कपास की फसल में जीवाणु झुलसा रोग की पहचान

Bacterial blight disease in Cotton crop
  • जीवाणु झुलसा रोग संक्रमित पौधे के किसी भी हिस्से और पौधे के विकास के किसी भी अवस्था को प्रभावित कर सकते हैं।
  • पौधे के विकास के शुरुआती अवस्था में जलमग्न, गोलाकार या अनियमित घाव तने में फैल जाते हैं और अंत में मुरझाने और अंकुर की मृत्यु हो जाती है जिसे सीडलिंग ब्लाइट के रूप में जाना जाता है।
  • छोटे, गहरे हरे, जलमग्न कोणीय धब्बे सबसे पहले पत्तियों की निचली सतह पर विकसित होते हैं, धीरे-धीरे ये धब्बे बढ़ते हुए गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं और बाद में दोनों पत्तियों की सतह पर ये धब्बे दिखाई देते है, जिसे कोणीय पत्ती धब्बा कहते है।
  • इसमें पत्तियों की शिराएं काली पड़ जाती है और पत्तियां झुर्रीदार और मुड़ी हुई दिखाई देने लगाती है। जिसे शिरा परिगलन कहते है। 
  • तने और शाखाओं पर काले घाव और पत्तियों का समय से पहले गिरना इसका लक्षण है जिसे ब्लैक आर्म के रूप में जाना जाता है।
  • इस रोग में बोल (डेंडु) में सड़े- गले बीज और रेशे बेरंग हो जाते है। संक्रमित डेंडु में कोणीय के बयाज गोल जलमग्न धब्बे दिखते है जो समय के साथ गड्डेदार और गहरे भूरे या काले होते जाते है, इसे बोल रॉट कहते है।
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मिर्च की फसल में जीवाणु पत्ती धब्बा रोग के लक्षण

Bacterial leaf spot disease in Chilli crop
  • पहले लक्षण नए पत्तों पर छोटे पीले- हरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते है तथा ये पत्तियां विकृत और मुड़ी हुई होती है।  
  • बाद में पत्तियों पर छोटे गोलाकार या अनियमित, गहरे भूरे या काले चिकने धब्बे दिखाती देते हैं। जैसे ही ये धब्बे आकार में बड़े होते है, इनमें बीच का भाग हल्का और बाहरी भाग गहरा हो जाता है। 
  • अंत में ये धब्बे छेदों में बदल जाते है क्योंकि पत्तों के बीच का हिस्सा सूख कर फट जाता है।  
  • गंभीर संक्रमण होने पर प्रभावित पत्तियां समय से पहले झड़ जाती हैं।
  • फलों पर गोल, उभरे हुए, पीले किनारों के साथ जलमग्न धब्बे बन जाते है। 
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प्री-मानसून से अगले दो दिनों में हो सकती है बारिश, तय समय पर आएगा मानसून

There may be Rain in the next two days from Pre Monsoon, Monsoon will come on time

मानसून अपने तय समय 2 से 9 जून तक केरल में दस्तक देगा और फिर देश के अलग अलग हिस्सों में बारिश कराएगा। बहरहाल इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने बताया है कि मानसून के आने से पहले ही प्री-मानसून के अंतर्गत अगले कुछ दिन भारत में व्यापक बारिश होने की संभावना है।

प्री-मानसून का असर 29 मई की रात से ही देखा जा रहा है और ऐसी संभावना है कि इसके चलते कुछ राज्‍यों में 31 मई तक तेज बारिश हो सकती है। प्री-मानसून के इस बारिश से मुख्यतः मध्‍य प्रदेश, पश्चिमी हिमालय, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड प्रभावित हो सकते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, ओडिशा, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली में भी बारिश होने की संभावना है।

आने वाले 24 घंटों में ख़ास कर उत्तरी पंजाब, हरियाणा, पश्चिम उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कुछ इलाकों में धूल भरी आंधी चलने या बादलों की गर्जना के साथ हल्की वर्षा होने के आसार हैं। अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिम बंगाल में बिहार के कई हिस्सों और झारखंड के पूर्वी हिस्सों में बारिश की गतिविधियाँ संभव हैं। उत्तर प्रदेश और ओडिशा में भी कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के आसार हैं।

स्रोत: नई दुनिया

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पपीते के पौधों में लौह तत्व की कमी के लक्षण

Symptoms of Iron deficiency in Papaya plants
  • लौह तत्व की कमी सबसे पहले नई पत्तियों पर दिखाई देती है। इसमें ऊपरी पत्तियां का पीली पड़ जाती है किंतु शिरायें हरी बनी रहती है। 
  • बाद के चरणों में यदि कोई उपाय नहीं किया जाता है तो पूरी पत्ती सफ़ेद-पीली हो जाती है और पत्ती की सतह पर भूरे गले हुए धब्बे उभर आते है। 
  • इससे प्रकाश संश्लेषण की दर कम हो जाती है जिससे पौधा भोजन नहीं बना पाता तथा पौधे की उपज संभावना कम हो जाती है। 
  • इसकी कमी को 15 ग्राम चिलेटेड आयरन को प्रति 15 लीटर पानी की टंकी में घोल कर पत्तियों पर छिड़काव करके दूर कर सकते है। या
  • फेरस सल्फेट (Fe 19%) की 30 ग्राम को प्रति 15 लीटर पानी की टंकी में घोल कर पत्तियों पर छिड़काव करे तथा दूसरा छिड़काव 15-20 दिनों बाद करे।
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समुद्री शैवाल (सी वीड) का फ़सलों में महत्व

Importance of Seaweed in Crops
  • समुद्री शैवाल (सी वीड) पौधों की चयापचय बढ़ाने के रूप में काम करता है, यह पौधों में आंतरिक वृद्धि और विकास प्रक्रियाओं को उत्तेजित करती है। 
  • प्रारंभिक अंकुरण वृद्धि के साथ साथ प्राथमिक एवं माध्यमिक जड़ विकास करता है।
  • समुद्री शैवाल सूक्ष्मजीवों की क्रियाशीलता बढ़ाता है। जिससे मृदा की संरचना में सुधार होता है। 
  • इससे उच्च मात्रा में पोषक तत्व पौधों को प्राप्त होते है जिससे पत्तियों और शाखाओं का बेहतर विकास होता है। 
  • फसल में फूलों एवं फलों का झड़ना कम करता है।  
  • दानों और फलों के आकर और वजन में वृद्धि कर फसल में अधिक उपज के साथ गुणवत्ता बढ़ाता है।
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ग्रामोफ़ोन की मदद से सोयाबीन की खेती विष्णु ठाकुर के लिए बन गई लाभ का सौदा

इंदौर जिले के देपालपुर तहसील के बिरगोदा गांव के रहने वाले किसान भाई विष्णु ठाकुर पिछले 10 वर्षों से खेती कर रहे हैं और मुख्यतः वे सोयाबीन, गेंहू, चना, लहसुन, आलू जैसी फ़सलों की खेती करते हैं। विष्णु जी खेती के दौरान अपनी फ़सलों में लगने वाली बीमारियों की वजह से परेशान रहते थे और इसी वजह से उन्हें अपनी फसल से अच्छा उत्पादन भी नहीं मिल पाता था।

जब विष्णु अपनी फ़सलों से संबंधित इन समस्याओं से परेशान थे उसी दौरान उन्हें ग्रामोफ़ोन के बारे में पता चला और वे इससे जुड़ गये। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के बाद उनके समस्याओं का निदान मिलने लगा। इस बारे में बात करते हुए उन्होंने टीम ग्रामोफ़ोन को बताया की “ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के बाद आज मेरी फ़सलों में सुधार हुआ है। पहले मेरी फसलें जो घाटे का सौदा या फिर ‘ना नफा ना नुकसान’ की तरह होती थीं वहीं अब यह मुनाफ़ा दे रही हैं। विष्णु मानते हैं की ग्रामोफ़ोन ने खेती को ‘लाभ का धंधा’ बना दिया है।

बहरहाल विष्णु को अपनी परेशानियों से निजात दिलाने में ग्रामोफ़ोन ने मदद की। इसी का नतीजा था की उनका सोयाबीन का उत्पादन पूर्व में हुए उत्पादन का लगभग दोगुना हो गया। जहाँ पहले विष्णु को सोयाबीन की खेती से 195000 रूपये का मुनाफ़ा हुआ वहीं ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के बाद यह मुनाफ़ा बढ़ कर 380000 रूपये हो गया।

अगर आप भी अपनी खेती को लेकर किसी प्रकार की समस्या का सामना कर रहे हैं तो विष्णु की तरह आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ कर अपनी परेशानियों का निदान प्राप्त कर सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप टोल फ्री नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल कर सकते हैं या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन कर सकते हैं।

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अरब सागर से आ रही है अम्फान जैसी आफ़त, फ़सलों को हो सकता है भारी नुकसान

Will Amphan effect the monsoon, differences in scientists, know when monsoon will come

पश्चिम बंगाल एवं ओडिशा में आए अम्फान तूफान के कारण किसानों के भारी नुकसान की ख़बरे अभी चल ही रही थी कि अचानक अब दक्षिण पश्चिम राज्य केरल के निकट अरब सागर में एक और चक्रवात के आने की प्रबल संभावना बन रही है। इस तूफ़ान का असर पश्चिमी राज्यों के अलावा उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के कुछ भागों में भी देखने को मिल सकता है। इससे फ़सलों को भारी नुकसान भी हो सकती है।

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक इस चक्रवात का सबसे बुरा प्रभाव गुजरात पर पड़ सकता है। भारतीय मौसम विभाग ने हालांकि चक्रवात को लेकर फिलहाल कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा है लेकिन इतना ज़रूर कहा है की अगर अगले पांच दिन में स्थिति बेहतर नहीं हुई तो भयंकर चक्रवात के आने का अंदेशा है। मौसम विभाग के अनुसार 30 मई के बाद ही इस विषय पर कुछ भी कहना सही होगा, लेकिन लोगों को सचेत रहने की जरूरत है।

स्रोत: कृषि जागरण

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औषधीय गुणों से भरपूर है चिरौंजी

Chironji Health Benefits
  • चिरौंजी में प्रोटीन की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है, इसके अलावा इसमें विटामिन सी , विटामिन बी 1, विटामिन बी 2 भी पर्याप्त मात्रा में होता है। 
  • चिरौंजी में पाया जाने वाला B1, B3 बालों की वृद्धि करता है। 
  • चिरौंजी एक बहुत ही कारगर सौंदर्य उत्पाद है। इसके इस्तेमाल से चेहरे पर चमक आती है और कील-मुंहासे साफ हो जाते है। यदि चेहरे पर दाग है तो इसे पीसकर प्रभावित जगह पर लगाने से चेहरा बेदाग हो जाता है। 
  • वहीं इससे निर्मित तेल में अमीनो एसि‍ड और स्टीएरिक एसि‍ड भी पाया जाता है। 
  • चिरौंजी के सेवन से पाचन तंत्र को मजबूत करता है तथा पाचन सम्बन्धी कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। 
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बैंगन की फसल का जीवाणुजनित उकठा रोग से कैसे करें बचाव

  • खेतों को साफ रखे, और संक्रमित पौधों को इकट्ठा करके नष्ट कर दे।
  • फूलगोभी, पत्तागोभी, सरसों, मूली जैसी फसल को फसल चक्र में अपनाने से इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • पंत सम्राट किस्म इस रोग के प्रति सहनशील है।
  • इसके बचाव के लिए खेत की अंतिम जुताई या बुवाई के समय 6-8 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 1 किलो ट्राइकोडरमा विरिडी मिला कर एक एकड़ खेत में बिखेर दे। खेत में नमी जरूर रखें।
  • इससे रोग रोकथाम के लिए कासुगामायसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 20 ग्राम या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधे की जड़ों के पास ड्रेंचिंग करें।या
  • जैविक माध्यम से स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 1 किलो को 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ पौधों की जड़ों के पास ड्रेंचिंग करें।
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टिड्डी दल के बड़े हमले को देखते हुए म.प्र के कृषि मंत्री ने किया मुआवज़े का ऐलान

Locusts team knocked in Madhya Pradesh, Can cause heavy damage to crops

राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में फ़सलों का सबसे बड़े दुश्मन टिड्डी दल का हमला हो चुका है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है की टिड्डियों का इतना बड़ा हमला खासकर के मध्यप्रदेश में 27 साल बाद हुआ है। इस बड़े टिड्डी हमले को देखते हुए सरकार की तरफ से भी एहतियाती कदम उठाये जा रहे हैं।

इस मसले पर मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया कि टिड्डी दल के प्रकोप के कारण किसानों को होने वाले नुकसान का सर्वेक्षण कराया जाएगा। सर्वेक्षण का कार्य राजस्व विभाग और कृषि विभाग के अमले का संयुक्त दल बनाकर कराया जाएगा। इस सर्वेक्षण में जिन किसानों को अधिक मात्रा में नुकसान हुआ है उन्हें आरबीसी 6 (4) के अंतर्गत मुआवजा देकर क्षति पूर्ति की जाएगी। इसके साथ ही राज्य स्तर से इसके लिए आवश्यक निर्देश भी जल्द जारी किए जाने की बात मंत्री श्री कमल पटेल ने कही।

स्रोत: नई दुनिया

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