  1.15% डब्ल्यूपी) @ 1 किग्रा प्रति एकड़, 150 -200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें | 

  • इसके अलावा किसान भाई सफ़ेद मक्खी व एफिड प्रकोप की सूचना के लिए, पीले चिपचिपे ट्रैप @ 8 -10, प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में स्थापित करें|  यह कीट प्रकोप को इंगित करेगा जिसके आधार पर किसान भाई ऊपर बताय गए उपाय अपनाकर फसल को कीट प्रकोप से बचा सकते हैं।

  • तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के आधार पर इन कीटों के नियंत्रण के लिए, टफगोर (डाइमेथोएट 30 ईसी) @ 2 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

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