- रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए अंकुरण से पहले (बुआई के 72 घंटों के भीतर) 700 मिली पेन्डीमेथालीन 38.7 CS या पेन्डीमेथालीन 30% EC को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में छिड़काव करें।
- पहली निराई- गुड़ाई फसल अंकुरण के 25 से 30 दिन के अंदर कोल्पा या डोरा चला कर करें।
- 2-3 पत्ती वाले खरपतवार होने पर पायरिथियोबेक सोडियम 6% EC + क्यूजालोफोप एथिल 4% 5 EC 350 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ के खेत में छिड़काव करें। खेत में नमी अवश्य होनी चाहिए।
- फसल में संकरी पत्ती वाले खरपतवार दिखाई देने पर क्यूजालोफोप एथिल 5% EC @ 400 मिली या प्रोपाकिजाफाप 10% EC @ 300 मिली प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर एक एकड़ के खेत में छिड़काव करें।
- चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार के नियंत्रण हेतु फसल के 1.5 फीट का होने पर हुड लगाकर फसल को बचाते हुए मिट्टी की सतह पर पैराक्वाट डाईक्लोराइड 24% SL @ 500 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर साफ पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह एक नॉन-सेलेक्टिव खरपतवार नाशी हैं।
मूंग की फसल में फली छेदक (इल्ली) नियंत्रण के साथ दानों का आकार कैसे बढ़ाएं?
मूंग की फसल को फली छेदक (इल्ली) के कारण नुकसान हो सकता है अतः इसका नियंत्रण करें। इसके नियंत्रण के साथ दानों का आकार बढ़ाने के लिए इन उपायों को अपनाएं?
- यह इल्ली हरे-भूरे रंग की दिखाई देती है, और इसके शरीर पर गहरे भूरे रंग की धारियाँ होती है।
- फली छेदक (इल्ली) का सिर फली में अंदर घुसा रहता जो फली में छेद कर नुकसान पहुँचाता है।
- इल्ली नियंत्रण हेतु क्लोरट्रानिलीप्रोल 18.5 SC 60 मिली/एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। या
- कीट रोकथाम के लिए इमामेक्टीन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम + बिवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- दानों का आकार बढ़ाने के लिए 1 किलो सल्फर ऑफ पोटाश-0:0:50 उर्वरक इस छिड़काव के साथ मिलाकर उपयोग करें।
एक ही किस्म के कपास के बीजों की बुआई किसानों के हित में नहीं है- कृषि विभाग
मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में कपास की बुआई को लेकर हलचल तेज हो गई है। ऐसे में कपास किसानों की तरफ से ‘बी.टी. कपास’ की एक ही किस्म 659 की मांग बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है। एक ही किस्म के बीजों की इस मांग पर कृषि विभाग के उप संचालक श्री आर.एस. गुप्ता ने कहा की यह किसानों के हित में नही है।
श्री आर.एस. गुप्ता ने किसान भाइयों से अपील करते हुए कहा की “मौसम की अनिश्चितता के कारण कभी-कभी एक ही किस्म लगाने से अतिवृष्टि, अवर्षा, कीटव्याधि का प्रकोप बढ़ने आदि कारणों से फसल चौपट हो जाती है एवं किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। इसलिए बाजार में उपलब्ध बी.टी. कपास के 659 किस्म के अलावा अन्य किस्मों के बी.टी. कपास बीज भी बोए।”
उन्होंने आगे बताया कि साथ ही कपास के अलावा ज्वार, मक्का, मूंग, उड़द, अरहर, धान, सोयाबीन आदि फ़सलों की बोनी कर बहुफसलीय पद्धति को अपनाएँ ताकि जैव विविधता बनी रहे एवं मौसम कीटव्याधि से एक फसल खराब होने पर दूसरी फसल पर लाभ प्राप्त हो सकें एवं पर्यावरण सुधार में मदद हो सके।”
स्रोत: dprmp.org
Shareनर्सरी में ऐसे करें मिर्च के बीजों की बुआई
नर्सरी में मिर्च के बीजों की बुआई के समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। इससे नर्सरी में अच्छी पौध तैयार होती है।
- मिर्च की पौध तैयार करने के लिए सबसे पहले बीजों की बुआई 3 गुणा 1.25 मीटर आकार की क्यारियों में करनी चाहिए।
- ये क्यारियां ज़मीन से 8-10 सेमी ऊँची उठी होनी चाहिए ताकि पानी इक्कठा होने से बीज व पौध न सड़ जाये।
- 150 किलो सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएँ ताकि मिट्टी की संरचना के साथ पौधे का विकास अच्छा हो और हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाए।
- एक एकड़ के खेत के लिए 60-80 ग्राम मिर्च के बीजों की आवश्यकता नर्सरी में होती है।
- क्यारियों में 5 सेमी की दूरी पर 0.5- 1 सेमी गहरी नालियां बनाकर बीजों की बुआई करें।
- बुआई के बाद आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे।
मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए स्थान का चुनाव कैसे करें?
मिर्च की नर्सरी लगाने के लिए स्थान का चुनाव करते समय कुछ बातों का ध्यान रख कर हम इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
- ज़मीन उपजाऊ, दोमट, खरपतवार रहित व अच्छे जल निकास वाली हो।
- अम्लीय या क्षारीय ज़मीन का चयन न करें।
- नर्सरी के पास बहुत बड़े पेड़ न हों।
- नर्सरी में लंबे समय तक धूप रहती हो।
- पौधशाला के पास सिंचाई की सुविधा मौजूद हो।
- चुना हुआ क्षेत्र ऊंचा हो ताकि पानी न ठहरे।
- एक स्थान पर बार-बार नर्सरी का निर्माण न करें।
उपज बेचना हुआ और आसान: अब 962 मंडियों पर ऑनलाइन पोर्टल से होगी बिक्री
किसानों को अपनी उपज बेचने के कई बार बहुत समस्या का सामना करना पड़ता है। कभी उन्हें सही दाम नहीं मिलते तो कभी ख़रीदार नहीं मिलते। इसी समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने साल 2016 में एक ऑनलाइन पोर्टल ई-नाम की शुरुआत की थी | यह एक प्रकार की ऑनलाइन मंडी है जो किसानों और कृषि कारोबारियों में खूब प्रसिद्ध है। हाल ही में इस पोर्टल में कुछ नए फीचर्स जोड़े गए जिसकी मदद से किसान घर या खेत से सीधे अपनी उपज बेच सकता हैं| इस पोर्टल में हाल ही में राज्यों की विभिन्न मंडियों को भी जोड़ दिया गया है |
बता दें की राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) के नाम से जाना जाने वाला यह पोर्टल हाल ही में 177 नई मंडियों से जुड़ा है। इसके बाद अब ईएनएएम में मंडियों की कुल संख्या 962 हो गई है। इससे पहले यह संख्या 785 थी।
इस पोर्टल पर कोई भी किसान स्वयं रजिस्ट्रेशन कर सकता है। किसान ई-नाम में दर्ज मंडियों में व्यापारियों को ऑनलाइन बिक्री के लिए अपनी उपज अपलोड कर सकते हैं और व्यापारी भी किसी भी स्थान से ई-नाम के तहत बिक्री के लिए उपलब्ध लॉट के की बोली लगा सकते हैं।
ज्यादा जानकारी के लिए विजिट करें www.enam.gov.in
स्रोत: किसान समाधान
Shareजानें कपास की उन्नत खेती के लिए बुआई की विधि
- खेत में गहरी जुताई कर मिट्टी अच्छी भुरभुरी कर लेनी चाहिए।
- संकर या बीटी किस्म का लगभग 450 ग्राम कपास बीज प्रति एकड़ की दर से बुआई के काम आता है।
- संकर एवं बीटी जातियों में कतार से कतार 4 फीट (48 इंच) तथा एवं पौधे से पौधे के बीच की दूरी 1.5 (18 इंच) फीट रखी जाती है।
- बुआई के ठीक बाद पहली सिंचाई दें।
रोपण के समय कैसे रखें पपीते की पौध को स्वस्थ?
- खेत को अच्छी तरह से जोत कर समतल करें तथा इसके लिए भूमि का हल्का ढाल सबसे उत्तम है।
- 2 X 2 मीटर की दूरी पर 50 X 50 X 50 (लम्बाई, चौड़ाई व गहराई) सेमी आकार के मई महीने में खोद कर 15 दिनों तक खुला छोड़ देना चाहिए, ताकि तेज गर्मी और धुप से हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु नष्ट हो जाएँ।
- इन गड्ढों में 20 किलो गोबर खाद, आधा किलो सुपर सुपर फास्फेट, 250 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश मिट्टी में मिलाकर पौधा लगाने के 10-15 दिन पहले भर दें।
- पौधे जब 15 सेमी के हो जाएँ तब उन्हें गड्ढों में लगाकर हल्की मात्रा में पानी देना चाहिए।
पीएम किसान: 9.13 करोड़ किसानों को मिला लाभ, आप भी मिनटों में स्वयं करें रजिस्ट्रेशन
कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए मार्च महीने से ही देशव्यापी लॉकडाउन जारी है। इस दौरान पीएम किसान सम्मान निधि योजना से 9.13 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। इस योजना के अंतर्गत 18,253 करोड़ रुपये की राशि किसानों के बैंक खाते में भेजी गई है। हालाँकि अभी भी कई किसान इस योजना ने नहीं जुड़ पाए हैं जिस कारण उन्हें इसका लाभ भी नहीं मिल पाया है।
बता दें की इस योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन करना बहुत ही आसान है। आप कुछ स्टेप्स के जरिए पीएम-किसान योजना के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं।
इसके लिए सबसे पहले पीएम किसान सम्मान निधि योजना की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएँ और लॉग ऑन करें। इसके बाद ‘Farmers Corner’ सेक्शन पर अपने माउस के कर्सर को ले जाएँ और इसके ड्रॉप डाउन लिस्ट में ‘New Farmer Registration’ का विकल्प चुने। इसके बाद आपको आधार कार्ड का नंबर एवं कैप्चा डालना होगा और फिर जो पेज खुलेगा उसपर अपनी पूरी जानकारी डालकर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूरा करना होगा।
पीएम किसान सम्मान निधि योजना की इस आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से ही योजना के लाभार्थियों की लिस्ट भी देख सकते हैं।
स्रोत: दैनिक जागरण
Shareआम के पेड़ में फल छेदक कीट की पहचान तथा नियंत्रण के उपाय
- इस कीट का वयस्क रूप पतंगे के रूप में होता है जिसके आगे के गहरे भूरे पंख व पिछले पंख सफेद- स्लेटी रंग के होते हैं।
- यह पतंगा फलों पर अण्डे देता है, जिससे लार्वा निकल कर फल में प्रवेश कर गुदा को नुकसान पहुंचाता है।
- इस लार्वा का सिर काला तथा शरीर फीके गुलाबी रंग का होता है जो बाद में लाल-भूरे रंग में बदलता है।
- आरम्भ में, ये लार्वा फल के छिलके को खुरचता है जिससे पपड़ी जैसे धब्बे बन जाते है। बाद में यह भीतर घुस जाते हैं।
- प्रभावित फलों में काले प्रवेश छिद्र दिखाई पड़ते हैं जिसमें से गूदा और रस निकलता है।
- इसका प्रकोप फल के मटर आकार से ही शुरू हो जाता है जो फल के परिपक्क्व होने तक रहता है।
- इससे प्रभावित फलों को इकट्ठा कर नष्ट कर देना चाहिए।
- 15 दिनों के अंतराल पर नीम का तेल या नीम आधारित दवा का 5 मिली प्रति लीटर पानी से साथ छिड़काव फल बनने की अवस्था से ही कर देना चाहिए। या
- 20 मिली लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% EC के साथ 75 ग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना या 5 ग्राम वर्टिसिलियम कीटनाशी को 15 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।